Justice for Dr. Abhinav Yadav, Vidisha Medical College, Madhya Pradesh

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करीब 3 जाँच चल रही है ऐसे में कॉलेज के वे सभी सदस्य जो शक के दायरे में है अभी तक कॉलेज में अपनी सेवा दे रहै है । जबकि सभ...
22/11/2019

करीब 3 जाँच चल रही है ऐसे में कॉलेज के वे सभी सदस्य जो शक के दायरे में है अभी तक कॉलेज में अपनी सेवा दे रहै है । जबकि सभी को जांच होने तक अपनो पदों से दूर रखने की मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास लंबित है।
ऐसे में आशंका है कि कॉलेज प्रबंधन बाकी छात्रों पर दबाब बना चुका होगा ताकि सच को दबाया जा सके और फिर ऐसे माहौल में क्या निष्पक्ष जाँच होना संभव है।
बेहतर होता जिला प्रशासन पहले सभी शिक्षकों को अवकाश पर भेजता और फिर जाँच की जाती । क्या वर्तमान में हो रही जांच में 16 अगस्त की घटना का एक ट्रायल हुआ जिसमें ये साबित हो अभिनव एग्जाम हाल में कहा बैठा था और आखिर के 45 मिनट का विस्तृत उल्लेख हो कि कब क्या और कैसा घटा ।
क्या एग्जाम टीम के द्वारा की गई कार्यवाही में विश्वविद्यालय के नियमो का उल्लघंन तो नही हुआ ।
जब बाकी नए कॉलेज में एग्जाम हाल में CCTV थे तो फिर विदिशा कॉलेज के एग्जाम हाल तो एग्जाम हाल बल्कि पूरे कैंपस में 1 CCTV क्यो नही था ।
जब बाकी कॉलेज में एग्जाम में एंट्री से पहले चेकिंग हो रही थी तो फिर विदिशा कॉलेज में क्या चेकिंग नही हुई ।
क्या विश्वविद्यालय के नियमो में ऐसा उल्लेख है कि प्रकरण बनने के बाद छात्र को एग्जाम हाल में इतनी अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाए कि छात्र अपना सब कुछ खत्म कर ले।
डीन कॉलेज के मुखिया होते है जिनके नए कॉलेज में यह पहला प्रकरण बना वो भी एक होनहार छात्र जो कि नकल नही कर रहा था बाबजूद इसके डीन ने कोई संज्ञान नही लिया जबकि उनको इस बात की सूचना मिल गयी थी। उल्टा डीन साब ने मीडिया के सामने ताबड़ तोड़ उल्टे सीधे बयान देकर अभिनव की एक भूमिका बना दी की सारा दोष अभिनव का था।
डीन का ऑन रिकॉर्ड बयान है कि अभिनव अपनी डेस्क से एक लड़की की डेस्क पर कॉपी लेने गया और उसकी जेब से पर्चियां गिरी । जबकि ये साफ सफेद झूठ है क्लास में ऐसा कुछ नही हुआ था उस दिन।
इस तरह के ओछे बयान देना उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है।
डीन सर से अभिनव का परिवार जाके मिला था फिर भी मीडिया में ये कहना कि मुझसे उनकी कोई मुलाकात नही हुई एक और झूठ था।
जब पत्रकारों ने पूछा कि अभिनव के परिजनों ने उनके बेटे को एग्जाम हाल मानसिक प्रताड़ित करने की बात कही है तब डीन साब ने कहा मुझे इसकी कोई जानकारी नही है । जबकि अभिभावक ने पहली ही मुलाकात में उनके आफिस में उनको इस बारे में अवगत कराया था जिस पर डीन उसी समय अभिभावक पर भड़क गये थे और पूछने लगे कि मेरे सामने लाइये किसने ऐसा कहा में बताता हूँ उसको।
एक जिम्मेदार व्यक्ति ने अपनी जिम्मेदारी ना पहले निभाई ना बाद में ।
अगर प्रशासन निष्पक्ष जाँच करेगा तो सब सामने आएगा कि अभिनव के साथ उस दिन क्या हुआ था यह भी सामने आएगा कि क्या बाकी छात्रों (जो 16 अगस्त को अपने दोस्त रोल नंबर 1 अभिनव को खो चुके है ) पर बयान बदलने के लिए भी कोई दबाब बनाया गया है।
यदि तथ्यों को छिपाया जाएगा तो परिजन इस केस की CBI से निष्पक्ष जाँच की मांग करेंगे ताकि भविष्य में किसी और के बच्चे के साथ ऐसी दुखद घटना न हो । अभिनव अपने सयुंक्त परिवार का सबसे बड़ा बेटा था और उसके अचानक चले जाने से पूरा परिवार बिखर गया है । परिजनों ने राज्यपाल महोदय से भी इसकी निष्पक्ष जाँच की मांग की है और उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले की जाँच कराई जाएगी ।

13/11/2019
प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है ताकि  16 अगस्त के बारे  सत्यता का पता लगाया जा सके और भविष्य में ऐसी दुखद घटना ना हो। ३  म...
13/11/2019

प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है ताकि 16 अगस्त के बारे सत्यता का पता लगाया जा सके और भविष्य में ऐसी दुखद घटना ना हो।

३ महीने होने को है तो क्या इस बीच कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज के बाकी बच्चो या एग्जाम हॉल में मौजूद अन्य शिक्षकों पर कोई दबाब तो नहीं डाला जिससे सच को छुपाया जा सके ?

इस घटना दौरान क्या कॉलेज ने विश्व विद्यालय के नियमानुसार सभी नियमो का विधिवत पालन किया था ?

ऐसे कई और सवालो के जबाब आने शेष है।

2018  में अभिनव के केस फाइल करने के बाद कोर्ट ने तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार एवं डिपार्टमेंट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन मध्य प्रदे...
20/10/2019

2018 में अभिनव के केस फाइल करने के बाद कोर्ट ने तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार एवं डिपार्टमेंट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन मध्य प्रदेश से जबाब माँगा था।
तब जाकर मध्य प्रदेश में 3 नए मेडिकल कॉलेज खुले और 400 छात्र MBBS में एडमिशन ले पाए.
इन्ही 400 में अभिनव भी एक था, जो विदिशा मेडिकल कॉलेज का रोल नंबर 1 था , कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के कारण आज अभिनव हमारे बीच नहीं है। जिसकी जांच चल रही है की 16 अगस्त 2019 को आखिर हुआ क्या था। क्या कॉलेज अभी भी कुछ छुपा रहा है ??

क्योंकि ऐसा निडर लड़का जो मध्य प्रदेश में कॉलेज शुरू कराने के लिए जो पहले पूरे प्रशासन से गुहार लगाता है उसके बाद इसी मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाता है की मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया को दोबारा बुलाया जाए और मध्य प्रदेश सरकार यह तह करे की यदि इस बार एम् सी आई कोई कमी पाती है तो फिर सरकार उसकी जिम्मेदारी ले और जल्द से जल्द उस कमी को पूरा किया जाए।

अमूमन एक मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने आया बच्चा लगभग २ से ३ साल तैयारी करता है जिनमे से अधिकांश कोचिंग जाते है जिनका सालाना खर्च डेढ़ लाख से तीन लाख जाता है। इन् २ या 3 साल में उनके दूसरे साथी मित्र ग्रेजुएशन कर चुके होते है पर यह बच्चे इसी आस में की अगले साल तो हो ही जायेगा फिर अपनी तैयारी में जुट जाते है। कई बार बच्चे इतने हताश हो जाते है की वे वह कुछ अनहोनी कर बैठते है इसके चलते अब कुछ कोचिंग संस्थानों ने काउंसलिंग सेण्टर चालु कर दिए है पर अधिंकाशतः करोडो की लागत से बनने वाले मेडिकल कॉलेज में ऐसे काउंसलिंग सेंटर नहीं होते।

इतनी जददोजहद के बाद एक बच्चा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले पाता है और जब बात सरकारी कॉलेज की हो तो और ज्यादा मेहनत होती है क्योंकि हर बच्चा प्राइवेट कॉलेज की फीस नहीं दे सकता जो मध्य प्रदेश में 10 से 12 लाख सालाना होती है मतलब एक MBBS की डिग्री में तक़रीबन 60 से 70 लाख रूपये लग जाते है।

अभिनव ने भी कक्षा 11 से तैयारी शुरू कर दी थी। 12 वी के बाद 1 साल कोटा में रहने के बाद दूसरी बार फिर घर बैठ के ही तैयारी की उसकी इस बार की मेहनत रंग लायी और आखिर में जाके उसे विदिशा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला। एडमिशन लेने के ठीक १ साल बाद वार्षिक एग्जाम के दौरान कॉलेज कैंपस में ही अभिनव घायल अवस्था में मिला जिसे अभिनव के मित्र अपनी बाइक से सरकारी हॉस्पिटल लेकर गए ताकि अपने दोस्त को फिर से हँसता खेलता देख सके पर समय ज्यादा बीत गया था। यदि सही समय पर अभिनव को मेडिकल इक्विपमेंट से सुसज्जित एम्बुलेंस मिल जाती तो शायद अभिनव हमारे साथ फिर से खड़ा होता पर करोडो के कॉलेज में एम्बुलेंस भी नहीं थी।

कॉलेज ने नियमो को ताक पे रख के अभिनव का नक़ल प्रकरण बना दिया जबकि अभिनव नक़ल नहीं कर रहा था। 150 बच्चे एग्जाम हाल में बैठे एग्जाम दे रहे थे। जिसमे चूँकि अभिनव का रोल नंबर 1 था और वह अपनी पंक्ति में सबसे आगे बैठा था।
नियमानुसार एग्जाम हाल में CCTV अनिवार्य था जो की यहाँ नदारद था, यदि CCTV होता सारा सच सामने आ जाता की आखिर उस दिन एग्जाम हाल में हुआ क्या था।

कॉलेज प्रशासन ने कई बार बयान बदले, अब जबकि विदिशा कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने जांच के आदेश दे दिए है की सभी तथ्यों की निष्पक्ष जांच की जाएँ तो उम्मीद है सच सबके सामने आएगा और अभिनव जो की 2018 में भविष्य के 400 डॉक्टर्स के लिए खड़ा हुआ था और सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी थी की कॉलेज खोले जाए अब उसके परिजन चाहते है की हमारे बेटे को न्याय मिले और दोषियों को कानून अनुसार सजा दी जाए। ताकि किसी और अभिभावक को अपने बच्चो को ना खोना पड़े।

July-2018 Abhinav at Supreme court Delhi along with his friend to file case on-behalf of all MP NEET candidates and requ...
20/10/2019

July-2018 Abhinav at Supreme court Delhi along with his friend to file case on-behalf of all MP NEET candidates and requested to start new medical colleges like Vidisha, Ratlam, Khandwa & Chhindwara.
Post this MCI officials visited again and first 3 out of 4 colleges received permission to start first year MBBS admission in Year 2018-19.
Even after 1 Year of permission Vidisha college management couldn't manage to have CCTV in this campus.
When investigation team visited campus they were surprised to know that college don't have CCTV in Campus.
On top of this MP Medical university Jabalpur allows college to conduct annual exam. This is classic example of negligence.
Neither college nor university were interested for Safety aspects.
As they were aware no one will ask this question. Govt. allotted budget of around Rs. 350 Crore and then also college management was least bother to have CCTV installed.
This behavior seems suspicious as how much it will cost to have CCTV in Campus and
where that amount has gone which was supposed to spent on CCTV ??

पिछले साल नए मेडिकल कॉलेज की परमिशन के लिए  अभिनव ने मीडिया से भी बात की थी ( वीडियो क्लिप12:35 से 13:19 तक) ।अभिनव ने न...
15/10/2019

पिछले साल नए मेडिकल कॉलेज की परमिशन के लिए अभिनव ने मीडिया से भी बात की थी ( वीडियो क्लिप12:35 से 13:19 तक) ।
अभिनव ने नये कॉलेज चालू करने की आवश्यकता के लिए एक लाइव डिबेट पर आकर अपनी बात विस्तार से रखने की इकक्षा जाहिर की थी।
पर चैनल के पास समय का अभाव था और और इस चर्चा को बाद में चालू करने को कहा गया था।
ना सिर्फ मीडिया बल्कि अभिनव ने मध्य प्रदेश के नए कॉलेज शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी केस फ़ाइल किया था जिसके लिए मध्यप्रदेश के जाने माने वकील विवेक तन्खा को राजी किया था । इसी केस के दौरान अभिनव ने सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील प्रशांत भूषण से भी चर्चा की थी।
अभिनव ने प्रदेश में कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक हर अधिकारी को नए कॉलेज की जरूरत से अवगत कराया था। उसी का परिणाम था सरकार ने फिर 3 कॉलेज के लिए मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से बात की और विदिशा, खण्डवा एवम रतलाम में नए कॉलेज शुरू हो पाए।
इस तरह प्रदेश में 400 बच्चे MBBS में एडमिशन ले पाए एवम उनका 1 साल और खराब होने से बच गया । अभिनव इसके बाद भी एक और कॉलेज ( छिन्दवाड़ा ) के लिए भी प्रयास करता रहा, क्योंकि तब गुना, शिवपुरी एवम शहडोल के कॉलेज की बिल्ड़िंग तैयार नही हुई थी ।

इतना सब करने वाले बच्चे के साथ ऐसा हालात बना दिये गए कि अब वह हमारे बीच नही है।
अगर बिना किसी दबाब के निष्पक्ष जाँच होगी तो सारा सच जल्द ही सामने आएगा और यदि वर्तमान जाँच निष्पक्ष नही हुई तो फिर CBI जांच एवम नार्को टेस्ट की माँग की जाएगी ताकि अभिनव जैसे होनहार छात्र को न्याय मिल सके ।
और भविष्य में किसी और माता पिता को इस तरह अपना बच्चा ना खोना पड़े ।

IND बाखबर 'अस्पताल बेहाल, मरीज परेशान' राघवेन्द्र सिंह के साथ

14/10/2019

अभिनव बचपन से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेता आ रहा था।
यहाँ तक कि मेडिकल कॉलेज में भी अभिनव ने एनुअल फंक्शन में एंकरिंग की थी साथ ही अभिनव स्पोर्ट्स इंचार्ज भी था।
सुबह से लेकर रात तक अपने कॉलेज के स्पोर्ट्स के लिए लगा रहता था ।
ऐसे जिंदा दिल इंसान के साथ उस दिन ऐसा क्या हुआ ??

अभिनव बचपन से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेता आ रहा था। यहाँ तक कि मेडिकल कॉलेज में भी अभिनव ने एनुअल फंक्शन में ...
14/10/2019

अभिनव बचपन से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेता आ रहा था।
यहाँ तक कि मेडिकल कॉलेज में भी अभिनव ने एनुअल फंक्शन में एंकरिंग की थी साथ ही अभिनव स्पोर्ट्स इंचार्ज भी था।
सुबह से लेकर रात तक अपने कॉलेज के स्पोर्ट्स के लिए लगा रहता था ।
ऐसे जिंदा दिल इंसान के साथ उस दिन ऐसा क्या हुआ ??

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