06/03/2022
*अति दुर्लभ दैत्यगुरु शुक्राचार्य तंत्र कवच*
दैत्यगुरु शुक्राचार्य जी के विषय में सभी अवगत हैं, दैत्यों के पुरोहित जिन्हें मृतसंजीवनी विद्या भी प्राप्त थी जिसको उपयोग कर के वे घायल एवं मृत दैत्यों एवं असुरों को ठीक कर देते थे.
इन्ही दैत्यगुरु शुक्राचार्य जी का तंत्र संस्था द्वारा निर्माण किया जा रहा है जिस तंत्र के माध्यम से इस तंत्र के धारक को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे...
◆ *तामसिक साधनाओं में सफलता:-*
जैसा की हम सभी जानते हैं की दैत्यगुरु शुक्राचार्य सभी दैत्यों, असुरों के पुरोहित हैं अर्थात गुरु आचार्य हैं, - इनके तंत्र धारक को सभी प्रकार की तामसिक, राक्षसी, पैशाचिक, भूत – प्रेत, बेताल, असुरी साधनाओं में और जुआ सट्टा, यक्ष, गंधर्व, किन्नर अप्सरा, नाग कन्या, परी आदि जैसी साधनाओं में भी सफलता मिलने की संभावनाएं शत प्रतिशत बढ़ जाती हैं.
◆ *दरिद्रता नाशक:-*
दैत्यगुरु शुक्राचार्य के तंत्र धारण करने से किसी भी व्यक्ति को सुख सम्पन्नता, वैभव, ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है, - उनकी दरिद्रता का नाश होता है, धन प्राप्ति के मार्ग खुलने लगते हैं, अगर कोई बेरोजगार हैं तो उन्हें रोज़गार मिलने लगते हैं, यदि व्यापार ठप्प पड़ा हुआ है तो व्यापार चलने लगता है, चमत्कारिक रूप से व्यक्ति को इस तंत्र के लाभ देखने को मिलते हैं.
◆ *पुरुष तत्त्व में वृद्धि:-*
दैत्यगुरु शुक्राचार्य के इस तंत्र को धारण करने से...
- पुरुषों के गुप्त तथा यौन रोग ठीक होने लगते हैं...
- यदि पुरुष अपनी पौरुष शक्ति की कमजोरी से परेशां हैं तो उन्हें यह तंत्र अवश्य ही धारण करना चाहिए...
- गुप्त रोग, शुक्राणुओं की समस्या, स्वप्नदोष, शीग्रपतन जैसी समस्यायों के निदान हेतु भी यह तंत्र अत्यंत प्रभावी है...
- इस तंत्र को धारण करने से व्यक्ति का वैवाहिक जीवन भी सुखमय हो जाता है...
◆ *अंतर्ज्ञान में वृद्धि:-*
बहुत से साधक अपने लिए सही साधनाओं का चुनाव करने में असमर्थ होते हैं, या जीवन में सही गलत निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं स्वयं से कुछ भी करने से पहले अत्यधिक सोचते हैं और भ्रमित रहते हैं ऐसे में दैत्यगुरु शुक्राचार्य जी का यह तंत्र अत्यधिक लाभ दायक सिद्ध होता है, - साधक के लिए क्यूंकि इस तंत्र को धारण करने के पश्चात व्यक्ति के अंतर्ज्ञान में चात्कारिक रूप से वृद्धि होती है और वे अपने निर्णय लेने में सक्षम हो जाते हैं चाहे वह निर्णय अपने लिए उचित साधना चुनाव से सम्बंधित हो या चाहे जीवन में कोई अन्य निर्णय हो..
◆ *मृतसंजीवनी, शारीरिक समस्या से मुक्ति:-*
दैत्यगुरु शुराचार्य जी को कठोर तपस्या द्वारा महादेव से मृतसंजीवनी विद्या वरदान स्वरुप प्राप्त है जिस विद्या को प्राप्त करना आज के समय में बहुत कठिन है, परन्तु दैत्यगुरु शुक्राचार्य जी के इस तंत्र को धारण करने से साधक/धारक मृतसंजीवनी का एक आंशिक प्रभाव अपने शरीर में होते हुए देख सकते हैं, इसकी अनुभूति कर सकते हैं...
यह तंत्र धारण करने के पश्चात व्यक्ति की जितनी भी शारीरिक बीमारियाँ हैं उन्हें इससे छुटकारा मिलने की संभावनाएं देखि गयी हैं. कुंडलिनी चक्रो की शुद्धि ओर उनकी शक्ति का संतुलन बनना शुरू हो जाता है.. जिस्से की धारक का सौन्दर्य ओज, तेज ओर आत्मबल बढ़ने लगता है...
◆ *तंत्र बाधा समाप्ति:-*
यदि व्यक्ति किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा से ग्रसित हैं चाहे वह तंत्र बाधा कितनी ही पुरानी एवं जटिल क्यों न हो इससे भी मुक्ति मिल जाती है दैत्यगुरु शुक्राचार्य जी के इस तंत्र को धारण करने से - तंत्र धारण करने के पश्चात जो भी आपके ऊपर तांत्रिक प्रयोग करेगा उसका वह प्रयोग निष्फल रहेगा अर्थात इस तंत्र को धारण करने के बाद जो आपके ऊपर किया हुआ तांत्रिक प्रयोग है वह तो हटेगा ही और भविष्य में भी आपके उपर कोई भी किसी भी प्रकार का षट्कर्म अथवा तंत्र प्रयोग नहीं कर सकेगा.
इस तंत्र के माध्यम से नकारात्मक उर्जा पूर्ण रूप से समाप्त हो जाती है ओर पूर्ण रक्षा भी होती है...
◆ *शुक्र गृह की कृपा प्राप्ति:-*
शुक्र गृह धन-धान्य, ऐश्वर्य और सभी सांसारिक सुख के कारक हैं, इनकी प्रसन्नता से व्यक्ति अथाह सांसारिक सुख को भोगता है परन्तु यदि यह कुपित होते हैं तो व्यक्ति को अथाह दरिद्रता भी झेलनी पड़ती है. दैत्यगुरु शुक्राचार्य के इस तंत्र को धारण करने से यदि व्यक्ति से शुक्र गृह कुपित है तो वह भी प्रसन्ना हो जाते हैं और व्यक्ति को अथाह ऐश्वर्य, धन-धान्य प्रदान करते हैं.
इस तंत्र की एक विशेष गुण यह भी है की यह अपने धारक को एक विशेष विलक्षण अंतर्ज्ञान प्रदान करता है वह ये की शिव मंदिर का निर्माण किस प्रकार करना चाहिए जैसे की मंदिर की आन्तरिक संरचना कैसी होनी चाहिए, बाह्य संरचना कैसी होनी चाहिए जिससे की उस मंदिर की उर्जा हर समय जागृत अवस्था में रहे और सदैव वह मंदिर उर्जावान रहे.
गुरु शुक्राचार्य महादेव के अत्यंत प्रिय भक्त हैं, इनका तंत्र धारण करने से धारक को महादेव की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है और गुरु शुक्राचार्य जी का तंत्र धारण करने से शिव जी की साधना में भी शत प्रतिशत सफलता मिलती है.
इस तंत्र को धारण करने के पश्चात धारक को राक्षसी ओर आसुरी विद्या में पारंगतता प्राप्त होती है, पूर्ण शक्ति, सिद्धि सफलता प्राप्त होती है..
जो भी साधक चमत्कारी साधनाएं एवं तांत्रिक साधनाएं कर रहे हैं और सुनिश्चित सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, वे आवश्यक रूप से धारण करें.
जो भी साधक/धारक अस्त्र शास्त्र के कार्यों में संलग्न हैं वे भी अस्त्र शस्त्र के निर्माण में विशेष पारंगत होते हैं...
दैत्यगुरु शुक्राचार्य तंत्र, संसार के अत्यंत दुर्लभ ओर गोपनीय तंन्त्रों में से एक है, जिसे प्राप्त करने का अवसर जीवन में बार बार नहीं आता, इस प्राप्त करना ही अपने आप में सोभाग्य का प्रतिक है...
वर्तमान समय में केवल 5 तंत्रों का ही निर्माण होगा, क्यों की इसका निर्माण करना अपने आप में बहुत ही जटिल प्रक्रिया है, इसके निर्माण के बाद जाप ओर हवन भी होता है, जिसमे 11 दिन लगते है ओर 12 दिन इसे धारक को भेजा जाता है..
इस तंत्र को प्राप्त करने के लिए आप को अग्रिम पे करना होगा, धनराशी निर्धारित है. अतः जिन्हें भी यह तंत्र प्राप करने की इच्छा हो वे इस तंत्र की निर्धारित धनराशी जमा कर के कूरियर के माध्यम से इसे प्राप्त कर सकते हैं...
*हरी ॐ तत्सत...*
*सत्य निखिल... ✍🏻*
Google pay, Phone pay, Paytm +91-8285901080...
*विशेष सुचना और जानकारी सभी के लिए:-*
गोमती चक्र हो, (चांदी की ठोस गोली हो या स्फटिक-(Crystel) की कोई भी वस्तु-सामग्री हो, धारण करने वाले रत्न हो या कोई भी यन्त्र, माला, गुटिका आदि हो और ये सभी तरह के रुद्राक्ष हो या पारे अथवा पारद से बनी कोई भी सामग्री हो, ये सभी चीजें असली, प्राणप्रतिष्ठित और चैतन्य होने चाहिए तभी लाभ मिलता है नहीं तो कभी कोई लाभ नहीं होता...)
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