25/07/2021
*ओ३म्*
*वैदिक संध्या*
*“समानो मन्त्र: समिति समानी”, सम्मान से संगठन और अभिमान से विघटन*
*वैदिक संध्या पूर्णत वैज्ञानिक और प्राचीन काल से चली आ रही हैं। यह ऋषि-मुनियों के अनुभव पर आधारित हैं वैदिक संध्या की विधि से उसके प्रयोजन पर प्रकाश पड़ता है। मनुष्य में शरीर, इन्द्रिय, मन, बुद्धि, चित और अहंकार स्थित हैं। वैदिक संध्या में आचमन मन्त्र से शरीर, इन्द्रिय स्पर्श और मार्जन मन्त्र से इन्द्रियाँ, प्राणायाम मन्त्र से मन, अघमर्षण मन्त्र से बुद्धि, मनसा-परिक्रमा मन्त्र से चित और उपस्थान मन्त्र से अहंकार को सुस्थिति संपादन किया जाता है। फिर गायत्री मन्त्र द्वारा ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना और उपासना की जाती हैं। अन्त में ईश्वर को नमस्कार किया जाता हैं। यह पूर्णत वैज्ञानिक विधि हैं जिससे व्यक्ति धार्मिक और सदाचारी बनता हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध करता है।*
*हमें प्रात: व सायं मन, वचन और कर्म से पवित्र होकर संध्योपासना करनी चाहिए। प्रात: काल पूर्व की ओर मुख करके और सायं काल पश्चिम की ओर मुख करके संध्या करनी चाहिए। "सुविधानुसार किसी भी दिशा में बैठकर किया जा सकता है।।"*
*केवल कमाना, खाना और सोना ही जीवन नहीं है* !
*कुछ समय अपने देश, धर्म, समाज और संस्कृति के लिए भी निकाले*!
*जागो हिन्दू जागो ,आओ लौट चले वेदों की और*।
*अष्टांग योग कक्षा*
*दो दिवसीय गुरुकुल कक्षा*
*संध्या*
*हवन सीखने के लिए*
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