सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत

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सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत ज्योतिष विज्ञान रहस्य और आध्यात्म ।
प्रमुख- सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के  #वायु_पीठ कार्यकारणी के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक...
29/11/2025

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के
#वायु_पीठ कार्यकारणी के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।
आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई। मंच आशा करता है आप अपने पद की गरिमा का उचित मान रखते हुए,सनातन उत्थान का कार्य करगे।
🌹🙏🌹

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत Sarvagya astrology सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के  ीठ कार्यकारणी के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकाम...
29/11/2025

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के
ीठ कार्यकारणी के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।
आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई। मंच आशा करता है आप अपने पद की गरिमा का उचित मान रखते हुए,सनातन उत्थान का कार्य करगे।
🌹🙏🌹

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत Sarvagya astrology सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के  #पृथ्वी_पीठ  के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामन...
29/11/2025

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के
#पृथ्वी_पीठ के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।
आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई। मंच आशा करता है आप अपने पद की गरिमा का उचित मान रखते हुए,सनातन उत्थान का कार्य करगे।
🌹🙏🌹

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत Sarvagya astrology सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

सनातन धर्म ⛳ मे *पंच तत्व* का विशेष महत्व है अतः संस्था मे पाँच पीठ रहेंगे। #उत्तर_खण्ड -  ीठ  #पश्चिम_खण्ड -  #वायु_पीठ...
28/11/2025

सनातन धर्म ⛳ मे *पंच तत्व* का विशेष महत्व है अतः संस्था मे पाँच पीठ रहेंगे।
#उत्तर_खण्ड - ीठ
#पश्चिम_खण्ड - #वायु_पीठ
#दक्षिण_खण्ड - #पृथ्वी_पीठ
#पूर्व_खण्ड - #अग्नि_पीठ
#मध्य_खण्ड - #आकाश_पीठ

इस प्रकार सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत को पंच तत्व मे समाहित कर लिया गया गई, प्रभु भोलेनाथ की आज्ञा से
🌹🙏🌹
*ॐ नमः शिवाय*

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के  ीठ  के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं ब...
28/11/2025

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत के
ीठ के दायित्व के लिए बहुत बहुत बधाई।
आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई। मंच आशा करता है आप अपने पद की गरिमा का उचित मान रखते हुए,सनातन उत्थान का कार्य करगे।
🌹🙏🌹

Sarvagya astrology सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी पं अमित शर्मा पाराशर आचार्य करुण शर्मा

आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई। मंच आशा करता है आप अपने पद की गरिमा का उचित मान रखते हुए,सनातन उ...
27/11/2025

आपको आपके दायित्व पदभार की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाई। मंच आशा करता है आप अपने पद की गरिमा का उचित मान रखते हुए,सनातन उत्थान का कार्य करगे।
🌹🙏🌹

सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत

 #सृष्टि_का_आरम्भ_भाग_02 #वेद_सनातन_और_ज्योतिष​🕉️  #रचनाका_सनातन_चरण_2 (  #अहंकार_की_सृष्टि)​प्रथम चरण में जहाँ केवल महत...
23/11/2025

#सृष्टि_का_आरम्भ_भाग_02
#वेद_सनातन_और_ज्योतिष
​🕉️
#रचनाका_सनातन_चरण_2 ( #अहंकार_की_सृष्टि)
​प्रथम चरण में जहाँ केवल महत्तत्त्व (महान तत्त्व या बुद्धि) की उत्पत्ति हुई थी, वहीं द्वितीय चरण में इस महत्तत्त्व में #रजोगुण के प्रभाव से #अहंकार की उत्पत्ति होती है।
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​ #अहंकार_की_उत्पत्ति (द्वितीय सृष्टि)
#मूल ( #नाड़ी ) #कारण:
यह सृष्टि रजोगुण (गति और क्रिया का गुण) के प्रभाव से महत्तत्त्व (बुद्धि) के सक्रिय होने पर होती है।

#परिणाम:
इस अवस्था में जीव में 'मैं' और 'मेरा' का भाव उत्पन्न होता है, जो संसार में कर्म करने का मूल आधार है।
​यह अहंकार तीन प्रकार का होता है, जिससे आगे की रचनाएँ होती हैं:
#वैकारिक_या_सात्त्विक_अहंकार:
इससे देवताओं और मन की उत्पत्ति होती है।
#तैजस_या_राजस_अहंकार:
इससे इंद्रियों (ज्ञानेंद्रिय और कर्मेंद्रिय) की उत्पत्ति होती है।
#भूतादि_या_तामस_अहंकार:
इससे पंच तन्मात्राओं (सूक्ष्म तत्त्व) की उत्पत्ति होती है।

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​ #भूतसर्ग (तृतीय सृष्टि)
#उत्पत्ति:
यह तामस अहंकार से उत्पन्न होती है।
#परिणाम:
इससे #पंच_तन्मात्राएँ (शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध) उत्पन्न होती हैं। ये अत्यंत सूक्ष्म अवस्थाएँ हैं, जो आगे चलकर #पंच_महाभूतों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) के रूप में विकसित होती हैं।
​संक्षेप में, "चरण 2" वह प्रक्रिया है जिसमें सृष्टि के मूल तत्त्वों (अहंकार, मन, इंद्रियाँ और पंच तन्मात्राएँ) का निर्माण होता है, जो स्थूल जगत की रचना के लिए आवश्यक हैं। इसके बाद, स्थूल शरीरों और जीवों की रचना होती है।
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#सनातन_धर्म के अनुसार, #सृष्टि_का_आरम्भ एक चक्रीय प्रक्रिया है जिसे ' #सर्ग' (रचना) और ' #प्रलय' (विनाश) के बीच दोहराया जाता है। यह किसी एक समय शुरू होकर खत्म होने वाली घटना नहीं है, बल्कि अनादि और अनंत है।
​यहाँ सृष्टि के आरम्भ की सनातन अवधारणा को तीन मुख्य चरणों में समझाया गया है:
​1. 🌌 #सृष्टि_से_पूर्व_की_अवस्था (नाड़ी कारण)
​सृष्टि के आरम्भ से पहले केवल परब्रह्म (परमात्मा या परम सत्य) का अस्तित्व होता है।
• मूल (नाड़ी ) तत्त्व:
इस अवस्था में, सब कुछ निराकार और अविभाज्य होता है। इसे महाप्रलय के बाद की स्थिति या अव्यक्त अवस्था कहते हैं।

• भगवान_विष्णु:
अक्सर, परब्रह्म को भगवान विष्णु के रूप में देखा जाता है जो क्षीरसागर में शेषनाग पर योगनिद्रा (निद्रा जैसी अवस्था) में होते हैं।

• काल_गणना:
यह ब्रह्मा जी की एक रात (प्रलय) के समान होती है, जो अरबों वर्षों के बराबर है।

​2. ✨ #सृष्टि_का_संकल्प (महत्तत्त्व की उत्पत्ति)
​जब प्रलय का समय समाप्त होता है, तो परमात्मा सृष्टि करने का संकल्प (इच्छा) करते हैं।

• उत्पत्ति_का_केंद्र:
भगवान विष्णु के नाभि से एक कमल निकलता है, जिस पर ब्रह्मा जी (सृष्टि के रचयिता) प्रकट होते हैं।

• महत्तत्त्व:
सृष्टि का पहला तत्त्व महत्तत्त्व (महान तत्त्व या cosmic intelligence) उत्पन्न होता है। यह सत्त्वगुण प्रधान होता है और यही आगे चलकर बुद्धि का आधार बनता है।

• ​तीन गुण:
प्रकृति के तीन मूलभूत गुण (सत्त्व, रजस और तमस) का संतुलन टूटना शुरू होता है, जिससे गति उत्पन्न होती है।

​3. 🌍 #तत्वों_और_जीवों_की_रचना (सर्ग)
​ब्रह्मा जी महत्तत्त्व और तीनों गुणों की सहायता से वास्तविक जगत की रचना शुरू करते हैं।
• ​अहंकार की उत्पत्ति:
महत्तत्त्व में रजोगुण के प्रभाव से अहंकार (वैयक्तिक पहचान का भाव) उत्पन्न होता है।

• ​पंच महाभूत:
अहंकार से पंच तन्मात्राएँ (सूक्ष्म तत्त्व - शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध) और फिर उनसे पंच महाभूत (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) उत्पन्न होते हैं।

• ​मनुष्य और जीव:
इन तत्वों का उपयोग करके ब्रह्मा जी मनुष्य (मनु और शतरूपा) और अन्य सभी स्थावर (अचल) और जंगम (चलने वाले) जीवों की रचना करते हैं।

⛳ #विवेक:
यह समस्त सृष्टि, जीवों के कर्मों (संस्कारों) और प्रलय में लीन हुए स्वरूप के आधार पर बनती है, जिसे 'सृष्टि का प्रतिसर्ग' भी कहते हैं।
​इस प्रकार, सनातन धर्म में सृष्टि का आरम्भ एक अखंड श्रृंखला है, जो अनवरत चलती रहती है।
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आगे का 🖋️......भाग -03 का इन्जार करे

Omkar Mishra
सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत
Sarvagya astrology सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

 #सृष्टि_का_आरम्भ #वेद_ज्ञान_ज्योतिष_रचना #भाग_01सनातन धर्म के अनुसार, सृष्टि का न तो कोई आरम्भ है और न ही अंत; यह एक  #...
22/11/2025

#सृष्टि_का_आरम्भ
#वेद_ज्ञान_ज्योतिष_रचना
#भाग_01

सनातन धर्म के अनुसार, सृष्टि का न तो कोई आरम्भ है और न ही अंत; यह एक #शाश्वत_चक्र है। ब्रह्मांड सृजन, संरक्षण और विघटन (प्रलय) के अनंत चक्रों से गुजरता है।

इसे #त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) की शक्तियों से जोड़कर देखा जाता है:
#​सृष्टि (Creation): भगवान #ब्रह्मा सृष्टि के निर्माता हैं।
#​स्थिति (Preservation): भगवान #विष्णु इसका पालन और संरक्षण करते हैं।
#​संहार (Destruction): भगवान #शिव (महेश) इसका संहार करते हैं, जिसके बाद नए चक्र का आरम्भ होता है।
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ब्रह्मांड एक अंडे के आकार का है ( ब्रह्मांड = ब्रह्मा + अंड): जिसका उल्लेख धर्मग्रंथों में ब्रह्मांड को एक विशाल अंडे के आकार का बताया गया है।
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🌍 #ब्रह्मा_द्वारा_रचना:
विभिन्न पुराणों और वेदों के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा हैं।
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#भगवान_विष्णु_क़ी_भूमिका
प्रचलित कथा के अनुसार, महाप्रलय के बाद जब सब कुछ जलमग्न था, भगवान #विष्णु शेषनाग पर शयन कर रहे थे। उनकी नाभि से एक कमल का फूल निकला, जिस पर #ब्रह्मा जी प्रकट हुए। भगवान #शिव के आदेश और भगवान #विष्णु से ज्ञान प्राप्त कर, #ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य शुरू किया।

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#ध्वनि_और_कंपन:
कुछ ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि ब्रह्मांड का निर्माण ध्वनि (साउंड) और कंपन (वाइब्रेशन) से हुआ है।
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🕙 ी_अवधारणा:
सनातन धर्म में समय रैखिक नहीं, बल्कि चक्रीय है, जिसे 'कालचक्र' कहा जाता है। ब्रह्मांड का जीवनकाल ब्रह्मा के 100 वर्षों के बराबर होता है, जो मानव वर्षों में खरबों वर्ष होते हैं। प्रत्येक कल्प (ब्रह्मा का एक दिन) के अंत में नैमित्तिक प्रलय होती है, और महाप्रलय (प्राकृतिक प्रलय) के बाद नया सृजन चक्र शुरू होता है।
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#मुख्य_सिद्धांत-
#हिरण्यगर्भ_सूक्त (Rigveda):
​ऋग्वेद का नासदीय सूक्त सृष्टि के आरम्भ को अस्तित्व और अनस्तित्व दोनों से परे की स्थिति के रूप में दर्शाता है।

​हिरण्यगर्भ (स्वर्ण-अंडा) वह आदिम स्रोत है जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।

#ब्रह्म_से_उत्पत्ति:-
​मूल रूप से, केवल ब्रह्म (परम सत्य, निराकार और शाश्वत) ही विद्यमान था। इसी ब्रह्म से यह संपूर्ण ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ।
-------------------------------------------------​कुछ मतों के अनुसार, भगवान विष्णु के नाभि से एक कमल प्रकट होता है, जिस पर ब्रह्मा का जन्म होता है और वे सृष्टि की रचना करते हैं।
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#पुरुष_और_प्रकृति
​सृष्टि की प्रक्रिया पुरुष (चेतना) और प्रकृति (जड़ पदार्थ) के मिलन और संतुलन से शुरू होती है।

​समय के क्रम में, प्रकृति के तीन गुण (सत्व, रजस, तमस) आपस में क्रिया करके महत्-तत्व (बुद्धि), अहंकार (मिथ्या-अहं), और फिर पाँच तत्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) की रचना करते हैं।

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​🧘 #सनातन_धर्म_का_स्वरूप (Nature of Sanatana Dharma)
​'सनातन' शब्द का अर्थ है शाश्वत या सदा बना रहने वाला (जिसका न आदि है न अंत)। यह धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित नहीं किया गया है, बल्कि यह अनादि काल से चला आ रहा है और अनंत काल तक रहेगा।
​मुख्य विशेषताएँ

#सार्वभौमिक_नियम:
यह कुछ सार्वभौमिक और स्वयंसिद्ध नियमों को संदर्भित करता है जो आत्मा के वास्तविक, आध्यात्मिक पहचान के अनुसार किए जाते हैं।
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#शाश्वत_कर्तव्य:
इसमें ऐसे कर्तव्य शामिल हैं जो सभी के लिए समान हैं।

#शाश्वत_नियम:
'सनातन धर्म' का शाब्दिक अर्थ है 'शाश्वत कानून' या 'सनातन कर्तव्य'। यह उन आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षाओं का एक विशाल संग्रह है जो अनादिकाल से अस्तित्व में हैं।

जैसे:
​सत्य बोलना
​किसी जीव को हानि न पहुँचाना (अहिंसा)
​पवित्रता बनाए रखना
​दया और क्षमा का भाव रखना
​दान करना

#आत्मा_मोक्ष_और_ईश्वर:
सनातन धर्म का मूल ज्ञान ईश्वर, आत्मा, और मोक्ष जैसे शाश्वत सत्यों पर आधारित है। यह जीवात्मा के शाश्वत स्वरूप को स्वीकार करता है।
​वेदों का मूल: सनातन धर्म का आधार वेद हैं, जिन्हें ईश्वरीय ज्ञान माना जाता है।
​सनातन धर्म सृष्टि के आरंभ को एक जटिल, वैज्ञानिक और चक्रीय प्रक्रिया के रूप में देखता है, जो किसी एक क्षणिक घटना के बजाय एक सतत लीला है।

#ईश्वर_और_जीवात्मा:
सनातन धर्म में परमात्मा को 'सनातन' माना गया है, और जीवात्मा भी सनातन है।

#जीवन_का_उद्देश्य:
यह धर्म जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र (संसार) से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करने के मार्ग बताता है।

#संक्षेप में, सनातन धर्म सृष्टि के आरम्भ को एक अनंत, चक्रीय प्रक्रिया के हिस्से के रूप में देखता है, जो ईश्वर की इच्छा और दिव्य शक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) के माध्यम से चलती रहती है।
......….🖋️....आगे के लिए . #भाग_02 का इंतजार करे

Omkar Mishra
सर्वज्ञ वाणी सनातन मंच-भारत
Sarvagya astrology सर्वज्ञ एस्ट्रोलॉजी

18/10/2025

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Etawah
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