16/10/2025
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
https://youtu.be/cmXZPjjaM5I
🌤️ *दिनांक - 17 अक्टूबर 2025*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र आश्विन*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - एकादशी सुबह 11:12 तक तत्पश्चात द्वादशी*
🌤️ *नक्षत्र - मघा दोपहर 01:57 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
🌤️ *योग - शुक्ल 18 अक्टूबर रात्रि 01:49 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:24 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:36*
🌤️ *सूर्यास्त - 06:11*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - रमा एकादशी,ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माॅ महॅगीबाजी का महानिर्वाण दिवस,गोवत्स द्वादशी,तुला संक्रांति,(पुण्यकाल: सुबह 10:02 से शाम 05:46 तक*
💥 *विशेष *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l https://youtu.be/n28XhkKVKGk राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
👉🏻 *सभी मनोरथो को पूर्ण करने वाली रमा एकादशी पौराणिक महत्व व व्रत कथा*⤵️
https://youtu.be/TIGkVEarJiM
🌷 *रमा एकादशी* 🌷
➡️ *17 अक्टूबर, शुक्रवार को रमा एकादशी है।*
🙏🏻 *रमा एकादशी ( यह व्रत बड़े – बड़े पापों को हरनेवाला, चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है |*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *धनतेरस* 🌷
➡ *18 अक्टूबर 2025 शनिवार को धनतेरस है ।*
🙏🏻 *कार्तिक कृष्ण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन) त्रयोदशी के दिन को धनतेरस कहते हैं । भगवान धनवंतरी ने दुखी जनों के रोग निवारणार्थ इसी दिन आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन सन्ध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हे इस मंत्र के साथ दीप दान करना चाहिये-*
🌷 *मृत्युना पाशदण्डाभ्याम् कालेन श्यामया सह ।*
*त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥*
🔥 *(त्रयोदशी के इस दीपदान के पाश और दण्डधारी मृत्यु तथा काल के अधिष्ठाता देव भगवान देव यम, देवी श्यामला सहित मुझ पर प्रसन्न हो।)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *गोवत्स द्वादशी* 🌷
🙏🏻 *कार्तिक मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन मास) की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं । इस दिन यानी 17 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर वस्त्र ओढाना चाहिये, गले में पुष्पमाला पहनाना , सींग मढ़ना, चन्दन का तिलक करना तथा ताम्बे के पात्र में सुगन्ध, अक्षत, पुष्प, तिल, और जल का मिश्रण बनाकर निम्न मंत्र से गौ के चरणों का प्रक्षालन करना चाहिये ।*
🌷 *क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते ।*
*सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः ॥*
🙏🏻 *(समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से उत्पन्न देवताओं तथा दानवों द्वारा नमस्कृत, सर्वदेवस्वरूपिणी माता तुम्हे बार बार नमस्कार है।)*
🐄 *पूजा के बाद गौ को उड़द के बड़े खिलाकर यह प्रार्थना करनी चाहिए-*
🌷 *“सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता ।*
*सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ॥*
*ततः सर्वमये देवि*
*मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरू नन्दिनी ॥“*
🙏🏻 *(हे जगदम्बे ! हे स्वर्गवासिनी देवी ! हे सर्वदेवमयी ! मेरे द्वारा अर्पित इस ग्रास का भक्षण करो । हे समस्त देवताओं द्वारा अलंकृत माता ! नन्दिनी ! मेरा मनोरथ पूर्ण करो।) इसके बाद रात्रि में इष्ट , ब्राम्हण , गौ तथा अपने घर के वृद्धजनों की आरती उतारनी चाहिए।*
🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🌷🌺🙏