25/10/2025
🌸 नहाय-खाय पूजा विधि (Puja Vidhi)
🕖 1. प्रातः स्नान और घर की शुद्धि
व्रती (महिला या पुरुष) सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
स्नान के लिए संभव हो तो गंगा, नदी या तालाब का जल प्रयोग करें।
उसके बाद घर की पूरी सफाई करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
🪔 2. पूजा स्थान की तैयारी
घर में एक पवित्र स्थान चुनें — प्रायः रसोई के पास या पूजा घर में।
वहाँ पर गंगाजल छिड़कें, मिट्टी या गोबर से भूमि को पवित्र करें।
एक दीपक जलाएं और छठ माता व सूर्य देव की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
🍚 3. नहाय-खाय भोजन की तैयारी
भोजन पूर्णतः सात्विक, शुद्ध और निरामिष होना चाहिए।
भोजन व्रती स्वयं बनाती हैं — किसी और का हाथ नहीं लगना चाहिए।
प्रमुख व्यंजन:
लौकी (कद्दू)-भात या चना दाल-कद्दू की सब्जी
गंगाजल से बना चावल
घी का प्रयोग (शुद्ध गाय का घी सर्वोत्तम)
> भोजन पकाने के बाद व्रती पहले छठ माता को अर्पित करती हैं और फिर स्वयं ग्रहण करती हैं।
🙏 4. पूजा की विधि
दीपक जलाएं
छठ माता और सूर्य देव का ध्यान करें
जल से अर्घ्य दें (छोटे पात्र में)
निम्न मंत्रों का जाप करें
🔆 नहाय-खाय पूजा मंत्र
☀️ सूर्य देव का ध्यान मंत्र
ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि।
तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥
(अर्थ: हम सूर्य देव का ध्यान करते हैं, जिनके हजार किरणें हैं; वे हमें सत्य और ऊर्जा का मार्ग दिखाएँ।)
🌸 छठ माता प्रार्थना मंत्र
ॐ छठी मइया नमः।
देहि सुखं, सौभाग्यं, पुत्रपौत्र समन्वितम्।
आरोग्यं धनसंपत्तिं, च देहि मे छठी मइया॥
(अर्थ: हे छठी मइया! हमें सुख, सौभाग्य, संतान, आरोग्य और धन-समृद्धि प्रदान करें।)
🌞 अर्घ्य देते समय मंत्र (आगामी दिनों में उपयोगी)
ॐ सूर्याय नमः।
या
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः॥
⚖️ नहाय-खाय के नियम
1. व्रती इस दिन से तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मछली, शराब आदि) से पूर्ण परहेज करती हैं।
2. भोजन केवल एक बार — वह भी सूर्यास्त से पहले किया जाता है।
3. मन, वाणी और आचरण — तीनों में पवित्रता रखनी चाहिए।
4. घर के सभी लोग वातावरण को शांत और शुद्ध रखें।
🌺 नहाय-खाय का भावार्थ
नहाय-खाय का अर्थ है —
> “देह और मन की शुद्धि के साथ ईश्वर के प्रति निष्ठा का प्रारंभ।”