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ASTROLOGER /VASTU CONSULTANT/TAROT CARD READER/NUMEROLOGIST /LIFECOACH ✨

MA in HINDI LIT.MSc in Zoology,MA in ASTROLOGY ,B.ED ✨

Worked in Delhi public school, Little world school. ✨

26/09/2025

शारदीय नवरात्रि 2025 में माँ दुर्गा की सवारी
देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा पृथ्वी पर विशेष रूप से अपने भक्तों की रक्षा और कल्याण के लिए विभिन्न वाहनों पर सवार होकर आती हैं। यह वाहन उस दिन के अनुसार बदलता है जिस दिन नवरात्रि का प्रारंभ होता है, और इसका गहरा प्रतीकात्मक अर्थ होता है।

श्लोक "शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे, गुरौ शुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता" के अनुसार:

सोमवार या रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने पर माँ हाथी पर आती हैं, जो वर्ष में सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है।

मंगलवार या शनिवार को नवरात्रि शुरू होने पर माँ घोड़े पर आती हैं, जो युद्ध, उथल-पुथल और बदलाव का सूचक है।

गुरुवार या शुक्रवार को माँ डोली पर आती हैं, जिसे सामान्यतः अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह अस्थिरता और चुनौतियों का संकेत है।

बुधवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर माँ नौका पर आती हैं, जो आपदा से मुक्ति और जीवन में शांति का संकेत देती है।

इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार से आरंभ हुई है, इसलिए माँ का वाहन हाथी रहेगा, जो परंपरागत रूप से शुभ माना जाता, क्योंकि यह सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि हाथी पर माँ का आगमन लोगों सुख शांति और अच्छे समय का आने वाले है।

नवरात्रि  कलश स्थापना विधि  🍀🌺🌺☘️🌹🏵पहले गणेशजी को प्रणाम करें। फिर जिस जगह कलश स्थापना करना है, उस भूमि को प्रणाम करें औ...
21/09/2025

नवरात्रि कलश स्थापना विधि 🍀🌺🌺☘️🌹🏵

पहले गणेशजी को प्रणाम करें। फिर जिस जगह कलश स्थापना करना है, उस भूमि को प्रणाम करें और वहां चौकी रखें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी धान रखें और धान को प्रणाम करें। इसके बाद उन पर कलश रखें।

कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल भरें। फिर उसमें चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें। इसके बाद पांच तरह के पत्ते रखकर कलश को ढंक दें।

कलश स्थापना करते वक्त ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै मंत्र बोलें।



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नवरात्रि  कलश स्थापना विधि  🍀🌺🌺☘️🌹🏵पहले गणेशजी को प्रणाम करें। फिर जिस जगह कलश स्थापना करना है, उस भूमि को प्रणाम करें औ...
21/09/2025

नवरात्रि कलश स्थापना विधि 🍀🌺🌺☘️🌹🏵

पहले गणेशजी को प्रणाम करें। फिर जिस जगह कलश स्थापना करना है, उस भूमि को प्रणाम करें और वहां चौकी रखें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी धान रखें और धान को प्रणाम करें। इसके बाद उन पर कलश रखें।

कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल भरें। फिर उसमें चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें। इसके बाद पांच तरह के पत्ते रखकर कलश को ढंक दें।

कलश स्थापना करते वक्त ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै मंत्र बोलें।



🪐 शनि देव और रोगज्योतिष में शनि देव हड्डियों, स्नायु (nerve system), जोड़ों के दर्द, दीर्घकालिक रोग, अपंगता, गठिया, पक्ष...
15/09/2025

🪐 शनि देव और रोग
ज्योतिष में शनि देव हड्डियों, स्नायु (nerve system), जोड़ों के दर्द, दीर्घकालिक रोग, अपंगता, गठिया, पक्षाघात, लकवा और लम्बे समय तक चलने वाली बीमारियों के कारक माने जाते हैं। शनि जब अन्य ग्रहों के साथ जुड़ते हैं तो अलग-अलग प्रकार के रोग देते हैं।
🔀 शनि की अन्य ग्रहों के साथ युति और रोग
1. शनि + सूर्य
• पिता-पुत्र में टकराव का योग।
• रोग: आँखों की कमजोरी, हड्डियों का दर्द, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सिरदर्द, रोग-प्रतिरोधक क्षमता की कमी।
उपाय:
• प्रतिदिन सूर्योदय के समय जल अर्पित करें।
• "आदित्य हृदय स्तोत्र" या ॐ सूर्याय नमः का जप करें।
• तांबे का कड़ा धारण करें।
2. शनि + चन्द्रमा
• मन और तन दोनों पर प्रभाव।
• रोग: डिप्रेशन, अनिद्रा, मानसिक रोग, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, पाचन समस्या, जल-संबंधी रोग।
उपाय:
• महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
• काले तिल व चावल का दान करें।
• सोमवार का व्रत रखें।
3. शनि + मंगल
• दोनों क्रूर ग्रह → उग्र और शुष्क ऊर्जा।
• रोग: चोट, दुर्घटना, हड्डी टूटना, रक्तरोग, त्वचा रोग, बवासीर, तेज बुखार, ऑपरेशन की संभावना।
उपाय:
• शनिवार को शनि देव को तेल चढ़ाएँ।
• प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
• क्रोध और तेज़ गाड़ी चलाने से बचें।
4. शनि + बुध
• तंत्रिका तंत्र और त्वचा पर असर।
• रोग: त्वचा रोग (खुजली, एक्ज़िमा), नर्व पेन, वाणी दोष, लकवा, अवसाद, श्वसन रोग।
उपाय:
• गाय को हरा चारा खिलाएँ।
• बुधवार को ॐ बुं बुधाय नमः का जाप करें।
• पन्ना रत्न केवल विशेषज्ञ की सलाह से धारण करें।
5. शनि + गुरु (बृहस्पति)
• गुरु विस्तार है, शनि संकुचन → असंतुलन।
• रोग: मोटापा, डायबिटीज़, लिवर रोग, पित्ताशय की पथरी, जोड़ों में जकड़न, ट्यूमर।
उपाय:
• पीली वस्तुओं का दान (हल्दी, चना दाल)।
• ॐ बृं बृहस्पतये नमः का जाप करें।
• गुरुजनों व बुजुर्गों का सम्मान करें।
6. शनि + शुक्र
• भोग और कष्ट का मिश्रण।
• रोग: गुर्दे की समस्या, त्वचा रोग, यौन रोग, मूत्र संबंधी रोग, नेत्र रोग, मधुमेह।
उपाय:
• शुक्रवार को गरीब कन्याओं को सफेद वस्त्र व भोजन दान करें।
• दुर्गा सप्तशती का पाठ करें

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