01/12/2025
शिवपुरी शहर में 168 घंटे तक रात को भी रहे दिन जैसे नजारे, भीड़ के साथ नेताओं ने भी दर्ज कराई आमद
खुद को लोकप्रिय मानने वाले नेताओं की सभाओं में लानी पड़ती है भीड़, यहां स्थिति उलट नजर आई
शिवपुरी। शहर में दिन और रात तो अपने समय पर होते रहे, लेकिन पिछले 168 घंटे तक शहर रात में भी जागता रहा। वजह यह बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री, जिन्हें देखने के लिए सर्द रातों में भी लोग शहर के चौक-तिराहों पर इंतजार करते देखे गए। शिवपुरी में जिस कदर भीड़ उमड़ी, उतना जन सैलाब जिले के करेरा में भी नहीं रहा। 6 दिन चली कथा के दौरान केंद्रीय मंत्री से लेकर पूर्व मंत्री ने भी हाजिरी लगाई, जबकि विधायक आते-जाते रहे, एक पूर्व विधायक पूरे समय उपस्थित रहे। नगर की प्रथम नागरिक भी कथा सुनने पहुंचीं। लोकप्रियता की बात करें, तो नेता भी खुद को लोकप्रिय मानते हैं, लेकिन उनकी सभा में भीड़ कैसे लाई जाती है, इसकी सच्चाई प्रशासन और नेता के नजदीकियों को बहुत अच्छी तरह से है।
शिवपुरी के व्यवसाई कपिल गुप्ता को पहले गिने-चुने लोग ही जानते थे, लेकिन एक कथा करवाकर उन्होंने शिवपुरी ही नहीं, आसपास के दूसरे जिलों में भी अपनी पहचान बना ली। बीते 23 नवंबर को कलश यात्रा के साथ ही शहर में भीड़ नजर आने लगी थी। कथा में जाने के लिए महिलाओं की ऐसी भीड़ उमड़ रही थी कि सुस्ती में चल रहा यात्री बसों का धंधा भी जमकर चला। हर आने वाली बस में सवार महिलाओं की भीड़ जब शहर में उतरती, तो सड़क जाम के हालात बने रहते। झांसी तिराहे से हवाई पट्टी तक का रास्ता तो बहुत ही अधिक व्यस्त रहा। दिन में कथा सुनने वालों की भीड़ रहती थी, तो कथा के बाद पंडित धीरेन्द्र शास्त्री किस रास्ते ने निकलने वाले हैं, यह जानकर लोग रात 11 बजे तक चौराहों।पर लाइन लगाकर खड़े नजर आए। जिसके चलते शिवपुरी शहर में रात को भी लोगों की चहल पहल बनी रही।
नेताओं ने भी कथा में उमड़ी भीड़ को देखकर कहीं न कहीं यह जरूर सोचा होगा कि काश हमें सुनने भी ऐसे ही भीड़ आया करे। यदि नेताओं की सभा पर एक नजर डाली जाए, तो सभा में भीड़ लाने के लिए ग्राम पंचायत के सचिव से लेकर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को भीड़ लाने का टारगेट दिया जाता है। महिला बाल विकास की महिला कार्यकर्ता एवं आशा कार्यकर्ताओं को भी कुर्सियां भरने के लिए बुलाया जाता है। इतना ही नहीं नेता के नजदीकी छुटभैया नेता भी बस्तियों से किराए पर भीड़ लेकर आते हैं। ऐसे में नेताओं को लोकप्रिय कैसे माना जाए, जब सभा के लिए भीड़ इकठ्ठी की जानी पड़ती हो। उस समय प्रशासन को यह चिंता रहती है कि भीड़ कैसे लाई जाए, जबकि पिछले 7 दिन