स्वदेशी अभियान

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केवल स्वदेशी नीतियों से ही देश फिर से सोने कि चिड़िया बन सकता हैं ।

स्वदेशी एक ऐसा गहरा दर्शन हैं जो किसी भी देश को अपने पैरो पर खड़ा कर सकता हैं - श्री राजीव दीक्षित जी मित्रो राजीव दीक्षित जी के परिचय मे जितनी बातें कही जाए वो कम है ! कुछ चंद शब्दो मे उनके परिचय को बयान कर पाना असंभव है ! ये बात वो लोग बहुत अच्छे से समझ सकते है जिन्होने राजीव दीक्षित जी को गहराई से सुना और समझा है !! फिर भी हमने कुछ प्रयास कर उनके परिचय को कुछ शब्दो का रूप देने का प्रयत्न किया है ! परिचय शुरू करने से पहले हम आपको ये बात स्पष्ट करना चाहते हैं कि जितना परिचय राजीव भाई का हम आपको बताने का प्रयत्न करेंगे वो उनके जीवन मे किये गये कार्यों का मात्र 1% से भी कम ही होगा ! उनको पूर्ण रूप से जानना है तो आपको उनके व्याख्यानों को सुनना पडेगा !!

राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में पिता राधेश्याम दीक्षित एवं माता मिथिलेश कुमारी के यहाँ हुआ था। उन्होने प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद जिले के एक स्कूल से प्राप्त की !! इसके उपरान्त उन्होने इलाहाबाद शहर के जे.के इंस्टीट्यूट से बी० टेक० और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology) से एम० टेक० की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद राजीव भाई ने कुछ समय भारत CSIR(Council of Scientific and Industrial Research) मे कार्य किया। तत्पश्चात् वे किसी Research Project मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ भी कार्य किया !!

हेनरी फोर्ड दुनिया के पहले ऐसे बिजनेस मैन थे जो अपने कर्मचारियों को मार्केट में सबसे ज्यादा वेतन देने के लिए जाने जाते थ...
15/09/2025

हेनरी फोर्ड दुनिया के पहले ऐसे बिजनेस मैन थे जो अपने कर्मचारियों को मार्केट में सबसे ज्यादा वेतन देने के लिए जाने जाते थे। एक बार एक पत्रकार आया और उसने हेनरी फोर्ड से पूछा,"आप सबसे ज्यादा वेतन किसको देते हैं?"
फोर्ड मुस्कुराए, और पत्रकार को अपने प्रोडक्शन रूम में ले गए। हर तरफ काम चल रहा था, लोग दौड़ रहे थे, घंटियाँ बज रही थीं, और लिफ्टें चल रही थीं। पूरे हॉल में अफरातफरी का माहौल था। उस अफरातफरी के बीच एक कैबिन था, जिसमें एक व्यक्ति आराम से कुर्सी पर पैर टेबल पर रखकर लेटा था। उसके चेहरे पर हैट था।
फोर्ड ने दरवाजा खटखटाया। वह व्यक्ति हैट के नीचे से देखा और थकी हुई आवाज में बोला,
"हैलो हेनरी, आप ठीक हैं?"
फोर्ड मुस्कुराए और सिर हिलाया। फिर दरवाजा बंद कर बाहर चले गए। पत्रकार चकित होकर पूरा दृश्य देखता रहा।
फोर्ड हंसते हुए बोले,
"यह व्यक्ति मेरी कंपनी में सबसे ज्यादा वेतन लेता है।"
पत्रकार हैरानी से पूछता है,
"यह व्यक्ति क्या करता है?"
फोर्ड ने जवाब दिया,
"कुछ नहीं। यह बस आता है, और सारा दिन टेबल पर पैर रखकर बैठा रहता है।"
पत्रकार ने पूछा,
"तो आप इसे सबसे ज्यादा वेतन क्यों देते हैं?"
फोर्ड ने जवाब दिया,
"क्योंकि यह मेरे लिए सबसे उपयोगी व्यक्ति है।"
फोर्ड का कहना था,
"मैंने इस व्यक्ति को सोचने के लिए रखा है। मेरी कंपनी के सारे सिस्टम और गाड़ियों के डिजाइन इसी व्यक्ति के आइडियाज़ हैं। यह आता है, कुर्सी पर लेटता है, सोचता है, नए आइडियाज़ तैयार करता है, और मुझे भेज देता है। मैं उन पर काम करता हूँ और करोड़ों डॉलर कमाता हूँ।"
फोर्ड ने कहा,
"दुनिया में सबसे कीमती चीज़ें आइडियाज़ होते हैं, और आइडियाज़ के लिए आपको फ्री टाइम चाहिए होता है। पूर्ण शांति, हर तरह की बकबक से आज़ादी। यदि आप दिन-रात व्यस्त रहेंगे, तो आपके दिमाग में नए आइडियाज़ और नए प्रोजेक्ट्स नहीं आ सकते। इसलिए मैंने एक समझदार व्यक्ति को सिर्फ सोचने के लिए रखा है। मैंने उसे आर्थिक आज़ादी भी दी हुई है ताकि वह रोज मुझे कोई नया आइडिया दे सके।"
पत्रकार ताली बजाने पर मजबूर हो गया।
यदि आप भी हेनरी फोर्ड की यह बुद्धिमानी समझने की कोशिश करेंगे, तो आप भी अपने आप ताली बजाए बिना नहीं रह पाएंगे।
इंसान यदि मजदूर या कारीगर है, तो वह सारा दिन काम करता है। लेकिन जैसे-जैसे वह ऊपर उठता है, उसकी फुर्सत बढ़ती जाती है। बड़ी इंडस्ट्रीज और नए क्षेत्रों के मौजूद लोग पूरे साल घर से बाहर कदम नहीं रखते।
बिजनेस की दुनिया में बिल गेट्स और वॉरेन बफेट भी सबसे फुर्सत वाले लोग हैं। वॉरेन बफेट रोज़ाना साढ़े चार घंटे पढ़ते हैं। बिल गेट्स सप्ताह में दो किताबें खत्म करते हैं। ये दोनों साल में लगभग 80 किताबें पढ़ते हैं। ये अपनी कार खुद चलाते हैं, लाइन में लगकर कॉफी और बर्गर लेते हैं, और स्मार्टफोन का कम उपयोग करते हैं। लेकिन इसके बावजूद ये दुनिया के सबसे अमीर लोग हैं। कैसे? फुर्सत और सोचने की आज़ादी की वजह से।
जब तक हम मानसिक रूप से फ्री नहीं होते, हमारा दिमाग बड़े आइडियाज़ पर काम नहीं करता।
इसलिए, यदि आप दुनिया में कोई बड़ा काम करना चाहते हैं, तो आपको खुद को फ्री रखना होगा। यदि आप खुद को छोटे-छोटे कामों में उलझाए रखेंगे, तो आप सोच नहीं पाएंगे और फिर जीवन में कोई बड़ा काम नहीं कर पाएंगे।

अंग्रेजी सीखनी बहुत जरूरी हैं, यदि अंग्रेजी नही सीखोगे और अपनी मातृभाषा में ही काम करोगे तो जापान, चीन से आगे निकल जाओगे...
13/09/2025

अंग्रेजी सीखनी बहुत जरूरी हैं, यदि अंग्रेजी नही सीखोगे और अपनी मातृभाषा में ही काम करोगे तो जापान, चीन से आगे निकल जाओगे। इसलिए पिछड़ने के लिए अंग्रेजी बहुत जरूरी हैं।

संख्या बोलने की शैली (छोटा अंक पहले या बड़ा अंक पहले) भाषाओं के इतिहास, संस्कृति और गणना की परंपराओं से विकसित हुई है।प्...
11/09/2025

संख्या बोलने की शैली (छोटा अंक पहले या बड़ा अंक पहले) भाषाओं के इतिहास, संस्कृति और गणना की परंपराओं से विकसित हुई है।
प्राचीन काल में लोग गिनती को जोड़ने की प्रक्रिया मानते थे।
“एक और बीस” = 21 → यानी 20 के ऊपर 1 जोड़ना।
यही कारण है कि संस्कृत, जर्मन, डच जैसी पुरानी भाषाओं में छोटा अंक पहले आता है।
यह जोड़ने वाली शैली संख्या को क्रमशः बढ़ाने की आदत को दर्शाती है।
जब व्यापार और शिक्षा बढ़ी, तो स्पष्टता की ज़रूरत हुई।
“बीस-एक, बीस-दो” बोलना अधिक सीधे और सरल लगा।
इसलिए अंग्रेज़ी, कन्नड़, तमिल जैसी भाषाओं ने “बड़ा अंक पहले” की शैली अपना ली।
यह decimal (दशमलव) आधारित गणित और गणना प्रणाली के लिए अधिक सुविधाजनक साबित हुआ।
1. छोटा अंक पहले, बड़ा अंक बाद में (One-and-twenty pattern)
यह पैटर्न पुरानी यूरोपीय और भारतीय परंपराओं दोनों में मिलता है।
जर्मन (German):
21 → einundzwanzig (एक और बीस)
32 → zweiunddreißig (दो और तीस)
47 → siebenundvierzig (सात और चालीस)
डच (Dutch):
21 → eenentwintig (एक और बीस)
35 → vijfendertig (पाँच और तीस)
मराठी (Marathi):
21 → एकवीस (एक+वीस = एक और बीस)
31 → एकतीस (एक+तीस)
41 → एकेचाळीस (एक+चालीस)
हिन्दी (Hindi, अवधी/ब्रज/संस्कृत परंपरा):
21 → इक्कीस (एक+बीस)
31 → इकतीस (एक+तीस)
41 → इकतालीस (एक+चालीस)
👉 यह पैटर्न दर्शाता है कि छोटा अंक बड़े अंक को “पूरा करने” के रूप में कहा जाता है।
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2. बड़ा अंक पहले, छोटा अंक बाद में (Twenty-one pattern)
यह आधुनिक और सरल पैटर्न है, जिसमें पहले दसियों का अंक और फिर इकाई का अंक बोला जाता है।
अंग्रेज़ी (English):
21 → twenty-one
35 → thirty-five
फ्रेंच (French):
21 → vingt et un (बीस और एक)
35 → trente-cinq (तीस-पाँच)
कन्नड़ (Kannada):
21 → ಇಪ್ಪತ್ತು ಒಂದು (बीस एक)
35 → ಮೂವತ್ತು ಐದು (तीस पाँच)
तेलुगु (Telugu):
21 → ఇరవై ఒకటి (बीस एक)
35 → ముప్పై ఐదు (तीस पाँच)
तमिल (Tamil):
21 → இருபத்தொன்று (बीस एक)
35 → முப்பத்தைந்து (तीस पाँच)
👉 यहाँ पैटर्न “दहाई पहले, इकाई बाद में” है, जो अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं से मेल खाता है।
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3. मिश्रित या विशेष पैटर्न
कुछ भाषाओं में 70, 80, 90 जैसी संख्याओं के लिए विशेष संरचना है।
फ्रेंच (French):
70 → soixante-dix (साठ-दस)
80 → quatre-vingts (चार-बीस = 4×20)
90 → quatre-vingt-dix (चार-बीस-दस = 4×20+10)
डेनिश (Danish):
50 → halvtreds (ढाई-दस = 2½ × 20)
70 → halvfjerds (3½ × 20)
👉 यहाँ संख्याएँ “बीसियों के गुणन” से बनती हैं।
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4. भारतीय भाषाओं में रोचक विविधता
संस्कृत (Sanskrit):
21 → एकविंशति (एक + बीस) → छोटा पहले
35 → पञ्चत्रिंशत् (पाँच + तीस)
गुजराती (Gujarati):
21 → એકવીસ (एक+वीस)
बंगाली (Bengali):
21 → একুশ (ekush = एक + बीस)
👉 यानी हिन्दी, मराठी, गुजराती, बंगाली—सबका मूल संस्कृत परंपरा से है।
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✅ सारांश:
भारतीय आर्यभाषाओं (हिन्दी, मराठी, गुजराती, बंगाली, संस्कृत) और जर्मन/डच में पैटर्न “छोटा + बड़ा” है।
द्रविड़ भाषाओं (कन्नड़, तेलुगु, तमिल) और अंग्रेज़ी/फ्रेंच में पैटर्न “बड़ा + छोटा” है।
कुछ यूरोपीय भाषाओं (फ्रेंच, डेनिश) में विशेष बीस-आधारित (vigesimal) प्रणाली है।

हिन्दू सनातन धर्म में दूब अथवा दूर्वा घास का महत्व क्यों है...?एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवतागण ...
06/09/2025

हिन्दू सनातन धर्म में दूब अथवा दूर्वा घास का महत्व क्यों है...?

एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवतागण अमृतकलश को लेकर जा रहे थे तो, उस अमृतकलश से छलक कर अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के दूर्वा घास पर गिर गयी थी इसीलिए, दूर्वा घास अमर हो गई .!

दूर्वा घास के बारे में .भगवान कृष्ण भी गीता ( 9-26 ) में कहते हैं कि :

जो भी भक्ति के साथ मेरे पास में दूर्वा की एक पत्ती , एक फूल , एक फल या पानी के साथ मेरी पूजा करता है मैं उसे दिल से स्वीकार करता हूँ...!

दूर्वा एक जंगली घास है. जो आमतौर पर भारत में हर जगह पाया जाता है....

यह घास एक बारहमासी घास है और, तेजी से बढ़ती है तथा, गहरे हरे रंग की होती है और इसके नोड में जड़ें होती है जो उलझे हुए गुच्छों के रूप में होती है ...!

इस घास को पूरी तरह उखाड़ लेने के बाद भी यह वापस जल्द ही उग आती है और, इस तरह इसका बार-बार अंकुरित होना जीवन के उत्थान का एक शक्तिशाली प्रतीक है जो नवीकरण, पुनर्जन्म और प्रजनन क्षमता को परिलक्षित करता है...!

वैदिक काल से ही भगवान गणेश और विश्व पालक नारायण की पूजा में दूर्वा घास को आवश्यक रूप से इस्तेमाल किया जाता है...!

लेकिन हमारे हिन्दू सनातन धर्म में किसी भी परंपरा को बनाने से पीछे उसका एक ठोस वैज्ञानिक आधार होता है और दूर्वा घास के साथ भी यही है....!

दूर्वा घास का औषधीय लाभ

दूर्वा घास या बरमूडा घास ( वानस्पतिक नाम Cynodan dactylon ) में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं और, आधुनिक शोधों से यह स्थापित हो चूका है कि दूर्वा घास का रस अपने आप में ही कई बीमारियों के लिए एक शानदार उपाय के तौर पर भारत में प्रयोग किया जाता है .

दूर्वा घास में गेहूँ की घास से भी जयादा क्रूड प्रोटीन , फाइबर , कैल्शियम , फास्फोरस और पोटाश मौजूद होता है...!

1) ख़ास बात यह है कि दूर्वा घास क्षारीय होता है और, अगर हमारा भोजन अधिक अम्लीय है तो ये दूर्वा घास अपने क्षारीय गुण के कारण हमारे शरीर में अम्ल की तीव्रता को कम कर हमारे शरीर को ख़राब होने से बचाता है..

2) साथ ही दूर्वा घास हमारे तंत्रिका तंत्र के लिए एक बहुत अच्छा टॉनिक है यह सभी उम्र के लिए उपयुक्त है ...!

असहज महसूस करने के लिए प्रारंभिक चरण में इसे कम मात्रा के साथ शुरू किया जा सकता है...!

3) सिर्फ इतना ही नहीं... बल्कि ... ये दूर्वा घास ... हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी निकालता है...

और, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कब्ज, बहुत सारी बीमारियों की जननी है.इस में दूर्वा घास का रस अमृत के समान है। दूर्वा घास हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर कर हमारी रक्त प्रणाली शुद्ध कर देती है....!

दूर्वा घास के इन्ही औषधीय गुणों के कारण दूर्वा घास को पूजा-पाठ के माध्यम से इसे पूजनीय एवं हमारे जीवन का अभिन्न अंग बना दिया गया है.।

मैंकाले की विकृत शिक्षा पूरी हों गई हों तो एक बार इस महान आत्मा को भी जरूर सुनने,जानने व समझने का प्रयास करना
05/09/2025

मैंकाले की विकृत शिक्षा पूरी हों गई हों
तो एक बार इस महान आत्मा को भी
जरूर सुनने,जानने व समझने का प्रयास करना

वेदों की ओर लौटे ये कहावत सच हो गईसुनीता विलियम्स के चौंकाने वाले खुलासेअंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद अंतरिक्ष यात...
26/08/2025

वेदों की ओर लौटे ये कहावत सच हो गई
सुनीता विलियम्स के चौंकाने वाले खुलासे
अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स द्वारा पत्रकारों से किया गया वक्तव्य इस समय पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है।
"मुझे अंतरिक्ष में फँस जाना ईश्वर की इच्छा जैसा लग रहा था। जब मुझे अंतरिक्ष में 20 दिन हो गए थे, तब मैं मानो मृत्यु से सामना कर रही थी। भोजन और पानी का भंडार कम होने लगा तो मुझे लगा कि अब आगे कैसे जिया जाए? उसी समय मुझे सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि के उपवास की याद आई। उस दिन से मैं शाम को थोड़ा भोजन और पानी लेती और सुबह केवल थोड़ा पानी। एक महीना इस प्रकार बीत गया और मैं स्वस्थ और प्रसन्न थी। मुझे लगने लगा कि मैं और कुछ समय तक जीवित रह सकती हूँ।
"मृत्यु की प्रतीक्षा करते समय मैंने कंप्यूटर खोला और सोचा कि बाइबल पढ़ूँ। उसे मैं पहले कई बार पढ़ चुकी थी, इसलिए एक पन्ने के बाद मुझे ऊब हो गई। तब मुझे फिर से रामायण और भगवद्गीता पढ़ने की इच्छा हुई (अब लगता है कि उससे मुझे किसी शक्ति का अनुभव हुआ)। मैंने उसका अंग्रेज़ी अनुवाद डाउनलोड किया और पढ़ना शुरू किया। 10–15 पन्ने पढ़ने के बाद मैं दंग रह गई। उसमें भ्रूण विज्ञान, गहरे समुद्र और आकाश के बारे में वर्णन अद्भुत था। मुझे लगा कि यह दुनिया को बताना चाहिए।
"अंतरिक्ष से देखने पर सूर्य की आकृति मानो किसी कीचड़ के तालाब में बैठी हो, ऐसी प्रतीत होती है। कभी-कभी मुझे ऊपर से कुछ आवाज़ें आतीं, मानो कोई मंत्रोच्चार चल रहा हो, और मुझे लगा कि ये संस्कृत या हिंदी में हैं। मेरे सहयात्री बैरी विलमोर ने कहा कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मैं रोज़ रामायण और भगवद्गीता पढ़ती हूँ। उसके बाद मैंने रामायण और गीता का गहन अध्ययन करने का निश्चय किया। वह एक अद्वितीय अनुभव था। मैंने तुरंत एलन मस्क को फोन करके यह बताया।
"अब आप दंग रह जाएँगे – कुछ दिन हम इतने भयभीत हो गए थे क्योंकि हमारे अंतरिक्ष स्टेशन की ओर विशाल उल्काएँ तेजी से आ रही थीं। हमारे पास कोई उपाय नहीं था, इसलिए हमने ईश्वर से प्रार्थना की। और एक चमत्कारी ढंग से कुछ छोटे गोलाकार प्रकाश कण (मानो तारे) नीचे उतरे और उन सभी उल्काओं का नाश कर दिया। हमने जब यह देखा तो ऐसा लगा मानो हम उन पर तारे फेंक रहे हों। यह हमारे लिए आश्चर्यजनक था। नासा ने इस घटना पर और शोध करने का आश्वासन दिया है।
"आठ महीनों में मैंने पूरी रामायण और भगवद्गीता पढ़ ली। मुझे महसूस होने लगा कि अब मैं पृथ्वी पर लौट सकती हूँ। मेरे भीतर एक विलक्षण आत्मविश्वास उत्पन्न हो गया।
"अप्रैल माह में, सूर्यास्त के समय, शेर के समान एक जीव के साथ माताजी और त्रिशूल धारण किए हुए एक आकृति पृथ्वी पर उतरती हुई दिखाई दी। वह आकृति पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद अदृश्य हो गई। वह कहाँ से आई, यह समझ में नहीं आ रहा था, इसलिए मैं और बैरी विलमोर उसका अवलोकन कर रहे थे। ऐसा लगा कि वह आकाश के किसी विशेष स्तर से नीचे आई। इससे मुझे समझ में आया कि आकाश की कई परतें होती हैं। चाहे जितना सोचा, पर यह समझ में नहीं आया कि ये उड़ने वाले घोड़े कहाँ गए? बाद में मुझे न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट दिखाई दी – उसमें हडसन नदी पर चंद्रकला दिखाई देने और 2 मार्च से सनातनी उपवास शुरू होने की खबर थी। उसके बाद नांगल में यह अवलोकन प्रारंभ हुआ था। बाद में हमें महसूस हुआ कि अब पृथ्वी पर उपवास समाप्त करने का समय आ गया है। मुझे लगता है कि वे ईश्वर के आशीर्वाद से आए हुए देवदूत थे।
"अब मुझे लगता है कि सनातन धर्म की भगवद्गीता सत्य है। अब मेरा शोध वेदों के विज्ञान पर आधारित होगा – भ्रूण विज्ञान, गहरे समुद्र का विज्ञान। मुझे खगोल विज्ञान से संबंधित सब कुछ सीखना है। नासा में वेदों की अलौकिक शक्तियों पर शोध करने के लिए एक नए विभाग की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया है।"

जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं आयुर्वेदिक दवाई भी है......!!ये एक राजशाही पकवान है जिसे दूध दही या रबड़ी से खाया जाता है।जलेबी क...
25/08/2025

जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं आयुर्वेदिक दवाई भी है......!!

ये एक राजशाही पकवान है जिसे दूध दही या रबड़ी से खाया जाता है।

जलेबी का आयुर्वेदिक उपयोग :

जलेबी एक भारतीय व्यंजन है जो की जलोदर नामक बीमारी का इलाज में प्रयोग की जाती थी शुगर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए जलेबी को दही से खाते थे

खाली पेट दूध जलेबी खाने से वजन और लम्बाई बढ़ाने के लिए किया जाता था । माइग्रेन की और सिर दर्द के लिए सूर्योदय से पहले दूध जलेबी खाने को आयुर्वेद में लिखा है

ग्रह शांति अथवा ईश्वर का भोग में जलेबी से : आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा लिखित देवी पूजा पद्धति में भगवती को बिरयानी यानी हरिद्रान पुआ जलेबी भोग लगाने के विषय में लिखा है जलेबी माता भगवती को भोग में चढ़ाने की प्रथा है।

इमरती जो की उडद दाल से बनती है वो शनिदेव के नाम पर हनुमान जी या पीपल वृक्ष या शनि मंदिर में चढ़ाने काले कौवा और कुत्ते को खिलाने से शनि का प्रभाव कम होता है।

जलेबी बनाने की विधि - हमारे प्राचीन ग्रंथ में जलेबी बनाने की विधि संस्कृत भाषा में लिखी है साथ ही जलेबी बनाने की विधि पुराणों में भी है इसे रस कुंडलिका नाम दिया है भोज कुतुहल में इसे जल वल्लीका नाम दिया है

गुण्यगुणबोधिनी' में भी जलेबी बनाने की विधि लिखी है । सबसे बड़ी बात की जलेबी कुंडली के आकार की की होती है जिसका संबंध आंतो से है कब्ज का ये रामबाण इलाज है ।

लाल बहादुर शास्री जी ने अपनी मां को कभी नहीं बताया था कि वे रेल मंत्री हैं। उन्होंने अपनी मां को कहा था कि "मैं रेलवे मे...
25/08/2025

लाल बहादुर शास्री जी ने अपनी मां को कभी नहीं बताया था कि वे रेल मंत्री हैं। उन्होंने अपनी मां को कहा था कि "मैं रेलवे में नौकरी करता हूं"।

एक बार शास्त्री जी किसी कार्यक्रम में रेलवे भवन में आए जब उनकी मां भी वहां पूछते पूछते पहुंची गई कि मेरा बेटा भी यहाँ आया है, वह भी रेलवे में नौकरी करता है।

लोगों ने पूछा क्या नाम है जब उन्होंने नाम बताया तो सब चौंक गए "सुरक्षा अधिकारी बोले आप झूठ बोल रही है"।

पर वह बोली, "नहीं वह आए हैं"।

लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सामने ले जाकर पूछा," क्या वही है?"

तो मां बोली "हां वह मेरा बेटा है"।

लोग मंत्री जी से दिखा कर बोले "क्या वह आपकी मां है"।

तब शास्त्री जी ने अपनी मां को बुला कर अपने पास बिठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।

तो पत्रकारों ने पूछा "आपने अपनी माँ के सामने भाषण क्यों नहीं दिया"

तो वह बोले, "मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं। अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।"

यह जवाब सुनकर सब सन्न रह गए।

नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन हैएक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर रात को नजर न के बरा...
24/08/2025

नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है

एक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर रात को नजर न के बराबर होने लगी।जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँख की रक्त नलीयाँ सूख रही है। रिपोर्ट में यह सामने आया कि अब वो जीवन भर देख नहीं पायेंगे।.... मित्रो यह सम्भव नहीं है..

मित्रों हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है...गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है।

गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है।

नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है।जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है

नाभी में देशी गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।

1. आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय...

सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द देशी गाय का घी और नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला देवें।

2. घुटने के दर्द में उपाय

सोने से पहले तीन से सात बूंद अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।

3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय :-

रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।

4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-

नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।

नाभी में तेल डालने का कारण

हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है,इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।

जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है तेल का।

अपने स्नेहीजनों, मित्रों और परिजनों में इस नाभी में तेल और घी डालने के उपयोग और फायदों को शेयर करिये।

22/08/2025

🌿 हिन्दी को शुद्ध करने की सूची
उर्दू/फ़ारसी/अरबी से शुद्ध हिन्दी (संस्कृतनिष्ठ)
1. ज़मीन → भूमि
2. ग़ुस्सा → क्रोध
3. मेहनत → परिश्रम
4. सवाल → प्रश्न
5. जवाब → उत्तर
6. इंसान → मनुष्य
7. किताब → पुस्तक
8. कलम → लेखनी
9. ख्वाब → स्वप्न
10. तक़दीर → भाग्य
11. दुनिया → जगत
12. दोस्त → मित्र
13. दुश्मन → शत्रु
14. मोहब्बत → प्रेम
15. नफ़रत → घृणा
16. मकान → गृह
17. स्कूल → विद्यालय
18. कॉलेज → महाविद्यालय
19. दफ़्तर → कार्यालय
20. अदालत → न्यायालय
21. हुकूमत → शासन
22. क़ानून → विधि
23. हक़ → अधिकार
24. आज़ादी → स्वतंत्रता
25. ग़रीब → दरिद्र
26. अमीर → धनवान
27. रोज़गार → आजीविका
28. काम → कर्म
29. खेल → क्रीड़ा
30. किताबख़ाना → पुस्तकालय
31. इलाज → उपचार
32. बीमारी → रोग
33. डॉक्टर → चिकित्सक
34. दवा → औषधि
35. मास्टर → अध्यापक
36. बाप → पिता
37. माँ → माता
38. बीवी → पत्नी
39. बेटा → पुत्र
40. बेटी → पुत्री
41. रोज़ा → उपवास
42. नमाज़ → प्रार्थना
43. इबादत → उपासना
44. ख़ुशी → प्रसन्नता
45. ग़म → दुःख
46. मौत → मृत्यु
47. ज़िन्दगी → जीवन
48. जन्म → उत्पत्ति
49. आँख → नेत्र
50. कान → कर्ण
51. ज़ुबान → जिह्वा
52. दिल → हृदय
53. ख़ून → रक्त
54. दिमाग़ → मस्तिष्क
55. जिस्म → शरीर
56. हाथ → हस्त
57. पाँव → पाद
58. सर → शिरः
59. बाल → केश
60. रंग → वर्ण
61. तसवीर → चित्र
62. चेहरा → मुख
63. बाज़ार → हाट
64. दुकान → भंडार
65. मुल्क → राष्ट्र
66. शहर → नगर
67. गाँव → ग्राम
68. सड़क → मार्ग
69. रास्ता → पथ
70. वक़्त → समय
71. ज़्यादा → अधिक
72. कम → न्यून
73. मुश्किल → कठिन
74. आसान → सरल
75. पहला → प्रथम
76. आख़िरी → अंतिम
77. हमेशा → सदा
78. कभी-कभी → यदा-कदा
79. कभी नहीं → कदापि नहीं
80. दुबारा → पुनः
81. क़रीब → समीप
82. दूर → दूर
83. बहुत → अत्यधिक
84. थोड़ा → अल्प
85. सच्चा → सत्य
86. झूठा → असत्य
87. अच्छा → उत्तम
88. बुरा → निकृष्ट
89. ताक़त → शक्ति
90. हिम्मत → साहस
91. इज़्ज़त → सम्मान
92. बेइज़्ज़ती → अपमान
93. इन्साफ़ → न्याय
94. ज़ालिम → निर्दयी
95. रहम → दया
96. ग़लती → भूल
97. सही → शुद्ध
98. तालीम → शिक्षा
99. इल्म → ज्ञान
100. अकल → बुद्धि
101. इशारा → संकेत
102. इरादा → संकल्प
103. कोशिश → प्रयास
104. वजह → कारण
105. मक़सद → उद्देश्य
106. हासिल → प्राप्ति
107. मंज़िल → गन्तव्य
108. सफ़र → यात्रा
109. तजुर्बा → अनुभव
110. आदत → स्वभाव
111. अन्दाज़ → शैली
112. तारीख़ → इतिहास
113. तर्जुमा → अनुवाद
114. हक़ीक़त → सत्यता
115. झगड़ा → विवाद
116. लड़ाई → युद्ध
117. दुश्मनी → शत्रुता
118. दोस्ती → मैत्री
119. बर्बाद → विनष्ट
120. आबाद → समृद्ध
121. पैग़ाम → संदेश
122. पैग़म्बर → ऋषि
123. इब्तिदा → आरम्भ
124. इंतिहा → अंत
125. अन्दर → भीतरी
126. बाहर → बाहरी
127. ग़ैर → पराया
128. अपना → स्व
129. पूरा → सम्पूर्ण
130. आधा → अर्ध
131. बराबर → सम
132. अलग → पृथक
133. मिलना → संगम
134. जुदा → पृथक
135. छोटा → लघु
136. बड़ा → विशाल
137. ऊँचा → उन्नत
138. नीचा → अधम
139. साफ़ → स्वच्छ
140. गन्दा → मलिन
141. जल्दी → शीघ्र
142. देर → विलम्ब
143. नया → नवीन
144. पुराना → प्राचीन
145. असली → मौलिक
146. नक़ली → कृत्रिम
147. आम → सामान्य
148. ख़ास → विशेष
149. तरीक़ा → विधि
150. हाल → स्थिति
151. हालात → परिस्थितियाँ
152. शक्ल → रूप
153. सूरत → आकृति
154. क़िस्म → प्रकार
155. क़ीमत → मूल्य
156. तिजारत → व्यापार
157. सौदा → क्रय-विक्रय
158. फ़ायदा → लाभ
159. नुक़सान → हानि
160. ग़रीबी → दरिद्रता
161. दौलत → सम्पत्ति
162. सरमाया → पूँजी
163. तिजोरी → कोषागार
164. तक़रीब → अवसर
165. महफ़िल → सभा
166. जलसा → आयोजन
167. ख़बर → समाचार
168. अख़बार → पत्र |
169. इम्तहान → परीक्षा
170. नतीजा → परिणाम
171. दरख़ास्त → आवेदन
172. अर्ज़ी → निवेदन
173. रिपोर्ट → प्रतिवेदन
174. तफ्सील → विवरण
175. सबक़ → पाठ
176. ग़ज़ल → गीत
177. अफ़साना → कथा
178. क़िस्सा → कहानी
179. तसव्वुर → कल्पना
180. ख़्वाहिश → इच्छा
181. अरमान → आकांक्षा
182. ताज्जुब → आश्चर्य
183. तहरीर → लेख
184. तसल्ली → सांत्वना
185. तक़रीर → भाषण
186. ख़ुत्बा → प्रवचन
187. दुआ → प्रार्थना
188. बरकत → आशीर्वाद
189. रहमत → कृपा
190. बद्दुआ → शाप
191. नेमत → प्रसाद
192. क़सम → शपथ
193. वादा → प्रतिज्ञा
194. ख़ुलूस → निष्ठा
195. सच → सत्य
196. झूठ → असत्य
197. इख़्तिताम → समापन
198. इल्तिजा → विनती
199. ज़रूरत → आवश्यकता
200. मौक़ा → अवसर
201. मशविरा → परामर्श
202. राय → मत
203. ग़ौर → चिन्तन
204. तवज्जो → ध्यान
205. इत्तफ़ाक़ → संयोग
206. नसीहत → उपदेश
207. तर्बियत → प्रशिक्षण
208. मशक़्क़त → कठिनाई
209. आराम → विश्रान्ति
210. राहत → शांति
211. तक़लीफ़ → पीड़ा
212. दर्द → व्यथा
213. तक़रार → विवाद
214. सुलह → समझौता
215. शक → संदेह
216. यक़ीन → विश्वास
217. इमान → श्रद्धा
218. नेकनीयती → सज्जनता
219. ज़ुल्म → अत्याचार
220. ख़ैर → मंगल
221. शरारत → दुष्टता
222. गुनाह → पाप
223. सवाब → पुण्य
224. फ़र्ज़ → कर्तव्य
225. ज़िम्मेदारी → दायित्व
226. इख़्तियार → अधिकार
227. हुक्म → आदेश
228. फ़रमान → आज्ञा
229. नीयत → अभिप्राय
230. क़ाबिल → योग्य
231. नालायक → अयोग्य
232. हुनर → कौशल
233. जहालत → अज्ञानता
234. अदब → शिष्टाचार
235. तहज़ीब → संस्कृति
236. बदतमीज़ी → दुर्व्यवहार
237. तमीज़ → शालीनता
238. शौक़ → रुचि
239. तमन्ना → इच्छा
240. हसरत → लालसा
241. ग़रज़ → प्रयोजन
242. बहाना → अवसर
243. वजूद → अस्तित्व
244. मख़लूक़ → प्राणी
245. ख़िलाफ़ → विरोध
246. हक़ में → समर्थन
247. दख़ल → हस्तक्षेप
248. मदद → सहायता
249. मददगार → सहायक
250. रक़ीब → प्रतिस्पर्धी
251. साथी → सहचर
252. हमसफ़र → सहयात्री
253. मुनाफ़ा → लाभ
254. घाटा → हानि
255. करार → अनुबंध
256. इकरार → स्वीकार
257. इनकार → अस्वीकार
258. अदालत → न्यायालय
259. जमाना → युग
260. तालीफ़ → संकलन
261. इबादतगाह → उपासना-स्थान
262. मज़ार → समाधि
263. क़ब्र → समाधि/समाधिस्थल
264. रस्म → परम्परा
265. तर्ज़ → ढंग
266. हकीम → वैद्य
267. इलाज → उपचार
268. मरीज़ → रोगी
269. तावीज़ → मंत्रिका
270. बदन → काया
271. दौड़ → धावन
272. महबूब → प्रिय
273. अदावत → वैर
274. नफ़्स → अहंकार
275. रूह → आत्मा
276. जन्नत → स्वर्ग
277. जहन्नुम → नरक
278. सब्र → धैर्य
279. शुक्र → कृतज्ञता
280. तक़वा → संयम
281. हलाल → शुद्ध
282. हराम → निषिद्ध
283. शरीअत → धर्मनियम
284. फ़ितरत → प्रकृति
285. अकीदा → आस्था
286. तक़दीर → भाग्य
287. इलाक़ा → क्षेत्र
288. मुक़ाम → स्थान
289. मंज़र → दृश्य
290. नज़ारा → विहंगावलोकन
291. हकीकत → वास्तविकता
292. तहरीक़ → आन्दोलन
293. इंक़लाब → क्रान्ति
294. बग़ावत → विद्रोह
295. हुकूमत → शासन
296. बादशाह → राजा
297. तख़्त → सिंहासन
298. ताज → मुकुट
299. गुलाम → दास
300. आज़ाद → स्वतन्त्र
301. खुशबू → सुगन्ध
302. बदबू → दुर्गन्ध
303. ग़ज़ब → आश्चर्य
304. मंज़ूर → स्वीकृत
305. नामंज़ूर → अस्वीकृत
306. ज़र्रा → कण
307. दरिया → नदी
308. समंदर → सागर
309. किनारा → तट
310. साहिल → तटरेखा
311. ग़रक़ → डूबा
312. तूफ़ान → आंधी/चक्रवात
313. आँधी → धूलिवायु
314. बारिश → वर्षा
315. बादल → मेघ
316. बिजली → विद्युत्
317. चमक → दीप्ति
318. धूप → सूर्यकिरण
319. अंधेरा → तमस्
320. उजाला → प्रकाश
321. सितारा → तारा
322. चाँद → चन्द्र
323. सूरज → सूर्य
324. ज़माना → युग
325. वक़्त → समय
326. सदी → शताब्दी
327. साल → वर्ष
328. महीना → मास
329. हफ़्ता → सप्ताह
330. रोज़ → दिन
331. रात → रात्रि
332. सुबह → प्रातः
333. शाम → सायं
334. दुपहर → मध्यान्ह
335. आधी रात → अर्धरात्रि
336. आरज़ू → आकांक्षा
337. इश्क़ → प्रेम
338. आशिक़ → प्रियकर
339. माशूक़ → प्रेयसी
340. खामोशी → मौन
341. शोर → कोलाहल
342. आवाज़ → ध्वनि
343. चीख़ → चीत्कार
344. रोना → क्रन्दन
345. हँसी → हास्य
346. खेलना → क्रीड़न
347. लिखना → लेखन
348. पढ़ना → अध्ययन
349. देखना → दर्शन
350. सुनना → श्रवण
351. चलना → गमन
352. दौड़ना → धावन
353. गिरना → पतन
354. उठना → उदयन
355. बैठना → उपवेशन
356. सोना → निद्रा
357. जागना → जागरण
358. खाना → आहार
359. पीना → पान
360. बोलना → वाक्
361. सोचना → चिन्तन
362. जानना → अवगति
363. सीखना → अध्ययन
364. पढ़ाना → अध्यापन
365. खिलाना → भोज्यदान
366. पहनना → वस्त्रधारण
367. उतारना → अपगमन
368. सजना → अलंकरण
369. नाचना → नर्तन
370. गाना → गान
371. बजाना → वादन
372. पूछना → प्रश्न करना
373. बताना → कथन
374. सुनाना → श्रवण कराना
375. दिखाना → प्रदर्शन
376. खिलखिलाना → प्रहसन
377. रोशनी → प्रकाश
378. अँधेरा → तम
379. ज्वाला → अग्नि
380. धुआँ → धूम
381. राख → भस्म
382. पत्थर → शिला
383. मिट्टी → मृदा
384. पेड़ → वृक्ष
385. पौधा → तरु
386. फूल → पुष्प
387. फल → फल
388. बीज → बीज
389. पत्ता → पत्र
390. शाख़ → शाखा/डाली
391. जंगल → वन
392. बाग़ → उद्यान
393. खेत → कृषिक्षेत्र
394. घास → तृण
395. झील → सरोवर
396. तालाब → सरः
397. कुआँ → कूप
398. नहर → नाला
399. पुल → सेतु
400. मकसद → प्रयोजन
401. गवाही → साक्ष्य
402. शहादत → प्रमाण
403. वारिस → उत्तराधिकारी
404. जायदाद → सम्पत्ति
405. तक़सीम → विभाजन
406. हिस्सा → अंश
407. वसीयत → इच्छा-पत्र
408. दस्तख़त → हस्ताक्षर
409. मुहर → मोहर/छाप
410. तहरीर → लेख
411. कानून → विधि
412. दंड → दण्ड
413. जुर्माना → अर्थदण्ड
414. गुनाहगार → अपराधी
415. सज़ा → दण्ड
416. जेल → कारागार
417. कैदी → बन्दी
418. पहरेदार → प्रहरक
419. चौकीदार → रक्षक
420. सिपाही → सैनिक
421. फ़ौज → सेना
422. लश्कर → दल
423. हुक्मरान → शासक
424. बादशाह → नरेश
425. मलिका → रानी
426. वज़ीर → मन्त्री
427. अमीर → धनाढ्य
428. गरीब → दरिद्र
429. मजदूर → श्रमिक
430. किसान → कृषक
431. दुकानदार → व्यापारी
432. व्यापारी → वणिक
433. शिक्षक → अध्यापक
434. छात्र → विद्यार्थी
435. औरत → नारी
436. आदमी → पुरुष
437. बच्चा → शिशु
438. बूढ़ा → वृद्ध
439. जवान → तरुण
440. जवान लड़की → तरुणी
441. घर → गृह
442. दरवाज़ा → द्वार
443. खिड़की → झरोखा/जालिका
444. दीवार → भित्ति
445. छत → छज्जा
446. आँगन → प्रांगण
447. कुर्सी → आसन
448. मेज़ → पट्टिका
449. बिस्तर → शय्या
450. तकिया → आसनपृष्ठ
451. कंबल → कंबल/कम्बलम्
452. कपड़ा → वस्त्र
453. जूता → पादुक
454. टोपी → शिरोवस्त्र
455. छाता → छत्र
456. आईना → दर्पण
457. घड़ी → समयसूचक
458. किताब → ग्रन्थ
459. नोटबुक → लेखपुस्तिका
460. पेंसिल → लेखनी
461. पेन → कलम
462. स्याही → मसी/माषि
463. बोर्ड → फलक
464. नक्शा → मानचित्र
465. झंडा → ध्वज
466. चिन्ह → प्रतीक
467. निशान → लक्षण
468. शब्द → पद
469. वाक्य → वाक्य
470. भाषा → भाषा
471. लफ़्ज़ → शब्द
472. अल्फ़ाज़ → पदावली
473. जुमला → वाक्यांश
474. किताबत → लेखन
475. दरख़्त → वृक्ष
476. क़ल्ब → हृदय
477. अहसास → अनुभूति
478. हसरत → आकांक्षा
479. क़दर → मूल्य
480. नफ़ा → लाभ
481. नुक़सान → हानि
482. बयान → वक्तव्य
483. तक़रीर → भाषण
484. हिकमत → नीति
485. दानिश → प्रज्ञा
486. इल्मदार → विद्वान
487. जाहिल → मूर्ख
488. अक्लमन्द → बुद्धिमान
489. पागल → उन्मत्त
490. दीवाना → पागल
491. होश → चेतना
492. बेहोश → अचेत
493. ज़ख़्म → घाव
494. मरहम → लेप
495. इलाज → चिकित्सा
496. नुस्ख़ा → चिकित्साविधान
497. अस्पताल → चिकित्सालय
498. मरीज़ → रोगी
499. डॉक्टर → वैद्य
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21/08/2025

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श्री राजीव दीक्षित जी

पिछले ५०० सालो में राजीव दीक्षित जैसा कोई आदमी भारत में पैदा ही नहीं हुआ तो मै भी सोच में पड गया और मै उनकी इन बातों का कारन जानने के लिए हर पहलू पर विचार किया तो पाया की वास्तविकता यही है की राजीव भाई में इतनी शक्ति होते हुए भी उनकी नैतिकता का कोई शानी नहीं है.

स्वदेशी अपनाएं, स्वावलम्बी बनें।