Bagwan Dhanvantari Ayurveda

Bagwan Dhanvantari Ayurveda It's purpose to know about the Ayurveda medicine to people

 #भुजरिया_का_विज्ञान आजकल तो अन्न के बीज को सुरक्षित रखने तथा उसके परीक्षण के अनेक तरीके विकसित हो गए हैं । किन्तु प्राच...
17/09/2025

#भुजरिया_का_विज्ञान
आजकल तो अन्न के बीज को सुरक्षित रखने तथा उसके परीक्षण के अनेक तरीके विकसित हो गए हैं । किन्तु प्राचीन काल से भारत में अगले एक वर्ष तक बीज को सुरक्षित रखने के भी तरीके थे । पहले घरों में भिन्न-भिन्न प्रकार की मिट्टी की कोठियाँ बनती थी, जिसमे नीम आदि की पत्तियाँ मिलाकर उसे वायुरोधक बनाकर अलग-अलग कोठियों में बीज रखा जाता था ।
इसके साथ ही उस सुरक्षित बीज का समय-समय पर परीक्षण भी किया जाता था ।
#पहला
- चैत्र मास में जब बीज रखा जाता था तो अच्छा बीज किस खेत का है, उसी खेत की मिट्टी लाकर उसे घर में #चैत्र_नवरात्रि में देवस्थान पर लाकर उगाया जाता था । जिसे हम जुआरे कहते हैं । जिस खेत का अन्न अच्छा उगता था, उसमें से बीज के लिए तिगुना रख लिया जाता था । शेष अन्न वर्षभर खाने के लिए रख लिया जाता था, ज्यादा होने पर बेच दिया जाता था ।
#दूसरा
- बीज का दूसरा परीक्षण सावन मास में किया जाता था, कोठियों से अन्न निकालकर कि कहीं बीज में घुन तो नहीं लगा, उसे सावन शुक्ल नवमी को खेत से महुए के पत्तों और बाँस की टोकरी में मिट्टी लाकर पुनः बोया जाता था । इसे भुजलिया/कजलिया के नाम से जाना जाता है । भाद्र कृष्ण प्रतिपदा को इन भुजलियों की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती थी । हर किसान एक-दूसरे का बीज कैसा उगा यह देख भी ले इसलिए नदी-सरोवर आदि में जुआरे धोकर उसे एक-दूसरे को भेंट दिया जाता था । लोग इसी समय बीज की अदला-बदली भी कर लेते थे ।
#तीसरा
- तीसरा परीक्षण बुआई के ठीक पहले #शारदीय_नवरात्रि में देवी जी के यहाँ सार्वजनिक रूप से जुआरा लगाने की परम्परा सदियों से है । पुनः जिस खेत में बुआई करना है उसकी मिट्टी लाकर मिट्टी के पात्र में अन्न उगाया जाता है । जिस कोठी का सबसे अच्छा उगता उसे बीज के लिए तथा बाकी को अगले चार माह भोजन के रूप में उपयोग हो जाता था ।
- आज सिद्ध हुआ है कि जुआरे केंसर रोधी है । हमारे यहाँ तो सदियों से जुआरे का रस पीने की परम्परा है । नदियों-सरोवरों में जुआरे धोने के बाद उसमें से आधे जुआरे गाँव के मन्दिर में चढ़ा दिया जाता था, मन्दिर का पुजारी उसे बाँटकर रस निकालकर शाम को संध्या आरती में भगवान के चरणामृत के रूप में सबको बाँटता था ।
=======
बीज बचाने और उसे सुरक्षित रखने की इस अद्भुत प्रयोगशाला को हमारे पूर्वजों ने धर्म के साथ जोड़कर उसे त्यौहार का रूप दे दिया । भुजरिया पर अच्छी बारिश, धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की कामना भी की जाती है । प्रकृति प्रेम के इस पर्व को कुछ विद्वान भू-जल के संरक्षण से भी जोड़कर देखते हैं । आज एक-दूसरे को भुजरिया देकर पुरानी दुश्मनी भी लोग समाप्त करते हैं ।

रक्षणीयं गजे पित्तं श्लेष्मा वाजिषु सर्वदा पवनोऽयं मनुष्याणां प्रायो रक्षेत सर्वदाहारीत सहिंता में लिखा है के हाथी की पि...
17/09/2025

रक्षणीयं गजे पित्तं श्लेष्मा वाजिषु सर्वदा पवनोऽयं मनुष्याणां प्रायो रक्षेत सर्वदा

हारीत सहिंता में लिखा है के हाथी की पित्त दोष से रक्षा करनी चाहिए, घोड़े की कफ दोष से और मनुष्य की सदा वात दोष से रक्षा करनी चाहिए।

वात दोष को समझो।

वात याने वायु। यह 5 प्रकार की होती है।

1. उदान वायु- यह कंठ मे घूमती है इसी की वजह से मनुष्य बोलता है गीत गाता है। जब यह कुपित होती है तो कंठ के रोग होते हैं, जैसे गला बैठना, हकलाना तुतलाना, गूंगापन आदि।

2. प्राणवायु- यह वायु प्राण को धारण करती है और खाने को नीचे की और पहुचाती है। यह छाती और हृदय के क्षेत्र में घूमती है। जब यह कुपित होती है तो हृदय के रोग, फेफड़ों के रोग हिचकी आदि होते है।

3. सामान वायु- यह वायु अमाशय और पकाशय में घूमती है और जठरग्नि के साथ मिलकर अन्न को पचाने में मदद करती है और पचा करके मल मूत्र को अलग अलग करके आगे भेज देती है। जब यह कुपित होती है तो मंदाग्नि, दस्त, गैस आदि रोग कर देती है।

4. अपान वायु- यह वायु पकाशय में रहती है, मल मूत्र,शुक्र, ग्रभ और आर्तव को शरीर से बाहर निकालती है। जब यह कुपित होती है तो मूत्राशय के रोग, प्रमेह, गुदा के रोग आदि होते हैं।

5. व्यान वायु- यह वायु सारे शरीर मे घूमती है, रस, पसीना और रक्त आदि को घुमाती हैं। नीचे जाना, ऊपर ले जाना, आंख खोलना, मीचना आदि सब यही वायु करती हैं। सारे शरीर की किर्या संचालन इसी से होता है जब यह कुपित होती है तो सारे शरीर का नाश हो जाता है।

पित्त पंगु कफ पंगु पंगवो मल धातवः।
वायुना हि यत्र नियन्ते तत्र गच्छन्ति मेघवत्।।

"जैसे आसमान में वायु ही बादलों को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाती है, उसी तरह से शरीर में दोष, धातुऐं, और मल अपनी सभी क्रियाओं के लिए पूरी तरह से वात दोष पर निर्भर हैं ।

आशा करता हूँ जानकारी अच्छी लगी होगी।🙏🏼🙏🏼
पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर जरूर कीजियेगा।

पीतल  ke bartan ke faydeपीतल के बर्तन में भोजन करना वात के रोगों को बढ़ता है अतः जिन को जोड़ों में दर्द, घुटनो या कमर में ...
17/09/2025

पीतल ke bartan ke fayde

पीतल के बर्तन में भोजन करना वात के रोगों को बढ़ता है अतः जिन को जोड़ों में दर्द, घुटनो या कमर में दर्द रहता हो, या जिन्हे नींद ना आने की शिकायत हो, उचाटी शरीर में मचती हो आदि, ये वात रोग 80 होते हैं बाकि आप गूगल कर सकते हैं।

वात के रोगियों को पीतल के बर्तन में सेवन नहीं करना चाहिए। पीतल के बर्तन में भोजन करना शरीर के लिए रुक्ष और उष्ण होता है, गर्मियों में तो बिलकुल भी सेवन न करें।

लेकिन जिनके शरीर में कीड़ें हैं या जिनको कफ के रोग है जो 20 हैं, उनमें मुख्यतः खांसी, जुखाम, स्वास सम्बन्धी, मोटापा बीमारी होती है उनके लिए हितकर है।

साइटिका के लिए लेप चिकित्सा | Sciatica Pain Relief Massage | साइटिका के लिए तेल1. इस रोग में एरण्ड के तेल की मालिश करनी ...
16/09/2025

साइटिका के लिए लेप चिकित्सा | Sciatica Pain Relief Massage | साइटिका के लिए तेल

1. इस रोग में एरण्ड के तेल की मालिश करनी चाहिए। यह इस हाथी जैसे रोग को शेर की तरह नष्ट करता है।

2. सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को भून लें जब वह काली हो कर छान कर स्टोर करके रख लें। इस तेल की भी नित्य मालिश करने से भी दर्द ख़त्म होता है।

3. सोंफ, देवदारु, कूठ, हींग और सेंधानमक इन सभी को समभाग मात्रा में लेके आपस मिला के फिर उसमें मदार(आक्टा) का दूध मिला लें और 5 min तक अच्छे से घोट लें। जोड़ों के दर्द पे लेप करें दिन में दो बार। इस से सभी प्रकार के जोड़ों के सार्ड ठीक होते हैं। आर्थराइटिस का इलाज भी इसी से होता है।

कुंदरू: मुँह के छालों का अंत तुरंत। कुंदरू गाँव देहात की एक प्रमुख सब्जी है, और यह एक महत्वपूर्ण दवा भी है।             ...
16/09/2025

कुंदरू: मुँह के छालों का अंत तुरंत।
कुंदरू गाँव देहात की एक प्रमुख सब्जी है, और यह एक महत्वपूर्ण दवा भी है।

इस ललचाने वाले आज के घुमक्कड़ी भोज को आज यहाँ चर्चा के लिए छेड़ रहा हूँ, क्योंकि जब विचार न आयें तो फिर हमारे देश के भोजन इस राह को आसान बनाते हैं। मेरी दादी कहती थी कि दिमाग की नस पेट से होकर गुजरती है। पेट खाली है तो अक्ल भी घास चरने चली जाती है। 😂 चलिये आज का मीनू बताता हूँ। इसमें है मिक्स वेज (कुंदरू, आलू, गोभी, बैगन, गाजर, टमाटर), दाल, कढ़ी, चावल, सलाद और रोटी साथ मे मंगोड़े और पापड़ भी। वैसे तो पढ़े लिखे समझदार लोग दर- दर भटकने को अच्छा नही मानते हैं, लेकिन वो मजबूरी वाले भटकने के लिए सत्य है। मुझ जैसे मनमोजियो के लिये भटकना किसी तीर्थ यात्रा से कम नही है। लगातार नये नये लोगो से मित्रता तो होती ही है, साथ ही साथ हमारे भारत की गौरवशाली भोजन परंपरा से मन को तृप्त कर देने वाले व्यंजनो को ग्रहण करने का सौभाग्य भी प्राप्त हो जाता है। अनुभवों को किसी और दिन उपयुक्त मंच पर साझा करूँगा, फिलहाल यहाँ ज्वार के बनाये हुए इन खट्टे और चटपटे पापड़ की चर्चा छेड़ रहा हूँ, जो फ़ोटो में भी कट से गये है। 🤔 संभवतः कोई महाराष्ट्रीयन मित्र इस चर्चा को आगे बढ़ाये। सामान्यतः इन्हें इस क्षेत्र में मूंगफली दाने के साथ स्वल्पाहार के रूप में परोसा जाता है, और भोजन के साथ भी।
कुंदरू की सब्जी बनाना बहुत ही आसान है। सर्वप्रथम कुंदरू को गोल या लंबे जैसा चाहें पतले -पतले पीसेस में काट लें। कढ़ाई पर मीठा नीम, जीरा, राई आदि मसालों के साथ बघार लगाएं। कटी हुई प्याज, लहसन डाल दें। प्याज को सुनहरी होने तक भूने, इसके बाद इसमें काटे हुये कुंदरू के टुकड़े डाल दें। अच्छी तरह पकने दें और अंत मे हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर डाल दें और पुनः पकने दें। कुंदरू की सब्जी तैयार है। आप चाहें तो इसके साथ बैगन, आलू, सेम आदि प्रयोग कर मिक्स वेज भी बना सकते हैं।
आइए जानते हैं कुंदरू के विषय मे गाँव के झरोखे से...। इसका पौधा पुराने समय में लगभग सभी भारतीय किसानो के घर पर आशानी से मिल जाता था, यह बहुवर्षीय बेल है, जिसकी शाखाएं प्रतिवर्ष सूख जाती हैं, और जड़ो का कांड जीवित रहता है जिससे प्रतिवर्ष नयी बेल आ जाती है, इससे लगभग छः माह तक फल प्राप्त किये जा सकते है।
हमारे भी पुराने घर में दादी के आँगन में साल भर कुंदरू की बेल का मंढ़ा डला रहता था। साल भर तजि सब्जी मिलती थी, सेहद तो बोनस में था जनाब! दादी के जाने के बाद अब यह केवल खेत में और बाड़ी में बची है, लेकिन उतनी तनदुरुस्त बेल नहीं है जितनी दादी के ज़माने में हुआ करती थी।
नए जमाने के बहुत से वैज्ञानिको ने अपनी शोध में दावा किया है कि, इसके फलो और पत्तियों में चमत्कारिक औषधीय गुण पाये जाते हैं। खासकर मधुमेह (डाइबिटीज) के रोग में तो यह रामबाण औषधि है। इसके अलावा यह वात रोग, पीलिया, पेट संबंधी रोग और कफ रोग में भी बहुत कारगर सिद्ध हुयी है। मुँह के छालों के लिए भी कुंदरू एक महत्वपूर्ण दवा है। छाले हो जाने पर 2- 4 कच्ची कुंदरू चबाकर खा लें, मजा भी आयेगा और बाद के लिए मुँह भी मजे करेगा। छाले की जलन या दर्द गायब हो जाएगी।

एक बात जो दादी कहती थी वो मुझे कभी हजम नहीं हुयी। इसके कच्चे फल भी बहुत स्वादिस्ट होते है, इस कारण हम लोग पूरी बेल लोचकर उससे फल तोड़कर खा जाया करते थे, तब दादी जोर से चिल्लाती थी..., ज्यादा मत खाओ रे, बहरे हो जाओगे.....🤔। आपके विचारों के लिए इस विषय को अधूरा छोड़ रहा हूँ। सोच समझकर बताइयेगा।
इसकी कोमल पत्तियों को साग की तरह, पुरानी पत्तियों का काढ़ा बनाकर या पाउडर बनाकर उपयोग किया जा सकता है। फल तो सलाद में कच्चे और सब्जी बनाकर प्रयोग किये ही जाते हैं।

अब हमारे बहुत से मित्रों के मन मे यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या वाकई में कुंदरू खाने से बहरे हो जाते हैं या फिर जैसा कि इसके नाम मे छिपा हुआ है, कि इसे खाने से मंद बुद्धि हो जाते हैं। (कुंद= धीमा, कम सक्रिय + अरु= तेज, सूर्य समान, सक्रियता,दिमाग) या फिर (कुंद= धीमा, कम सक्रिय+ रूह= दिखाई देने वाले शरीर का न दिखाई देने वाला भाग / आत्मा/ मन/ दिमाग)।
क्या सही है और क्या गलत, आइये इसे विज्ञान और संस्कृति की कसौटी लर परखते हैं। पहले बात करते हैं कि क्या नाम से भी किसी के गुण को स्पष्ट किया जा सकता है? या नामों में गुणों का रहस्य होता है, तो मेरा जबाब है - हाँ। समाज और संस्कृति से लेकर विज्ञान सभी मे गुणों के आधार पर नाम रखने की परंपरा प्रारम्भ से लेकर आज तक है। आधुनिक वर्गिकी नामकरण में भी ऐसा ही होता है। अब चलिये एक बार मान लेते हैं कि शायद ऐसा न हो तो। तब उस समय ऐसा कहना उचित होगा कि इसकी लता से फलों को टूटने, बच्चो द्वारा खेल खेल में खा लेने या तथागत चोरी से बचने के लिये ये बातें प्रचलन में आई हो। लेकिन बिना विज्ञान का पक्ष जाने अभी कोई भी निष्कर्ष अधूरा ही रहेगा।
आधुनिक शोधों के अनुसार विज्ञान कहता है कि कुंदरू के पौधे में Aspartic acid, Glutamic Acid, Asparagine, Tyrosine, Histidine, Phenylalanine And Threonine Valine Arginine आदि लाये जाते हैं, इसी तरह इसकी जड़ों में starch, fatty acids, triterpenoid, resin, β-amyrin, carbonic acid, saponin coccinoside, alkaloids, flavonoid glycoside, taraxerol lupeol and β-sitosterol आदि रसायन पाये जाते हैं। इन्ही रसायनों के कारण इसकी medicinal property होती है। हम यहाँ 2 मुख्य भ्रान्ति विषयों पर इसकी चर्चा कर रहे हैं-

1) क्या इसे खाने से दिमाग कमजोर हो जाता है...?
इसमें पाये जाने वाले threonine का प्रयोग तनाव और चिंता कम करने वाली औषधि की तरह किया जाता है। तनाव कम करने वाली औषधियों का स्वभाव है कि वे दिमाग की सक्रियता को एक निर्धारित समय तक कम करके सुकून प्रदानं करती हैं। इसी तरह इसमें पाया जाने वाला Taraxarol का memory impairment एजेंट है जो दिमाग को शिथिल कर देता है।

2) क्या इसे खाने से बहरे हो जाते हैं...?
दिमाग के साथ नाक, कान और गले का सीधा संबंध होता है। यह दिमाग को मंद कर देने जैसे रसायनों से युक्त फल है अतः लगातार सेवन से यह परिवर्तन आ सकता है, किन्तु प्रयोगों के आधार पर इस बात के आज तक कोई प्रमाण नही हैं।

हाँ जाते जाते बता दूँ की छाले में आराम taraxacol के antimicrobial और anti inflamatory गुण के कारण लगता है। इसके साथ साथ valine एनर्जी लेवल बढ़कर, दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ाता है और छतिग्रस्त कोशिकाओं तथा मांसपेशियों को जल्द से जल्द रिपेयर करने में मदद करता है। तो कुंदरू की यह गणित कैसी लगी, झटपट बताइये...☺️

सामान्य नाम- #कुंदरू
अन्य नाम- #गोलिओ, तितोड़ी
Scientific name- / grandis
Eng. Name- Ivy guard scarlet gourd, tindora and kowai fruit.
Family-
चौरई, जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
ुंदरू

धन्यवाद 🙏
डॉ विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला- छिंदवाडा (म.प्र.)

सिर्फ 30 दिनों में लिंग पत्थर सा मजबूत, वीर्य मलाई सा गाढ़ा और सम्भोग शक्ति अनलिमिटेड आयुर्वेदिक  💊 से 👇 एक महीने तक दूध...
16/09/2025

सिर्फ 30 दिनों में लिंग पत्थर सा मजबूत, वीर्य मलाई सा गाढ़ा और सम्भोग शक्ति अनलिमिटेड आयुर्वेदिक 💊 से 👇 एक महीने तक दूध के साथ सेवन करने से लिंग पत्थर की तरह मजबूत बनाता हे घर बैठे ऑर्डर कर

क्या आप बचपन की ग़लतियों से है अब परेशान सुधारे अपनी गलतियाँ

👉नपुंसकता,
👉शीघ्रपतन,
👉स्वपनदोष ,
👉वीर्य की कमी ,
👉उत्तेजना की कमी को दूर करता है,
👉धात की समस्या को दूर करता है,
👉मर्दाना कमजोरी को दूर करता है
👉सेक्स टाइमिंग को बढ़ाता है
बचपन की गलतियों से आई कमजोरी को दूर करता है,
👉लिंग में तनाव न आने की
👉लड़की से बात करते ही पानी निकल जाता है

इन समस्या को दूर करता है जल्दी वीर्य निकले पर काबू पाए

*नपुंसकता, जल्दी निकल जाना, वीर्य का कम आना, बच्चे होने मे आ रहीं परेशानी का जड़ से समाधान अब घर बेठे पाए इन घरेलु नुस्खे से ग्रुप मे जुड़े और जाने क्या है इनका समाधान*

*हर भारतीय ग्रुप में शेयर करे*
*कर भला हो भला*

बूझो तो जाने😄ये थोड़ा मुश्किल हो सकता है!🤔ये पेट के लिए बहुत फ़ायदेमंद है👌। इसकी सुगंध बहुत अच्छी होती है,और एक मसाले से...
15/09/2025

बूझो तो जाने😄
ये थोड़ा मुश्किल हो सकता है!🤔
ये पेट के लिए बहुत फ़ायदेमंद है👌। इसकी सुगंध बहुत अच्छी होती है,
और एक मसाले से इसका नाम जाना जाता है क्योंकि इसका स्वाद
और सुगंध दोनों उस मसाले से मिलता है।💡Hint: Indian borage

बूझो तो जानें 🤔इसके अन्दर के बीजों को खीर में डालते हैं.. लड्डू में भी डालते हैं.. 😋यह dry fruit - 😋 प्रोटीन, विटामिन सी...
15/09/2025

बूझो तो जानें 🤔
इसके अन्दर के बीजों को खीर में डालते हैं.. लड्डू में भी डालते हैं.. 😋

यह dry fruit - 😋 प्रोटीन, विटामिन सी, बी, अमीनो एसि‍ड, स्टीएरिक एसि‍ड जैसे तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं

🫣🫣🫣😆😆😆😆😆🤔🤔🤔🤔
15/09/2025

🫣🫣🫣😆😆😆😆😆🤔🤔🤔🤔

प्राचीन भारतीय स्वास्थ्य युक्तियाँ? - संस्कृत में उद्धरण 1. अजीर्णे भोजनं विषमम्। यदि पहले लिया हुआ दोपहर का भोजन पच नही...
14/09/2025

प्राचीन भारतीय स्वास्थ्य युक्तियाँ?
- संस्कृत में उद्धरण

1. अजीर्णे भोजनं विषमम्।
यदि पहले लिया हुआ दोपहर का भोजन पच नहीं पाया तो रात्रि का भोजन करना जहर खाने के समान होगा। भूख एक संकेत है कि पिछला भोजन पच गया है

2. अर्धरोगरि निद्रा।
अच्छी नींद से आधी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं...

3 मुदगडाली गडव्याली।
सभी दालों में हरा चना सर्वोत्तम है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अन्य सभी दालों में कोई न कोई दुष्प्रभाव होता है।

4. भग्नास्थिसंधानकरो लशुनाः।
टूटी हड्डियां भी जोड़ता है लहसुन...

5. अति सर्वत्र वर्जयेत्।
किसी भी चीज का अधिक मात्रा में सेवन, सिर्फ इसलिए कि उसका स्वाद अच्छा है, स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। संयत रहें.

6. नास्ति मूलमनोषधम्।
ऐसी कोई भी सब्जी नहीं है जिसका शरीर पर कोई औषधीय लाभ न हो।

7. न वैद्यः प्रभुरायुषः।
कोई भी डॉक्टर दीर्घायु देने में सक्षम नहीं है। (डॉक्टरों की सीमाएँ हैं।)

8. चिंता व्याधि प्रकाशाय।
चिंता से अस्वस्थता बढ़ती है..

9. व्यायामश्च शनैः शनैः।
कोई भी एक्सरसाइज धीरे-धीरे करें।
(शीघ्र व्यायाम अच्छा नहीं है।)

10. अजवत् चर्वणं ​​कुर्यात्।
अपने भोजन को बकरी की तरह चबाएं।
(कभी भी जल्दबाजी में खाना न निगलें।
लार सबसे पहले पाचन में सहायता करती है।)

11।
स्नानं नाम मनःप्रसाधनकरं दुःस्वप्न-विध्वंसनम्।
नहाने से डिप्रेशन दूर होता है.
यह बुरे सपनों को दूर भगाता है.

12. न स्नानमाचरेद् भुक्त्वा।।12।।
खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी नहाना नहीं चाहिए। (पाचन क्रिया प्रभावित होती है)।

नास्ति मेघसमं तोयम् ।।13।।
शुद्धता में कोई भी पानी वर्षा जल से मेल नहीं खाता..

14. अजीर्णे भेषजं वारि।।14।।
बदहजमी होने पर सादा पानी का सेवन औषधि की तरह काम करता है।

15. सर्वत्र नूतनं शास्तां, सेवकान्ने पुरातने।।15।।
हमेशा ताजी चीजों को प्राथमिकता दें..
जबकि चावल और नौकर पुराने होने पर ही अच्छे होते हैं।

16. नित्यं सर्व रस भक्ष्यः।।
ऐसा भोजन करें जिसमें सभी छह स्वाद हों।
(अर्थात: नमक, मीठा, कड़वा, खट्टा, कसैला और तीखा)।

17. जठरं पुरायेदार्धम् अन्नैर्, भागं जलेन च।
वयोः परावर्तनार्थाय चतुर्थमवशेषयेत्।।
अपना आधा पेट ठोस पदार्थों से भरें,
(एक चौथाई पानी सहित और बाकी खाली छोड़ दें।)

18.
भुक्त्वा शतपथं गच्छेद् यदिच्छेत् चिरजीवितम्।
भोजन करने के बाद कभी भी खाली न बैठें।
कम से कम आधा घंटा टहलें।

19) क्षुतसाधुतां जानयति।
भूख खाने का स्वाद बढ़ा देती है..
दूसरे शब्दों में, भूख लगने पर ही भोजन करें..

20. चिंता जरा नाम मनुष्यानाम्।।20।
चिंता करने से बढ़ती है उम्र बढ़ने की गति...

21.
शतं विहाय भोक्तव्यं, सहस्रं स्नानमाचरेत्।
जब खाने का समय हो तो 100 काम भी किनारे रख दें.

22. सर्वधर्मेषु मध्यमम्।
हमेशा बीच का रास्ता चुनें. किसी भी चीज़ में अति करने से बचें
🌹

हमारे ऋषियों द्वारा ज्ञान के सुनहरे शब्द...🌹

 #सूर्यनमस्कारजब हमारे पास फिटनेस के लिए बहुत कम समय है, तब हम क्‍या कर सकते हैं? यह बड़ा सवाल है। घबराएं नहीं, इसका जवा...
14/09/2025

#सूर्यनमस्कार
जब हमारे पास फिटनेस के लिए बहुत कम समय है, तब हम क्‍या कर सकते हैं? यह बड़ा सवाल है। घबराएं नहीं, इसका जवाब है सूर्य नमस्कार। यह एक योगासन है जो आपके पूरे शरीर को लक्षित करता है और फिट रहने में आपकी मदद करता है।
सूर्यनमस्कार सिर से लेकर पैर तक, कई अंगों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, यह संपूर्ण शारीरिक प्रणाली के लिए एक व्यापक कसरत है जिसे बिना किसी उपकरण के किया जा सकता है। दरअसल, हमारे शरीर में सौर जाल होता है जो कि पेट के गड्ढे में स्थित विकिरण तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क है और सूर्य से जुड़ा हुआ माना जाता है। नतीजतन, लगातार सूर्य नमस्कार अभ्यास सौर जाल के आकार को बढ़ाता है, जो रचनात्मकता, अंतर्ज्ञान, आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व में सुधार करता है।
शोध बताते हैं कि सूर्य नमस्कार का प्रत्येक राउंड 13.90 कैलोरी बर्न करता है। आदर्श रूप से इसे 12 रिपीटेशन में करना चाहिए। बेशक, इसकी धीरे-धीरे शुरुआत करें और फिर 12 सूर्य नमस्कार तक जाएं, जो आपको 416 कैलोरी बर्न करने में मदद करेंगे। साथ ही, प्रत्येक राउंड में केवल 3.5 से 4 मिनट लगते हैं। इसलिए हर दिन एक घंटे का अभ्यास करें। निश्चित ही आपको इसके बहुत अच्छे परिणाम दिखाई देंगे

 #बथुआ साग नहीं, अपितु एक श्रेष्ठ औषधि हैसागों का सरदार है बथुआ,सबसे अच्छा आहार है बथुआ।बथुआ को अंग्रेजी में Lamb's Quar...
14/09/2025

#बथुआ साग नहीं, अपितु एक श्रेष्ठ औषधि है

सागों का सरदार है बथुआ,सबसे अच्छा आहार है बथुआ।
बथुआ को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहते हैं।
इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।

साग और रायता बना कर बथुआ अनादि काल से खाया जाता रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए पलस्तर में बथुआ मिलाते थे?

हमारी बुजुर्ग महिलायें सिर से ढेरे व फाँस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुए के पानी से बाल धोया करती थीं।

बथुआ गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो हमारा भारत महान है।

*बथुए में क्या-क्या है ?*
मतलब कौन-कौन से विटामिन और मिनरल्स हैं ?
तो सुनें,बथुए में क्या है।
बथुआ विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और C से भरपूर है तथा बथुए में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं।

100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं।
कुल मिलाकर 43 Kcal होती है।

जब बथुआ मट्ठा, लस्सी या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है। साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली हो तो इसे खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डाक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली खाने की सलाह देते हैं। गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली बताई जाती है। बथुए में ये सब कुछ है।
कहने का तात्पर्य है कि बथुआ पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है !

बथुआ का साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ अमाशय को बलवान बनाता है,गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।

बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है,यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाए। बथुए का उबला हुआ पानी अच्छा लगता है। तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है।

किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें।
बथुए में जिंक होता है जो कि शुक्रवर्धक होता है। बथुआ कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी। कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुये का साग मिलता रहे नित्य इसकी सब्जी खाए।

बथुये का रस,उबाला हुआ पानी पियें तो यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है। पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिए तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें,आधा रहने पर छानकर पी जाए, तुरंत लाभ होगा। आँखों में सूजन,लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ। पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास,दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकाल कर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू , जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक डाल लें और पी जाए।

आप ने अपने दादा-दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुआ ही है।
मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुआ काम आता है।
हाँ अगर सिर के बाल धोते हैं,क्या करेंगे शेम्पू
इसके आगे......
लेकिन अफसोस !

हम ये बातें भूलते जा रहे हैं और इस दिव्य पौधे को नष्ट करने के लिए अपने-अपने खेतों में रासायनिक जहर डालते हैं। तथाकथित कृषि वैज्ञानिकों (अंग्रेज व काले अंग्रेज) ने बथुए को भी कोंधरा, चौलाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों को खरपतवार की श्रेणी में डाल दियाl

Address

Near New Bus Stand Narwana
Narwana

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm

Telephone

+918708552233

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Bagwan Dhanvantari Ayurveda posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Bagwan Dhanvantari Ayurveda:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram