Annant Dhyan

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02/12/2025

तारीफ कोई हल्की चीज़ नहीं—ये इंसान की सबसे गहरी भूख है।
हमारे भीतर का ईश्वर तत्व प्रशंसा चाहता है, छिपाता नहीं।
इसीलिए लोग अपने दुख भी बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं—सिर्फ सहानुभूति नहीं, अप्रीशिएशन चाहिए।
हर आरती, हर भजन में भी इंसान भगवान की तारीफ करता है, जिसे देखा भी नहीं।
क्योंकि मूल सत्य साफ है—तुम साधारण नहीं, तुम असाधारण हो।
और असाधारण व्यक्ति प्रशंसा को छिपाता नहीं, स्वीकार करता है।

30/11/2025

वरमाला का मतलब था—“जैसे हो, वैसे ही स्वीकार।”
जयमाला का मतलब था—“तुमने स्वीकार किया, अब मैं सम्मान और प्यार से तुम्हें जीतूँगा।”
दुर्भाग्य ये है कि लोग रस्में रखते हैं, अर्थ खो देते हैं…
और पूरी शादी उसी दिन गलत दिशा में चली जाती है।









28/11/2025

आज के समय इतने तलाक (Divorce) क्यों हो रहे है

17/11/2025

सब लोग पूछते हैं — सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन है?

सीधी बात:
वैदिक परंपरा में सर्वोच्च है आपका गुरुमंत्र।
सभी मंत्रों में श्रेष्ठ है — गायत्री मंत्र।
और आधुनिक योगिक मार्ग में सबसे प्रभावी मंत्र है — “I AM”.

आप जो बनना चाहते हैं,
उसे ‘I AM’ के साथ जोड़कर रोज़ दोहराएँ।
“I AM धनवान”
“I AM शक्तिशाली”
“I AM शांत”
“I AM सफल”

मंत्र वही काम करता है जिसे आप जीवन में उतार दें।
Annant Dhyan Foundation:

02/11/2025

"क्यों कहा गया कि स्त्रियाँ यज्ञ नहीं कर सकतीं?
क्या ये सच में शास्त्रों का विधान था — या समाज की बनाई हुई सीमा?
वैदिक युग में गर्गी, मैत्रेयी, लोपामुद्रा जैसी विदुषियाँ वेदों का पाठ करती थीं, यज्ञ कराती थीं, मंत्रों का उच्चारण करती थीं।
पर समय के साथ पुरुषवादी व्याख्याओं ने उस सत्य को ढँक दिया।
सत्य ये है — बिना स्त्री के यज्ञ अधूरा है, क्योंकि स्त्री ही प्रकृति की वह चेतना है जो यज्ञ को पूर्णता देती है।
हाँ, कुछ समय ऐसे होते हैं जब शरीर को विश्राम चाहिए — पर वो “मनाही” नहीं, “सम्मान” है।
अब समय है उस भूले हुए सत्य को फिर से जानने का।
स्त्रियाँ न केवल यज्ञ कर सकती हैं — बल्कि उनके बिना यज्ञ की आत्मा अधूरी रहती है।"
लोगों ने नियम बनाए, शास्त्रों ने नहीं।
यज्ञ की अग्नि तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक उसमें स्त्री की ऊर्जा सम्मिलित न हो।
वो केवल “सहयोगी” नहीं, “सह-यजमान” है।
वो मंत्रों की ध्वनि नहीं, स्वयं वह शक्ति है जिससे मंत्र सिद्ध होते हैं।

✨ सत्य यही है —

“जहाँ स्त्री का सम्मान है, वहीं देवता निवास करते हैं।”

30/10/2025
30/10/2025

कई लोग रात को मंत्र चला कर सो जाते हैं…
उन्हें लगता है कि इससे मन को शांति मिलेगी —
पर असल में ऐसा नहीं होता।
जब आप सोने जा रहे होते हैं, तो आपके मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम चाहिए होता है,
ना कि कोई ध्वनि, ना कोई विचार।
और जब आप मोबाइल से मंत्र सुनते हैं,
तो मंत्र की तरंगें नहीं — मोबाइल का रेडिएशन आपके मस्तिष्क तक पहुँचता है।
आपका मन सोचता है — “मैं साधना कर रहा हूँ,”
पर शरीर और चेतना भ्रम में फँस जाते हैं।
मंत्र सुनने की चीज़ नहीं, महसूस करने की प्रक्रिया है।
और ये तभी संभव है जब आप जाग्रत अवस्था में, पूर्ण उपस्थिति से सुनें।

🌿 रात को सबसे पवित्र मंत्र है — आपकी श्वास।
धीरे-धीरे सांस लीजिए, उसे महसूस कीजिए,
वहीं परमात्मा से आपका सीधा संबंध है।

क्योंकि ध्यान का अर्थ है — संपर्क,
ना कि डिस्ट्रैक्शन।
जहाँ मोबाइल सिरहाने है, वहाँ मन कभी शांत नहीं होगा।
और जहाँ श्वास का अनुभव है — वहीं दिव्यता है। 🕉️

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28/10/2025

कई बार हम सोचते हैं कि हमारे घर में नकारात्मक ऊर्जा है…
पर सच तो यह है कि घर वैसा ही बनता है जैसा हमारा मन होता है।
जब भीतर अशांति होती है तो बाहर अव्यवस्था दिखती है।
और जब हम भीतर से सुलझ जाते हैं, तो बाहर का हर कोना सुंदर हो जाता है।

वास्तु दोष सिर्फ दिशाओं का नहीं होता —
यह हमारे विचारों, आदतों और जीवन के अनुशासन का भी होता है।
जब घर में चीज़ें बिखरी होती हैं, तो वह संकेत है कि हम भीतर से भी बिखरे हैं।
थोड़ा रुकिए… अपने मन को व्यवस्थित कीजिए,
फिर देखिए, घर अपने आप चमक उठेगा ✨

🪔 यज्ञ सिर्फ अग्नि नहीं — यह अनुशासन, शुद्धि और ऊर्जा का प्रतीक है।
जैसे हम बाहर सफाई करते हैं, वैसे ही मन की सफाई भी ज़रूरी है।
क्योंकि जहाँ संतुलन है, वहीं परमात्मा का वास है। 🙏

12/10/2025

सच्चाई से चलना हमेशा आसान नहीं होता,
पर वही रास्ता आपको “व्यक्ति” से “व्यक्तित्व” बनाता है।

जब मन स्वार्थ छोड़ता है, तब आत्मा का उत्थान होता है।

🧘 ध्यान वो ऊर्जा है जो भीतर और बाहर दोनों का भला करती है।

🌺 आज कुछ पल स्वयं के लिए निकालिए,
ध्यान कीजिए — क्योंकि जब आप भीतर बदलते हैं,
तब संसार अपने आप बदल जाता है।

08/10/2025

ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली मंत्र क्या है? वह मंत्र जिसे आप दिनभर दोहराते हैं—आपके अपने शब्द! जो शब्द आप बोलते हैं, वही आपका जीवन बनाते हैं। अगर आप कहते हैं, "मैं बीमार हूँ," तो बीमार हो जाते हैं। अगर कहते हैं, "मैं योगी हूँ," तो योग का मार्ग प्रशस्त होता है।

आपके शब्द आपकी दुनिया गढ़ते हैं। इसलिए, अपने शब्दों के प्रति सचेत रहें, सकारात्मकता को अपनाएँ, और अपने जीवन को नई दिशा दें।

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