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स्वस्थ्य जीवन की पुकार – अपनाएं हर्बल उपचार (Herbal Upchar)

आजकल की भाग दौड़ भरी व्यस्त लाइफ (busy life) में बीमारियाँ हमारे जीवन का एक हिस्सा सा बन गयी हैं. इस समस्या के लिए हमारे गलत खान-पान (poor eating habits), दिनचर्या (daily routine) और ख़राब जीवनशैली (bad lifestyle) को कहीं हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है. इन सभी कारणों की वजह से सालों से चली आ रही लाइफस्टाइल बीमारियाँ (lifestyle diseases) तो हो ही जाती हैं, साथ ही नयी नयी बीमारियाँ भी जन्म ले रही हैं.

किसी भी बीमारी या स्वास्थय समस्या के लिए हम सभी एलोपैथिक इलाज़ (Allopathy) का सहारा लेते हैं. या हम यह कह सकते हैं की यह इलाज़ ज्यादातर सभी की पहली पसंद होता है. एलोपैथिक इलाज़ कारगर तो होता है पर इस इलाज़ के अपने नेगेटिव पहलु (negative aspects) भी होते हैं. जैसे की इस इलाज़ से तुरंत आराम तो मिलता है पर इन दवाइयां का शरीर पर दुष्प्रभाव (side effects) भी पड़ता है. दरअसल इसकी मुख्य वजह यह की एलोपैथिक इलाज़ में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां केमिकल (chemical) से बनी होती हैं. साथ यह दवाइयां कई बार बीमारी की जड़ पर काम न करके केवल उपरी तौर पर काम करती हैं और मरीज़ को सिर्फ थोड़े समय के लिए और तुरंत आराम मिल जाता है पर बाद में समस्या फिर लौट आती है. एक नेगेटिव पहलु यह भी है की एलोपैथिक इलाज़ में दवाइयां शरीर के दूसरे अंगों पर भी कभी कभी दुस्प्रभाव डालती हैं.

ऐसे में एलोपैथिक इलाज़ का सही विकल्प है हर्बल उपचार (Herbal Upchar). इस उपचार में जड़ी-बूटियों (Herbs), पेड़-पौधों (Plants) और अन्य प्राकर्तिक चीज़ों (Natural Ingredients) का प्रयोग होता है. हर्बल उपचार में प्रयोग की जाने वाली औषधियां आर्टिफीसियल (artificial) तरीके से नहीं बनती हैं यानी केमिकल युक्त (chemical based) नहीं होती हैं. इस वजह से इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. साथ ही यह उपचार बीमारी की जड़ (root) पर काम करता है और मरीज़ को पूरा आराम प्रदान करता है.

पिछले कुछ सालों में हर्बल उपचारों की लोकप्रियता में खासी वृद्धि हुई है. लोग फिर से अपने सदियों पुराने हर्बल उपचारों की परंपरा को अपना रहे हैं.