16/10/2025
कांसे की थाली से मालिश (जिसे आयुर्वेद में कांस्य थाली मालिश / कांस्य अभ्यंग भी कहा जाता है) एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है। इसका उपयोग प्राचीन समय से होता आया है और आयुर्वेद के अनुसार कांसा (ब्रॉन्ज़) शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, ऊर्जा संतुलित करने और दर्द व तनाव कम करने में मदद करता है।
आइए अब आपके बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं 👇
कांसे की थाली से मालिश के फायदे
1. जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में लाभ
घुटनों का दर्द, एड़ी का दर्द और कमर के निचले हिस्से का दर्द कम करने में कांस्य मालिश उपयोगी है।
मालिश से रक्त संचार बढ़ता है, जिससे सूजन और अकड़न में राहत मिलती है।
2. पित्त और शरीर की गर्मी संतुलित करना
कांसा स्वभाव से ठंडा माना जाता है।
शरीर में बढ़ी हुई पित्त और गर्मी को शांत करता है।
इससे जलन, घबराहट और चिड़चिड़ापन कम होता है।
3. आंखों के स्वास्थ्य में लाभ
कांस्य थाली से पैरों के तलवों की मालिश करने से आंखों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं।
आंखों की रोशनी में सुधार हो सकता है और थकी हुई आंखों को आराम मिलता है।
आंखों के नीचे के काले घेरे और सूजन भी कम होते हैं।
4. शरीर को ठंडक और स्फूर्ति देना
यह मालिश शरीर की थकान को दूर करती है।
शरीर में ठंडक बढ़ाती है और मन को शांति देती है।
लंबे दिन के बाद इसे करने से गहरी नींद आने में मदद मिलती है।
5. सूजन और दर्द में राहत
पैरों की सूजन, तलुओं का दर्द और तलुओं की दरारों को कम करती है।
खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो लंबे समय तक खड़े रहते हैं।
6. रक्त प्रवाह और शुद्धि
कांस्य मालिश से रक्त का प्रवाह सुचारु होता है।
यह रक्त को शुद्ध करने में सहायक मानी जाती है।
इससे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है।
7. त्वचा और चेहरे पर लाभ
नियमित कांस्य मालिश चेहरे पर चमक लाती है।
मुंहासों और दाग-धब्बों को कम करने में मदद करती है।
8. मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी
मधुमेह से ग्रस्त लोगों में पैरों की संवेदना कम हो जाती है।
कांस्य थाली मालिश करने से नसों की कार्यक्षमता बनी रहती है और संवेदना की हानि को रोका जा सकता है।
9. मानसिक शांति और तनाव कम करना
यह मालिश मन को शांत करती है, तनाव और चिंता कम करती है।
चिड़चिड़ापन घटता है और नींद की समस्या में राहत मिलती है।
10. वात, पित्त और कफ का संतुलन
आयुर्वेद में कांस्य मालिश विशेष रूप से वात और पित्त दोष को संतुलित करने के लिए मानी जाती है।
यह शरीर की ऊर्जा को स्थिर रखती है।
उपयोग कैसे करें?
कांसे की थाली या कांसे के बर्तन के तल पर हल्का तेल (जैसे तिल का तेल, नारियल तेल, घी या सरसों का तेल) लगाकर मालिश की जाती है।
खासतौर पर पैरों के तलवे, हथेलियाँ, चेहरा और पीठ पर किया जाता है।
हल्के दबाव से गोलाकार गति में मालिश करनी चाहिए।
किन्हें करना चाहिए?
सभी उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं।
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