Homoeopathic & Ayurvedic Lifecare Treatment

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ab apko koi bhi problem nahi hogi..homoeopathic medicine se apki body ki sari taklif dur hogi vo bhi bina koi side effects ke.bataiye apko kya problem hai ?

14/09/2024

10 बेस्ट इनडोर प्लांट जिन्हें हम घर में बहुत आसानी से लगा सकते हैं।

1. मनीप्लांट (Pothos):- इस पौधे को वास्तुशास्त्र में धन एवं समृद्धि लाने वाला पौधा माना जाता हैं। यह मिट्टी और पानी दोनों में ही बहुत आसानी से ग्रो हो जाता हैं। मनीप्लांट को अगर घर के अंदर लगा रखा हैं तो खिड़की या दरवाजों के पास रखे। मनीप्लांट को पानी देने से पहले मिट्टी की जांच करें, मिट्टी सूखने पर ही पानी दें। ज्यादा पानी देने से जड़ें गल सकती हैं और पौधा सूख सकता हैं। मनी प्लांट को हरा-भरा रखने के लिए हर 2-3 महीने में एक-दो मुट्ठी वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद जरूर डालें। मनीप्लांट की पत्तियां अगर पीली पड़ रही हैं या गिर रही हैं, तो इसका मतलब हैं कि उसे नमी की जरूरत हैं। मनीप्लांट की पत्तियां अगर मुड़ रही हैं, तो यह कीट या फंगस या बीमारी की वजह से हो सकता हैं इससे बचाव के लिए नीम-ऑयल या फंगीसाइड का इस्तेमाल करें। मनीप्लांट को दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता हैं।

2. एरिका पॉम (Areca palm):- यह घरों में सबसे ज्यादा लगाये जाने वाला पौधा हैं। इसे इनडोर-आउडडोर दोनों जगह लगा सकते हैं। इस प्लांट को ऐसे जगह लगाएं जहां 4-5 घंटे की इनडायरेक्ट सनलाइट मिले। अगर घर के अंदर लगा रखा हैं तो खिड़की-दरवाजों, बालकनी या सीढियों के पास रखें जहां हल्की-फुल्की सनलाइट मिलती रहें। एरिका पाॅम को कभी भी तेज धूप वाली जगह पर ना लगाएं, तेज धूप से इसकी पत्तियाँ जलकर पीली हो जाती हैं और पौधा खराब हो जाता हैं। एरिका पाम को अच्छी जल-निकासी वाली मिट्टी में लगाएं। 2-3 महीने में एक बार वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद जरूर डाले। इसके साथ 1 चम्मच एप्सम सॉल्ट को 2 लीटर पानी में मिलाकर पौधे पर स्प्रे करने से इस पत्तियाँ हमेशा हरी-भरी रहती हैं।

3. रबर प्लांट (Rubber plant):- यह एक बेस्ट इनडोर प्लांट हैं। यह हवा में मौजूद हानिकारक गैसों को सोख लेता हैं और बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता हैं। इस प्लांट को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती हैं। यह बिना पानी के कई दिनों तक बहुत आसानी से सर्वाइव कर लेता हैं। इसे इनडोर और सेमी-शेड वाली जगह पर रख सकते हैं, लेकिन सीधी धूप से पौधे को बचा के रखें। लो-मेंटेनेंस और बेस्ट एयर प्यूरीफायर प्लांट होने के कारण इसे ज्यादातर घर के अंदर लिविंग रूम, हाॅल आदि जगहों पर बहुत आसानी से रखा जा सकता हैं।

4. सिंगोनियम (Syngonium):- यह भी एक बेस्ट इनडोर प्लांट हैं। यह बहुत सारे कलर और वैरायटी में आते हैं। सिंगोनियम को सीधी धूप से बचाएं, इससे पत्तियां झुलस सकती हैं। सिंगोनियम प्लांट को हल्की नम मिट्टी पसंद हैं। पानी देने से पहले मिट्टी के ऊपरी भाग को सूखने दें। सर्दियों में इसे बहुत कम पानी दें। सिंगोनियम प्लांट को कटिंग से लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत या बरसात का महीना हैं। हर 1-2 महीने पर पौधे में पत्तियों की खाद या गोबर की खाद जरूर दें।

5. लकी बम्बू (Lucky Bamboo):- वास्तुशास्त्र में इस पौधे का बहुत महत्व हैं। यह मिट्टी और पानी में बहुत आसानी से ग्रो हो जाता हैं। इस प्लांट को घर के अन्दर लगा रखा हैं तो खिड़की या दरवाजों के पास रखें, जहां इनडायरेक्ट सनलाइट और हवा मिल सके। अगर लकी बम्बू को पानी में लगा रखा हैं, तो पानी को हर 5 से 7 दिन पर बदलते रहे। लकी बम्बू को फिल्टर का पानी, बारिश का पानी या बोतलबंद पानी दें, इसमें क्लोरीन या फ्लोराइड जैसे रसायन नहीं होने चाहिए, जिससे पौधे हरा-भरा बना रहता हैं। अगर घर में एक्‍वेरियम प्‍लांट फूड मौजूद हैं तो इस प्लांट में जरूर डालें। पौधे को सपोर्ट के लिए चिकने पत्थरों को भी डाल सकते हैं। लकी बम्बू को हमेशा कांच के कंटेनर में रखें।

6. जी जी प्लांट ( ZZ plant):- अगर आपके घर में बहुत कम धूप आती हैं और आप पौधा लगाना चाहते हैं तो ZZ प्लांट को जरूर लगाये। यह प्लांट कम रोशनी में भी अच्छे से ग्रो करता हैं। इस प्लांट को बहुत कम पानी की जरूरत होती हैं। लो-मेंटेनेंस प्लांट होने के कारण इसे आप घर के अंदर बेडरूम में भी रख सकते हैं।

7. डाइफेनबैचिया (Dieffenbachia ):- इस प्लांट को ज्यादा धूप या प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती हैं। तेज धूप से इसकी पत्तियाँ जला सकती हैं। डाइफेनबैचिया को हल्की नमी पसंद होती हैं, लेकिन ज्यादा पानी देने से इसकी जड़े सड़ सकती हैं। डाइफेनबैचिया को अच्छी जल-निकासी वाली मिट्टी में लगाएं। इसकी पीली पत्तियों को समय-समय पर काटकर हटाते रहें। डाइफेनबैचिया की बड़ी पत्तियों पर धूल और कण आसानी से जमा हो जाते हैं, उन्हें हर महीने नम कपड़े से पोंछकर साफ करते रहें।

8. एलोवेरा/ घृतकुमारी (Aloe vera):- यह एक औषधीय गुणों वाला पौधा हैं, इसका उपयोग पेट की बीमारी और स्कीन केयर में किया जाता हैं। इस पौधे को ज्यादा धूप या पानी की आवश्यकता नहीं होती हैं। एलोवेरा के पौधे में पानी तभी डाले, जब इसके गमले की मिट्टी सूखी दिखे। इनता ही नहीं अगर आप एलोवेरा में ज्यादा पानी डालते हैं, तो पौधा खराब भी हो सकता हैं। इस प्लांट में नीचे से जो छोटे-छोटे पौधे निकलते रहते हैं, उनको अलग करके दूसरे गमलों में लगा दें। एक गमले में 2-3 पौधे से ज्यादा नहीं रखें। इससे एलोवेरा की ग्रोथ अच्छी होगी और पत्ते बड़े और लंबे बनते हैं।

9. एग्लोनिमा (Aglaonema):- यह नासा अप्रूव्ड बेस्ट एयर प्यूरीफायर प्लांट में से एक हैं। इसकी पत्तियां देखने में काफी खूबसूरत होती हैं, एग्लोनिमा प्लांट को समान रूप से हल्की नम मिट्टी पसंद हैं। इस पौधे को इनडायरेक्ट सनलाइट में रखें, सीधी तेज धूप में रहने से पत्तियां झुलस सकती हैं। एग्लोनिमा प्लांट को पानी देने से पहले मिट्टी की नमी की जांच करें, मिट्टी के सूख जाने पर ही पौधे को पानी दें। अधिक पानी देने से इसकी जड़े सड़ सकती हैं। एग्लोनिमा प्लांट को अच्छी जल-निकासी वाली मिट्टी में लगाए। मिट्टी में रेत(बालू) या परलाइट मिलाने से जल निकासी क्षमता बढ़ जाती हैं। एग्लोनिमा प्लांट को एसी वाले कमरे में बिल्कुल भी ना रखें। ठंडी हवा से पौधे को झटका लग सकता हैं और वह मर भी सकता हैं। अगर एग्लोनिमा प्लांट के पत्ते भूरे रंग के हो रहे हैं, तो इसकी वजह अधिक पानी, कम पानी, कीटों का संक्रमण, बीमारी या पर्यावरणीय तनाव हो सकता हैं।

10. स्नेक प्लांट (Sansevieria):- यह प्लांट देखने में सांप जैसा लगता हैं। इस पौधे को आप घर के बाहर या घर के अंदर कही भी लगा सकते हैं। इन्हें न ज्यादा धूप की जरूरत होती हैं और न ही ज्यादा पानी की। यह बिना पानी के कई हफ्तों तक सर्वाइव कर लेते हैं। बेहद कम मेंटेनेंस वाला यह पौधा आपके कमरे की हवा को भी शुद्ध करता हैं।

21/05/2024

*🌤लू लगने से मृत्यु क्यों होती है ? हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?*
👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है ।
👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है ।
👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है (बंद कर देता है )।
👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है ।
👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है।
👉 स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है ।
👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है ।
👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-2 पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए ।

*Equinox Phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा। ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है। हीट वेव कोई मजाक नही है । एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है। जनहित में इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित कर अपना और अपने जानकार लोगों का भला करें।*

👉12 से 3 बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें ।
👉 तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा ।
👉 यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा ।
👉 स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें ।
👉 किसी भी अवस्था में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पियें । किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम2.5 से 3.5लीटर पानी जरूर लें ।
👉 जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें । किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है ।
👉 ठंडे पानी से नहाएं । इन दिनों मांस का प्रयोग छोड़ दें या कम से कम करें ।
👉 फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
👉 शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।
👉 अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

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