Maharshi Gautam Jyotish & Vastu Anusandhan Sansthan

Maharshi Gautam Jyotish & Vastu Anusandhan Sansthan MAHARSHI GAUTAM JYOTISH & VASTU ANUSANDHAN SANSTHAN (RESEARCH ON ASTROLOGY & VASTU)®,BHOPAL

"मर्यादा की डोर"सुबह का समय था, कॉलेज का गेट खुल चुका था और छात्र-छात्राओं की भीड़ अंदर जा रही थी। प्रत्येक दिन की तरह आ...
24/11/2025

"मर्यादा की डोर"
सुबह का समय था, कॉलेज का गेट खुल चुका था और छात्र-छात्राओं की भीड़ अंदर जा रही थी।
प्रत्येक दिन की तरह आज भी प्रोफेसर संजय गौतम अपनी कक्षा की ओर बढ़ रहे थे, रास्ते में उनकी नज़र कुछ विद्यार्थियों पर पड़ी — कुछ लड़के मॉडर्न फैशन के कपड़ों में, और कुछ लड़कियाँ भी अत्यधिक खुले वस्त्रों में थीं।
गौतम जी के मन में सवाल उठा ??
“क्या यही हमारी नई पीढ़ी की आधुनिकता है?”
वह कक्षा में पहुँचे, पढ़ाई शुरू करने से पहले उन्होंने बोर्ड पर लिखा —
“स्वतंत्रता और मर्यादा”
कक्षा में सन्नाटा छा गया।
सभी छात्र सोचने लगे कि आज शायद कोई खास चर्चा होने वाली है।
गौतम जी ने पूछा, “बच्चो, बताओ —
"स्वतंत्रता का अर्थ क्या है?”
एक छात्र बोला,
“सर, अपनी मर्ज़ी से कुछ भी करना।”
दूसरा बोला,
“जहाँ किसी का हक़ न मारा जाए, वही असली स्वतंत्रता है।”
गौतम जी मुस्कुराए,
“सही कहा।
लेकिन क्या स्वतंत्रता का मतलब यह भी है कि हम सड़क पर गाड़ी को 150 की स्पीड से गाड़ी दौड़ाएँ, क्योंकि वो हमारी मर्ज़ी है?”
सभी ने एक साथ कहा,
“नहीं सर, इससे हादसा हो सकता है।”
“ठीक कहा,” गौतम जी बोले, “अब बताओ, सार्वजनिक जीवन में जो भी काम हम करते हैं, क्या उसमें दूसरों की भावनाएँ और मर्यादाएँ नहीं जुड़ी होतीं?”
सभी चुप थे।
तभी एक लड़की बोली,
“सर, लेकिन कपड़े तो व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद हैं।”
गौतम जी ने गहरी साँस ली,
“हाँ, बिल्कुल।
जैसे भोजन भी व्यक्तिगत पसंद है। लेकिन जब हम परिवार के साथ भोजन करते हैं,
तब सबकी रुचि का ध्यान रखते हैं न?
कोई तीखा नहीं खा सकता,
कोई मीठा पसंद नहीं करता।
समाज में भी हमें वही आचरण करना चाहिए,
हमारा आचरण सबके लिए सहज और मर्यादित हो।”
छात्रों के बीच कक्षा में गहरा सन्नाटा छा गया।
गौतम जी ने आगे कहा,
“हमारा समाज एक बड़ी सड़क जैसा है — जहाँ सड़क पर हर किसी को चलने का अधिकार है।
लेकिन अपनी- अपनी लेन में। कोई तेज़ चल दे तो टकराव होगा,
कोई नियम तोड़े तो दुर्घटना होगी।
यही बात जीवन पर भी लागू होती है।
"पुरुष हो या महिला, दोनों को मर्यादा की सीमा में ही रहकर चलना चाहिए।”
उन्होंने बोर्ड पर लिखा —
‘अधिक कसना भी गलत,
अधिक ढील छोड़ना भी गलत।’
“देखो बच्चों,” वह बोले,
जीवन "वीणा के तार" की तरह है। ज़्यादा कसो तार तो टूट जाएगा',
ढीला छोड़ो तो स्वर नहीं निकलेगा।
' संतुलन ही संगीत है',
' संतुलन ही संस्कार है'।
एक छात्र ने सवाल किया,
“सर, क्या इसका मतलब यह है कि हमें पुराने रीति- रिवाज ही अपनाने चाहिए?”
गौतम जी हँसे, नहीं,
इसका मतलब है कि हमें विवेक अपनाना चाहिए।
घूँघट और बुर्का जितना गलत है, उतना ही अर्धनग्नता का प्रदर्शन भी गलत है।
दोनों ही छोर पर संतुलन नहीं है। हमें न अति छिपना चाहिए,
न अति दिखना चाहिए।
भारतीय संस्कृति हमें यही सिखाती है —
"संयम में ही सौंदर्य है।”
कक्षा में हर छात्र अब मनन कर रहा था।
“हम जानवर नहीं हैं
कि जैसे चाहें वैसे चलें,
उन्होंने आगे कहा, “जानवरों के पास कपड़े नहीं,
लेकिन सभ्यता का अर्थ है
अपने व्यवहार को मर्यादा से बाँधना।
अगर खुलापन ही आधुनिकता है, तो सबसे आधुनिक तो जानवर हुए।
लेकिन हम इंसान हैं,
और हमें अपनी संस्कृति से जुड़कर ही आगे बढ़ना चाहिए।”
कक्षा का माहौल अब पूरी तरह गंभीर था।
कुछ छात्र जिनके विचार पहले अलग थे,
अब सोच में पड़ गए थे।
कक्षा के अंत में गौतम जी ने कहा —“सच्ची आधुनिकता कपड़ों से नहीं,
विचारों की पवित्रता से आती है। मर्यादा कोई बंधन नहीं,
बल्कि सुरक्षा की डोर है।
जैसे हेलमेट हमें बचाता है,
वैसे ही संस्कार जीवन को सुरक्षित रखते हैं।”
जब वे कक्षा से बाहर निकले,
तो छात्रों ने तालियाँ बजाईं।
कई लड़कियाँ और लड़के आपस में बात करने लगे कि सच में, फैशन और मर्यादा का संतुलन बनाना जरूरी है।
उस दिन के बाद कॉलेज में एक नया बदलाव देखने को मिला — कपड़ों की नहीं, सोच की दिशा में।
सीख: सच्ची स्वतंत्रता वही है
जो समाज और संस्कृति दोनों का सम्मान करे। मर्यादा का पालन किसी बंधन के कारण नहीं, बल्कि आत्म- सम्मान के कारण होना चाहिए।
आप भी समझें जी🙏✋✍️🌹✅🎈👆👆

कभी हिन्दी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुन्दर प्रयोग देखा है। आप भी अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय कह उठेंगे...   *यह कविता जि...
22/09/2025

कभी हिन्दी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुन्दर प्रयोग देखा है। आप भी अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय कह उठेंगे...

*यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है।*

"अ"चानक
"आ"कर मुझसे
"इ"ठलाता हुआ पंछी बोला
"ई"श्वर ने मानव को तो
"उ"त्तम ज्ञान-दान से तौला
"ऊ"पर हो तुम सब जीवों में
"ऋ"ष्य तुल्य अनमोल
"ए"क अकेली जात अनोखी
"ऐ"सी क्या मजबूरी तुमको
"ओ"ट रहे होंठों की शोख़ी
"औ"र सताकर कमज़ोरों को
"अं"ग तुम्हारा खिल जाता है
"अ:"तुम्हें क्या मिल जाता है.?
"क"हा मैंने- कि कहो
"ख"ग आज सम्पूर्ण
"ग"र्व से कि- हर अभाव में भी
"घ"र तुम्हारा बड़े मजे से
"च"ल रहा है
"छो"टी सी- टहनी के सिरे की
"ज"गह में, बिना किसी
"झ"गड़े के, ना ही किसी
"ट"कराव के पूरा कुनबा पल रहा है
"ठौ"र यहीं है उसमें
"डा"ली-डाली, पत्ते-पत्ते
"ढ"लता सूरज
"त"रावट देता है
"थ"कावट सारी, पूरे
"दि"वस की-तारों की लड़ियों से
"ध"न-धान्य की लिखावट लेता है
"ना"दान-नियति से अनजान अरे
"प्र"गतिशील मानव
"फ़"ल के चक्कर में
"ब"न बैठे हो असमर्थ
"भ"ला याद कहाँ तुम्हें
"म"नुष्यता का अर्थ.?
"य"ह जो थी, प्रभु की
"र"चना अनुपम...
"ला"लच लोभ के
"व"शीभूत होकर
"श"र्म-धर्म सब तजकर
"ष"ड्यंत्रों के खेतों में
"स"दा पाप-बीजों को बोकर
"हो"कर स्वयं से दूर
"क्ष"णभंगुर सुख में अटक चुके हो
"त्रा"स को आमंत्रित करते हुए
"ज्ञा"न-पथ से भटक चुके हो।

🎊🪴🎊

हरियाली तीज की शुभकामनाए आप सभी को ओर परिवार को जी।
27/07/2025

हरियाली तीज की शुभकामनाए आप सभी को ओर परिवार को जी।

07/06/2025
*निर्जला एकादशी महिमा : 07 जून 2025**🌹 निर्जला एकादशी व्रत कथा 👇🙏🌹**🌹युधिष्ठिर ने कहा : जनार्दन ! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक...
06/06/2025

*निर्जला एकादशी महिमा : 07 जून 2025*

*🌹 निर्जला एकादशी व्रत कथा 👇🙏🌹*

*🌹युधिष्ठिर ने कहा : जनार्दन ! ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी पड़ती हो, कृपया उसका वर्णन कीजिये ।*

*🌹भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! इसका वर्णन परम धर्मात्मा सत्यवतीनन्दन व्यासजी करेंगे, क्योंकि ये सम्पूर्ण शास्त्रों के तत्त्वज्ञ और वेद वेदांगों के पारंगत विद्वान हैं ।*

*🌹तब वेदव्यासजी कहने लगे : दोनों ही पक्षों की एकादशियों के दिन भोजन न करे । द्वादशी के दिन स्नान आदि से पवित्र हो फूलों से भगवान केशव की पूजा करे । फिर नित्य कर्म समाप्त होने के पश्चात् पहले ब्राह्मणों को भोजन देकर अन्त में स्वयं भोजन करे । राजन् ! जननाशौच और मरणाशौच में भी एकादशी को भोजन नहीं करना चाहिए ।*

*🌹यह सुनकर भीमसेन बोले : परम बुद्धिमान पितामह ! मेरी उत्तम बात सुनिये । राजा युधिष्ठिर, माता कुन्ती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव ये एकादशी को कभी भोजन नहीं करते तथा मुझसे भी हमेशा यही कहते हैं कि : ‘भीमसेन ! तुम भी एकादशी को न खाया करो…’ किन्तु मैं उन लोगों से यही कहता हूँ कि मुझसे भूख नहीं सही जायेगी ।*

*🌹भीमसेन की बात सुनकर व्यासजी ने कहा : यदि तुम्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति अभीष्ट है और नरक को दूषित समझते हो तो दोनों पक्षों की एकादशीयों के दिन भोजन न करना ।*

*🌹भीमसेन बोले : महाबुद्धिमान पितामह ! मैं आपके सामने सच्ची बात कहता हूँ । एक बार भोजन करके भी मुझसे व्रत नहीं किया जा सकता, फिर उपवास करके तो मैं रह ही कैसे सकता हूँ ? मेरे उदर में वृक नामक अग्नि सदा प्रज्वलित रहती है, अत: जब मैं बहुत अधिक खाता हूँ, तभी यह शांत होती है । इसलिए महामुने ! मैं वर्षभर में केवल एक ही उपवास कर सकता हूँ । जिससे स्वर्ग की प्राप्ति सुलभ हो तथा जिसके करने से मैं कल्याण का भागी हो सकूँ, ऐसा कोई एक व्रत निश्चय करके बताइये । मैं उसका यथोचित रुप से पालन करुँगा ।*

*🌹व्यासजी ने कहा : भीम ! ज्येष्ठ मास में सूर्य वृष राशि पर हो या मिथुन राशि पर, शुक्लपक्ष में जो एकादशी हो, उसका यत्नपूर्वक निर्जल व्रत करो । केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हो, उसको छोड़कर किसी प्रकार का जल विद्वान पुरुष मुख में न डाले, अन्यथा व्रत भंग हो जाता है । एकादशी को सूर्यौदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्यौदय तक मनुष्य जल का त्याग करे तो यह व्रत पूर्ण होता है ।*

*🌹व्रत खोलने की विधि : अगले दिन सूर्योदय के बाद सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए🌹*

*🌹 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🚩 🚩 🌹*

*भाई जी ! कम से कम 2 बार पढ़ना.*   तभी असली आनंद और सही बात          समझ में आएगी.   😊🤣          लोग दुकानों के बाहर    ...
30/05/2025

*भाई जी ! कम से कम 2 बार पढ़ना.*
तभी असली आनंद और सही बात
समझ में आएगी. 😊
🤣
लोग दुकानों के बाहर
टोटके के नींबू मिर्च लटकाते हैं.
अगले शनिवार को
नये नींबू मिर्च लटकाते हैं , और
पुराने सड़क पर फेंक देते हैं.

बचपन में कहावत सुनी थी कि
सड़क पर पड़े नींबू मिर्च को
कोई बच्चा कुचल देता है तो
उसे बाद में बदसूरत पत्नी मिलती है.

मेरे मन यह बात घर कर गयी.
मैं स्कूल आते जाते समय हमेशा
ऐसे नींबू मिर्च से बच कर चलता था.
नतीजा अच्छा रहा.
*घरवालों ने मुझे*
*खूबसूरत पत्नी दिला दी.*

शादी के कुछ वर्षों बाद
पत्नी को ये बात बताई , कि कैसे
मैं नींबू मिर्च वाले टोटकों से बचता रहा
और मुझे .... तुम मिल गयी.

पत्नी ने जवाब दिया ~
ये कहावत बचपन मैंने भी सुनी थी,
पर मैंने विश्वास नहीं किया.
कई बार नींबू मिर्च कुचल दिये.
*नतीजे में आप से शादी हो गयी.*
🤣

जब तक सबका मतलब हल है तब  तक  कीचड़  गंगा जल हैकिसको जग में क्या है मिलता   ये  तो बस कर्मो  का  फल है खुद  पर  इतना मत इ...
30/05/2025

जब तक सबका मतलब हल है
तब तक कीचड़ गंगा जल है

किसको जग में क्या है मिलता
ये तो बस कर्मो का फल है

खुद पर इतना मत इतराओ
सबका इक दिन आना कल है

अपनी अर्थी खुद ढोते हो
मान गये हम तुम में बल है

चाँद सितारे दोगे हमको
रहने भी दो ये तो छल है

हमसे दूर चले जाओगे
हम भी देखेंगे क्या हल है

देख हमें भर आईं हैं क्या
आँखों में क्यों इतना जल है

बात पुरानी लगती है वो
कल जो कहते थे तुम कल है

केवल इतनी बात समझ लो
मिलकर रहने में ही बल है ।

उसने कहा था कि मैं पानी की तरह हूँ — हर रूप में ढल जाऊँगा।मैंने यक़ीन कर लिया… और फिर उम्र भर पिघलती रही।कभी उसने मुझे स...
30/05/2025

उसने कहा था कि मैं पानी की तरह हूँ —
हर रूप में ढल जाऊँगा।
मैंने यक़ीन कर लिया…
और फिर उम्र भर पिघलती रही।
कभी उसने मुझे सुबह की पहली किरण समझा,
तो कभी शाम के धुँधलके में खो दिया।
कभी मेरी आँखों में इश्क़ तलाशा,
तो कभी उन्हीं आँखों को बेवफ़ा कह दिया।
मैंने उसके हर शब्द को मन्त्र माना,
हर ख़ामोशी को वचन।
और वो…
वो किसी दूसरे जन्म की कहानियों में मुझे भूल आई।
अब कोई आए तो क्या बताऊँ —
कि मैं टूटे वादों की समाधि हूँ,
या अधूरे प्यार का चरित्र?
या फिर एक ऐसा आदमी,
जो किसी के “थोड़े से झूठ” में
पूरी ज़िंदगी हार गयी।

*नमस्कार* 🙏🏻*27/5/2025 मंगलवार**आज शनि जयंती है**सुबह सबसे पहले थोड़े काले तिल स्नान के जल में डालकर उसी जल से स्नान कर ...
27/05/2025

*नमस्कार* 🙏🏻
*27/5/2025 मंगलवार*
*आज शनि जयंती है*
*सुबह सबसे पहले थोड़े काले तिल स्नान के जल में डालकर उसी जल से स्नान कर लीजिएगा*
*पश्चात शनि जन्य पीड़ा से मुक्ति हेतु निम्नलिखित उपायों में से कम से कम 3 उपाय अवश्य कीजियेगा*
*1) किसी मजदूर को नई चप्पल उपहार दीजिए*
*2) पीपल के वृक्ष की जड़ को जल से सींच कर 7 उल्टी परिक्रमा कीजिए*
*3) गरीबों को सवा किलो काली उड़द, सरसों तेल, पूड़ी सब्जी और गमछा दान कीजिए*
*4) हनुमान मंदिर में सुंदर काण्ड के 3 पाठ कीजिए*
*5) कल किसी भी छोटे, कमज़ोर वर्ग के व्यक्ति का पैसा देना बाकी हो तो तुरंत दे दीजिए*
*6) शनि मंदिर जाकर शनि देव की प्रतिमा पर सरसों तेल अर्पित कीजिए*
*7) कांसे के पात्र में सरसों तैल डालकर उसमें अपना मुख देखिए और पीपल वृक्ष की जड़ में अर्पित कर दीजिए*
*8) जलदार नारियल की एक आंख में छेद कर उसका पानी यथावत रहने दीजिए और उसमे शक्कर भर कर निर्जन स्थान में गाड़ दीजिए*
*9) शनि मंदिर जाकर शनि देव की प्रतिमा पर सरसों तेल अर्पित कीजिए और हनुमान चालीसा के 11 पाठ कीजिए*
*10) काली गाय को गुड़ रोटी खिलाइए*
*11) काली उड़द अथवा और काली उड़द की पकौड़ियां भिखारियों को दान कीजिए*
*12) हनुमान चालीसा के पाठ करें और किसी भी गरीब को मन ही मन ये कहते हुए पैसे दान करें कि मैं भैंसे का दान कर रहा हूं*
*13) एक कागज का दोना लीजिए उसमें शक्कर या गुड़ रखकर काले चींटों के पास रखिए,पश्चात चींटा जब खाने लगे तो दोने को अपने सर से 7 बार उतार कर वहीं जमीन पर रखकर घर आ जाइए*
*15) शिवलिंग की अर्घ्या के नीचे दाहिनी हथेली को लगाकर उंगलियां नीचे रखिए,हथेली की तरफ से बाएं हाथ से सरसों के तेल की धार को गिराइए, तेल की धारा आपकी मध्यमा उंगली से नीचे गिरनी चाहिए*
*शनि जयंती की बहुत बहुत शुभ कामनाएं*🙏🏻

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Bhopal
462023

Telephone

9754932010

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