13/05/2022
नौतपा...
मई माह के दूसरे व अंतिम सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कम हो जाती है. इससे धूप और तीखी हो जाती है. इन दिनों को "नौतपा" या नवतपा कहा जाता है.
नवतपा के संबंध में हमारे प्राचीन ज्योतिषीय मत के अनुसार कहा जाता है कि,
ज्येष्ठ मासे सीत पक्षे आर्द्रादि दशतारका।
सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा।।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक यदि बारिश हो तो वर्षा ऋतु में इन दसों नक्षत्रों में वर्षा नहीं होती, यदि इन्हीं नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पड़े तो वर्षा अच्छी होती है.
मई महीने के आखिरी दिनों में सूरज, धरती के बहुत करीब आ जाता है, जिससे भीषण गर्मी पड़ती है. इस दौरान धूप में बाहर निकलने से बचने के अलावा आपको खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए वरना बीमार होते जरा देर नहीं लगती..
नौतपा में आपका खानपान:
गर्मियों में आने वाले फलों में पानी की मात्रा काफी होती है, इसलिए इनका सेवन जरूर करें. तरबूज, खरबूज, खीरा आदि को नियमित रूप से खाने से शरीर में पानी के साथ खनिज-लवणों की भी पूर्ति होती है.
इन दिनों सामान्य खाना जैसे दाल, चावल, सब्जी, रोटी आदि खाना ठीक रहता है. तीखी गर्मी में भूख से थोड़ा कम खाना चाहिए. इससे आपका हाजमा भी ठीक रहेगा और फुर्ती भी बनी रहेगी. इसके साथ तली हुई चीजों को ज्यादा न खाएं, यह आपका हाजमा बिगाड़ सकते हैं. गर्मी के मौसम में तली और मसालेदार चीजें खाने की इच्छा ज्यादा होती है.लेकिन इस मौसम में इन चीजों से बचा जाना ही बेहतर होता है.
नौतपा की भीषण गर्मी में शरीर का अधिकांश पानी पसीने के रूप में निकल जाता है. इसलिए दिन में कम से कम 4-6 लीटर पानी जरूर पिएं. इन दिनों की भीषण गर्मी में नारियल पानी, छाछ और लस्सी पीने से भी जल का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है.
खाने में बहुत ज्यादा नमक भी न लें. नमकीन, मूंगफली, तले हुए पापड़-चिप्स और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ न ही खाएं तो बेहतर होगा.
नौतपा की भीषण गर्मी में गरिष्ठ भोजन और अत्यधिक ग्रेवी वाले व्यंजन भी न ही खाएं तो बेहतर है.वास्तव में इससे व्यक्ति को और अधिक पसीना आता है और पाचन की समस्याएं भी हो जाती हैं. जंक फूड जैसे बर्गर, पिज्जा आदि भी नौतपा में खाने से बचें.
चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थों से निश्चित रूप से इन दिनों परहेज करना चाहिए. कैफीन और अन्य पेय पदार्थ वास्तव में आपके शरीर में गर्मी बढ़ाने के साथ शरीर का निर्जलीकरण यानि डिहाइड्रेशन पैदा करते हैं.
सॉस भी खाने से बचें, दरअसल सॉस में तकरीबन 350 कैलोरी होती है, जो आपको सुस्त बना सकती है. कुछ सॉस में बहुत ज्यादा नमक और MSG (मोनोसोडियम ग्लूटामेंट) होता है, जो आपके लिए हानिकारक है. इसके बजाए गर्मी में पौष्टिक और प्राकृतिक भोजन के साथ छाछ, लस्सी, नींबू-पानी, शिकंजी और आम पना जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें.
नौतपा में ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और ये पानी आपकी बॉडी में ठहर सके इसके लिए आपको गर्मी में आने वाले फल जो आपकी बॉडी को ठंडक देने के साथ ही स्वास्थ्य लाभ दें उनका सेवन करना चाहिए. इन दिनों पारा 44 से 48+ डिग्री सेल्सियस है ये और बढ़ सकता है. ऐसे में बाहर का खाना खाने से भी डायरिया, पीलिया, चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसे अक्सर लोग लू समझ लेते हैं और इलाज नहीं लेते. नौ तपे में अन्य दिनों से ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है. खानपान और सावधानियां बरत के ही इस दौरान स्वस्थ रहा जा सकता है.
सामान्य व्यक्ति की बॉडी का तामपान 37.6 होता है. ऐसे में पानी का खास ध्यान रखना होता है. शरीर का पानी पसीने में बह जाता है. इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं. जब घर से बाहर निकलें तो पानी पीकर निकलें. जहां जा रहे हैं वहां जाने के बाद थोड़ी देर बाद फिर से पानी पिएं।
अगर आप एसी में रहते हैं तो डायरेक्ट एसी से धूप में न जाएं। एसी से निकलकर कुछ देर नॉर्मल तापमान में रहें फिर बाहर निकलें. धूप में जाने पर आंखों में चश्मा, चेहरे और कान को ढ़क कर रखें. बिना चश्मे के धूप में निकलने से कंजेक्टिव आईटिस हो सकता है. कान से गर्म हवा आपके शरीर में न पहुंचे. इससे चक्कर आना और उल्टी हो सकती है.
लगातार श्वास लेने से नाक ड्राय रहती है. इसमें भी डायरेक्ट गर्म हवा नहीं पहुंचना चाहिए. इससे नाक से ब्लड आ सकता है. नाक की ड्राईनेस के लिए आप देशी घी या सरसों का तेल अंगुली से अपने दोनों नथुनों में लगा सकते हैं.
डिहाइड्रेशन होने का मतलब सिर्फ हीट स्ट्रोक नहीं.. गर्मी में ऑइली फूड को नजरअंदाज करना चाहिए. ऐसा भोजन करने से प्यास अधिक लगती है और लोग इतना पानी नहीं पीते. इससे भी शरीर में पानी की कमी होती है.
फेरमेंटेशन (खमीर) भी एक लिमिट तक ही खाने में होना चाहिए. नौतपे में तापमान अधिक होने से फेरमेंटेशन भी निर्धारित मात्रा से अधिक हो जाता है. जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इससे उल्टी, लूज मोशन हो सकते हैं.
जहाँ तक हो सके बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए. गर्मी में खाना जल्दी खराब होता है. जिससे ज्वॉइन्डिस, डायरिया, टायफाइड आदि होता है और लोग इसे लू समझते हैं. पानी के साथ ही अन्य पेय पदार्थ जैसे नारियल पानी, छाछ, बेल का शर्बत, लस्सी भी लेना चाहिए. ये शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते.
ऐसे मौसम में सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए. सत्तू घोलकर पीना चाहिए. इससे पोषण के साथ ही हाइड्रेशन भी मिलता है.
अधिक तामपान में बाहर निकलना है हानिकारक... नौ तपे में तामपान और अधिक हो जाता है. इसमें व्यक्ति को खास ध्यान रखना चाहिए. यदि जरूरी न हो घर से बाहर न निकलें. घर से निकलते वक्त पानी पीकर निकलें. शरीर का तामपान 37.6 डिग्री होता है. धूप में अधिक तामपान में बॉडी डिहाइड्रेट होती है. इसलिए पानी की कमी न होने से जितना पानी पी सकते हैं पिएं। मौसमी फलों का सेवन करें। बचाव ही स्वस्थ रहने का तरीका है.
सुपाच्य भोजन का करें सेवन.. गर्मी में ऐसे भोजन का सेवन करें जो आसानी से पच जाएं. ज्यादा तेल मसाले वाले भोजन के सेवन से बचें. बाहर का खाने से आंतों में इंफेक्शन हो सकता है. सत्तू, छाछ, नारियल पानी का सेवन करें. ये आपके शरीर में पानी की कमी पूरी करते हैं. खमीर वाले खाने को इस मौसम में नजरअंदाज करें. यदि इसे खाना ही हैं तो घर पर ही कुछ देर में ही खमीर उठते ही उसे पका लें. ये नुकसान नहीं करेगा.
आपकी सावधानी से ही दूर रहेगी गर्मी की परेशानी..👍