Patanjali Holistic

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22/03/2016

ब्लैक हेड्स और व्हाईट हेड्स में सौ-फीसदी कारगर हैं ये आयुर्वेदिक उपाय
चेहरे पर ब्लैक हेड्स होना एक आम समस्या है।
दरअसल युवाअवस्था में ब्लैक हेड्स होने की एक
वजह हार्मोनल डिसऑर्डर भी होता है।
हारमोंस का बैलेंस बिगडऩे से ऑयल ग्लैंड्स
ज्यादा ऑयल रिलीज करने लगते है, जिसकी वजह
से पोर डिवेलप हो जाते हैं। यही ब्लैक हेड्स होने
की वजह बनते हैं
– चावल का आंटा,जौ का आंटा दरदरा पीस कर
दूध में भिंगोकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें
,इसके अलावा पानी का भाप चेहरे पर लें आपको
इस समस्या से छुटकारा मिलेगा।
– एक भाग नींबू का रस एवं एक भाग मूंगफली का
तेल मिलाकर प्रभावित हिस्से में लगायें, ब्लैक
हेड्स को ठीक करने के लिए यह अचूक नुस्खा है।
– केवल उबले दूध में नींबू का रस मिलाकर भी चेहरे
पर लगाने से ब्लैक हेड्स एव फटी हुई स्कीन में लाभ
मिलता है।
– मूली के बीज का पाउडर का पेस्ट बनाकर हल्के
हाथों से चेहरे पर लगायें,इससे भी ब्लैक हेड्स निकल
जाते हैं।
– कच्चे आलू को ग्राईंड कर पिप्म्पल्स,व्हाईट हेड्स
या ब्लैक हेड्स पर लगाएं।
– अन्नानास के छिलके का पाउडर भुनकर पेस्ट
बनाएं और नींबू के रस के साथ मिलाकर चेहरे पर
लगायें आपको व्हाईट हेड्स से मुक्ति मिल
जाएगी।
– सहिजन की फली और पत्तियों का पेस्ट
बनाकर आप यदि चेहरे पर लगाएं तो व्हाईट हेड्स
,ब्लैक हेड्स एवं पिम्पल्स सभी में लाभ मिलता है।

08/01/2016

डायबटीज--

1)----मधुमेह (sugar ) कितनी भी हाई शुगर हो , नीचे लिखे योग के अनुसार, ताज़ी पत्तियाँ पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लें और सेवन के बाद कम से कम आधा घंटा और कुछ न खाएं ।

बेल पत्र (6x3), 6 नीम क पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगन बेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत काली मिर्च, इसके नियमित सेवन से शुगर सामान्य हो जाती है ।
फिर मिठाई खा भी सकते है । परंतु यह औषधि बराबर लेते रहे और समय-समय पर शुगर चेक कराते रहे ।

🌷-मधुमेह में किन खाने-पीने की चीजों से बचे-----🏻

(1)----धूम्रपान,चीनी, मिठाई,ग्लूकोज, मुरब्बा, गुड़, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री, मीठा बिस्कुट,चॉकलेट,शीतल पेय, गाढ़ा दूध, क्रीम,तला हुआ ।

(2)----- भोजन,मक्खन, घी, और हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल, सफेद आटा,जंक फूड,कुकीज़, डिब्बा बंद और संरक्षित खाद्य पदार्थ, इत्यादि.--

🌷--मधुमेह में किन खाने-पीने की चीजों का सेवन न करें----🏻

(1)-----नमक , मीट, मछली ,अंडा ,अल्कोहल, चाय,कॉफी, शहद , नारियल, अन्य नट, unsweetened जूस ,sea food ,इत्यादि.।

08/01/2016

Every thing in life is Karma. The scripture devides karma into four types.

1.Sanchita Karma:- It is the sum total of your karma.All accumulated from your previous life good or bad.

2.Prarabha Karma:- The karma that you have chosen to work off in this life time. It includes the positions of planets at the time of your birth.

3.Agami Karma:-The immediate effects from present actions.

4.Kriyamana Karma:-It is the karma describes your present wilful actions that will influence future karmic returns.

08/01/2016
आजकल के दौडभाग के युग में, हमारी गलत जीवनशैली कई रोगों को बढ़ावा देती है। अम्लपित्त या Acidity (GERD) ऐसे ही रोगों में स...
30/12/2015

आजकल के दौडभाग के युग में, हमारी गलत जीवनशैली कई रोगों को बढ़ावा देती है। अम्लपित्त या Acidity (GERD) ऐसे ही रोगों में से एक जो हमारे खान-पान और रहन-सहन की गलत आदतों की वजह से होती है। आज इस बीमारी से हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित है। अम्लपित्त या Acidity को डॉक्टर की भाषा में Gastritis या GERD (Gastroesophageal Reflux Disease) भी कहते है।

अम्लपित्त या Acidity के लक्षण, इसके कारण और उपाय संबंधी जानकारी निचे दी गयी है।

अम्लपित्त या Acidity के क्या कारण है ?

अम्लपित्त या Acidity होने के कई कारण है। हमारे खाने पिने की आदते, हमारा रहन सहन के अलावा अम्लपित्त या Acidity होने के शारीरिक और मानसिक कारण भी है।

अम्लपित्त या Acidity के कुछ मुख्य कारण निचे दिए गए है :

अम्लपित्त या Acidity के कारण, लक्षण और उपचार
१) शारीरिक

हमारे शरीर में आमाशय / Stomach में सामान्य तौर पर पाचन प्रक्रिया के लिए Hydrochloric Acid और Pepsin का स्त्रवन होता है। आमाशय और अन्ननलिका के जोड़ पर एक विशेष प्रकार की मांसपेशिया होती है जिन्हें Lower Esophageal Sphincter (LES) कहते है। यह LES केवल खाने पिने के समय ही खुलती है और आहार आमाशय में पहुचने के बाद अपने आप बंद हो जाती है, जिस कारन आमाशय के Acid अन्ननलिका में नहीं पहुच पाता है। किसी कारणवश अगर LES मांसपेशिया कमजोर पड़ जाती है या उनकी संकुचनशीलता कम हो जाती है, ऐसे समय यह अपने आप खुल जाती है और आमाशय से acid और pepsin अन्ननलिका में आ जाता है। ऐसा बार-बार हो जाने पर अन्ननलिका में सुजन या घाव हो सकता है।

इसके आलावा, आमाशय का उपरी हिस्सा कभी अन्ननलिका में Hernia की तरह आ जाता है जिसे Hiatus Hernia भी कहते है। ज्यादा खाँसी, उलटी या ज्यादा मेहनत का कम करने से यह हो सकता है। इस परिस्थिति में भी आमाशय से acid और pepsin अन्ननलिका में आ जाता है और अम्लपित्त या Acidity हो सकती है।

कुछ व्यक्तियों में सामान्य से ज्यादा Hydrochloric Acid का स्त्रवन होता है। इस कारन भी अम्लपित्त या Acidity बढ़ सकती है। कुछ व्यक्तियों में H.Pylori नामक Bacteria के कारन भी अम्लपित्त या Acidity बढ़ जाती है। 60 साल से ज्यादा उम्र के 50% व्यक्तियों में इस bacteria के कारण अम्लपित्त या Acidity बढ़ जाती है।

२) आहार

हम क्या आहार लेते है और कितनी मात्रा में लेते है इसका सीधा असर हमारे पेट पर पड़ता है। निचे दिए गए आहार लेने से अम्लपित्त या Acidity बढ़ जाती है :
ज्यादा तीखा, मसालेदार या तला हुआ खाना खाने से
जंक फ़ूड के सेवन से
ज्यादा शराब पिने से
ज्यादा चाय, कॉफ़ी पिने से
समय पर आहार न लेने से
निरंतर रस्ते पर मिलने वाला या होटल का खाना खाने से
ठीक से न पका हुआ खाना खाने से
बासी खाना खाने से
अपनी भूक से बहोत कम या ज्यादा मात्रा में खाने से

३) जीवनशैली

अम्लपित्त या Acidity काफी हद तक हमारी जीवनशैली से जुडी बीमारी है। जब हम हमारे जीवनशैली में अनुशासन का पालन नहीं करते है तब हम कई बीमारियों को आमंत्रण देते है। अम्लपित्त या Acidity के जीवनशैली से जुड़े कारण कुछ इस प्रकार है :
ठीक समय पर न खाना
ज्यादा समय तक खाली पेट रहना
पर्याप्त मात्रा में नींद न लेना
खाना खाने के बाद तुरंत लेट जाना
धुम्रपान, शराब या तंबाखू का सेवन करना
बेवजह और ज्यादा मात्रा में डॉक्टर की सलाह बिना दर्दनाशक या अन्य दवा लेना
चिंता, शोक या भय
४) अन्य

अम्लपित्त या Acidity के अन्य कारन इस प्रकार है :
मोटापा / Obesity
गर्भावस्था / Pregnancy
वृद्ध /Aging
कर्करोग / Cancer में Chemotherapy
अम्लपित्त या Acidity के क्या लक्षण है ?

अम्लपित्त या Acidity के लक्षण कुछ इस प्रकार है :
पेट में जलन / दर्द होना
सिने या छाती में जलन
मुंह में खट्टा पानी आना
खट्टी डकारे आना
गले में जलन महसूस होना
पेट फूलना या भरा हुआ लगना
उलटी होना
घबराहट होना
साँस लेने में तकलीफ

अम्लपित्त या Acidity से बचने के उपाय क्या है ?

अम्लपित्त या Acidity से बचने के उपाय निचे दिए गए है।

१) आहार
तीखा, तला हुआ और मसालेदार आहार से परहेज करे।
चाय, कॉफ़ी, शराब और caffeine युक्त पेय से परहेज करे।
Chocolate, Peppermint, Tomato sauce, प्याज, लहसुन, Citrus acid युक्त फल जैसे संतरा जैसे आहार पदार्थो से परहेज
पेट भर खाना न खाए। अपनी पूरी भूक से थोडा कम खाना खाए।
आपको क्या खाने से ज्यादा तकलीफ होती है उसका ध्यान रखे।
घर के बने खाने को ही प्राथमिकता दे। जहा तक हो सके बाहर का बना खाने से बचे।
दिन में ३ बार बड़ा भोजन करने के बजाए दिन में ५ बार छोटी-छोटी खुराके लेना बेहतर है।
आप जितना तेजी से खाएंगे, उतना ही ज्यादा खाएगे। आपके मस्तिष / Brain को यह समझने में २० मिनिट लगते है की आपका पेट भर चुका है। आपके शरीर यह संकेत दे की अब पर्याप्त हो चूका है, उससे पहले ही आप काफी खा चुके होते है। खाने का हर निवाला कम से कम २० बार चबा कर ही खाए। इससे पाचन भी अच्छा होता है और ज्यादा खाने की आदत से बचाव भी होता है।
मौके देखकर खाने की आदत को ट़ाले ! खाली समय है इसलिए या काम करते वक्त खाने की आदत को टाले। नियमित समय पर खाना खाने की आदत रखने से पाचन संस्था भी अच्छी रहती और ज्यादा खाने से बचा भी जा सकता है।
खाने के समय आहार में चटनी, अचार, पापड़ या मिर्च नहीं लेना चाहिए।
TV देखते हुए, Newspaper पढ़ते हुए या बाते करते हुए खाने की बुरी आदत को छोड़ दे !
दो भोजन के बिच ज्यादा समय न रखे। लम्बे समय तक भूके पेट न रहे।
हफ्ते में 1 या 2 दिन शाम के समय सिर्फ फलाहार ले।
सेब, केला, तरबूज जैसे फलो का आहार में समावेश करे।
रोज सुबह आधा ग्लास गुनगुना / Warm पानी पीना चाहिए।
रात को सोने से पहले १ ग्लास दूध पीना चाहिए।
शाकाहार ले।
२) जीवनशैली
धुम्रपान न करे। धुम्रपान करने से पेट में Acid का स्त्रवन ज्यादा होता है और साथ ही LES की संकुचनशीलता कम हो जाती है।
शराब का सेवन कम करे।
सोने के समय अपने सर की उचाई पेट से 4 से 6 इंच उची रखे। इसके लिए अपने सर की निचे छोटा तकिया रखे या फिर अपने बेड की निचे Block रखे।
सोने के समय से 2 से 3 घंटे पहले कुछ न खाए या फिर खाने के 2 से 3 घंटे तक न सोए।
पेट के ऊपर दबाव आए ऐसे चुस्त कपडे न पहने। बहोत tight कपडे या tight belt न पहने।
अगर आप का वजन ज्यादा है तो उसे नियंत्रित करे। मोटापा अम्लपित्त या Acidity का एक मुख्य कारण है।
नियमित रूप से व्यायाम करे।
पर्याप्त मात्रा में नींद लेना चाहिए। कम से कम 6 घंटे नींद लेना चाहिए।
तनावमुक्त रहे और मानसिकरूप से स्वस्थ रहे।
बेवजह चिंता, शोक या क्रोध नहीं करना चाहिए।
योग / प्राणायम करे।

३) दवा

अगर आपको अम्लपित्त या Acidity से बेहद परेशानी है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करे। डॉक्टर आप की जांच कर आपको योग्य दवा लेने की सलाह दे सकते है। डॉक्टर की सलाह बिना कोई दवा न ले।

आपको अगर acidity की तकलीफ है तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को दे ताकि कोई भी अन्य दवा देते समय डॉक्टर आपको ऐसी दवा देंगे जिस कारन acidity न बढे।

अम्लपित्त या Acidity को कभी भी दुर्लक्ष न करे, यह आगे जाकर पेट में Ulcer भी निर्माण कर सकता है जिससे पेट में रक्तस्त्राव / bleeding हो सकती है।

Thyroid रोग और योग Best Yoga For Thyroid Patients in Hindiऐसे कई योग है जिनका रोज अभ्यास करने से Thyroid रोग में लाभ मिल...
30/12/2015

Thyroid रोग और योग
Best Yoga For Thyroid Patients in Hindi

ऐसे कई योग है जिनका रोज अभ्यास करने से Thyroid रोग में लाभ मिल सकता हैं। ऐसे विशेष योग क्रियाओं की जानकारी निचे दी गयी हैं।
सूर्यनमस्कार / Sun Salvation : ऐसे तो सूर्यनमस्कार सम्पूर्ण शरीर के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं परन्तु इसका Thyroid रोग में विशेष महत्त्व हैं। सूर्यनमस्कार करते समय गर्दन को आगे-पीछे करना पड़ता है और गहरी साँसे लेना और छोड़ना पड़ता हैं। इस क्रिया से Thyroid ग्रंथि पर दबाव पड़ता हैं और उसके आस-पास के स्नायु क्रियाशील होते हैं। सूर्यनमस्कार कैसे करते है और इसके लाभ संबंधी संपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - सूर्यनमस्कार विधि और लाभ !
भुजंगासन / Cobra Pose : इस आसान में गर्दन को उठाकर सांस लेने और छोड़ने की क्रिया करना पड़ता है जिससे Thyroid ग्रंथि पर दबाव पड़ता है और वह सुचारू रूप से कार्य करती हैं। भुजंगासन कैसे करते हैं और इसके लाभ संबंधी सम्पूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - भुजंगासन विधि और लाभ !
मत्स्यासन / Fish Pose : यह आसन करते समय पदमासन में बैठकर गर्दन को पीछे की ओर झुकाकर लंबी साँसे लेना और छोड़ना पड़ता हैं जिससे Thyroid ग्रंथि को लाभ मिलता हैं। मत्स्यासन कैसे करते है और इसके लाभ संबंधी सम्पूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - मत्स्यासन विधि और लाभ !
मकरासन / Crocodile Pose : इस आसन में मगरमच्छ के समान गर्दन पर तनाव देना पड़ता है जिससे Thyroid ग्रंथि पर दबाव पड़ता हैं। मकरासन कैसे करते हैं और इसके लाभ की संपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - मकरासन विधि और लाभ !
शवासन / Co**se Pose : शवासन करने से मानसिक शांति मिलती हैं और तनाव दूर होता हैं। शवासन कैसे करना चाहिए और इसके लाभ संबंधी सम्पूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - शवासन विधि और लाभ !
प्राणायाम / Pranayam : सुखासन, पदमासन या वज्रासन में सीधे बैठकर बाए नाक से लम्बी और गहरी सांस लेना और दाए नाक से छोड़ना फिर यही क्रिया दाहिनी नाक से सांस लेना और बाए नाक से छोड़ना इस प्रकार लगातार 20 बार सुबह-शाम अभ्यास करना चाहिए।
हलासन / Plow Pose : हलासन करते समय गर्दन के ऊपर दबाव पड़ता है साथ ही वजन कम करने में मदद मिलती हैं। हलासन कैसे करते है और इसके लाभ संबंधी संपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे - हलासन विधि और लाभ !


कपालभाति : कपालभाती का नियमित अभ्यास सम्पूर्ण शरीर के लिए लाभकारी होता हैं। इसके अभ्यास से शरीर के विषैले तत्व और हानिकारक केमिकल्स का प्रभाव कम होता हैं। कपालभाती कैसे करते है और इसके लाभ संबंधी संपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - कपालभाती विधि और लाभ !
उज्जयी प्राणायाम / Victorious Breath : इस प्राणायाम में गले से छूती हुई लम्बी गहरी सांस लेना और फिर गले से सरसराहट की ध्वनि निकालते हुए धीरे-धीरे छोड़ना पड़ता हैं। उज्जयी प्राणायाम की विधि और लाभ की संपूर्ण जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - उज्जयी प्राणायाम विधि और लाभ !
भ्रामरी प्राणायाम / Humming Bee Breath : यह प्राणायाम करते समय भ्रमर के समान आवाज करना पड़ता हैं। मानसिक तनाव और विचारों को काबू में करने के लिए यह श्रेष्ठ प्राणायाम हैं। भ्रामरी प्राणायाम की विधि और लाभ की जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ click करे - भ्रामरी प्राणायाम विधि और लाभ !
ऊपर दिए योग क्रियाओं का नियमित अभ्यास कर आप अपने थाइरोइड रोग को नियंत्रित कर सकते हैं। अगर कोई भी योग करते समय आपको किसी प्रकार की परेशानी होती है तो योग विशेषज्ञ और डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए। ध्यान रहे की कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह अपनी थाइरोइड की दवा बंद न करे। नियमित योग अभ्यास करने से आपका थाइरोइड रोग नियंत्रित हो सकता है और दवा का dose धीरे-धीरे कम हो सकता हैं। कुछ थाइरोइड के रोगियों में शुरूआती दौर में ही योग्य उपचार, आहार, व्यायाम और योग करने पर थाइरोइड रोग ठीक भी हो सकता हैं।

Migraine किसे कहते है ?Migraine जिसे हम सामान्य भाषा में अर्धकपारी या अर्धशिशि भी कहते है, एक प्रकार का सिरदर्द का रोग ह...
30/12/2015

Migraine किसे कहते है ?

Migraine जिसे हम सामान्य भाषा में अर्धकपारी या अर्धशिशि भी कहते है, एक प्रकार का सिरदर्द का रोग है। Migraine में सिर के एक हिस्से में जबरदस्त दर्द होता है। यह दर्द कुछ घंटो से लेकर कुछ दिनों तक भी हो सकता है। Migraine में सरदर्द के समय सिर के निचे की धमनी बड़ी हो जाती है और सिर का दर्द वाले हिस्से में कभी कभी सूजन आ जाती है।

Migraine के क्या लक्षण है ?

Migraine के लक्षण निचे दिये गए है :
सिरदर्द के आधे या कभी पुरे हिस्से में जबरदस्त दर्द होना।
आँखों में दर्द होना, धुंदला दिखाई देना या आँखो के सामने बिजली चमकना।
हाथ और पैर ठन्डे / सुन्न पड़ जाना।
भूक कम लगना / जी मचलाना (Nausea ) / उलटी होना।
आवाज और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाना।
कमजोरी।
ज्यादा पसीना आना।
कही पर भी ध्यान केंद्रित न कर पाना।
Migraine होने के क्या कारण है ?

आज दुनिया में Migraine के मरीजों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। Migraine बीमारी का कोई ठोस कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। आज के भागदौड़ वाली जिंदगी के कारण बढ़ते हुए तनाव, खान पान की आदते, असंयम, अनुवांशिकता और उच्च रक्तचाप इत्यादि कारणों से पीड़ित व्यक्ति में Migraine होने की आशंका ज्यादा पायी जाती है।

Migraine के मरीज ने किन बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए ?

Migraine के मरीजों ने क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इस संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी है :

Migraine-causes-symptoms-treatment-In-Hindi

क्या करे
संतुलित आहार ले। ज्यादा समय तक भूखे पेट न रहे।
भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए।
पर्याप्त नींद ले। अधूरी नींद या ज्यादा सोने से भी Migraine का दर्द बढ़ सकता है।
डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाई लेना चाहिए। कुछ दवाइयों के कारण भी Migraine हो सकता है. इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवा नहीं लेना चाहिए।
तनाव मुक्त रहने की कोशिश करे। योग, प्राणायाम या संगीत सुनकर मन को शांत रखने की आदत डाले और तनाव से दूर रहने की कोशिश करे।
गलत तरीके से उठने, बैठने या सोने से आप के पीठ, गर्दन या सिर से जुड़े स्नायु में आकुंचन आने से भी दबाव के कारण Migraine का दर्द बढ़ सकता है। हमेशा काम करते वक्त, बैठते समय या आराम करते समय शरीर का आसान / Posture सही रखने की कोशिश करे।
नियमित हर रोज कम से कम 30 मिनिट तक व्यायाम करे।
क्रोध, शोक, भय इत्यादि भावनाओ को दबाने से भी Migraine हो सकता है। इसलिए भावनाओ को दबाने के बजाए इन्हे अपने परिचित और विश्वस्त लोगो के साथ बांटे / Share करे।
Hormonal Imbalance की वजह से भी Migraine हो सकता है। इसी कारण Migraine का प्रमाण पुरुषो से ज्यादा स्त्रियों में पाया जाता है। इसीलिए Hormonal Imbalance की समस्या होने पर, डॉकटर से इसका इलाज जरूर करा लेना चाहिए।
Migraine का दर्द होने पर दर्द वाले हिस्से पर ठन्डे पानी की पट्टी रखने से रक्त धमनियां फ़ैल जाती है और दर्द कम हो जाता है।

क्या न करे
डॉक्टर की सलाह बिना कोई दवा न ले। बाजार में Migraine के इलाज के लिए कई तरह की दवा मिलती है परन्तु उनके कुछ side effects भी है।
तेज धुप में बाहर न जाए। तेज रोशनी की तरफ न देखे। गर्मी के दिनों में बाहर जाते समय टोपी / Hat का इस्तेमाल करे।
ज्यादा समय तक Computer या Mobile पर काम करने या Games खेलने से बचे।
ज्यादा नजदीक से T.V. या Computer न देखे।
कम रोशनी में या धुंदली जगह पर काम न करे।
किसी भी तरह के सिरदर्द को हलके में न ले।
ज्यादा उचाई वाली जगह पर न जाए।
तेज गंध / Scent वाली जगह पर काम न करे। तेज गंध वाले इत्र, Deodrant इत्यादि का प्रयोग न करे।
निचे दिए हुए कुछ खाद्यपदार्थों से Migraine का हमला होने की आशंका ज्यादा होती है। अगर आपको निचे दिए हुए खाद्यपदार्थों (Migraine Triggers) से Migraine होता है, तो इनका उपयोग न करे।
Junk Food या डिब्बा बंद पदार्थ।
Caffeine युक्त पदार्थ।
पनीर, चीज, चॉकलेट।
नूडल्स।
कुछ प्रकार के नट्स।
शराब, तंबाकू।
प्याज, केला।
अचार, पापड़।
भारत के साथ दुनिया भर में बढ़ते तनाव के कारण Migraine के मरीजो की संख्या में लगातार बढ़त हो रही है। बार बार होने वाले Migraine के सिरदर्द को हमें हलके में नहीं लेना चाहिए। Migraine का दर्द बढ़कर कभी लकवा या Brain Haemorrhage का कारण भी बन सकता है।

अगर आपको सिरदर्द के साथ ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई लक्षण दिखाई देते है तो अपने डॉक्टर से जांच करा लेना चाहिए। Migraine के उपचार के लिए आज कई सुरक्षित दवा बन चुकी है। दवा के साथ ऊपर दी गयी सावधानिया बरत कर हम आसानी से Migraine पर विजय पा सकते है।

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