Vaidya Dr. Ajay Gupta

Vaidya Dr. Ajay Gupta Official Page of Dr Ajay Gupta. Best Ayurveda Doctor in Eastern UP
M.D. (AY) B.H.U. Varanasi
B.A.M.S. (Govt Ayu College, Varanasi) Gold Medalist
Dip. Former Asst.

Journalism(Online)
Consultant at Govt Ayu College, Varanasi. Prof. IMS, BHU

एक दिन मैं अपने चिकित्सालय की ओपीडी में नियमित रूप से मरीज देख रहा था तभी एक मरीज धीरे-धीरे अंदर आते हैं, पेट पकड़कर हल्...
02/12/2025

एक दिन मैं अपने चिकित्सालय की ओपीडी में नियमित रूप से मरीज देख रहा था तभी एक मरीज धीरे-धीरे अंदर आते हैं, पेट पकड़कर हल्की मुस्कान के साथ अभिवादन करते है फिर कुछ बातें होती हैं , सुनिए

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डॉक्टर: आइए रमेश जी… हाँ, बैठिए। क्या दिक्कत चल रही है?
मरीज (धीमी आवाज़ में): डॉक्टर साहब… ये गैस की प्रॉब्लम है… सुबह से पेट फूल जाता है। ऑफिस में बैठना मुश्किल हो जाता है।
डॉक्टर: हम्म… अच्छा ये कब से चल रहा है?
मरीज: लगभग साल भर से। लेकिन पिछले 2–3 महीने से बहुत बढ़ गया है।
डॉक्टर: ठीक है, थोड़ा विस्तार से बताइए—खाना खाने के बाद क्या होता है?
मरीज: खाना खाते ही भारीपन… जैसे पत्थर रख दिया हो। डकार भी आती है… कभी खट्टी… कभी सिर्फ हवा।
डॉक्टर : हाँ… और सीने में जलन?
मरीज: जी कभी-कभी… खासकर चाय पीने के बाद।
डॉक्टर: दिन में कितनी बार चाय?
मरीज (थोड़ा शर्माते हुए): तीन–चार बार तो हो ही जाती है।
डॉक्टर: और रात का खाना?
मरीज: देर से। 10 बजे के बाद… ऑफिस का काम रहता है।
डॉक्टर: खाना खाने के बाद आप तुरंत लेट जाते हैं या मोबाइल देखते हैं?
मरीज: जी… मोबाइल तो देख ही लेता हूँ… आदत है।
डॉक्टर: कब्ज रहती है?
मरीज: हाँ… रोज़ साफ़ नहीं होता। कभी-कभी दो–तीन दिन गैस ही बनती रहती है।
डॉक्टर: अच्छा… अभी पेट में दर्द तो नहीं है?
मरीज: हल्का-सा… इधर (पेट के बायीं तरफ़ इशारा करते हुए) तनाव जैसा रहता है।

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ये संवाद आपने पढ़ा, लगभग हर व्यक्ति को यही तकलीफ है और इसका मुख्य कारण है -अनियमित दिनचर्या और खानपान। बहुत बड़ी संख्या में लोग रोज़मर्रा में गैस, पेट फूलना, भारीपन, डकार न आना, खट्टी डकार, भूख न लगना जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। आयुर्वेद में इसे अजीर्ण / अग्नि-मांद्य कहा गया है — इसका मूल कारण है कमज़ोर पाचन अग्नि (Mandagni)।
मैंने उनको एक सामान्य से इलाज लिखा जो यहां शेयर कर रहा हूँ। उनको कुछ दिनों में ही आराम मिल गया। लेकिन यदि आप मे से भी किसी को यही समस्या है तो आंख मूंदकर यही लेना मत शुरू कर दीजिएगा। चिकित्सक की सलाह से ही इलाज कीजियेगा।

🍁🍁🍁🍁

1. पाचन अग्नि तेज करने के लिए
• Agnitundi Vati – 1 टैबलेट दिन में दो बार, खाने के बाद
• Hingwashtak Churna – ½ चम्मच सुबह व रात, गुनगुने पानी के साथ
2. गैस व पेट फूलना कम करने के लिए
• Shankha Vati – जब भी गैस ज्यादा बने
3. कब्ज के लिए
• Triphala Churna – 1 चम्मच रात में गर्म पानी से
4. खट्टी डकार / जलन के लिए
• Avipattikar Churna – 1 चम्मच रात में

🍁🍁🍁🍁🍁

परहेज़:-
• चाय दिन में 1–2 करें
• रात का खाना 7:30–8 बजे तक
• ठंडा पानी, फ्रिज का पानी बंद
• तले-भुने से दूरी
• जीरा-अजवाइन-हींग वाला खाना
• छाछ में काला नमक ज़रूर
• 20–30 मिनट रोज़ टहलना
• खाना खाते ही मोबाइल नहीं देखना

गैस और अपच कोई मामूली समस्या नहीं — यह आपकी पाचन अग्नि का संकेत है। अग्नि ठीक हो तो शरीर खुद ठीक हो जाता है।

Dr Ajay Gupta
Assistant Professor
Government Ayurvedic College

All India Institute of Ayurveda, New Delhi Rashtriya Ayurved Vidyapeeth Ministry of Ayush, Government of India Dainik Jagran Dainik Bhaskar ABP News Zee News




01/12/2025

आजकल फैटी लिवर की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। फैटी लिवर में लिवर कितना काम कर रहा है जानने के लिए देखिये यह वीडियो...



आज की कहानी आप सबके लिए बहुत जाननी जरूरी है क्योंकि हो सकता है कि इस कहानी के किरदार की कहानी आपकी ही हो 🍁 आज "दो मरीजो"...
01/12/2025

आज की कहानी आप सबके लिए बहुत जाननी जरूरी है क्योंकि हो सकता है कि इस कहानी के किरदार की कहानी आपकी ही हो
🍁 आज "दो मरीजो" की कहानी आपके सामने है :
एक दिन OPD में एक मरीज आते है ओमप्रकाश जी जिनकी उम्र है लगभग 58 वर्ष और उनको क्रोनिक रीनल फेलियर (CRF) की बीमारी है, और वो कहते है -
“डॉक्टर साहब, मैं दिनभर में 5–6 लीटर पानी पी रहा हूँ, क्योंकि सब कहते हैं किडनी खराब हो तो खूब पानी पीना चाहिए। फिर भी सूजन बढ़ रही है।”
“मुझे लगा पानी ज्यादा पीने से किडनी साफ हो जाती है… क्या मैं गलत कर रहा था?”

🍁 दूसरे मरीज है मनोज जी जिनकी उम्र 46 वर्ष है और उनको डायबिटीज की प्रॉब्लम है। उनका कहना है
“डॉक्टर साहब, मुझे बहुत प्यास लगती है। इसलिए दिन में 6–7 लीटर पानी पी लेता हूँ।
सोचा ज्यादा पानी पीने से शुगर कम हो जाती होगी।”
उनको लगता था कि पानी ज्यादा पीना इलाज का हिस्सा है।”

🌿 यह केवल दो लोगो की बात नही है प्रतिदिन दर्जनों ऐसे लोग आते है जो यही काम करते हैं। देखा जाए तो इसमे आम आदमी की कोई गलती नहीं हैं। ये सभी भ्रांतियां सोशल मीडिया की देन है। कभी कोई बाबा, कभी स्वामी, कभी आचार्य टाइप के लोग जो भी मन मे आता है बोल के चले जाते है। बिना शास्त्र पढ़े या बिना डिग्री के ही रोगों का इलाज बताते रहते है और उसकी कीमत आम आदमी चुकाता है। इसलिए हमेशा हमारी सलाह यही रहती है कि स्वास्थ्य के मामले में कभी भी मूर्खता नही करनी चाहिए , अपने आस पास के किसी भी योग्य चिकित्सक से मिलिए और बेहतर इलाज कराइये।

अब आते है आज के टॉपिक पर,
👉 आयुर्वेद एक गूढ़ शास्त्र है जिसमे लगभग हर चीज़ की चर्चा की गई हैं। पिछले पोस्ट में हमने भोजन करने के नियम बताए थे आज जल पीने के नियमों की चर्चा करेंगे- विशुद्ध शास्त्रीय रूप से जैसा आचार्य चरक और सुश्रुत ने उपदेश किया है -
🥛जल का जीवन से गहरा सम्बन्ध है। सृष्टि के पंच तत्वों में जल का महत्वपूर्ण स्थान है। शरीर में जैविक क्रियाएं जल के द्वारा सम्पन्न होती है। जल शरीर के तापमान को बनाए रखता है। साथ ही अनुपयोगी, विषैले अवयवों को शरीर से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक होता है। जल आमाशय में भोजन को पचाने, पचे हुए भोजन के अवशोषण एवं संवहन के लिए आवश्यक है। जल का प्रयोग अपशिष्ट पदार्थों (जैसे-मूत्र, पसीने) के उत्सर्जन हेतु भी किया जाता है। यह शरीर के ताप को भी नियंत्रित करता है।
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आपको प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए?
👉 अच्छे स्वास्थ्य के लिए पानी बहुत ज़रूरी है। क्या आपको पर्याप्त पानी मिल रहा है? आपको हर दिन कितना पानी पीना चाहिए? गर्म पानी पीना चाहिये या ठंडा पानी, किस रोग में पानी ज्यादा पीना चाहिए किसमे कम; सुनने में यह एक सरल प्रश्न है जिसका कोई आसान उत्तर नहीं है।
एक दिन में कितना पानी पीते हैं आप? शायद आठ से दस गिलास या इससे भी ज्यादा। हो सकता है पानी की बोतल भी साथ रखते हों।

🌻 मिसेज शर्मा को तो आदत है हर पांच मिनट में एक सिप पानी पीने की। मिसेज शर्मा जैसे कई लोग हैं, जो दिन भर पानी से गला तर करते रहते हैं। कारण कई सारे हैं। किसी को लगता है कि पानी पीने से वजन घटता है। कोई खूबसूरत स्किन की खातिर पानी पीता है। किसी को लगता है कि अधिक पानी पिने से खून साफ़ हो जाता है | ऐसा नहीं है कि पानी के ये सारे फायदे सच नहीं हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि जरूरत से ज्यादा पानी पीना हमारे लिये नुकसानदेह भी है। ज्यादातर लोग केवल पानी के फायदों से वाकिफ होते हैं। जरूरत से ज्यादा पानी कितना नुकसानदेह हो सकता है, ये कम ही लोग जानते हैं।
✨ पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के किडनी एक्सपर्ट डॉक्टर स्टेनले गोल्डफैर्ब एक वेबसाइट में लिखते हैं कि जरूरत से ज्यादा पानी पीने से किडनी को अपनी क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ता है।
🥥 आदमी का शरीर 70 प्रतिशत पानी से बना होता है, इसलिये उसे अतिरिक्त पानी की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती। उसे केवल उतना पानी ही पीना चाहिये, जितने की प्यास हो। पिछले कुछ सालों में कई अध्ययनों से अलग-अलग सुझाव सामने आए हैं। लेकिन आपकी व्यक्तिगत पानी की ज़रूरतें कई बातों पर निर्भर करती हैं, जिसमें आपका स्वास्थ्य, आप कितने सक्रिय हैं और आप कहाँ रहते हैं, शामिल हैं। कोई भी एक फ़ॉर्मूला हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं होता।
👉 हर दिन आप अपनी सांस, पसीने, मूत्र और मल त्याग के माध्यम से पानी खो देते हैं। आपके शरीर को ठीक से काम करने के लिए, आपको पानी युक्त पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों का सेवन करके अपने शरीर की पानी की आपूर्ति को बनाये रखना चाहिए।
👉 यू.एस. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज,(US National Academy of Science) के अनुसार दैनिक तरल पदार्थ का सेवन निम्न मात्रा में करना चाहिए:
• पुरुषों के लिए प्रतिदिन लगभग 3.7 लीटर तरल पदार्थ
• महिलाओं के लिए प्रतिदिन लगभग 2.7 लीटर तरल पदार्थ
इसमे केवल पानी ही नही बल्कि दिन भर में लिए जाने वाले सभी लिक्विड चाय, कॉफी, दाल इत्यादि भी शामिल है।
एक अनुमान के मुताबिक एक स्वस्थ इंसान जिसका वजन 70 किलो है उसको दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। इसके अलावा जो लोग अधिक लोग शारीरिक श्रम करते हैं उनको ज्यादा पानी पीना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए जब भी प्यास लगे तब ही पानी पीए। एक दिन में कम से 8 गिलास पानी पीना जरूरी है।

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😊 किसको जल कम पीना चाहिए-
आयुर्वेद में ऐसे बहुत से प्रसंग है जहां बताया गया है की किस व्यक्ति को जल कम पीना चाहिए और किसको अधिक पीना चाहिए| आचार्य चरक ने निम्न व्यक्तियों को कम जल पीने का निर्देश दिया है -
• मन्दाग्नि, गुल्म, पाण्डु, उदररोग, अतिसार, अर्श और ग्रहणी रोग के लोगों को जल कम पीना चाहिये।
• स्वस्थ मनुष्य को भी अधिक जल नहीं पीना चाहिये, केवल ग्रीष्म और शरद में अधिक जल पिया जा सकता है।
• शरीर में सुजन या किसी भी अंग में सूजन होने पर भी पानी कम लेना चाहिये।

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🥥 जल कब-कब पीना चाहिए-
• प्यास लगने पर जल संतुलित मात्रा मे पीना चाहिए। पीने मे हल्का गर्म पानी का प्रयोग करना चाहिये ।
• खाना खाने के बाद अधिक पानी पीना जहर माना जाता है। भोजन करने के करीब आधा घंटा पहले पानी पी ले लेना चाहिए या भोजन करने के लगभग एक से दो घंटे के बाद ही पानी पीना चाहिए।
• भोजन के पहले पिया जल शरीर को कृशकाय बनाता है और बाद में पिया जल शरीर में स्थूलता लाता है।
• भोजन करते समय, भोजन अटकने पर बीच-बीच में एक दो घूँट जल लिया जा सकता है।
• सुबह उठते ही पानी पियें, बिना कुल्ला किये हुये, इसे ऊषापान कहते हैं। घूँट-घूँट कर और धीरे-धीरे जल पिए।

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📖 गर्म जल या शीतल जल कब पीना चाहिए-
👉 गर्मियों में बहुत से लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं। लेकिन डॉक्टर ठंडा पानी पीने की सलाह नहीं देते हैं, चाहे आपको कितना भी इच्छा करे। आपने देखा होगा कि जो लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत रहते हैं, वे ठंडे पानी की बजाय गर्म पानी पीते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि गर्म पानी शरीर के लिए कई तरह के फायदे देता है। नियमित रूप से गुनगुना पानी पीने से पाचन क्रिया तेज होती है। यह भोजन के कणों को जल्दी से तोड़ सकता है और पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में सहायता करता है। गर्म पानी कब्ज को रोकने में सहायक है, जो बवासीर और रक्तस्राव जैसी अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है।
गर्म पानी आपकी रक्त वाहिकाओं को थोड़ा बड़ा कर देता है। इससे रक्त संचार बेहतर होता है। चूंकि गर्म पानी रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, इसलिए यह दर्द, खासकर मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से राहत दिला सकता है।

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🍁 शीतल जल कब पीना चाहिए -
• सामान्यतः शीतल जल का निषेध है।
• मदात्यय , ग्लानि, मूर्छा, वमन, परिश्रमजन्य थकावट, भ्रम, प्यास की वृद्धि, शरीर की ऊष्णता, आहार विहार जन्य दाह, रक्तपित्त आदि विकार मे शीतल जल पीना चाहिये।

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🍁 उष्ण जल कब पीना चाहिए -
• उष्ण जल, अग्निदीपक, पाचक, कण्ठशोधक, पचने में लघु, उष्ण, होता है पाचन संस्थान के रोगो मे बहुत लाभ करता है।
• ऐसा माना गया है की पेट के रोगो का मुख्य कारण मन्दाग्नि होता है और मन्दाग्नि को तीव्र करने के लिये उष्ण जल सर्वोत्तम होता है।
• ज्वर प्रायः अमाशय से उत्पन्न होता है और प्रायः आमाशय से उत्पन्न होने वाले रोगों को दूर करने में पाचन, वमन, अपतर्पण औषधि समर्थ होती है इसलिए दोषों के पाचन के लिए ही गर्म जल दिया जाता है ।
• यह पिया हुआ गर्म जल वायु का अनुलोमन करता है, तथा जठराग्नि को तीव्र करता है, शीघ्र पच जाता है ,कफ का शोषण करता है , थोड़ा भी पीने से प्यास को शांत करता है।
• इस प्रकार गुणयुक्त होने पर भी ऊष्ण जल अत्यंत बड़े हुए पित्त ज्वर में, दाह में, भ्रम प्रलाप और अतिसार में नहीं दिया जाता है।

🌿 खाने के तुरंत बाद पानी न पियें
👉 जो कुछ हम भोजन के रूप में खाते हैं उसके साथ हमारे आमाशय में दो क्रियाएँ हो सकती हैं। यदि हमारी पाचन शक्ति ठीक है तब आमाशय में भोजन पर पाचन क्रिया (Digestion) होती है और इस क्रिया द्वारा पोषक तत्व और पदार्थ तथा अनुपयोगी तत्व और पदार्थ अलग-अलग हो जाते हैं। पोषक तत्व और पदार्थ शरीर में अवशोषित कर लिए जाते हैं और अनुपयोगी एवं त्याज्य तत्व और पदार्थ मल-मूत्र के रूप में शरीर के बाहर निकल जाते हैं।
👉 आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार हमारे आमाशय में भोजन पचाने का कार्य जठराग्नि (digestive fire) करती है। जैसे ही हम कुछ भी खाते है यह अग्नि प्रदीप्त हो जाती है। यह अग्नि भोजन से पोषक तत्वों और त्याज्य पदार्थों को अलग कर देती है। इस अग्नि के कमजोर होने पर पाचन क्रिया मंद पड़ जाती है और भोजन अधपचा रह जाता है और विषाक्त पदार्थ (toxins) उत्पन्न हो जाते हैं। यह विषाक्त पदार्थ अनेक बीमारियों को जन्म देते हैं। भोजन करने के बाद पानी पीने से यह अग्नि कमजोर पड़ जाती है और भोजन पच नहीं पाता। इस कारण खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना बर्जित (prohibit) किया गया है।

Dr Ajay Gupta
Assistant Professor
Government Ayurveda College
Senior Ayurveda Consultant

All India Institute of Ayurveda, New Delhi Rashtriya Ayurved Vidyapeeth Ministry of Ayush, Government of India Dainik Jagran Dainik Bhaskar ABP News Zee News NITI Aayog





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30/11/2025
वाराणसी के लंका में रहने वाले 55 वर्षीय रमेश उपाध्याय (परिवर्तित नाम) पिछले चार–पाँच सालों से एक अजीब-सी समस्या से परेशा...
30/11/2025

वाराणसी के लंका में रहने वाले 55 वर्षीय रमेश उपाध्याय (परिवर्तित नाम) पिछले चार–पाँच सालों से एक अजीब-सी समस्या से परेशान थे—
👉 पेट हमेशा भारी, खाना खाने के बाद सुस्ती, रात में गैस और सुबह उठते ही मुंह में कड़वापन।
👉 हर टेस्ट कराया—अल्ट्रासाउंड, LFT, Thyroid, सब सामान्य।
👉 डॉक्टर कहते थे—“Stress है, acidity है, दवा लेते रहो।”
दवा लेने पर थोड़ी राहत भी मिलती थी, पर सुबह वही भारीपन वापस।
धीरे-धीरे रमेश जी का स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा।
एक दिन उन्होंने मज़ाक में अपनी पत्नी से कहा,

📌 मोड़ तब आया जब वह मेरे पास OPD में आए
कुर्सी पर बैठते ही बोले,
“डॉक्टर साहब, पेट में खाना जैसे लगता ही नहीं… जैसे अंदर से आग बुझ गई है।”

मैंने उनसे बस कुछ ही सवाल पूछे:
— खाना किस समय?
— कैसे खाते हैं?
— भोजन के दौरान क्या करते हैं?
— कितनी भूख में खाना शुरू करते हैं?

🤔 उनके जवाब बिल्कुल सामान्य शहर के आदमी जैसे थे:
• “सुबह जल्दी में टोस्ट… मोबाइल देखते हुए।”
• “दोपहर दफ्तर में कंप्यूटर पर काम करते-करते।”
• “रात को टीवी के सामने।"
• “भूख लगे या न लगे, टाइम देखकर ही खा लेते हैं।”

🌻 मैंने कहा,
“समस्या खाना नहीं है, खाने का तरीका है।”
रमेश जी ने हैरानी से पूछा,
“तो दवा कम लें?”
मैंने मुस्कुराकर कहा,
“दवा बाद में। पहले भोजन करने के नियम सुधारें।”

🌿 मैंने उनको आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भोजन करने के नियम बताए 🌿

📅 21 दिन बाद…
रमेश जी फिर OPD में आए—लेकिन इस बार चेहरे पर अलग चमक थी।
कुर्सी पर बैठते ही बोले,
“सर, मैंने सोचा नहीं था कि सिर्फ खाने का तरीका बदलने से इतनी राहत मिल सकती है।”
उन्होंने बताया:
• सुबह का भारीपन गायब
• गैस 80% कम
• दोपहर बाद की नींद नहीं आती
• सबसे बड़ी बात—मूड शांत और स्थिर
उन्होंने कहा,
“पहले लगता था खाना मेरे लिए बोझ है…
अब लगता है कि खाना ही दवा है।”

✨ यह कहानी सिर्फ रमेश जी की नहीं है।
हम में से 80% लोग भोजन गलत तरीके से करते हैं—
और फिर बीमारी को दोष देते हैं।
🍁 आयुर्वेद कहता है—
“जो सही ढंग से खाता है, उसे दवा की जरूरत कम पड़ती है।
और जो ढंग से नहीं खाता, उसे दवा भी कम असर करती है।”

पथ्ये सति गदार्तस्य किमौषधिनिषेवणैः ।
पथ्येऽसति गदार्तस्य किमौषधिनिषेवणैः ॥

अर्थात् आयुर्वेद ग्रंथों में जैसा शुद्ध सात्विक आहार बताया गया है, वैसा यदि मनुष्य भोजन में ध्यान रखें तो औषधि की क्या जरूरत है, क्योंकि तब रोग आएगा ही नहीं और यदि आयुर्वेद में बताए गए नियम के अनुसार भोजन ग्रहण नहीं करेंगे तो भी औषधियों की जरूरत ही नहीं क्योंकि आहार के शुद्ध ना होने से शरीर में दोषों का प्रकोप बना रहेगा और रोग नहीं जाएगा।
📖 आयुर्वेद के ही एक और महान आचार्य कश्यप ने कहा है
"आहारो महाभैषज्यम उच्यते "

अर्थात आहार से बड़ी कोई औषधि इस धरती पर नहीं है।
इस प्रकार हितकर आहार-विहार करने वाले जितेंद्रिय पुरुष रोग रहित होकर 36000 रात्रि अर्थात 100 वर्ष तक जीवित रहते हैं।
🍁 आचार्य चरक ने भोजन करने के तरीकों पर विस्तार से लिखा है-
"उष्णं, स्निग्धं, मात्रावत्; जीर्णे, वीर्याविरुद्धम्, इष्टे देशे, इष्टसर्वोपकरणं; नातिद्रुतं, नातिविल-म्बितम्, अजल्पन्, अहसन्, तन्मना भुञ्जीत, आत्मानमभिसमीक्ष्य सम्यक् ॥"
👉 अर्थात गरम, स्निग्थ (घृत, तैल से युक्त), उचित परिमाण बाला, जीर्ण होने पर अर्थात् जब पहले खाया हुआ भोजन पच गया हो, जो परस्पर वीर्य (द्रव्य में रहने वाली एक शक्ति) विरुद्ध न हों, प्रिय स्थान में बैठकर, मन के अनुकून जहाँ सभी साधन उपलब्ध हों, न बहुत जल्दी, न बहुत धीरे-धीरे, बातचीत न करते हुए, न हँसते हुए, अपनी पाचनशक्ति तथा अपनी रुचि को भली भांति देख-समझकर मन लगाकर अर्थात् इधर-उधर की चिन्ता को छोड़कर भोजन करे ।

👉 १. उष्णभोजन से लाभ -
उष्ण (गरम) भोजन करे, गरम खाने पर स्वादिष्ट लगता है। खा लेने पर जठराग्नि को तीव्र करता है, शीघ्र ही (समय पर) पच जाता है, वायु का अनुलोमन करता है और कफ को सुखाता है, इसलिए गरम (ताजा) भोजन करना चाहिये ।

👉 २. स्निग्धभोजन से लाभ :
घी तेल आदि से बने हुए पदार्थों को खाना चाहिये। स्निग्ध भोजन खाते हुए स्वादिष्ट लगता है, खाने पर मन्द अग्नि को प्रदीप्त करता है, शीघ्र पच जाता है। वात का अनुलोमन करता है, शरीर को पुष्ट करता है, इन्द्रयों को दृढ़ करता है, अंग-प्रत्यंग के बल को बढ़ाता है, रूपसौन्दर्य में वृद्धि होती है (शरीर की रूक्षता को हटाकर चिकनापन ला देता है), इसलिये स्निन्ध भोजन करना चाहिये ।

👉 ३. मात्रायुक्त भोजन से लाभ-
मात्रा के अनुसार भोजन करे। क्योंकि मात्रा के अनुसार खाया हुआ भोजन वात, पित्त, कफ को प्रकुपित न करता हुआ केवल आयु को ही बढ़ाता है। और शरीर में स्थित अग्नि को नष्ट नहीं करता है तथा किसी प्रकार के कष्ट के बिना ही पच जाता है।

👉 ४. पचने पर भोजन करने से लाभ-
पहले किया हुआ भोजन जब पच जाय तभी पुनः भोजन करना चाहिये। अजीर्ण स्थिति में खाना खा लेने पर खाया हुआ भोजन पहले किये हुए भोजन के अपक्व (अधपके) रस को बाद में खाये हुए आहार के रस से मिलाता हुआ शीघ्र ही सभी दोषों को प्रकुपित कर देता है। पहले भोजन के पचने पर भोजन करने वाले के अपने-अपने स्थानों में दोषों के स्थित हो जाने पर जाठराग्नि के प्रदीप्त होने पर, भूख के लग जाने पर, रसवाही स्रोतों के मुखों के खुल जाने पर, उद्‌गार (Ejection), हृदय के शुद्ध हो जाने पर, वायु के अनुलोम होने पर और वात (अपानवायु तथा उदानवायु), मूत्र, मल के वेगों का त्याग कर देने पर खाया हुआ भोजनसमूह, शरीर में स्थित सभी धातुओं को दूषित न करता हुआ अपितु पुष्ट करता हुआ केवल आयुष्य को बढ़ाता है। इसलिये पहले खाये हुए आहार के पचने पर भोजन करे।

👉 ५. वीर्याविरुद्ध भोजन से लाभ-
जिन द्रव्यों के वीर्य परस्पर विरुद्ध न हों ऐसे द्रव्यों से युक्त भोजन करे। अविरुद्ध वीर्य वाले भोजन को खाता हुआ पुरुष विरुद्ध वीर्य वाले आहारों से होने वाले विकारों से प्रभावित नहीं होता । द्रव्य में रस, गुण, वीर्य, विपाक आदि की सत्ता होती है। अनुकूल द्रव्यों के योग से इनमें वृद्धि होती हैं और विरुद्ध द्रव्यों के योग से विपरीतता आती है। जैसे- दूध-मछली, मधु-घृत आदि ।

👉 ६. अभीष्टस्थान में भोजन से लाभ-
इष्ट देश (मनोनुकूल तथा पवित्र स्थान) में और भोजन के उपयोगी सभी साधनों से युक्त होकर भोजन करे। क्योंकि मन के अनुकूल स्थान में भोजन करता हुआ पुरुष अप्रिय देश (घृणित स्थान) में बैठकर भोजन करने से होने वाले मानसिक विकारों से प्रभावित नहीं होता, उसी प्रकार सभी इच्छित भोजनोपयोगी सामग्री से युक्त पुरुष भी।

👉 ७. अतिशीघ्र भोजन करने से हानि-
अधिक शीघ्रता से भोजन न करे। क्योंकि अधिक शीघ्रता से भोजन करने वाले पुरुष का भोजन ऊपर नासिका आदि छिद्रों में चला जाता है, अवसाद उत्पन्न करता है, उचित विधि से उसकी स्थिति आमाशय में नहीं हो पाती और भोजन के गुण-दोषों की उपलब्धि भी निश्चित रूप से नहीं हो पाती।

👉 ८. अत्तिविलम्बित भोजन से हानि-
अधिक देर लगाकर भोजन न करे। क्योंकि अधिक समय लगा कर भोजन करने वाला पुरुष तृप्त नहीं हो पाता, वहुत खा जाता है, तब तक गरम परोसा हुआ भी भोजन देर करने से ठण्डा हो जाता है और उसके खाये हुए पदार्थों का पाक विषम (आगे-पीछे) होता है।

👉 ९. मन लगाकर भोजन करने से लाभ-
बातचीत न करते हुए तथा न हँसते हुए केवल भोजन की ओर ध्यान लगाकर भोजन करे। क्योंकि बातचीत करते हुए, हँसते हुए अथवा दूसरी ओर ध्यान लगाकर खाने वाले पुरुष के शरीर में वे ही दोष उत्पन्न होते हैं, जो अधिक शीघ्रता से भोजन करने वाले के होते हैं। इसलिये चुपचाप, विना हँसे और भोजन की ओर ध्यान लगाकर भोजन करे ।

👉 १०. अपने अनुसार भोजन से लाभ-
अपनी शारीरिक शक्ति को देखकर भली-भांति भोजन करे। शारीरिक शक्ति के अन्वेषण का प्रकार यह है- यह द्रव्य मेरे अनुकूल है? यह अनुकूल नहीं है? इस प्रकार विचार करके ही भोजन करें

🌿🌿 "स्वास्थ्य केवल यह नहीं कि आप क्या खाते हैं, बल्कि यह भी कि आप कैसे, कब और कितनी सजगता से खाते हैं। भोजन अगर औषधि है, तो उसका सही नियम उसके प्रभाव को दोगुना कर देता है—और गलत नियम वही भोजन विष जैसा असर दिखा सकता है।"🌿🌿

Dr Ajay Gupta
Assistant Professor
Government Ayurveda college
Senior Ayurveda Consultant

All India Institute of Ayurveda, New Delhi Rashtriya Ayurved Vidyapeeth Ministry of Ayush, Government of India ABP News Zee News Dainik Bhaskar Dainik Jagran

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29/11/2025

पान मसाला नहीं, इलायची है..
शराब नहीं, यह पानी है 🤗🇮🇳

कपालभाति कपाल को शुद्ध करता है कफ विकारों को समाप्त करता है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित कर शक्तिशाली बनाता है।
29/11/2025

कपालभाति कपाल को शुद्ध करता है कफ विकारों को समाप्त करता है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित कर शक्तिशाली बनाता है।

क्या लिखा है इस फोटो में 😊 कैसे पढ़ सकते है इसको ?
29/11/2025

क्या लिखा है इस फोटो में 😊
कैसे पढ़ सकते है इसको ?

29/11/2025

अयोध्या के बाद गोवा में 'रामत्व' का यह प्रतीक नए भारत की सांस्कृतिक जागृति को अभिव्यक्त करता है।

जय श्री राम!🙏🚩

हर छोटी मोटी बीमारी में एंटीबायोटिक लेना ख़तरनाक है। कृपया इस आदत को जल्द से जल्द बदल लें।
28/11/2025

हर छोटी मोटी बीमारी में एंटीबायोटिक लेना ख़तरनाक है। कृपया इस आदत को जल्द से जल्द बदल लें।

🤔 बहुत डरावना सच: 30 में से 28 एंटीबायोटिक दवाएँ अब बेअसर हो चुकी हैं! अध्ययन में शामिल 30 आम एंटीबायोटिक्स में से सिर्फ...
28/11/2025

🤔 बहुत डरावना सच: 30 में से 28 एंटीबायोटिक दवाएँ अब बेअसर हो चुकी हैं! अध्ययन में शामिल 30 आम एंटीबायोटिक्स में से सिर्फ़ 2 ही अब पूरी तरह काम कर रही हैं। 🤔
मतलब कल को अगर आपको निमोनिया, यूरीन इन्फेक्शन, सेप्सिस या कोई गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन हुआ तो डॉक्टर के पास देने को दवा ही नहीं बचेगी।
ये कोई भविष्यवाणी नहीं, आज की हकीकत है। अंधाधुंध प्रयोग से 30 में से 28 एंटीबायोटिक दवाइयां बैअसर हो गई हैं। ये परेशान करने वाली बात एक अध्ययन में सामने आई है।

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मरीजों में मिले बैक्टीरिया पर जब दवाओं का प्रयोग किया गया तो अधिकतर दवाएं बेअसर हो गईं। यानी दवाओं से 20 से लेकर 90% तक की रेसिस्टेंस पायी गया। अंधाधुंध प्रयोग के कारण सिर्फ दो-चार एंटीबायोटिक ही बची हैं जो काम आ रही हैं। इसके लिए गाइडलाइन बनाए जाने की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक तीन तरह के संक्रमण होते हैं। इनमें एक बैक्टीरियल, दूसरा वायरल, तीसरा फंगल संक्रमण होता है। सिर्फ बैक्टीरियल संक्रमण में ही एंटीबायोटिक दवाइयां देनी चाहिए। लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं हो रहा। बहुत से चिकित्सक वायरल और फंगल संक्रमण में भी एंटीबायोटिक लिख देते हैं, जबकि उन्हें जरूरत नहीं है।

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हमने खुद अपने हाथों से ये हालत बनाई है क्योंकि हम करते ये हैं:
• झोलाछाप डॉक्टर से मुफ्त में एंटीबायोटिक लेते हैं
• बुखार हो या खाँसी – सीधे मेडिकल स्टोर से “5 दिन का कोर्स” ले आते हैं
• दवा 3 दिन खाई, बुखार उतरा तो बाकी छोड़ दी
• डॉक्टर ने कल्चर टेस्ट कराने को कहा तो बोले – “इतना टाइम नहीं, कुछ भी लिख दो”
• अस्पतालों में हाथ नहीं धोते, इन्फेक्शन फैलाते हैं, फिर दवा खाते हैं

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अब क्या करें? एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को कैसे रोका जाए?
👉 तुरंत अपनाने वाले 10 उपाय (हर व्यक्ति कर सकता है):
• एंटीबायोटिक कभी बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के न लें – चाहे केमिस्ट कितना भी कहे
• दवा का पूरा कोर्स खत्म करें – आधा छोड़ने से सुपरबग बनते हैं
• वायरल बुखार, जुकाम, फ्लू में एंटीबायोटिक बिल्कुल न लें (99% केस में बेकार है)
• हर बार हाथ धोएँ, सैनिटाइजर यूज़ करें – 70% इन्फेक्शन यहीं से फैलते हैं
• बिना ज़रूरत अस्पताल में भर्ती न हों – वहाँ सबसे ज़्यादा रेजिस्टेंट बैक्टीरिया मिलते हैं
• चिकन, अंडे, दूध अच्छी तरह पकाकर खाएँ – कच्चा/अधपका खाने से भी रेजिस्टेंट बैक्टीरिया आते हैं
• कल्चर-सेंसिटिविटी टेस्ट ज़रूर करवाएँ – सही दवा मिलेगी, रेजिस्टेंस कम होगा
• इम्यूनिटी बढ़ाएँ – नींद, खाना, व्यायाम, तनाव कम करें

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👉 आयुर्वेद इसमें कितना बड़ा रोल निभा सकता है?
आयुर्वेद में दो बड़े उद्देश्य हैं:
1. स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणम् – स्वस्थ को स्वस्थ रखना
2. आतुरस्य विकार प्रशमनम् – रोगी का उपचार

यानी आयुर्वेद का मूल सिद्धांत ही है – “इन्फेक्शन से पहले इम्यूनिटी बढ़ाओ” और “बैक्टीरिया को मारने से पहले शरीर को इतना मज़बूत करो कि वो खुद लड़ ले”। इसके लिए चिकित्सक के परामर्श से निम्न उपाय किये जा सकते हैं-
1. रसायन चिकित्सा (Immunity Boosting)
👉 गिलोय, अश्वगंधा, आमला, तुलसी, मुलेठी, गुडुची घन वटी रोज़ लें
👉 च्यवनप्राश (सही कंपनी का) – 1–2 चम्मच रोज़ सुबह
👉 स्वर्ण प्राशन (बच्चों के लिए) – हर महीने पुष्य नक्षत्र में

2. रोज़ाना आयुर्वेदिक रूटीन
👉 सुबह खाली पेट: 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच शहद + 10 बूंद अदरक का रस + ½ नींबू
👉 त्रिफला चूर्ण रात को – आँतों को साफ रखेगा, 80% इम्यूनिटी वहीं बनती है

3. घरेलू जड़ी-बूटियाँ
👉 हल्दी दूध (1 गिलास दूध + ½ चम्मच हल्दी + चुटकी काली मिर्च)
👉 तुलसी-अदरक-लौंग-दालचीनी की चाय
👉 नीम की 4–5 पत्तियाँ चबाना (सुबह खाली पेट)
👉 लहसुन की 1 कली कच्ची (एलीसिन नामक तत्व बहुत ताकतवर एंटीबायोटिक है)

4. अस्पताल जाने से पहले ये आज़माएँ (डॉक्टर से पूछकर)
👉 एंटीबायोटिक लेने से पहले 3 दिन महासुदर्शन + गिलोय + तुलसी का काढ़ा पिएँ । अधिकांश केस में एंटीबायोटिक की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी

5. लंबे समय तक इम्यूनिटी के लिए
👉 रसराज रस, स्वर्ण भस्म, मकरध्वज (डॉक्टर की सलाह से)
👉 पंचकर्म (विशेषकर वमन-विरेचन) साल में एक बार कराएं

अब समय है कि हम आयुर्वेद को फिर से अपनाएँ – वो हमें इम्यूनिटी देगा, इन्फेक्शन रोकेगा, और एंटीबायोटिक के प्रयोग से बचाएगा।

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Dr Ajay Gupta
Assistant Professor

All India Institute of Ayurveda, New Delhi Rashtriya Ayurved Vidyapeeth Ministry of Ayush, Government of India



#इम्यूनिटीबढ़ाओ_एंटीबायोटिकबचाओ

आजकल मौसम में बदलाव की वजह से सबको खांसी सर्दी जुकाम और वायरल संक्रमण जैसे रोगों का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। ऐसे में लो...
27/11/2025

आजकल मौसम में बदलाव की वजह से सबको खांसी सर्दी जुकाम और वायरल संक्रमण जैसे रोगों का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। ऐसे में लोग जल्दीबाजी में एंटीबायोटिक और कफ सिरप लेना प्रारंभ कर देते है, जो कि एक सही तरीका नही है। ऐसे ही बिना वजह एंटीबायोटिक लेने से से Antibiotic Resistance का खतरा सभी पर मंडरा रहा है। तो करना क्या चाहिए?
बदलता मौसम हो या स्कूल में फैलते इंफेक्शन— विशेष रूप से छोटे बच्चों में खांसी एक आम समस्या है। कई बार माता-पिता डर जाते हैं, लेकिन सही देखभाल से यह जल्दी ठीक भी हो सकती है।

👶 बच्चों में खांसी क्यों होती है?
• वायरल इंफेक्शन (सर्दी-जुकाम)
• गले में इंफ्लेमेशन
• धूल-धुआँ और ठंडी हवा
• एलर्जी
• खराब पाचन या कफ का ज़्यादा बनना

🌱 आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद के अनुसार बच्चों में खांसी का मुख्य कारण कफ का बढ़ना होता है। जब पाचन कमजोर हो जाए या मौसम बदल जाए, तो यह कफ गले-छाती में रुकावट पैदा करता है और खांसी शुरू होती है।

🟢 घर में किए जाने वाले सरल आयुर्वेदिक उपाय:
ये सभी उपाय शुरुआती दौर में किये जा सकते है लेकिन कोशिश यही रहनी चाहिए कि जल्दी से जल्दी किसी आयुर्वेद चिकित्सक से मिलकर परामर्श ले लेना चाहिए। यहाँ कुछ सामान्य उपाय बता रहे है जो घर पर किये जा सकते है और बहुत ही लाभदायक होते है:-

🍯 1. शहद + अदरक का रस
(1 वर्ष के ऊपर बच्चों के लिए)
1 चम्मच शहद में 2–3 बूंद अदरक रस।
➡️ खांसी और गले की खराश में आराम।

🌿 2. तुलसी + मुलेठी + काली मिर्च काढ़ा
बहुत हल्का काढ़ा बनाकर दिन में 2–3 बार कुछ-कुछ घूँट दें।
➡️ बलगम ढीला करता है, गले को साफ रखता है।

🧂 3. गर्म पानी की भाप (Steam)
2–3 मिनट हल्की भाप।
➡️ नाक खुलती है, खांसी कम होती है।

🧴 4. सरसों का तेल + लहसुन का तड़का
तेल को थोड़ा गुनगुना कर छाती, पीठ और पैरों के तलवों पर मालिश।
➡️ बलगम पिघलता है, नींद अच्छी आती है।

🍵 5. अजवाइन का पानी
1 कप पानी में चुटकी भर अजवाइन उबालकर।
➡️ गैस-पेट भरने से होने वाली खांसी में फायदेमंद।

✨✨✨✨✨

👉 बच्चों में खांसी होने पर ये सावधानियाँ रखें
• ठंडे पेय, आइसक्रीम, दही तुरंत बंद
• धूल-धुआँ से बचाएँ
• गला ठंडा न होने दें
• बच्चे को खूब पानी/गर्म तरल दें
• रात में सिर थोड़ा ऊँचा रखकर सुलाएँ

🚩 डॉक्टर को कब दिखाएँ?
• खांसी 5 दिन से ज्यादा चले
• बुखार के साथ खांसी
• साँस लेने में दिक्कत
• बच्चे की भूख कम होना
• बहुत तेज़ भौंकने जैसी खांसी

Dr Ajay Gupta
Assistant Professor
Government Ayurvedic College

All India Institute of Ayurveda, New Delhi
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221002

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