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Revo Ayurveda This page is created to aware peoples about Ayurveda .
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Which is the world's oldest system of medicine and surgery , How Ayurveda helps their life by preventing them from diseases and cure the diseases .

23/01/2022
08/01/2022

सुश्रुत संहिता vs COVID-19

सूत्र स्थान : - अध्याय ६ : ऋतूचर्या

*कदाचिदव्यापन्नेष्वपि ऋतुषु* - inappropriate seasons

*कृत्या*:- wrong karma
*अभिशाप* : - curse of animals and kinds
*राक्षस* :- demons ( viruses , bacteria )
*क्रोध* :- disrespectful for Nature
*अधर्म* :-nonreligiousy

*रुपध्वस्यन्ते जनपदाः*, breakdown living culture

*वायुनोपनीते तेनाक्रम्यते* :- vitiated air like substance and it creates effect to

*यो देशस्तत्र दोषप्रकृत्यविशेषेण* :- convert or mutant to nation by nation and produce....

*कास* -coughing
*श्वास* - breathlessness
*वमथु* vomiting
*प्रतिश्याय* - running nose
*शिरोरुग*- headache
*ज्वरै* fever
............ रुपतप्यन्ते |

*विविधरोगप्रादुर्भावो "मरको" वा भवेदिति* |
Various disease and epidemies are manifested .

*चिकित्सा* : - treatment

तत्र,....

*‌स्थानपरित्याग* :- return to home
*‌शान्तिकर्म* :- work and maintain peace
*‌प्रायश्चित्त* :- ready to pay for penalty
*‌मङ्गल* :- Being prosperous
*‌जप* :- keep mind Busy
*‌होम* :- ritual habits like hand wash
‌ *उपहारे* :- Gift right scene
*‌ईज्याञ्जलि* :- sacrifices
*‌नमस्कार* :- you know well
*‌तपो* :- Austerity
*‌नियम* :- make and follow rules
‌ *दया* :- kind towards living beings
*‌दान* :- contribution
*‌दीक्षा* :- purpose of purifying World
*‌अभ्युपगम* - acceptence

*देवताब्राह्मणगुरुपरैर्भवितव्यम्* :- pray together to god.

*..............एवं साधु भवति |*

....... *You definitely get win*.✌️

*Ayurveda is not compulsory but its necessary*

*Think it's older than any science but still most effective*

*Respect our proud*
*Respect our tradition*
*Respect our medicine*
*Respect our Ayurveda*

* # spreadthegood*



Find the reference in comment section

Regards
Dr. Hemant Adhikari

12/11/2021

this vedio is about Agnikarma procedure , Agnikarma is very effective in treatment of corn callus , warts etc it is totaly harmless ..... #...

12/11/2021
12/11/2021
12/11/2021
12/11/2021
05/09/2021
04/09/2021

continues with Union Minister Shri Sarbananda Sonowal ji starting the 'Ayush Aapke Dwar' initiative from Mumbai while MoS Dr Mahendra Munjapara ji will be in Delhi to distribute 75 lakh saplings of medicinal plants during a period of one year.

04/09/2021

The MoA is proud to continue its commemoration of by launching 'Ayush Aapke Dwar'
The launch of this campaign will be marked by distributing 2 lakh medicinal plants in 21 states at 44 locations today!

04/09/2021

जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा दे रही मोदी सरकार...

देशभर में अगले एक वर्ष में 75 हजार हेक्टेयर जमीन पर जड़ी-बूटियों की खेती की जायेगी।

आयुष मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) करेगा अभियान की अगुवाई।

जड़ी-बूटियों की खेती से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।

04/09/2021

'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के तहत जारी कार्यक्रमों में आज दिल्ली में माननीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई जी ने 'आयुष आपके द्वार' अभियान का शुभारंभ किया। इसके अंतर्गत एक साल में देशभर के 75 लाख परिवारों को औषधीय पौधे दिए जाएंगे।

03/09/2021
03/09/2021
03/09/2021
25/08/2021
24/08/2021
10/08/2021

प्राचीन भारत के महान रणनीतिकार #आचार्य_चाणक्य अपने साथ एक दण्ड लेकर चला करते थे। कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य अपने दण्ड में #गुडूची छुपाकर रखते थे ताकि संकट के समय उनकी प्राण रक्षा हो सके। आयुर्वेद की संहिताओं मे दण्ड को भय का नष्ट करने वाला बताया गया है (सु.चि. 24.78, च.सू.5.102) भयघ्नं दण्डधारणम्। लेकिन हम डंडे की बात कभी बाद में करेंगे, आज की चर्चा उस गुडूची पर है जिसे आचार्य चाणक्य अपने डंडे में सदैव रखते थे और जिनका मानना था कि औषधियों में गुडूची सर्वश्रेष्ठ है (बृ.चा.9.4): सर्वौषधीनां अमृता प्रधाना। गुडूची को आब-ए-हयात नाम से भी जाना जाता है।आम बोलचाल में इसे #गिलोय भी कहा जाता है

आइये, सबसे पहले आयुर्वेद की संहिताओं में उपलब्ध जानकारी की बात करते हैं। उम्र को रोके रहने वाले या वयःस्थापक द्रव्यों में गुडूची शामिल है। इस वर्ग की अन्य प्रजातियाँ #हरीतकी, #आँवला, रास्ना, अपराजिता, जीवन्ती, अतिरसा #शतावरी, #मंडूकपर्णी, #शालपर्णी, व #पुनर्नवा हैं (च.सू.4.18): अमृताऽभयाधात्रीमुक्ताश्वेताजीवन्त्यतिरसामण्डूकपर्णीस्थिरापुनर्नवा इति दशेमानि वयःस्थापनानि भवन्ति। इसके अतिरिक्त एकल या अकेली गुडूची का भी अनेक बीमारियों के विरुद्ध प्रयोग किया जाता है। आचार्य भावमिश्र ने स्पष्ट किया है कि (भा.प्र.पू.ख. गुडुच्यादिवर्ग 6.8-10): गुडूची कटुका तिक्ता स्वादुपाका रसायनी। संग्राहिणी कषायोष्णा लघ्वी बल्याऽग्निदीपिनी।। दोष त्रयामतृड्दाहमेहकासांश्च पाण्डुताम्। कामला कुष्ठवातास्त्रज्वरक्रिमिवमीन्हरेत।। प्रमेहश्वासकासार्शः कृच्छ्रहृद्रोगवातनुत् ।

आयुर्वेद की प्रमुख संहिताओं में 178 ऐसे जीवनदायी योग हैं जिनमें गुडूची प्रमुखता से प्रयुक्त होती है और शायद ही ऐसा कोई रोग हो जो इन योगों से न सम्हलता हो। गुडूची के मिश्रण वाले योगों का उपयोग #टाइफाइड, नर्वस सिस्टम के रोग, तमाम तरह के टॉक्सिक और सेप्टिक बुखार, वातज, पित्तज और कफज ज्वर, रक्तस्राव, गठिया, गाउट, रूमेटिज्म, ऐसे बुखार जिनमें प्राय रक्त स्राव हो जाता है, उल्टी, जलन, दाह, मोटापा, अम्ल और पित्त बढ़ने के कारण होने वाली उल्टियां, चमड़ी के अनेक तरह के रोग, अल्सर, शोथ, मलेरिया, यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़े रोग, फाइलेरियासिस, एंजाइना और वातज शूल, पित्तश्लेष्मिक ज्वर, वृष्य और वाजीकरण, याददाश्त बढ़ाना, आंखों और आंख से जुड़े तमाम रोग, उम्र बढ़ने को रोकना, बालों का पकना रोकना, बौद्धिक क्षमता बढ़ाना, शरीर का नवीनीकरण करना, फिस्टुला इन एनो सहित गुदा के तमाम रोग, अनेक प्रकार के कुष्ठ, ज्वाइंडिस, राइनाइटिस, साइनस, स्प्लीन का बढ़ना, जोड़ों का दर्द, ट्यूमर, एनीमिया, प्लीहा का बढ़ना, अग्नि को सम करना, बलवृद्धि, मनोविभ्रम की स्थिति ठीक करना, मिर्गी, तमाम वात विकार, जननांगों से जुड़ी हुई समस्यायें, सर्वाइकल लिम्फोडिनोमा, योनि-रोग ठीक करना, दीर्घायु-प्राप्ति, शरीर को कांतिवान बनाना, सियाटिका सहित कमर, पैरों और जांघों का दर्द, डिसपेप्सिया, सिरदर्द, माइग्रेन, दांत का दर्द जैसे अनेक रोगों को ठीक करने में होता है।

आयुर्वेद की #एंटीवायरल औषधियां, जिनमें गुडूची भी शामिल है, पर इन वाइवो, इन वाइट्रो, और क्लिनिकल अध्ययन हो चुके हैं।ये तमाम प्रकार के वायरल रोगों से बचे रहने के लिये मददगार हैं। कालमेघ, चिरायता, तुलसी, शुंठी, वासा, शिग्रू या सहजन, कालीमिर्च, पिप्पली, गुडूची, हरिद्रा, यष्टिमधु, बिभीतकी, आमलकी, अश्वगंधा, हरीतकी, मुस्ता, पाठा, पुनर्नवा, लहसुन, शरपुन्खा, कुटज, शल्लकी, #पुदीना, #त्रिकटु, #त्रिफला आदि शोध में एंटीवायरल सिद्ध हो चुके हैं| इसके साथ ही संहिताओं, साइंस और अनुभव को साथ लेकर आधुनिक वैज्ञानिक विधियों से निर्मित जेवीएन-7 (अग्नि सम रखने हेतु) जेरलाइफ-एम व जेरलाइफ-डब्ल्यू (व्याधिक्षमत्व बढ़ने हेतु), कोल्डकैल, एलेरकैल, त्विषामृत (हेतु-विपरीत एंटीवायरल) जैसी डबल-स्टैंडर्डाइज़्ड मल्टीस्पेक्ट्रम आयुर्वेदिक रसायन व औषधियाँ वायरल संक्रमण से बचाव और उपचार दोनों ही उत्तम परिणाम देती हैं। इन तमाम योगों में भी गुडूची प्रमुखता से प्रयुक्त होती है। लेकिन यहाँ सेल्फ-मेडिकेशन बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिये। केवल वैद्यों की सलाह से ही औषधि लेना उपयुक्त और सुरक्षित होता है।

इसके अलावा अनेक शोध और भी हैं जिनमें गुडूची को उपयोगी पाया गया है। कुछ उदाहरण देखते हैं। कम मात्रा में भी दारू पीने से पुरुषों में सेक्स हार्मोन को होने वाले नुकसान को रोकने में आयुर्वेदिक औषधि गुडूची सहायक है। दारू पीने से बर्बाद मेटाबोलिज्म को ठीक करने में गुडूची सहायक हो सकती है। यकृत को भी ठीक करती है।लेकिन इस जानकारी का उपयोग पियक्कड़ हो जाने के लिये न करें। गुडूची द्वारा बीटा-सेल्स के रिजेनेरेशन की संभावना भी पायी है। डायबिटीज के उपचार की दिशा में एक और प्रमाण यह

दरअसल, उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि गुडूची के बारे में उपलब्ध प्रमाणों को तीन तरह से देखा जा सकता है| एक तरफ स्थानीय आदिवासियों द्वारा स्थानीय ज्ञान का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार के रोगों के विरुद्ध गुडुची का प्रयोग पूरे देश में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा रिकॉर्ड किया गया है। दूसरी तरफ आयुर्वेद की संहिताओं में गुडूची को विभिन्न रोगों के विरुद्ध प्रभावी होने की जानकारी अंकित है।इसके साथ ही आधुनिक वैज्ञानिक शोध की विधियों - इन वाइट्रो, इन वाइवो एवं क्लिनिकल ट्रायल्स – में भी गुडूची की विभिन्न रोगों के विरुद्ध क्रियात्मकता सिद्ध हुई है।

यहां एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि इतना सब कुछ उपलब्ध होते हुये भी गुडूची जिन रोगों में उपयोगी है उनके लिये इसे निर्विवाद औषधि मानने में क्या समस्यायें हैं? दरअसल, आधुनिक वैज्ञानिक शोध की विधियां केवल रेंडमाइज्ड ट्रायल्स को ही गोल्ड क्लास शोध का दर्जा देती हैं। त्रुटिवश आयुर्वेद के लिये भी यह धारणा बन गयी है कि क्लिनिकल ट्रायल्स के बिना आयुर्वेद की किसी औषधि को रोगों के विरुद्ध एक प्रभावी और उपयोगी औषधि के रूप में मान्यता नहीं मिल सकती। लेकिन कटु सत्य यह है कि आधुनिक वैज्ञानिक शोध की विधियां जिनमें रेंडमाइज्ड क्लीनिकल ट्रायल शामिल हैं, आयुर्वेद की समग्रता को साथ लेकर नहीं किये जाते| उदाहरण के लिये, आयुर्वेद में केवल औषधि महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि निदानपरिवर्जन, पथ्य-अपथ्य, व्यक्ति की प्रकृति आदि अनेक महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्हें देखते हुए किसी औषधि विशेष की, किसी व्यक्ति विशेष में, किसी रोग विशेष के विरुद्ध प्रभाविता आंकी जा सकती है। इस प्रकार के क्लिनिकल ट्रायल्स को ही आयुर्वेद के लिये उपयोगी माना जा सकता है| होल-सिस्टम क्लिनिकल ट्रायल के बिना आयुर्वेद की किसी औषधि की प्रभाविता जांचना और परखना संभव नहीं है।

एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि यदि ज्ञान के उत्पादन की सभी विधियां एक ही दिशा में संकेत करती हैं तो ऐसे प्रमाण को आप निर्विवाद प्रमाण मान सकते हैं, जब तक कि ऐसे प्रमाण के विरुद्ध कोई अन्य अध्ययन ऐसे प्रमाण को रद्द न करता हो। यहां पर पारंपरिक वनस्पति विज्ञान, आयुर्वेद, वैद्यों के अनुभव और आधुनिक शोध को साथ में देखने पर गुडूची को उपयोगी औषधि मानने के उचित, पर्याप्त और निर्विवाद प्रमाण उपलब्ध हैं।

ऐसा नहीं है कि जिन औषधीय पौधों में विभिन्न स्तरों पर आधुनिक वैज्ञानिक शोध हो चुकी है वे अंततः क्लिनिकल ट्रायल में भी उस रोग के विरुद्ध उपयोगी पाये जायेंगे। एलोपैथी की दवाओं समेत किसी भी औषधि के लिये ऐसी कोई सुनिश्चितता विज्ञान में उपलब्ध नहीं है। परन्तु उन औषधीय पौधों में जिनमें आयुर्वेद की संहिताओं में स्पष्ट जानकारी अंकित हैं वे वस्तुतः दीर्घकाल तक आयुर्वेद आचार्यों के अनुभवजन्य ज्ञान के आधार पर ही अंकित की गयी है| पिछले 5000 वर्षों के दौरान अलग-अलग काल में लिखी गई संहितायें जब एक ही दिशा में संकेत करती हैं तो यह माना जा सकता है कि जिन विद्वानों ने उन्हें लिखा उन्होंने अपने अनुभवजन्य ज्ञान के आधार पर उसका पुनः परीक्षण और पुनः पुष्टि की। इसलिये आधुनिक वैज्ञानिक शोध अपनी जगह ठीक है और वह चलना भी चाहिये लेकिन 2000 साल तक निरंतर उपयोग के द्वारा उत्पन्न अनुभवजन्य ज्ञान को आज सिर्फ इस आधार पर नहीं नकारा जा सकता कि उनमें तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल्स उपलब्ध नहीं हैं।

अंत में यही कहना है कि ऐसे उपयोगी पौधे को हमारे आसपास अवश्य लगना चाहिये। पौधे उगाने की सबसे अनुपजाऊ जगह मानव का दिमाग है। इंसान के माथे में पौधा लगाना बहुत कठिन है, मिट्टी में लगाना तो आसान है। आप भी आगे आइये और गुडूची सहित अपने लिये उपयोगी औषधीय पौधों का अधिक से अधिक रोपण कीजिये।जरूरत पड़ने पर दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा।

10/08/2021

# Indigestion

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