20/11/2025
यह रही एक कहानी जिसमें पित्त की थैली के ऑपरेशन में डॉक्टरों की गलती के कारण एक लड़की को कई अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े और अंततः एक छोटे से अस्पताल में उसे नया जीवन मिला।
💔 संघर्ष और संतोष की कहानी
🌄 एक नई सुबह, एक भयानक भूल
राधा, एक 22 वर्षीय हंसमुख और कॉलेज जाने वाली लड़की थी, जिसे पित्ताशय (Gallbladder) में पथरी की शिकायत हुई। डॉक्टरों ने लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी (पित्ताशय निकालने का ऑपरेशन) की सलाह दी। यह एक सामान्य सर्जरी थी, और राधा व उसके परिवार को विश्वास था कि यह एक छोटी सी बाधा है।
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में ऑपरेशन हुआ। शुरू में सब ठीक लग रहा था, लेकिन कुछ ही दिनों में सीमा को भयानक पेट दर्द, बुखार और पीलिया (Jaundice) शुरू हो गया।
जब वह उसी अस्पताल में वापस गई, तो डॉक्टरों ने इसे "ऑपरेशन के बाद की सामान्य जटिलता" कहकर टाल दिया और कुछ दवाइयाँ देकर छुट्टी दे दी। लेकिन सीमा की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई।
🩺 दर-दर की ठोकरेंराधा की माता, , अपनी बेटी की हालत देखकर बेचैन हो उठे। वे Radha को लेकर शहर के एक और बड़े, सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल गए। वहाँ के जाँच में जो सामने आया, वह दिल दहला देने वाला था।
ऑपरेशन करने वाले सर्जन ने गलती से पित्त नली (Common Bile Duct) को क्लिप कर दिया था, और पित्त (Bile) पेट की गुहा (Abdominal Cavity) में रिस रहा था, जिससे गंभीर संक्रमण (Sepsis) हो गया था। यह एक भयानक चिकित्सा लापरवाही (Medical Negligence) का मामला था।
दूसरे अस्पताल के डॉक्टरों ने तुरंत एक जटिल सुधारात्मक सर्जरी (Correctional Surgery) की। यह सर्जरी सफल रही, लेकिन संक्रमण इतना फैल चुका था कि सीमा की किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ने लगा। ऑपरेशन के बाद भी उसे आईसीयू में रहना पड़ा।
अगले 2 महीनों तक, सीमा और उसके माता-पिता ने हर अस्पताल में महंगे इलाज, नई दवाइयाँ, और निराशा ही हाथ लगी। राधा का वजन कम होता गया, और उसकी हिम्मत टूटने लगी थी। बड़े-बड़े डॉक्टरों के चेहरे पर अब सिर्फ "रिकवरी की संभावना कम है" की मायूसी थी।
एक रात, बड़े अस्पताल के आईसीयू में, मशीनें लगातार बज रही थीं। डॉक्टरों ने राधा की माता को बुलाकर कहा, "हम अपनी तरफ से सब कर चुके हैं। अब हमें लगता है कि आपको किसी विशेषज्ञ लीवर ट्रांसप्लांट सेंटर में जाना चाहिए।"
राधा की जान सचमुच खतरे में आ गई थी।
✨ छोटे अस्पताल का चमत्कार
थके-हारे और आर्थिक रूप से टूट चुके राधा की माता को उनके पैतृक गांव के एक पुराने दोस्त ने एक सुझाव दिया: "हमारे पास के छोटे से हॉस्पिटल All इंडिया Hospital आगरा वह बड़े अस्पतालों की चमक-दमक से दूर रहते हैं, लेकिन उनका हाथ बहुत साफ है।"
एक आख़िरी उम्मीद लेकर, Radha की माता हमारे हॉस्पिटल लेकर आए
डॉ. RP सिंह जादौन और डॉक्टर टीम ने राधा के सारे पुराने रिकॉर्ड्स को ध्यान से देखा। उन्होंने बड़े अस्पतालों की तरह लम्बी-चौड़ी जाँचें नहीं लिखीं। उन्होंने शांत स्वर में कहा, "समस्या बड़ी है, पर ठीक हो सकती है। इसे अब सिर्फ दवा और समय नहीं, बल्कि सही देखभाल और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है।"
डॉ. RP Singh jadon ने राधा के शरीर से संक्रमण के सारे अवशेषों को बाहर निकालने के लिए एक छोटी सी प्रक्रिया (Percutaneous Drainage) की। उन्होंने महंगे एंटीबायोटिक की जगह, खान-पान और आयुर्वेदिक समर्थन पर जोर दिया, ताकि Radha का लिवर खुद से ठीक हो सके।
धीरे-धीरे, चमत्कार होना शुरू हुआ। सीमा का पीलिया कम होने लगा। उसका दर्द हल्का हो गया। छोटे अस्पताल के साधारण, लेकिन साफ़-सुथरे कमरे में, उसे एक परिवार जैसा माहौल मिला।
राधा की 10 दिन के अंदर, की तबीयत में इतना सुधार हुआ कि उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई । राधा जब अपने पैरों पर सामने खड़ी हुई, तो वह पल उसके माता-पिता के लिए किसी नए जन्म से कम नहीं हैं