04/06/2021
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शनि के वाहन:-
ज्योतिष एवं धार्मिक शास्त्रों में शनिदेव के रूप, कार्यप्रणाली तथा कथाओं का वर्णन आता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि सूर्यपुत्र शनि का कार्य प्रकृति में संतुलन पैदा करना तथा हर जीव का उसके कर्मो के अनुसार न्याय करना है। शनि मात्र पापियों और दुराचारियों को ही पीड़ित करते हैं।
ज्योतिष तथा दार्शनिक शास्त्र के कई नवीन शोधकर्ताओं ने शनि कि गोचर अनुसार राशि परिवर्तन कि तिथि, नक्षत्र में गोचर तथा नक्षत्र परिवर्तन अनुसार शनिदेव के नौ वाहनों का उल्लेख किया है। शनिदेव के हर वाहन का अलग अर्थ है तथा हर वाहन का शुभाशुभ फलादेश है। शास्त्रानुसार शनि जिस जातक कि कुंडली में जिस वाहन पर सवार होते हैं वह जातक उसी अनुसार फल पाता है।
शनि वाहन का निर्धारण: शनि वाहन का निर्धारण जातक कि जन्मकुंडली में शनि के नक्षत्र अनुसार संख्या में निवास तथा शनि के राशि परिवर्तन तिथि की नक्षत्र संख्या के आधार पर होता है। यह ज्योतिष के गणित का सूत्र है। इस गणित के सूत्र को ज्ञात करने हेतु में शनि का जातक के जन्मनक्षत्र कि संख्या तथा शनि के राशि परिवर्तन की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनों को जोड़ा जाता है तत्पश्चात इस जोड़ को नौ से विभाजित किया जाता है। विभाजित करने के उपरांत बची हुई शेष संख्या के अनुरूप ही शनि वहान का निर्धारण होता है। शनि का वाहन भी तय करता है आपका भविष्य जानें कैसे
शास्त्रों में शनि के 9 वाहनों का वर्णन इस प्रकार है 1.गज, 2.गदहा, 3.अश्व, 4.महिष, 5.सिंह, 6.जंबुक, 7.मयूर, 8.कौवंश और 9.हंसा हैं।
1. शनि वाहन गज (हाथी): शनि वाहन गज व्यक्ति हेतु अशुभ माना जाता है। यह जातक को आशा के विपरीत फल देता है।
2. शनि वाहन गदहा (गधा): जब शनि का वाहन गधा होता है तो यह जातक हेतु रोड़ा माना जाता है। यह जातक के जीवन में गतिरोध पैदा करता है। कार्य सफलता हेतु जातक को अत्यधिक प्रयास करने होते हैं।
3. शनि वाहन अश्व (घोड़ा): शनि का वाहन अश्व होने पर व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं। शत्रुओं पर विजय मिलती है।
4. शनि वाहन महिष (भैंसा): शनि का वाहन महिष होने पर व्यक्ति को मिश्रित फल कि प्राप्ति होती है। व्यक्ति के साथ पारिवारिक समस्याएं बढ़ जाती हैं।
5. शनि वाहन सिंह (शेर): शनि का वाहन सिंह होने पर व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते है। शत्रु और विरोधी परास्त होते हैं।
6. शनि वाहन जंबुक (सियार): शनि का वाहन जंबुक होने पर व्यक्ति के जीवन में अशुभता रहती है। अकस्मात आर्थिक समस्याएं घेर लेती हैं तथा पारिवारिक क्लेश रहता है।
7. शनि वाहन मयूर (मोर): शनि का वाहन मयूर होने पर व्यक्ति को शुभ फलों कि प्राप्ति होती है। व्यक्ति को कर्म व भाग्य दोनों का साथ मिलता है। व्यक्ति कर्मठ बनता है और आर्थिक स्थिति में सुधारा आता है।
8. शनि वाहन कौवंश (कौआ): शनि का वाहन कौवंश होने पर व्यक्ति का जीवन कलहकारी रहता है। घर व कार्यक्षेत्र में विवाद रहते हैं। व्यर्थ के वादविवाद उत्पन्न होते हैं तथा कोर्टकेस जैसे हालत पैदा होते हैं।
9. शनि वाहन हंसा (हंस): शनि का वाहन हंसा होने पर व्यक्ति का भाग्योदय होता है। आर्थिक सुधार और सुखों में वृद्धि होती है ।
१. व्यक्ति को अपनी कुंडली में शनि के जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड कर योगफल को नौ से भाग करना चाहिए. शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है । शनि का वाहन जानने की एक अन्य विधि भी प्रचलन मे है. इस विधि मे निम्न विधि अपनाते हैं:
२. शनि के राशि प्रवेश करने की तिथि संख्या+ जन्म समय की शनि कि ऩक्षत्र संख्या +वार संख्या +नाम का प्रथम अक्षर संख्या, सभी को जोडकर योगफल को 9 से भाग किया जाता है. शेष संख्या शनि का वाहन बताती है.
एक दृष्टांत से यह बात आसानी से समझ में आएगी l
एक जातक का नाम भारत है l उस का शनि जन्म नक्षत्र मूल है l
शनि देव ने जब धनु राशि में प्रवेश किया तब भी मूल नक्षत्र था l
नियम १ अनुसार:- जातक के शनि की नक्षत्र संख्या १९ है एवं शनि देव ने जब धनु में प्रवेश किया तो वह भी मूल नक्षत्र था जिस की संख्या भी १९ ही होगी l दोनों का योग करने से ३८ संख्या आती है l ३८ को ९ से भागने से शेष २ बचती है, तो दो क्रमांक गधा का वाहन निर्दिष्ट करता है l जिस का फल गधे के सामने लिखा है, जो अच्छा नहीं है l
नियम २ अनुसार:- शनि देव २६.१०.२०१७ के दिन धनु राशि के मूल नक्षत्र में प्रविष्ट हुए l
उस दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथी थी l गुरुवार था तो उस का क्रम पांच हुआ l मूल नक्षत्र था उस का क्रमांक १९ हुआ l भारत नाम है तो हिंदी अक्षर अंक तालिका अनुसार ‘भ’ का अंक ६ होता है l इन सब का योग होता है: ६+५+१९+६=३६ l ३६ को नौ से भागने से शेष शून्य रहती है, उसे यंहा नौ में परिवर्तित करना होगा l अब शेष ९ के सामने हंस का वाहन आता है जिस का फल अच्छा है l
तो इस स्थिति नियम १ और नियम २ के परिणामो को दृष्टी में रखें तो जातक को मिश्र फल मिलेगा l
*”मेरा निजी मत यह है की नियम १ को ही लागु करके वाहन अनुसार फलादेश देखना चाहिए, तो द्विधा नहीं रहेगी l”*
Dr. Bhargav S. Adhyaru
B. Sc., B.Sc.(Tech), Ph.D.
DITM, DIV, DIJ
9825038089/9825098589
Dr. Bhargav Adhyaru (Director)