14/01/2022
Ilizarov तकनीक द्वारा मरीज का इलाज
अगर कोई व्यक्ति हड्डी में संक्रमण की वजह से चलने-फिरने में लाचार हो चुका है तो उस परिस्थिति में इलिजारोव तकनीक उपयोगी है। इस तकनीक से पीड़ित व्यक्ति चलने लायक बनाया जा सकता है। टूटी हुई हड्डियों को किसी अन्य तकनीक से नहीं जोड़ा जा सका है तो उस स्थिति में भी इलिजारोव विधि कारगर साबित होती है। इस तकनीक में महज कुछ तारों एवं रिंग को टूटी हुई हड्डियों में लगाने के बाद न सिर्फ मरीज अगले दिन से चलने लगता है बल्कि उसकी टूटी हड्डियां भी कुछ दिनों में जुड़ जाती हैं। हड्डियों का संक्रमण भी समाप्त हो जाता है।
*क्या है इलिजारोव तकनीक* :-
रूस के विख्यात डॉक्टर गैवरिल ए इलिजारोव के नाम पर इस तकनीक का नाम पड़ा है। डॉ इलिजारोव ने एक ऐसे उपकरण का इजाद किया था जिसमें स्टील के बने कई छल्ले होते थे और जो कई तारों के जरिए हड्डियों को नया आकार दे पाते थे। इस तकनीक का ही कमाल था कि उन्होंने टेढ़ी हड्डियों को सीधा करने, छोटी हड्डियों को लंबा करने और बौनेपन को खत्म करने में महारत हासिल की थी। यही तकनीक इलिजारोव तकनीक के नाम से जानी जाती है।
अक्सर देखा जाता है कि एक्सीडेंट, चोट, जन्मजात रोगों के कारण कभी-कभार मरीज का एक या दोनों पैर काटने पड़ते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त पैर का कुछ हिस्सा अलग कर सही पैर की तुलना में सही और बराबर करते हैं। यह स्थिति हाथ की बजाय पैरों की लंबाई को ज्यादा प्रभावित करती है जिसे लिम्ब लेंथ डिस्क्रेपेंसी (एलएलडी) कहते हैं। इसमें रीढ़ की हड्डी और कूल्हे के जोड़ पर भी असर होता है। इसके लिए लिम्ब लेंथनिंग सर्जरी की जाती है। साथ ही जो व्यक्ति स्वस्थ होने के बावजूद कम कद वाले हैं वे लंबाई बढ़ाने के लिए लिम्ब लेंथनिंग (ilizarov technique) जैसी नई सर्जरी की मदद ले रहे हैं।
देश के बड़े अस्पतालों में इलिजारोव तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है! निजी अस्पतालों इस सर्जरी का 2 से 3 लाख रुपये लेते है,
शनिवार को जी.डी. बढ़ाया अस्पताल में पहली बार इलिजारोव तकनीक के जरिये मरीज (50) की टूटी हुई हड्डी (Open # proximal tibia with lacerated wound (patellar tendon injury , patellar retinaculum tear - open knee joint , partial tear lateral collateral ligament )का सफल ऑपरेशन 3 घंटे में किया गया ।