21/10/2021
Dr. Parth Singh
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Posted on Sep 28, 2021
Dr. Parth Singh
*बाइपोलर डिसऑर्डर*
यह एक ऐसा मानसिक रोग है जिसमे दो एकदम विपरीत रोगों के लक्षण अलग अलग समय पर दिखाई देते हैं.
1. मेनिया या उन्माद: बाइपोलर डिसऑर्डर की इस अवस्था में व्यक्ति अतिसक्रिय हो जाता है और उसे बढ़ी हुई ऊर्जा और ख़ुशी का एहसास होने लगता है. वह बहुत ज्यादा बोलने लगता है और बड़ी बड़ी बातें करता है, बड़ी बड़ी अव्यवहारिक योजनायें बनाने लगता है. उसकी नींद उड़ जाती है और बेहद शौक़ीन व् खर्चीला हो जाता है. चिडचिडापन व् कभी कभी हिंसक भी हो जाता है .
2. बाइपोलर डिसऑर्डर की दूसरी अवस्था में इसके एकदम उलट अवसाद यानि डिप्रेशन के लक्षण आने लगते हैं. व्यक्ति निराश और दुखी रहने लगता है. बातचीत बोलचाल एकदम कम कर देता है, शरीर में हमेशा थकान और आलस भरा रहता है. किसी भी कार्य में रूचि नहीं रहती और खाने पीने या कपड़ों इत्यादि के बारे में कोई शौक नहीं रह जाता. अकारण ही मन बेहद उदास रहता है, स्वयं और स्वयम के भविष्य को लेकर एकदम नकारात्मक हो जाता है और कभी कभी जीवन को समाप्त करने के बारे में भी विचार आने लगते हैं.
अक्सर, व्यक्ति कुछ महीने मेनिया (उन्माद) की अवस्था में रहता है और उसके बाद या तो कुछ महीने सामान्य रहता है या डिप्रेशन (अवसाद) की अवस्था में चला जाता है. मेनिया और डिप्रेशन के लक्षण कुछ मरीजों में कई सालों तक नहीं आते और कुछ मरीजों में एक साल के भीतर ही कई बार आ जाते हैं. मरीज़ के साथ साथ उसके परिवारजनों को भी इस बीमारी के कारण बेहद कष्ट उठाना पड़ता है.
अक्सर लोग इन लक्षणों को देवी देवता या भूत-प्रेत का प्रकोप मानकर झाडफूंक करने वालों के पास ले जाते हैं जो रोगी को नाना प्रकार के कष्ट देते हैं.
यदि ऐसे लक्षण आपके किसी परिजन या मित्र में दिखाई दें तो तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श करें.