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इसे सहेज लें, ऐसी ज्ञानवर्धक पोस्टें बार-बार नहीं मिलतीं...।।।नाड़ी परीक्षण: आयुर्वेद का अद्भुत विज्ञान — अंत तक अवश्य प...
22/11/2025

इसे सहेज लें, ऐसी ज्ञानवर्धक पोस्टें बार-बार नहीं मिलतीं...।।।

नाड़ी परीक्षण: आयुर्वेद का अद्भुत विज्ञान — अंत तक अवश्य पढ़ें।

आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षण का उल्लेख चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, शारंगधर संहिता, भावप्रकाश, और योगरत्नाकर जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। महर्षि सुश्रुत अपनी योगिक दृष्टि से शरीर की समस्त नाड़ियाँ देख सकते थे।

जहां एलोपैथी में नाड़ी (पल्स) केवल हृदय की धड़कन को दर्शाती है, वहीं आयुर्वेद में यह पूरे शरीर की दशा को प्रकट करती है। अनुभवी वैद्य केवल नाड़ी परीक्षण से यह जान लेते हैं कि शरीर में कौन-सा दोष (वात, पित्त, कफ) असंतुलित है, और उससे कौन-से रोग उत्पन्न हो रहे हैं — वो भी बिना किसी महंगी या कष्टदायक जाँच प्रक्रिया के।

यहाँ तक कि शरीर में ट्यूमर, किडनी रोग, भविष्य में संभावित रोग और व्यक्ति ने हाल ही में क्या खाया है — यह सब भी पता चल सकता है।

नाड़ी परीक्षण की प्रमुख बातें,,,,,,,

पुरुषों की दाईं और महिलाओं की बाईं कलाई की नाड़ी देखी जाती है।
कलाई के अंदर अंगूठे के नीचे तीन उंगलियाँ रखी जाती हैं — अंगूठे के पास: वात मध्य ऊँगली: पित्त तीसरी ऊँगली: कफ
वात की नाड़ी अस्थिर और मध्यम गति की होती है।
पित्त की नाड़ी तेज और तीव्र होती है।
कफ की नाड़ी धीमी और भारी चलती है।

तीनों उंगलियों से एक साथ देखकर पता चलता है कि कौन-सा दोष प्रमुख है।
प्रारंभिक अवस्था में ही दोष संतुलित कर देने से रोग उत्पन्न नहीं होता।
हर दोष की भी 8 प्रकार की नाड़ियाँ होती हैं, जो रोग की पहचान में मदद करती हैं — इसके लिए निरंतर अभ्यास आवश्यक है।
कई बार दो या तीन दोष एक साथ भी प्रकट हो सकते हैं।
नाड़ी परीक्षण प्रातःकाल (जागने के 30 मिनट बाद) सबसे सटीक होता है।

यह भूख-प्यास, मानसिक स्थिति, मौसम, दिन के समय, नींद और गतिविधि के अनुसार बदल सकता है।
चिकित्सक का योग और ध्यान में निपुण होना, उसे सटीक नाड़ी पहचान में सहायता करता है। अनुभवी वैद्य केवल 3 सेकंड में दोष का पता लगा लेते हैं, हालांकि सामान्यतः 30 सेकंड तक परीक्षण किया जाता है।

मृत्यु नाड़ी द्वारा भावी मृत्यु के संकेत भी समझे जा सकते हैं।
नाड़ी विज्ञान से यह भी जाना जा सकता है कि व्यक्ति वात, पित्त या कफ प्रधान है या फिर मिश्रित प्रकृति का है।

आज के समय में एलोपैथी के प्रचलन के कारण नाड़ी वैद्य दुर्लभ हो गए हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आयुर्वेद के विद्यार्थी इस प्राचीन विद्या को अनुभवी वैद्यों से सीखें और इसका संरक्षण करें।

अश्वगंधा एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए किया जा रहा है। इ...
20/11/2025

अश्वगंधा एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए किया जा रहा है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, लीवर टॉनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को रोगों से बचाने के साथ-साथ ऊर्जा और प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इसे आयुर्वेद में "इंडियन जिनसेंग" भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखता है।

✅️ अश्वगंधा के 5 चमत्कारिक फायदे :--

1️⃣ शक्ति बढ़ाने में मददगार :
अश्वगंधा शरीर की ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाने में सहायक है। यह थकान और कमजोरी को दूर कर शरीर को मजबूत और ऊर्जावान बनाता है।

2️⃣ ब्लड प्रेशर और तनाव पर नियंत्रण :
अश्वगंधा का नियमित सेवन ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में मदद करता है। यह मानसिक तनाव, चिंता और थकान को कम करके मन को शांत रखता है।

3️⃣ जोड़ों के दर्द से राहत :
अश्वगंधा का तेल जोड़ो के दर्द और सूजन को कम करने में बहुत उपयोगी है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर के दर्द और अकड़न से राहत दिलाते हैं।

4️⃣ पुरुषों के लिए लाभदायक :
अश्वगंधा पुरुषों में हार्मोनल संतुलन बनाने, शुक्राणु की गुणवत्ता सुधारने और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। यह समग्र पुरुष स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक है।

5️⃣ नींद की गुणवत्ता में सुधार :
अगर आपको नींद न आने की समस्या है, तो अश्वगंधा एक बेहतरीन उपाय है। यह तनाव और चिंता को कम करके मन को शांत करता है, जिससे नींद गहरी और सुकूनभरी आती है।

✅️ अश्वगंधा का उपयोग कैसे करें :--
अश्वगंधा का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है - इसकी जड़ों को सुखाकर पाउडर बनाएं और दूध या गुनगुने पानी के साथ लें। इसके पत्तों से बना पाउडर भी स्वास्थ्यवर्धक होता है। अश्वगंधा का तेल शरीर की मालिश में उपयोग किया जा सकता है, जिससे मांसपेशियों को आराम और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।

⚠️ सावधानियां :--
अश्वगंधा भले ही प्राकृतिक और आयुर्वेदिक औषधि हो, लेकिन किसी भी हर्बल सप्लीमेंट की तरह इसे भी सीमित मात्रा में लेना जरूरी है। यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं या किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं, तो सेवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

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#अश्वगंधा

त्रिफला घृत के प्रमुख लाभ:आंखों की रोशनी बढ़ाना: इसे नेत्रों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है और यह दृष्टि स्पष्टता (vision...
19/11/2025

त्रिफला घृत के प्रमुख लाभ:
आंखों की रोशनी बढ़ाना: इसे नेत्रों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है और यह दृष्टि स्पष्टता (vision clarity) बढ़ाने में मदद करता है।
आंखों के विकारों में राहत: यह रतौंधी (night blindness), आंखों में दर्द, सूजन, और जलन जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक है।
आंखों को पोषण: इसमें मौजूद जड़ी-बूटियाँ और घी आँखों को पोषण देते हैं और उनके आसपास की त्वचा को मुलायम बनाते हैं।
पाचन में सहायक: त्रिफला पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
डिटॉक्सिफिकेशन (पंचकर्म): आयुर्वेद में इसे पंचकर्म (शरीर की सफाई) प्रक्रियाओं में भी उपयोगी माना जाता है।
सूजन रोधी गुण: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन रोधी) गुण होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

ब्राह्मी वटी गोल्ड एक आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य, याददाश्त और एकाग्रता को बेहतर बनाने के लिए उपय...
19/11/2025

ब्राह्मी वटी गोल्ड एक आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य, याददाश्त और एकाग्रता को बेहतर बनाने के लिए उपयोग की जाती है। इसके प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
मुख्य लाभ (Benefits)
स्मरण शक्ति और एकाग्रता: यह याददाश्त (memory) और ध्यान केंद्रित (concentration) करने की क्षमता को बढ़ाती है। विद्यार्थियों और उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो बहुत अधिक दिमागी काम करते हैं।
तनाव और चिंता से राहत: यह मानसिक तनाव, चिंता (anxiety), और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करती है।
अनिद्रा का इलाज: जिन लोगों को नींद न आने (insomnia) की शिकायत है, उनके लिए ब्राह्मी वटी गोल्ड का सेवन लाभदायक हो सकता है।
तंत्रिका तंत्र को मजबूती: यह तंत्रिका तंत्र (nervous system) को मजबूत और सक्रिय बनाती है, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता सुधरती है।
ऊर्जा और प्रतिरक्षा: यह शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाती है और प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity) को बेहतर बनाने में भी मदद करती है।
बुखार प्रबंधन: इसका उपयोग पुराने या बार-बार आने वाले बुखार में भी किया जाता है, खासकर जब बुखार दिमाग पर चढ़ जाता है।
सामान्य स्वास्थ्य: यह सामान्य स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को बढ़ावा देती है।

अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे ( Avipattikar Churna ke Fayde):अविपत्तिकर चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो पाचन तंत्र क...
19/11/2025

अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
( Avipattikar Churna ke Fayde):

अविपत्तिकर चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो पाचन तंत्र की समस्याओं को दूर करने में बहुत असरदार मानी जाती है। यह मुख्य रूप से अम्लपित्त (Acidity), गैस, अपच, कब्ज और पेट में जलन जैसी परेशानियों को ठीक करने में उपयोग की जाती है।

💥मुख्य घटक💥
त्रिकटु, त्रिफला, लौंग, इलायची, तेजपत्ता, सौंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि

👇 इसके प्रमुख फायदे

1. 🌿 अम्लपित्त (Acidity) से राहत:
यह पेट में बनने वाले अत्यधिक अम्ल को संतुलित करता है और जलन, खट्टी डकार, सीने में जलन आदि से राहत देता है।

2. 🌿 पाचन शक्ति बढ़ाता है:
यह चूर्ण भोजन को ठीक से पचाने में मदद करता है और अपच, भारीपन या आलस्य जैसी समस्याओं को कम करता है।

3. 🌿 कब्ज और गैस में लाभकारी:
इसमें मौजूद प्राकृतिक घटक आंतों की गति को ठीक रखते हैं और गैस, कब्ज तथा पेट फूलने की समस्या दूर करते हैं।

4. 🌿 भूख बढ़ाता है:
कमजोर पाचन और भूख न लगने की समस्या में यह बहुत उपयोगी है।

5. 🌿 मूत्र संबंधी लाभ:
यह पेशाब में जलन या रुकावट जैसी समस्याओं को भी कम करने में मदद करता है।

6. 🌿 शरीर में ठंडक पहुंचाता है:
यह शरीर की गर्मी को कम करता है और पेट में ठंडक व आराम प्रदान करता है।

💐सेवन विधि💐

वयस्क: 3 से 5 ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में 1-2 बार भोजन के बाद लें

सावधानियां:

हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं उपयोग से पहले वैद्य हकीम की सलाह ले

जावित्री के फायदे:जावित्री का स्वाद तीखा और खुशबूदार होता है। जावित्री गर्म होती है। यह मन को प्रसन्न करती है, जिगर को ब...
10/11/2025

जावित्री के फायदे:
जावित्री का स्वाद तीखा और खुशबूदार होता है। जावित्री गर्म होती है। यह मन को प्रसन्न करती है, जिगर को बलवान करती है,

मैथुनशक्ति को बढ़ाती है, पथरी को तोड़ती है। इसका गीली लता मासिक-धर्म के बाद योनि में रखने से गर्भ ठहरता है। गुण यह मन को प्रसन्न करती है, जिगर को बलवान करती है, मैथुनशक्ति को बढ़ाती है, पथरी को तोड़ती है। इसका गीली लता मासिक-धर्म के बाद योनि में रखने से गर्भ ठहरता है।

विभिन्न रोगों में उपयोग :
पेशाब का बार बार आना:
जावित्री 10 ग्राम पीसकर इसमें खाण्ड (कच्ची चीनी) 10 ग्राम मिला लें। एक-एक ग्राम सुबह-शाम पानी से लें। इससे पेशाब बार-बार आना बंद हो जाता है।
ज्यादा पेशाब आने पर 1 ग्राम जावित्री और थोड़ी-सी मिश्री दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

नंपुसकता:
जावित्री डेढ़ ग्राम, जायफल 10 ग्राम, बड़ी इलायची 10 ग्राम और अफीम 480 मिलीग्राम का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम शहद में मिलाकर सर्दियों में 28 दिन तक खाने से नपुंसकता मिट जाती है।

श्वास या दमे का रोग:
जावित्री को पान में रखकर खाने से श्वास-रोग और दमा ठीक हो जाता है। श्वास रोग में जावित्री के दो-तीन पत्ते ताम्बुल में रखकर खाने से लाभ मिलता है।

दांतों का दर्द:
दांतों व मसूढ़ों में हो रहे दर्द में जावित्री, माजूफल तथा कुटकी को मिलाकर काढ़ा बना लें। उस काढे़ को मुंह में थोड़ी देर रखकर कुल्ला करें।

दस्त:
जावित्री को छाछ के साथ पीने से ट्टटी का बार-बार आना बंद हो जाता है।
आंव रक्त (पेचिश): 2 ग्राम जावित्री का चूर्ण छाछ (लस्सी) या दही के साथ खाने से 7 दिनों में ही रोगी को लाभ होता है।

गठिया रोग:
2 ग्राम जावित्री तथा आधा चम्मच सोंठ दोनों को एक साथ गर्म पानी से लेने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।

हृदय रोग:
जावित्री 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम, अकरकरा 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करें।

शीतला (मसूरिका):
जावित्री को बिल्कुल बारीक पीसकर 120 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार पानी के साथ रोगी को खिलाने से अन्दर दबी हुई चेचक (माता) बाहर आ जाती है।

हानिकारक: जावित्री का अधिक मात्रा में उपयोग करने से सिर में दर्द पैदा होता है।
दोषों को दूर करने वाला : चन्दन जावित्री में व्याप्त दोषों को दूर करता है।

خون کی بند رگیں کھولنے کا آسان نسخہاگر جسم کی کوئی بھی رگ بند ہو جائے — چاہے پیروں کی ہو، دماغ کی یا دل کی — انسان بے چی...
08/11/2025

خون کی بند رگیں کھولنے کا آسان نسخہ

اگر جسم کی کوئی بھی رگ بند ہو جائے — چاہے پیروں کی ہو، دماغ کی یا دل کی — انسان بے چین اور بیمار ہو جاتا ہے۔
یہ آزمودہ نسخہ استعمال کرنے سے ان شاءاللہ بند رگیں دوبارہ سے نارمل ہو جاتی ہیں۔

ھوالشافی
دارچینی 10 گرام
کالی مرچ 10 گرام
مغز تخم خربوزہ 10 گرام
السی کے بیج 10 گرام
تیز پتہ 10 گرام
مغز اخروٹ 10 گرام
مصری 10 گرام

ترکیب تیاری:
تمام اجزاء کو بلینڈر میں ڈال کر باریک پاوڈر بنائیں اور 30 برابر پڑیاں بنا لیں۔

طریقہ استعمال:
روزانہ ایک پڑی صبح خالی پیٹ نیم گرم پانی کے ساتھ لیں۔
ایک گھنٹہ تک کچھ نہ کھائیں، البتہ چائے پی سکتے ہیں۔

فوائد:
یہ نسخہ جسم کی تمام بند رگوں کو صاف اور کھول دیتا ہے۔
دل، دماغ اور اعصاب کی کمزوری دور کرتا ہے۔
دل کے مریض اگر اسے مستقل استعمال کریں تو ان شاءاللہ زندگی بھر ہارٹ اٹیک یا لقوہ سے محفوظ رہیں گے۔

07/11/2025
31/10/2025

नमाज़ी हजरात के लिए बहुत ही खाश नुस्खा,,,

🌼 चाय मसाला रेसिपी 🌼🔹 सामग्री (Ingredients):छोटी इलायची – 6-8बड़ी इलायची – 2दालचीनी – 2 टुकड़ेलौंग – 6-8कालीमिर्च – 10-1...
29/10/2025

🌼 चाय मसाला रेसिपी 🌼

🔹 सामग्री (Ingredients):

छोटी इलायची – 6-8

बड़ी इलायची – 2

दालचीनी – 2 टुकड़े

लौंग – 6-8

कालीमिर्च – 10-12

जायफल – 1 छोटा टुकड़ा

जावित्री – 1 टुकड़ा

सौंफ – 1 बड़ा चम्मच

पीपली – 2-3

अदरक पाउडर – 1 छोटा चम्मच

हल्दी – ½ छोटा चम्मच

मिश्री – 2 बड़े चम्मच

सूखा गुलाब – 1 बड़ा चम्मच

तुलसी की पत्तियाँ – 6-8

Eat & Repeat

🔹 विधि (Method):

1. सबसे पहले सभी साबुत मसालों (इलायची, दालचीनी, लौंग, कालीमिर्च, पीपली, जायफल, जावित्री, सौंफ) को हल्का सा भून लें।

2. इन्हें ठंडा होने दें।

3. अब इन सभी मसालों को मिक्सर में डालकर बारीक पाउडर बना लें।

4. इस पाउडर में अदरक पाउडर, हल्दी, मिश्री, सूखा गुलाब और तुलसी की सूखी पत्तियाँ मिलाएँ।

5. इसे एयरटाइट डिब्बे में भरकर रखें।

कैसे उपयोग करें:

1 कप चाय बनाते समय ¼ छोटा चम्मच बसंती चाय मसाला डालें।

यह चाय शरीर को गर्म रखती है, इम्यूनिटी बढ़ाती है और सर्दी-जुकाम में फायदेमंद है।

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