Chandigarh Laboratory Anupgarh

Chandigarh Laboratory Anupgarh RIGHT TREATMENT BEGINS WITH RIGHT DIAGNOSIS...

05/09/2025
14/02/2024

जब शरीर प्यूरीन नामक पदार्थ को तोड़ता है तो यूरिक एसिड नामक रसायन का निर्माण होता है।आमतौर पर शरीर में प्यूरीन का उत्पादन स्वाभाविक रूप से होता है और कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मटर, सूखे बीन्स, मैकेरल, लिवर, बीयर आदि में भी पाया जाता है। अधिकांश यूरिक एसिड रक्त में घुल कर गुर्दे में जाता है और मूत्र में निकल जाता है।

यदि आपके रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर है, तो इसका मतलब है कि यह मूत्र में उत्सर्जित नहीं हो रहा है। इसके कारण शरीर में इसकी मात्रा में इजाफा होने लगता है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है। रक्त में यूरिक एसिड के उच्च स्तर को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है। यूरिक एसिड के उच्च स्तर भी गाउट के साथ जुड़े हुए हैं। गाउट, गठिया का एक रूप है जो जोड़ों की सूजन का कारण बनता है, विशेष रूप से पैरों और पैर की बड़ी उंगलियों में। यूरिक एसिड टेस्ट का उपयोग गाउट, किडनी फंक्शन, किडनी स्टोन या किडनी विकारों के निदान के लिए किया जाता है।

उच्च यूरिक एसिड स्तर के कारण

प्राथमिक हाइपरयूरिसीमिया
प्यूरीन से यूरिक एसिड का उत्पादन बढ़ना
आपके गुर्दे आपके रक्त में यूरिक एसिड से छुटकारा नहीं पा सकते, जिससे इनका स्तर बढ़ जाता है।

द्वितीय हाइपरयूरिसीमिया
कुछ कैंसर, या कीमोथेरेपी एजेंट सेल की मृत्यु की वृद्धि दर का कारण बन सकते हैं। यह आमतौर पर कीमोथेरेपी के कारण होता है।
कीमोथेरेपी के बाद, अकसर सेलुलर विनाश तेजी से होता है, और ट्यूमर लसीका सिंड्रोम हो सकता है। कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया, लिम्फोमा या मल्टीपल मायलोमा के लिए कीमोथेरेपी प्राप्त करने पर आपको ट्यूमर लिम्फ सिंड्रोम होने का खतरा हो सकता है।

किडनी की बीमारी - यह आपके यूरिक एसिड को आपके सिस्टम से बाहर निकालने में सक्षम नहीं होने के कारण हो सकता है, जिससे हाइपरयूरिसीमिया हो सकता है।

दवाएं - रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है।
अंतःस्रावी या चयापचय की स्थिति- इससे कुछ तरह के डायबिटीज हो सकते हैं, या एसिडोसिस से हाइपरयूरिसीमिया हो सकता है।

यूरिक एसिड के लक्षण

शरीर में उच्च यूरिक एसिड के स्तर के तीन सबसे आम लक्षण हैं –
#1. जोड़ों में लक्षण
शरीर में बहुत अधिक यूरिक एसिड गाउट के रूप में संयुक्त लक्षण का कारण बनता है, जिसमें छूने पर दर्द, सूजन, सूजन, लालिमा और कोमलता शामिल होती है।
गाउट से प्रभावित सबसे आम क्षेत्रों में से एक, पैर की बड़ी उंगली है। यह एड़ी, टखनों, घुटनों, उंगलियों, कलाई और कोहनी को प्रभावित कर सकता है।
लक्षण शुरू होने के बाद, आमतौर पर जोड़ों में तेज दर्द के लिए लगभग 12 से 24 घंटे लगते हैं, इसके बाद कुछ दिनों या हफ्तों के लिए असहज हो सकता है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो जोड़ों को नुकसान स्थायी हो सकता है।

#2. त्वचा के लक्षण
उच्च यूरिक एसिड के स्तर और गाउट के कुछ वर्षों के बाद, क्रिस्टलीकृत यूरिक एसिड त्वचा के नीचे गांठ बना सकता है। उन्हें टोफी कहा जाता है जो आम तौर पर दर्दनाक नहीं होता है। यह आमतौर पर उंगलियों, पैर की उंगलियों, कोहनी और हाथों में बनता है।

#3. किडनी के लक्षण
किडनी या मूत्र के रास्ते में यूरिक एसिड गुर्दे की पथरी में विकसित हो सकता है। यह आम तौर पर पुरुषों के लिए आम है। इसके बाद पीठ में दर्द, पेट में दर्द, कमर के क्षेत्र में गंभीर दर्द, तेज बुखार, ठंड लगना, मतली और उल्टी, और मूत्र में रक्त की आशंका रहती है।

यूरिक एसिड की जांच ​

यूरिक एसिड जांच का उपयोग रक्त में मौजूद यूरिक एसिड को मापने के लिए किया जाता है। यह जांच यह निर्धारित करने में मदद करता है कि आपका शरीर यूरिक एसिड कितनी अच्छी तरह से पैदा और उत्सर्जित करता है। यदि आपको जोड़ों में दर्द, जोड़ों में सूजन, बार-बार गुर्दे में पथरी, कीमोथेरेपी शुरू कर रहे हैं या कीमोथेरेपी पर पहले से ही हैं, गाउट का इतिहास आदि है, तो आपको यह जांच कराने के लिए कहा जा सकता है।

जांच की तैयारी - अपने चिकित्सक को सूचित करें कि क्या आप कोई दवा ले रहे हैं, आपको कोई एलर्जी है। यूरिक एसिड परीक्षा की तैयारी कैसे करें, इसके बारे में आपकी स्थिति के आधार पर आपका डॉक्टर आपको विशिष्ट निर्देश देंगे। जांच से कम से कम 4 घंटे पहले तक कोई भी भोजन या पेय न लें। संभव है कि जांच से पहले आपको पहले से ले रही दवाइयों को रोकने के लिए भी कहा जा सकता है। इसलिए परीक्षण से पहले डॉक्टर या तकनीशियन को अपनी वर्तमान चिकित्सा स्थिति और दवाओं के बारे में सूचित करें।

जांच के परिणामों को समझना
यूरिक एसिड परीक्षण के परिणाम लिंग के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

आपके रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर गाउट का संकेत कर सकता है, जिससे तीव्र गठिया, मधुमेह, एसिडोसिस, लीड पॉयजनिंग,, पॉलीसिथेमिया वेरा की पुनरावृत्ति हो सकती है। यूरिक एसिड परीक्षण गाउट के लिए निश्चित परीक्षण नहीं है। गाउट की पुष्टि करने के लिए अन्य परीक्षण हैं। रक्त में यूरिक एसिड के निम्न स्तर विरासत में मिली बीमारी का संकेत दे सकते हैं जो आपके शरीर के ऊतकों में तांबे का निर्माण कर सकती है जिसे विल्सन रोग कहा जाता है।

सावधानियां

यूरिक एसिड परीक्षण के परिणाम को आनुवांशिकी, प्यूरिन युक्त आहार जैसे सूखे बीन्स, मटर, मछली, सार्डिन, आदि, मोटापा, शराब, सोरायसिस, हाइपोथायरायडिज्म, गुर्दे की अपर्याप्तता जैसे विभिन्न कारकों द्वारा बदला जा सकता है, जहां गुर्दे अपशिष्ट फिल्टर करने में असमर्थ होते हैं।

कैंसर एक बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी है। यह शरीर के किसी भी भाग में एक गांठ के रूप में दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली बीमारी है। ज...
02/02/2020

कैंसर एक बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी है। यह शरीर के किसी भी भाग में एक गांठ के रूप में दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली बीमारी है। जब तक इस रोग के होने का लक्षण पता चलता है तब तक तो यह बीमारी शरीर में बहुत ज्यादा फैल चुकी होती है। यदि कैंसर रोग शरीर के किसी भी अंग में दिखाई देता है तो भी यह पूरे शरीर का रोग है इसलिए इसका उपचार करते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि इसका इलाज स्थानीय उपचार करने के साथ-साथ पूरे शरीर को दोषमुक्त बनाने के लिए करना चाहिए। इस रोग से बचने के लिए जैसे ही इसके लक्षण पता चले तुरन्त ही इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए।

कैंसर रोग होने के लक्षण-

जब किसी व्यक्ति को कैंसर रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के मलमूत्र की आदत में काफी अन्तर आ जाता है।
इस रोग के होने पर व्यक्ति को खांसी या गले में बार-बार घरघराहट होती रहती है।
इस रोग में रोगी के शरीर का वजन दिन-प्रतिदिन गिरने लगता है।
कैंसर रोग में स्त्रियों को मासिकधर्म में काफी अन्तर दिखाई देने लगता है तथा मासिकधर्म के बीच-बीच में रक्तस्राव भी होता है। वैसे देखा जाए तो हर बार मासिकधर्म में कुछ न कुछ रक्त जरूर ही निकलता है लेकिन कैंसर रोग होने पर रक्तस्राव तेज होने लगता है।
कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को भूख कम लगने लगती है।
कैंसर के रोगी के शरीर में कहीं घाव हो जाता है तो उसका घाव जल्दी ठीक नहीं होता है।
कैंसर रोग में रोगी के स्तन या शरीर के किसी भाग में एक गांठ सी बन जाती है और यह गांठ दिन प्रतिदिन बढ़ने लगती है।
रोगी व्यक्ति जब मलत्याग (शौच करना) करता है तो उसके मल से कुछ मात्रा में खून तथा मवाद भी निकलने लगता है।
कैंसर रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा के रंग में कुछ परिवर्तन होने लगता है।
कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को अपच की समस्या रहती है तथा उसे खाने को निगलने में कठिनाई होती है।

कैंसर रोग होने का कारण:-

कैंसर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण दूषित भोजन का सेवन करना है।
धूम्रपान करने से या धूम्रपान करने वाले के संग रहने से कैंसर रोग हो सकता है।
गुटका, पान मसाला, गुटका, शराब तथा तम्बाकू का सेवन करने से कैंसर रोग हो सकता है।
अधिक (श्रम) कार्य करना तथा आराम की कमी के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
बासी भोजन, सड़ी-गली चीजें तथा बहुत समय से फ्रिज में रखे भोजन को खाने से कैंसर रोग हो सकता है।
तेल, घी को कई बार गर्म करके सेवन करने से भी कैंसर रोग हो सकता है।
दांत, कान, आंख, मलद्वार, मूत्रद्वार तथा त्वचा की सफाई ठीक तरह से न करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
बारीक आटा, चावल, मैदा तथा रिफाइंड का अधिक सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
गंदे पानी का सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
एल्युमिनियम तथा प्लास्टिक के बर्तनों में अधिक भोजन करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।
चीनी, नमक, चाय, कॉफी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ तथा मांस का भोजन में अधिक उपयोग करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
तनाव, भय तथा अधिक चिंता करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।
बहुत अधिक औषधियों का सेवन तथा एक्स-रे कराने से कैंसर रोग हो सकता है।
अप्राकृतिक तथा बिना रेशेदार भोजन का सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
बहुत अधिक मिलावटी खाद्य पदार्थ (वह खाद्य पदार्थ जिसमें कंकड़, मिट्टी, तथा अन्य चींजे मिली हुई) का भोजन में सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो जाता है।
भोजन में तेल मसालों का अधिक सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
गलत तरीके से भोजन बनाने तथा खाने से भी कैंसर रोग हो सकता है।
रासायनिक पदार्थों तथा रंगों का प्रयोग करने से कैंसर रोग हो सकता है।
कृत्रिम व तंग वस्त्रों का अधिक प्रयोग करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।
अधिक खाना खाने से भी कैंसर रोग हो सकता है।
पेट में कब्ज बनने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
शरीर में विटामिन `ए´ तथा `सी´ की कमी हो जाने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।

कैंसर रोग से पीड़ित रोगी के लिए कुछ परहेज:-

इस रोग से पीड़ित रोगी को भूख से अधिक और गरम खाना नहीं खाना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को मांस नहीं खाना चाहिए।
भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें तेज मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
भोजन में सुगन्ध वाले पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को बहुत कम पानी पीना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को चीनी अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
कैंसर के रोगी को तम्बाकू, शराब, धूम्रपान तथा नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
रोगी को चाय, कॉफी का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए।
पेशाब तथा मल के वेग को नहीं रोकना चाहिए।
कैंसर रोग से पीड़ित रोगी के सम्पर्क में तारकोल, पिच, बैंजाइन, पाराफिन, कार्बोलिक एसिड तथा एनिलाइन और कजली को नहीं लाना चाहिए, क्योंकि ये पदार्थ रोगी के मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण उसकी अवस्था और खराब हो सकती है।

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30/01/2020

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Q: Are antibiotics effective in preventing and treating the new coronavirus?
A: No, antibiotics do not work against viruses, only bacteria.
The 2019-nC0V is a virus and, therefore, antibiotics should not be used as a means of prevention or treatment.

28/01/2020

क्या है कोरोना वायरस, क्या हैं इसके लक्षण?
नई दिल्ली: चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 106 हो गई है. इससे संबंधित निमोनिया के अब तक 4,515 पुष्ट मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
तिब्बत को छोड़कर चीन के सभी प्रांतों से कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इसे फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है. चीन के अलावा, थाइलैंड में सात मामले, जापान में तीन, दक्षिण कोरिया में तीन, अमेरिका में तीन, वियतनाम में दो, सिंगापुर में चार, मलेशिया में तीन, नेपाल में एक, फ्रांस में तीन, ऑस्ट्रेलिया में चार और श्रीलंका में कोरोना वायरस का एक मामला सामने आया है.
क्या है कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है. इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था. डब्लूएचओ के मुताबिक, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं. अब तक इस वायरस को फैलने से रोकना वाला कोई टीका नहीं है.
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है. यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था. इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है.
क्या हैं इससे बचाव के उपाय?
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके मुताबिक, हाथों को साबुन से धोना चाहिए. अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है. खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढककर रखें. जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें. अंडे और मांस के सेवन से बचें. जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें.
यह भी पढ़ें : चीन के जिस बाजार से जानलेवा वायरस आया, वहां मिलते हैं अजीबोगरीब जंगली जीव
चीन इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है.चीन में नववर्ष की छुट्टियां बढ़ा दी गई है. इस वायरस के चलते पर्यटकों की संख्या घट सकती है. इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. पहले ही चीन की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है.
लगभग 18 साल पहले सार्स वायरस से भी ऐसा ही खतरा बना था. 2002-03 में सार्स की वजह से पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. पूरी दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे. इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ा था.

अपने आप को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए:
28/01/2020

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