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सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।गुदाज़-ए-इश्क़ नहीं कम जो मैं जवाँ न ...
09/10/2025

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।
गुदाज़-ए-इश्क़ नहीं कम जो मैं जवाँ न रहा
वही है आग मगर आग में धुआँ न रहा।
तलातुम आरज़ू में है न तूफ़ाँ जुस्तुजू में है
जवानी का गुज़र जाना है दरिया का उतर जाना।
#बनीइसराईल #दादा #कुसियारगांव

हराम की कमाई ने आदत बिगाड़ दीशक्ले तो ना बिगड़ी मगर नस्ले बिगाड़ दीशोहरत की बेख़ुदी का मज़ा आप जानिएइज़्ज़त की ज़िंदगी क...
22/08/2025

हराम की कमाई ने आदत बिगाड़ दी
शक्ले तो ना बिगड़ी मगर नस्ले बिगाड़ दी
शोहरत की बेख़ुदी का मज़ा आप जानिए
इज़्ज़त की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए

दाढ़ी अब पकने लगी है,ज़ुल्फ़े जो थिरकती थीं गाहे बेगाहे उंगलियों में,कन्घे की गिरफ़्त से भी सरकने लगी हैं, दाढ़ी अब पकने लग...
09/07/2025

दाढ़ी अब पकने लगी है,
ज़ुल्फ़े जो थिरकती थीं गाहे बेगाहे उंगलियों में,
कन्घे की गिरफ़्त से भी सरकने लगी हैं,
दाढ़ी अब पकने लगी है

वो कनखियों से देखना उस छ्त से अब नही होता,
मुहल्ले की नई नस्ल अब अंकल कहने लगी है,
दाढ़ी अब पकने लगी है

कल पुरानी अल्मारी साफ़ करते हुये,
लुढ़ककर गीरे थे कुछ अल्फ़ाज गर्द मे डुबे हुये,
जो कहे थे हमने तुमने आखरी बार, और फ़िर कहना छोड दिया था,
आ अब फ़िरसे सारी “कट्टी” छोड़कर “मीट्ठी” कर लें,
लब खामोश रहें, आँखें सब शिकवे कर ले,
क्योकि घड़ियॉ बडी तेज गुजरने लगी हैं,
दाढ़ी अब पकने लगी है

उसकी लकीर मेरी लकीर से बड़ी कैसे,
बहुत मेहनत की तेरे “मैं” ने मेरे “मैं “ ने,
करली इकठी बहुत डीग्रीया,बहुत सिढिया चढे,
चल अब शुन्य से फ़िर शुरु करे,भुलने की कवायद कर ले,
गुजार दी तमाम उम्र अबतक लड्ने में, बस अब और नही,सीज फ़ायर कर ले,
कानों के उपर सफ़ेद झंडीयाँ, झलकने लगी हैं
दाढ़ी अब पकने लगी है
Shafique Alam

I've just reached 500 followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏...
14/12/2024

I've just reached 500 followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏🤗🎉

हमारे घर में फैसलों में देरी नहीं होती,हमारे घर बुजुर्ग रहते हैं।अभी ज़िंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा।मैं घर से ...
05/11/2024

हमारे घर में फैसलों में देरी नहीं होती,
हमारे घर बुजुर्ग रहते हैं।
अभी ज़िंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा।
मैं घर से निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है।
कभी धूप दे, कभी बदलियां,
दिलोजान से दोनों कुबूल हैं,
मगर उस नगर में ना कैद कर,
जहां जिन्दगी की हवा ना हो।

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दियातुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार केआने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिएआदमी मज़दूर...
18/10/2024

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए
आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए

जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगाजो कभी मिलते भी नहीं थे उनका भी मेरे पास आना होगाजिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होग...
14/10/2024

जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगा
जो कभी मिलते भी नहीं थे उनका भी मेरे पास आना होगा
जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगा

जो कठोर रहते थे अपनी बात पे अड़े रहते थे
जिनको कुछ भी मेरे से लेना-देना नहीं था
उनके पास भी आज रोने का एक बहाना होगा
जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगा

याद करेंगे मुझे वो सभी लोग उस दिन
जिनकी जिंदगी की कहानियों मे कभी हँसते तो कभी लड़ते मेरे नाम का एक किरदार भी जुड़ गया
लेकिन उनसे दूर जाना यही खुदा का मनमाना होगा
जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगा

मंजिल की आखिरी सफर मे चल नही पाऊंगा मै अपने पैरों से
मुझे मेरे अपने ले के जायेंगे अपने कांधो पर कुछ उदास होकर या कुछ दुखी होकर
उस दृश्य की सुंदरता का भी क्या पैमाना होगा
जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगा

अगर लोगों की सोचआपको गलत साबित करती है तोअपनी कोशिशों को अपने आपकोसही साबित करने में लगा दो।  Abdul Mannan
28/09/2024

अगर लोगों की सोच

आपको गलत साबित करती है तो

अपनी कोशिशों को अपने आपको

सही साबित करने में लगा दो।
Abdul Mannan

फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में,तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।  न ही मुक़दमा चलेगा न ही गवाही हो...
18/09/2024

फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में,
तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।
न ही मुक़दमा चलेगा न ही गवाही होगी
अगर कोई हमसे उलझेगा
तो बस तबाही होगी..!! Khan

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ ज़िंदगी गर कुछ रही तो ...
16/09/2024

जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ #,Mukhtar Mumtaz

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