Association to Help Health and Hygiene

Association to Help Health and Hygiene Health and Hygiene Understanding of basic health is a challenge for grass-rooted people in India. On the other hand HYGIENE is major concern.

We strongly believe that hygiene is a key of better health so we try to make the fact believed.

09/06/2021

😀

24/05/2021
01/05/2020

( हर 'प्रोटीन' को एक समझना भूल है। पुराना लेख। )

" मेरा सी-रिएक्टिव प्रोटीन बढ़ा हुआ है। तो क्या मुझे प्रोटीन भोजन में लेना बन्द कर देना चाहिए ? " एक रोगी पैकेजवाली जाँचों में से एक की तरफ़ इशारा करते हुए कहता है।

रोगी प्रोटीन को अपना शत्रु समझ बैठा है। जहाँ प्रोटीन शब्द सुना नहीं , कि आत्मा से आवाज़ आयी 'इसे बन्द करो तुरन्त'। हर जोड़ों की बीमारी को खींचखाँच कर डॉक्टर और रिश्तेदार प्रोटीन तक इस तरह ले जाते हैं कि लिनस पाउलिंग की आत्मा कहीं अपना माथा पीटती है। ( पाउलिंग ने ही प्रोटीन की आणविक संरचना का पता लगाया था। )
संसार के हर व्यक्ति जो यह जानना ज़रूरी है कि प्रोटीन के बिना उसका अस्तित्व ही नहीं हो सकता। प्रोटीन से शरीर का निर्माण हुआ है , उसी से उसकी नित्य वृद्धि होती है , उसी से उसके घाव भरते हैं। तमाम कीटाणुओं से लड़ने में भी प्रोटीन नाना प्रकार से सहायता प्रदान करते हैं। इनके अलावा भी प्रोटीन ऐसी बहुतेरे कार्य करते हैं , जिन्हें यहाँ समेटना अनावश्यक रूप से दुष्कर है।
'सी-रिएक्टिव-प्रोटीन' भी निश्चित रूप में प्रोटीन का एक प्रकार है। इसका सम्बन्ध शरीर में चल रहे प्रदाह यानी इन्फ़्लेमेशन से है। कहीं आग लगी है , इसीलिए धुआँ आँख-नाक में भर रहा है। किन्तु आप प्रोटीन न खाकर सी-रिएक्टिव प्रोटीन को कम नहीं कर पाएँगे। और अगर आपने धुएँ को कम भी कर लिया , तो क्या आग जलना बन्द हो जाएगी ?
बात सीधी और स्पष्ट है। सी-रिएक्टिव प्रोटीन के इशारे को पकड़िए। देखिए कि वह क्या इंगित कर रहा है। ढूँढ़िए कि जिस्म में आग कहाँ दहक रही है। उस दहन का शमन कीजिए , धुआँ अपने-आप थम जाएगा। रोग पर प्रहार ही ख़ून की इस जाँच को सामान्य कर देगी।
और हाँ , प्रोटीन खाना उसी तरह से जारी रखिए , जिस तरह से आपकी वय-लिंग-गतिविधि के व्यक्ति को खाना चाहिए। एक ही अपवाद है : जब तक कोई डॉक्टर आपसे प्रोटीन-सेवन कम करने को न कहे ( बन्द करने को तो कोई कह ही नहीं सकता ! )।
फिर वही बात। किसी गठिया-रोग का और यूरिक एसिड का भोजन में प्रोटीन-सेवन से कोई रिश्ता है ही नहीं !

--- स्कन्द।

26/06/2019
13/06/2019

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले से लीची खाने के कारण पचास से अधिक बच्चों की मृत्यु की ख़बर आयी है। मुज़फ़्फ़रपुर व आसपास के इलाक़े में जहाँ लीची के बाग़ हैं , वहाँ सन् 1995 से ही ऐसी दुर्घटनाएँ होती रही हैं।

यद्यपि अभी लीची और इसके कारण बच्चों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों पर और काम किये जाने की आवश्यकता विशेषज्ञ बताते हैं , लेकिन कुछ बातें 2017 से वैज्ञानिक सामने लाये हैं। लीची में कुछ ख़ास रसायन होने के बाबत द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में एक विशिष्ट शोध छपा था। इस फल में हायपोग्लायसिन ए एवं मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन होते हैं , जो कुपोषित बच्चों के ख़ून में शर्करा का स्तर बहुत घटा सकते हैं। ऐसा बहुधा तब होता है , जब ये बच्चे शाम को भोजन नहीं करते और सुबह लीची के बाग़ों से गिरे हुए फल उठाकर खा लेते हैं।

यह शोध सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल , संयुक्त राज्य अमेरिका और नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल , भारत के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया और तब यह निष्कर्ष पाया गया। एक बात जो और खुली , वह यह कि अनपकी-अधपकी लीचियों को खाने पर यह समस्या अधिक होती है , क्योंकि इन फलों में ये रसायन अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। वैज्ञानिकों-डॉक्टरों के अनुसार समस्या लीची का फल नहीं है , समस्या है कुपोषित रात से भूखे बच्चों का सीधे सुबह लीची खा लेना। लगभग सभी मरने वाले बच्चों के रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर अत्यधिक न्यून पाया जाता है।

इस शोध के साथ एक अन्य इतर बात जो बांग्लादेशी वैज्ञानिकों द्वारा सामने लायी गयी है , वह लीची की खेती के लिए प्रतिबन्धित एंडोसल्फान व अन्य कीटनाशकों का प्रयोग है। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि निर्धन तबके के ये बच्चे लीचियों को बिना धोये दाँतों से छीलकर खाते हैं , जिससे उनके शरीर में एंडोसल्फान जैसे रसायन प्रवेश कर जाते हैं।

अब तक दो बातें स्पष्ट हैं : फलों को अच्छी तरह धोकर व छीलकर खाया जाए और भूखे बच्चों को सुबह सीधे खाने को लीचियाँ न दी जाएँ। अन्यथा रक्त में शर्करा-स्तर गिरने से बच्चे बीमार पड़ सकते हैं। आगे जितना ज्ञान हमें इस रहस्यमय रोग के विषय में अधिक होता रहेगा , उतने उचित व सार्थक क़दम हम उठा पाएँगे।

Salutations to him.
28/04/2019

Salutations to him.

Address

Mahaveerganj
Auraiya
206122

Telephone

+919045676869

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Association to Help Health and Hygiene posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Association to Help Health and Hygiene:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram