Shree Hari Ayurveda_

Shree Hari Ayurveda_ Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Shree Hari Ayurveda_, Medical and health, pani tAnki chauraha, Bahraich.

"श्री विश्वहरी आयुर्वेदिक चिकित्सालय में स्वास्थ्य, जीवनशैली और प्राकृतिक उपचार का केंद्र है। अनुभवी वैद्य की देखरेख में यहाँ पंचकर्म, नाड़ी परीक्षण, हर्बल औषधियाँ, दर्द प्रबंधन, क्रॉनिक बीमारियों एवं महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान उपलब्ध है।

एरंड (Ricinus communis) आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 5 मीटर तक होती है| और इसकी पत्...
04/10/2025

एरंड (Ricinus communis) आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 5 मीटर तक होती है|
और इसकी पत्तियां हरी से बैगनी रंग की, 5 से 11 कट वाले भागों वाली होती हैं।
इसके बीज जहरीले होते हैं क्योंकि उनमें रिकिन नामक विष मौजूद होता है, लेकिन बीज से निकाला गया तैल आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधि है|
प्रकार -
1)श्वेत एरंड (White Eranda)
2)रक्त एरंड (Red Eranda)
दोनों ही वात और कफ दोषों को संतुलित करते हैं।
आयुर्वेदिक द्रव्यगुणहै -
•रस (Rasa): मधुर, कटु, कषाय
•गुण (Guna): स्निग्ध, तीव्र, सूक्ष्म
•वीर्य (Virya): उष्ण
•विपाक (Vipaka): मधुर
औषधीय उपयोग-
•बीज: वात दोष निवारण, पुरगता (पाचन सुधार), कब्ज, वात विकार, अस्थमा, खांसी, त्वचा रोग आदि में उपयोगी। बीज का तैल वात और कफ दोष को शांत करता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है, सूजन और दर्द में प्रभावी है।
•पत्तियां: वात शमन, कृमि नाशक, मूत्र विकारों में लाभकारी। आंखों में जलन, सूजन कम करने और नेत्र रोगों में भी प्रयोग होती हैं।
•मूल (जड़): कफ और वात दोषों को शमन, सूजन, दर्द और अमावस्था दोष में सहायक।
•फूल: मूत्र विकारों के लिए सहायक।
लाभकारी प्रभाव -
वात और कफ दोषों के विकारों को शांत करता है।वात, पेट की बीमारियां, कब्ज, अस्थमा, खांसी, त्वचा रोग और विषाक्त प्रभावों में प्रभावी।तैलीय अनुभूति के कारण वात और कफ दोषों को कम करता है।त्वचा रोग, सिरदर्द, साइटिका, दर्दनिवारक के रूप में उपयोगी।
सावधानियां-
बीज जहरीले होते हैं, इसलिए इसका सेवन और उपयोग केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।अत्यधिक सेवन से विषाक्तता हो सकती है, जो शारीरिक विकारों का कारण बन सकती है।
सारांश-
एरंड एक बहुमुखी और शक्तिशाली औषधीय पौधा है जो वात और कफ दोषों के संतुलन तथा विभिन्न रोगों के उपचार में अत्यंत प्रभावी है। इसका तैल वात शमन, विरेचन और सूजन नाशक के रूप में उपयोगी है। विभिन्न रोगों जैसे गठिया, पीठ दर्द, कब्ज, त्वचा रोगों आदि में इसका व्यापक आयुर्वेदिक उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञ की परामर्श के बिना इसके बीज का सेवन न करें।

26/09/2025

I got over 500 reactions on my posts last week! Thanks everyone for your support! 🎉

नवरात्रि और आयुर्वेद दोनों का गहरा संबंध है, जिसमें नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले व्रत और आहार को आयुर्वेदिक सिद्धांतो...
22/09/2025

नवरात्रि और आयुर्वेद दोनों का गहरा संबंध है, जिसमें नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले व्रत और आहार को आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार शरीर और मानस की शुद्धि, पुनरुद्धार, और स्वास्थ्य सुधार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

नवरात्रि व्रत और आयुर्वेद
पाचन तंत्र का आराम: नवरात्रि व्रत से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है, जिससे अग्नि (पाचन अग्नि) पुनः सशक्त होता है और पाचन शक्ति बढ़ती है। इससे शरीर के अंदर जमा विष (अम) बाहर निकलते हैं और शरीर की स्वच्छता होती है .

शरीर की शुद्धि और डिटॉक्स: व्रत के दौरान हल्का और सत्त्विक आहार लिया जाता है, जो शरीर को शुद्ध करता है, विषाक्त पदार्थों को निकालता है और शरीर के विभिन्न अंगों को साफ करता है। यह प्रक्रिया दीर्घकालीन बीमारियों के जोखिम को घटाने में मदद करती है .

दोषों का संतुलन: मौसम के बदलाव यानी ऋतु संक्रमण (रितुसंधि) के दौरान शरीर में वात, पित्त, और कफ दोष असंतुलित हो सकते हैं। नवरात्रि व्रत इन दोषों को संतुलित करता है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है .

मानसिक और आध्यात्मिक लाभ: आयुर्वेद के अनुसार नवरात्रि के दौरान व्रत और ध्यान, साधना के माध्यम से मन को शुद्ध करता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है .

व्रत के प्रकार: आयुर्वेद विशेषतः व्यक्ति की प्रकृति (प्रकृति - पित्त, वात, कफ) के अनुसार व्रत के प्रकार चुनने का सुझाव देता है, जैसे द्रव उपवास, आंशिक उपवास, या सख्त व्रत, जिससे शरीर को उचित पोषण और ऊर्जा मिलती रहे .

नवरात्रि में सत्त्विक आहार
फलों, हल्के अनाज जैसे राजगिरा, कुट्टू, सिंघाड़ा आटा, सब्जियों और दूध, दही जैसे पदार्थों का सेवन करवाया जाता है। यह आहार पाचन में सहायक होते हुए ओज बढ़ाते हैं और मन को प्रसन्न रखते हैं .

तला-भुना, ज्यादा मसालेदार, भारी और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए क्योंकि वे पाचन को कमजोर करते हैं और शरीर में विष बढ़ाते हैं .

नवरात्रि का उपवास और आहार केवल आध्यात्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार शरीर और मन के संतुलन, स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका भी है। यह व्रत इंद्रियों को शांत करता है, अग्नि को तीव्र करता है और शरीर को ऋतु के अनुसार तैयार करता है।

वासा (Adhatoda vasica, Justicia adhatoda) एक अत्यंत महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जिसे हिंदी में अडूसा, आदुलसा या ...
20/09/2025

वासा (Adhatoda vasica, Justicia adhatoda) एक अत्यंत महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जिसे हिंदी में अडूसा, आदुलसा या मालाबार नट कहा जाता है।

*वनस्पतिक परिचय*-
वासा एक सदाबहार झाड़ी है, जिसकी ऊँचाई लगभग 1–3 मीटर होती है। इसके पत्ते गहरे हरे, लम्बे और आयताकार होते हैं। सफेद रंग के फूल गुच्छों में लगते हैं। यह समस्त भारत के मैदानी एवं कंकरीली इलाकों में आसानी से पाया जाता है।

*प्रमुख रासायनिक घटक-*
प्रमुख एल्कलॉइड: वासिकिन (Vasicine)

वासिकिनोन, कैम्पफेरोल, बीटा-सिटोस्टेरॉल, विटामिन C और अन्य फ्लेवोनॉयड्स भी इसमें पाए जाते हैं

गुणधर्म (Rasapanchaka)
रस: तिक्त, कषाय

गुण: लघु, रूक्ष

वीर्य: शीतल

विपाक: कटु

दोष: कफ-पित्तशामक

औषधीय उपयोग
प्रमुख रूप से श्वसन रोगों—जैसे कफ, खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस, टीबी—में उपयोग किया जाता है।

रक्तपित्त, बुखार, प्रमेह, सिरदर्द, नेत्ररोग, मूत्ररोग, त्वचा रोग, दस्त, जलोदर में लाभप्रद।

वासा के पत्तों, फूलों, जड़ आदि का स्वरस, काढ़ा, चूर्ण एवं लेप संपूर्ण शरीर के लिए औषधीय है।

बाह्य प्रयोग से फोड़ा, सूजन, घाव, और त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

मुंह के घाव, छाले, दांत दर्द, किडनी दर्द, पीलिया रुग्णता तथा पाचन संबंधी समस्याओं में भी उपयोगी।

प्रमुख योग एवं निर्मितियाँ
वासावलेह, वासारिष्ट, वासागृृत, कासहारी क्वाथ, पंचासव जैसे आयुर्वेदिक योगों में वासा का प्रयोग होता है।

फैटी लिवर एक गंभीर बीमारी 👉फैटी लिवर (Fatty Liver) एक सामान्य लेकिन गंभीर बन सकने वाली स्थिति है, जिसमें यकृत (लिवर) में...
08/09/2025

फैटी लिवर एक गंभीर बीमारी

👉फैटी लिवर (Fatty Liver) एक सामान्य लेकिन गंभीर बन सकने वाली स्थिति है, जिसमें यकृत (लिवर) में वसा जमा हो जाती है। यह अक्सर बिना लक्षण के होता है, लेकिन समय रहते पहचान और जीवनशैली सुधार से पूरी तरह नियंत्रित और सुधारा जा सकता है।

👉मुख्य प्रकार
A) मेटाबोलिक (NAFLD/MAFLD):
बिना शराब सेवन करने वालों में, मोटापा, मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल और खराब खानपान इसके प्रमुख कारण हैं।

B) एल्कोहलिक फैटी लिवर:
लंबे समय तक अत्यधिक शराब सेवन से होता है।

लक्षण-
1) आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते।

2) कुछ लोगों में थकान, कमजोरी, या ऊपरी दाईं ओर पेट में हल्का दर्द हो सकता है।

कारण
1) मोटापा और अधिक कैलोरी वाला भोजन
2) अत्यधिक शराब सेवन
3) डायबिटीज़, हाई शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल
4) कुछ दवाइयाँ और चयापचय विकार

संभावित जटिलताएँ
-सिरोसिस (लिवर कठोर होना)
-लिवर फेल्योर
-लिवर कैंसर

निदान
मेडिकल हिस्ट्री
ब्लड टेस्ट (LFT, शुगर, लिपिड प्रोफाइल)
अल्ट्रासाउंड
कभी-कभी लिवर बायोप्सी

रोकथाम और उपचार
1) शराब पूरी तरह छोड़ना
2) वजन नियंत्रित करना और धीरे-धीरे कम करना
3) संतुलित आहार (कम वसा, हाई फाइबर, प्रोटीनयुक्त)
4)नियमित हल्का-फुल्का व्यायाम और भोजन के बाद छोटी सैर
5) डायबिटीज़ और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना

सारांश
फैटी लिवर शुरुआती अवस्था में खतरनाक नहीं होता और जीवनशैली में सुधार से पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। समय रहते सावधानी और नियमित जांच बहुत ज़रूरी है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें -
वैद्य पवन कुमार वर्मा
श्री विश्वहरी आयुर्वेदिक चिकिसलाय व पंचकर्म केंद्र
पारस टावर पानी टंकी चौराहा बहराइच
Mob. 9451786976📞

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की हार्दिक शुभकामनाएँ! यह पावन दिन सबके जीवन में खुशियाँ, शांति और समृद्धि लेकर आए। पैगंबर साहब के आदर...
05/09/2025

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की हार्दिक शुभकामनाएँ! यह पावन दिन सबके जीवन में खुशियाँ, शांति और समृद्धि लेकर आए। पैगंबर साहब के आदर्शों पर चलकर हम सभी अपने जीवन को और उत्तम बना सकें। ईद मुबारक!

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥"शिक्षा वह दीपक है जो अज्ञा...
05/09/2025

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

"शिक्षा वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है। जैसे शिक्षक जीवन में मार्गदर्शक होते हैं, वैसे ही हम अपने रोगियों को आयुर्वेद के ज्ञान से स्वस्थ जीवन की ओर उन्मुख करते हैं।
इस शिक्षक दिवस पर हम सभी गुरुओं और शिक्षकों को नमन करते हैं, जिनके आशीर्वाद से जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!"

Address

Pani TAnki Chauraha
Bahraich
271801

Opening Hours

Monday 10am - 7pm
Tuesday 10am - 7pm
Wednesday 10am - 7pm
Thursday 10am - 7pm
Friday 10am - 7pm
Saturday 10am - 7pm

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Shree Hari Ayurveda_ posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram