Swami Narayan EH Hospital

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इलेक्ट्रॉपैथी, न्यूरोथेरेपी, एक्युप्रेशर, एक्यूपंक्चर आदि के माध्यम से लीवर, पाचन रोग, बबासीर, रसौली, नसों का पुराना दर्द व अन्य असाध्य रोगों का प्राकृतिक उपचार।। Mob. 8077525899 स्वामी नारायन हॉस्पिटल में हर्बल दवाओं एवं न्यूरोथैरेपी, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर द्वारा रोगों का इलाज किया जाता है जैसे :- गुर्दे व मूत्राशय में पथरी, यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन का बढ़ना, गुर्दे व लीवर में सिस्ट, भूख न लगना, गैस्ट्राइटिस, फैटी लीवर, तेजाब बनना, कब्ज, बवासीर, गठिया, थायराइड, हाई ब्लडप्रेशर, सर्वाइकल, साईटिका, स्लिप डिस्क, नसों का पुराना दर्द, कमर दर्द, माइग्रेन, घुटनों का दर्द, हार्मान्स का असंतुलन, बच्चेदानी की गाँठ, ओवेरियन सिस्ट , स्तन में गांठ होना, मासिक की गड़बड़ी महीना कम, ज्यादा या न आना, दाद/खाज, एक्जिमा, दौरे पड़ना, हिस्टीरिया, लिकोरिया आदि के साथ अन्य सभी गंभीर रोगियों का उपचार होता है। Mob. 8077525899

रोग भगाए -विट ज़ोनहर्बल ज़ोन की रिसर्च टीम के वर्षों के अनुसंधान से तैयार एक अदितीय औषधि जो मानव शरीर को निरोगी रखने में ...
23/09/2025

रोग भगाए -विट ज़ोन
हर्बल ज़ोन की रिसर्च टीम के वर्षों के अनुसंधान से तैयार एक अदितीय औषधि जो मानव शरीर को निरोगी रखने में अद्भुत असरकारक है.

🌿 विट ज़ोन के विस्तृत कार्यक्षेत्र

🔹 शारीरिक स्वास्थ्य
1. हृदय की मजबूती और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल
2. उच्च व निम्न रक्तचाप में संतुलन बनाने में सहायक
3. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार
4. मोटापा नियंत्रित करने और मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने में सहायक
5. पाचन सुधारने, कब्ज़ और गैस से राहत
6. यकृत (लिवर) की कार्यक्षमता को सहारा देना
7. गुर्दे (किडनी) को सहारा और शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद
8. हड्डियों और दाँतों को मज़बूती प्रदान करना
9. मांसपेशियों को मज़बूती व ऊर्जा देना
10. रक्त की कमी (एनीमिया) में सहायक

🔹 मानसिक और तंत्रिका तंत्र
11. नसों को मज़बूती (Nervine tonic)
12. मानसिक थकान और तनाव को कम करना
13. अनिद्रा (नींद की समस्या) में सहायक
14. याददाश्त और एकाग्रता को बेहतर करना
15. मूड स्विंग और चिंता (Anxiety) में सहायक

🔹 इम्यूनिटी और रोग प्रतिरोधक क्षमता
16. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना
17. संक्रमण और मौसमी बीमारियों से बचाव
18. शरीर को एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा देना

🔹 त्वचा और सौंदर्य
19. त्वचा की नमी और चमक बनाए रखना
20. रूखी-सूखी त्वचा में लाभकारी
21. बालों की जड़ों को मज़बूती देना
22. झड़ते और सफ़ेद होते बालों की समस्या को कम करने में सहायक
23. नाखूनों को मज़बूती देना

🔹 अन्य लाभ
24. थकान, कमजोरी और आलस्य को दूर करना
25. शारीरिक सहनशक्ति और स्टैमिना बढ़ाना
26. बुज़ुर्गों के लिए स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक
27. बच्चों और युवाओं के लिए पोषण पूरक (nutritive tonic)
28. महिलाओं के लिए हार्मोनल संतुलन और कमजोरी में सहायक
29. पुरुषों के लिए शक्ति और स्फूर्ति में सहायक
30. लंबे समय तक बीमार रहने के बाद शरीर को जल्दी रिकवरी देने में मददगार

दवा प्राप्त करने हेतु संपर्क -: डॉ. कोमल भारती +91 581 359 0634
फिरोज अंसारी 9760191046

निःशुल्क उपचार कैंप 1 सितंबर, 2025 को आयोजित किया गया।। सैकड़ों लोगों ने निःशुल्क उपचार कैंप का लाभ उठाया। दवाओं पर 50% ...
02/09/2025

निःशुल्क उपचार कैंप 1 सितंबर, 2025 को आयोजित किया गया।। सैकड़ों लोगों ने निःशुल्क उपचार कैंप का लाभ उठाया। दवाओं पर 50% की छूट दी गई।।

~स्वामी नारायण EH हॉस्पिटल, बरेली

आदिमकालीन हर्बल चिकित्सा हमारी विरासत अति प्राचीनकाल में जब आदिम सभ्यताएं जन्म ले रही थी. उसी समय हर्बल चिकित्सा, जिसे व...
28/08/2025

आदिमकालीन हर्बल चिकित्सा
हमारी विरासत
अति प्राचीनकाल में जब आदिम सभ्यताएं जन्म ले रही थी. उसी समय हर्बल चिकित्सा, जिसे वनस्पति चिकित्सा भी कहते हैं, इंसानी सभ्यता के साथ-साथ विकसित हो रही थी. सभ्यताओं के उस प्रारंभिक काल में मानव सभ्यता ने अपने कष्टों, रोगों से मुक्ति के लिए अपने आस पास की वनस्पतियों की तरफ देखना शुरू किया. हर्बल चिकित्सा एक प्राचीन और सशक्त उपचार पद्धति है। यह केवल लोक-कथाओं या कहानियों पर आधारित नहीं है, बल्कि सदियों के गहन अवलोकन, प्रयोग और लगातार अनुसंधान का परिणाम है। पौधों का उपयोग करके रोगों का उपचार करने की यह कला हमारे पूर्वजों की बुद्धिमत्ता और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाती है।
प्रारंभिक काल: अवलोकन और प्रयोग
आदिमकाल के हमारे पूर्वजों के लिए प्रक्रति प्रदत्त वनस्पतियाँ किसी अजूबे से कम नहीं रही होंगी. मानव सभ्यता के शुरुआती दौर में, जब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का कोई अस्तित्व नहीं था, हमारे पूर्वजों ने अपने आस-पास के पौधों का उपयोग भोजन और उपचार दोनों के लिए करना सीखा। हमारे पुरखों ने अपने लम्बे समय के अनुभव से जाना की कुछ वनस्पतियाँ जहरीली होती हैं कुछ खाने योग्य. और कुछ विशिष्ट रोगों के लक्षणों को कम करने में सहायक हैं। यह प्रक्रिया मुख्यतः अवलोकन और प्रयोग पर आधारित थी। यह ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित होता रहा।
पुरातात्विक साक्ष्य:
* ईराक के शाणदार-4 गुफा (Shanidar-IV cave) में 60,000 साल पुराने निएंडरथल कब्रों में पौधों के पराग (Pollen) पाए गए हैं, निएंडरथल मानव अपने मृत लोगों के साथ कुछ विशिष्ट फूलों को दफनाते थे. जिससे यह पता चलता है कि वे लोग उपचार के लिए फूलों और पौधों का उपयोग करते थे। इन पौधों में यारो (Yarrow), मार्शमैलो (Marshmallow), और सेंट-जॉन वॉर्ट (St. John's Wort) जैसे औषधीय पौधे शामिल हैं। दुनिया के अलग -अलग क्षेत्रों में इस तरह के कई साक्ष्य मिले हैं, लेकिन इराक के साक्ष्य सबसे प्राचीन हैं.
प्राचीन सभ्यताएँ: ज्ञान का दस्तावेज़ीकरण
जैसे-जैसे सभ्यताएँ विकसित हुईं, हर्बल ज्ञान को लिपिबद्ध किया जाने लगा। इससे यह ज्ञान अधिक व्यवस्थित और सुलभ हो गया।
* मेसोपोटामिया (2600 ईसा पूर्व): में 5,000 साल पुरानी सुमेरियन मिट्टी की पट्टिकाएँ (Sumerian clay tablets) मिली हैं, जिन पर औषधीय पौधों जैसे कि लोबान और अजवायन का उल्लेख है।
* प्राचीन मिस्र (1500 ईसा पूर्व): मिस्रवासियों ने चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की। एबर्स पेपिरस , जिसे पेपिरस एबर्स के नाम से भी जाना जाता है Ebers Papyrus यह लगभग 1550 ईसा पूर्व का है, 700 से अधिक औषधीय नुस्खों का संग्रह है। इसमें लहसुन, अदरक, और धनिया जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए बताया गया है। इस प्राचीन दस्तावेज का नामकरण जर्मन मिस्रविज्ञानी जॉर्ज एबर्स के नाम पर रखा गया है, इन्होने ही भुला दी गयी इस प्राचीन धरोहर को आधुनिक समाज के सामने प्रस्तुत किया. जिन्होंने इसे 1873-1874 में इसे किसी से खरीदा था, और यह जर्मनी के लीपज़िग विश्वविद्यालय में संग्रहीत है।
* प्राचीन भारत (3000-5000 ईसा पूर्व): भारतीय उपमहादीप में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का विकास हुआ, जो हजारों साल पुरानी है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथ आयुर्वेद के आधार स्तंभ हैं। इनमें 1000 से अधिक पौधों और उनके औषधीय गुणों का विस्तृत वर्णन है। उदाहरण के लिए, हल्दी (Turmeric) का उपयोग सूजन कम करने, और नीम (Neem) का उपयोग एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए किया जाता था, जिनकी पुष्टि आधुनिक विज्ञान भी करता है।
* प्राचीन चीन (2700 ईसा पूर्व): चीन में पारंपरिक चीनी चिकित्सा (TCM) का उदय हुआ। शेन नोंग बेंन काओ जिंग (Shennong Ben Cao Jing) नामक प्राचीन ग्रंथ में 365 से अधिक पौधों का उल्लेख है। इसमें जिनसेंग (Ginseng) को ऊर्जा बढ़ाने और इफेड्रा (Ephedra) को श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए प्रभावी बताया गया है।
मध्य युग और पुनर्जागरण: ज्ञान का संरक्षण और विस्तार
मध्य युग में यूरोप, एशिया में हर्बल चिकित्सा का बहुत विकास हुआ. बहुत से धार्मिक मठों, चर्च एवं मदरसों ने हर्बल ज्ञान के केंद्र के रूप में कार्य किया। भिक्षुओं ने प्राचीन यूनानी और रोमन ग्रंथों का अनुवाद किया और अपनी जड़ी-बूटियों के बगीचे बनाए। इसी दौरान, हर्बल नामक पुस्तकों का चलन शुरू हुआ, जिनमें पौधों के चित्र और उनके उपयोग की जानकारी होती थी।
निकोलस कल्पर (Nicholas Culpeper): 17वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध अंग्रेज वनस्पतिशास्त्री जिन्होंने अपनी पुस्तक "द इंग्लिश फिजीशियन" में सामान्य पौधों और उनके औषधीय उपयोग का वर्णन किया, जिससे आम लोगों तक हर्बल ज्ञान पहुंचा।
आधुनिक युग: वैज्ञानिक अनुसंधान और सत्यापन
20वीं शताब्दी में, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विकास के साथ, हर्बल चिकित्सा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए। हालांकि, इस चुनौती ने हर्बल चिकित्सा को कमजोर करने की बजाय, इसे वैज्ञानिक आधार पर स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया। वैज्ञानिकों ने औषधीय पौधों में मौजूद सक्रिय यौगिकों (active compounds) को अलग करना और उनका अध्ययन करना शुरू किया।
हर्बल चिकित्सा की कई शाखाये जिसमे आयुर्वेद, यूनानी, TCM (परंपरागत चीनी औषधि) व अन्य शाखाओं ने प्राचीन काल में जन्म लिया यह मध्यकाल में और विकसित हुई. आधुनिक काल में होम्योपैथी, इलेक्ट्रो होमियोपैथी भी हर्बल चिकित्सा की शाखाओं के तौर पर विकसित हुई है।
हर्बल चिकित्सा का इतिहास, मानव जाति की प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और ज्ञान की निरंतर खोज की एक अद्भुत कहानी है। यह केवल एक उपचार पद्धति नहीं, बल्कि एक विरासत है जो हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और गहरी समझ रखने की प्रेरणा देती है। आधुनिक विज्ञान ने इस प्राचीन ज्ञान की पुष्टि करके इसे और भी प्रासंगिक बना दिया है, यह साबित करते हुए कि प्रकृति में ही हमारे कई रोगों का समाधान छिपा है।
डॉ. हरीश पटेल
स्वामी नारायन इलेक्ट्रोपैथी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट

26/08/2025

फ्री ओपीडी इलाज कैंप, दवाओं पर 50% की भारी छूट । 1 सितंबर 2025, सोमवार । Mob. 080775 25899 । स्वामी नारायण हॉस्पिटल, जंक्शन रोड, नारीमन कॉलोनी, बरेली

#उपचार

16/08/2025
स्वतंत्रता दिवस की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
15/08/2025

स्वतंत्रता दिवस की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं

31/07/2025

10 साल पुरानी बच्चेदानी की गांठ सिर्फ 6 महीने में हुई पूरी तरह ठीक । डॉ प्रभा पटेल, Mob. No. 080775 25899

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इलेक्ट्रोलाइट्स की मानव शरीर में भूमिका और उपयोगिता 🔷 इलेक्ट्रोलाइट्स क्या होते हैं?इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) वे खन...
19/07/2025

इलेक्ट्रोलाइट्स की मानव शरीर में भूमिका और उपयोगिता

🔷 इलेक्ट्रोलाइट्स क्या होते हैं?

इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) वे खनिज (minerals) होते हैं जो शरीर में पानी में घुलकर विद्युत आवेशित कण (ions) बनाते हैं। ये शरीर की महत्वपूर्ण जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

🔷 प्रमुख इलेक्ट्रोलाइट्स के नाम:

इलेक्ट्रोलाइट रासायनिक प्रतीक मुख्य स्रोत

सोडियम Na⁺ नमक, अचार, नमकीन
पोटेशियम K⁺ केला, आलू, टमाटर
कैल्शियम Ca²⁺ दूध, दही, पनीर
मैग्नीशियम Mg²⁺ साबुत अनाज, हरी सब्जियां
क्लोराइड Cl⁻ नमक, समुद्री भोजन
बाइकार्बोनेट HCO₃⁻ शरीर में प्राकृतिक रूप से बनता है
---

🔷 मानव शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की भूमिका:

1. ✅ पानी का संतुलन बनाए रखना (Fluid Balance)

शरीर के अंदर और बाहर पानी की मात्रा नियंत्रित करते हैं।

2. ✅ तंत्रिका संचार (Nerve Impulse Transmission)

नाड़ियों के माध्यम से संदेश भेजने में सहायक होते हैं।

3. ✅ मांसपेशियों का संकुचन (Muscle Contraction)

दिल की धड़कन सहित सभी मांसपेशियों की कार्यप्रणाली नियंत्रित करते हैं।

4. ✅ एसिड-बेस संतुलन (pH Balance)

शरीर में अम्ल और क्षार का स्तर संतुलित रखते हैं।

5. ✅ एंजाइम क्रियाओं में सहायता

बहुत सी जैव-रासायनिक क्रियाओं को सक्रिय करने में सहायक होते हैं।
---

🔴 इलेक्ट्रोलाइट की कमी (Electrolyte Imbalance) से होने वाले रोग/समस्याएं:

इलेक्ट्रोलाइट की कमी लक्षण/रोग

सोडियम (Hyponatremia) कमजोरी, भ्रम, सिरदर्द, दौरे, कोमा
पोटेशियम (Hypokalemia) मांसपेशियों में कमजोरी, दिल की धड़कन अनियमित, कब्ज
कैल्शियम (Hypocalcemia) हड्डियों में दर्द, ऐंठन, मरोड़, त्वचा में झुनझुनी
मैग्नीशियम (Hypomagnesemia) मांसपेशियों में ऐंठन, थकावट, घबराहट, दिल की समस्याएं
क्लोराइड की कमी (Hypochloremia) उल्टी, दस्त, मांसपेशियों की कमजोरी, pH असंतुलन
बाइकार्बोनेट की कमी रक्त का अम्लीय होना (Acidosis), साँस लेने में कठिनाई
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🔷 इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी के मुख्य कारण:

अत्यधिक पसीना आना

उल्टी या दस्त

कुपोषण

डायबिटीज या किडनी रोग

अत्यधिक डायरेटिक दवाओं का सेवन

खेल या मेहनत के समय पानी की कमी
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🔷 बचाव और समाधान:

✅ हाइड्रेशन बनाए रखें – रोज़ पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
✅ ORS घोल या नारियल पानी लें – इनमें प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं।
✅ संतुलित आहार – फल, हरी सब्जियाँ, दूध, अनाज आदि का सेवन करें।
✅ शारीरिक मेहनत के दौरान इलेक्ट्रोलाइट पेय लें।

📌

इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर के जीवनदायी कार्यों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इनका असंतुलन शरीर में गंभीर विकार उत्पन्न कर सकता है। सही खानपान और जल सेवन द्वारा इसे रोका जा सकता है।

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13/07/2025

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न्यूरोपैथी क्या होती है? जानिए देश के जाने माने इलेक्ट्रॉपैथ डॉ हरीश पटेल से... Mob. 8077525899

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243001

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Monday 10am - 7pm
Tuesday 10am - 7pm
Wednesday 10am - 7pm
Thursday 10am - 7pm
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