Saubhagya Astrology - KP System, Lalkitab, Numerology, Vastu

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Saubhagya Astrology - KP System, Lalkitab, Numerology, Vastu Saubhagya Astrology is a renowned institutions of K P astrology in India and abroad since 15 years.

09/11/2025

Rahu Mahadasha||राहु की महादशा

08/11/2025

Guru Ki Mahadasha aur Rahu Antardasha||गुरु की महादशा में जब राहु की अंतर्दशा हो

02/11/2025

केतु + गुरु युति वाले जातक ||Guru + Rahu yuti Wale Jatak||Life of Guru - ketu Conjunction

18/10/2025

शनि राहु युति||Shani Rahu Yuti||Sat Rahu Conjunction

"प्रत्येकस्य हृदि स्थितः रावणः आत्मदोषैः सह, तस्य दहनं एव विजयादशमीस्य सत्यार्थः।"(हर हृदय में बसा रावण हमारे दोषों के र...
02/10/2025

"प्रत्येकस्य हृदि स्थितः रावणः आत्मदोषैः सह, तस्य दहनं एव विजयादशमीस्य सत्यार्थः।"
(हर हृदय में बसा रावण हमारे दोषों के रूप में है, उसका दहन ही विजयादशमी का सच्चा अर्थ है।)

14/09/2025
🔮 If your child is not studying well, don’t rush to label them. Look at Mercury in their birth chart.✨ Mercury reveals h...
05/09/2025

🔮 If your child is not studying well, don’t rush to label them. Look at Mercury in their birth chart.

✨ Mercury reveals how a child thinks, learns, and expresses knowledge.
✨ Its conjunctions with other planets uncover their unique learning style.
✨ Decoding Mercury helps you understand how your child learns — not just what they learn.

🌙 Astro Parenting isn’t about comparison; it’s about connection. When you align with your child’s natural rhythm, parenting becomes guidance, not struggle.

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जब केतु और शुक्र की युति (conjunction) जन्मकुंडली में होती है तो इसका प्रभाव गहरा और सूक्ष्म (metaphysical) होता है।आध्य...
04/09/2025

जब केतु और शुक्र की युति (conjunction) जन्मकुंडली में होती है तो इसका प्रभाव गहरा और सूक्ष्म (metaphysical) होता है।

आध्यात्मिक एवं अदृश्य प्रभाव

केतु अदृश्य, रहस्यमयी और परालौकिक शक्तियों का द्योतक है।

शुक्र भौतिक सुख, आकर्षण और इंद्रियों का कारक है।

जब ये दोनों साथ आते हैं तो व्यक्ति को अक्सर अदृश्य गतिविधियों (Invisible activities) का अनुभव होता है—जैसे ऊपरी हवा का स्पर्श, हलचल महसूस होना, बिना कारण सुगंध या ध्वनि का अनुभव।

"ऊपरी हवा" का संकेत

“ऊपरी हवा” का अर्थ ज्योतिषीय दृष्टि से अदृश्य ऊर्जा या सूक्ष्म शक्तियों से है।

यह संकेत देता है कि जातक कभी-कभी ऐसे अनुभव करता है जो साधारण इंद्रियों से परे होते हैं।

जैसे कमरे में अचानक कंपन, हवा का हल्का झोंका, या आध्यात्मिक उपस्थिति का आभास।

सावधानियां

ऐसे योग में व्यक्ति को भ्रम और असत्य आकर्षण से बचना चाहिए।

ध्यान, मंत्रजाप और सात्त्विक जीवनशैली इस प्रभाव को संतुलित करती है।

विशेषकर शुक्र-केतु युति होने पर वास्तु और वातावरण शुद्ध रखना आवश्यक है, ताकि नकारात्मक ऊर्जाओं का असर कम हो।
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18/08/2025

मोह (attachment) ही असली दुख का कारण माना गया है, और जब शनि की महादशा/अंतरदशा आती है तो उसका प्रभाव और गहरा हो जाता है।क...
17/08/2025

मोह (attachment) ही असली दुख का कारण माना गया है, और जब शनि की महादशा/अंतरदशा आती है तो उसका प्रभाव और गहरा हो जाता है।

क्यों शनि मोह से अलग करता है?

1. वैराग्य का ग्रह – शनि का स्वभाव ही व्यक्ति को भौतिक मोह, रिश्तों और सुख-सुविधाओं से अलग करना है।

2. कर्मफल दाता – शनि इंसान को उसके कर्मों का फल दिलाता है। यदि कहीं आसक्ति या मोह अधिक है, तो वही सबसे बड़ा दुख का कारण बन जाता है।

3. सीख दिलाने वाला ग्रह – शनि सिखाता है कि जीवन में असली शांति त्याग, अनुशासन और साधना में है, न कि केवल भौतिक वस्तुओं या रिश्तों में।

परिणाम

शनि की दशा में व्यक्ति अक्सर हानि, दूरी, संघर्ष या अकेलापन अनुभव करता है।

प्रियजनों से दूरी, धन का नुकसान, पद या प्रतिष्ठा का ह्रास — ये सब मोह को तोड़ने का माध्यम होते हैं।

यही कारण है कि इस समय पीड़ा अधिक महसूस होती है।

समाधान

साधना और ध्यान – मन को स्थिर करने और मोह कम करने का सर्वोत्तम उपाय है।

सेवा और दान – विशेषकर शनि से संबंधित कार्य (गरीब, श्रमिक, दिव्यांग की सेवा, काले तिल/कंबल दान)।

स्वीकृति (Acceptance) – जो छूट रहा है उसे छोड़ने की कला सीखना ही शनि का सच्चा वरदान है।

👉 संक्षेप में: शनि मोह तोड़कर वैराग्य देता है, और यही कष्ट के साथ सबसे बड़ी आत्मिक उन्नति का कारण बनता है।

"जब तक मन संसार की ओर दौड़ेगा, अशांति बनी रहेगी। जब मन मेरी ओर टिकेगा, तभी शांति होगी।"👉 मन को कृष्ण में स्थिर करना ही य...
16/08/2025

"जब तक मन संसार की ओर दौड़ेगा, अशांति बनी रहेगी। जब मन मेरी ओर टिकेगा, तभी शांति होगी।"
👉 मन को कृष्ण में स्थिर करना ही योग और मुक्ति का मार्ग है!

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