Paatanjali

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गैस और खट्टी डकार की बहुत ही अच्छी औषधि
13/10/2025

गैस और खट्टी डकार की बहुत ही अच्छी औषधि

लाइपोमा का आयुर्वेदिक इलाज (Lipoma Ayurvedic Treatment in Hindi)लाइपोमा एक प्रकार की सौम्य गांठ (benign tumor) होती है ज...
25/09/2025

लाइपोमा का आयुर्वेदिक इलाज (Lipoma Ayurvedic Treatment in Hindi)

लाइपोमा एक प्रकार की सौम्य गांठ (benign tumor) होती है जो वसा (fat cells) से बनती है। यह आमतौर पर मुलायम, बिना दर्द की गांठ के रूप में शरीर पर उभरती है। आयुर्वेद में इसे मेडोरोग (चर्बी से जुड़ी समस्या) माना गया है। इसका मुख्य कारण असंतुलित आहार-विहार, अधिक तैलीय भोजन, कम पाचन शक्ति व कफ दोष की वृद्धि है।

आयुर्वेदिक उपचार व उपाय:

1. आहार (Diet)

तैलीय, तला-भुना और जंक फूड से परहेज़ करें।

हल्का, सुपाच्य भोजन लें।

हरी सब्ज़ियाँ, गिलोय, नीम, करेला और लौकी का सेवन करें।

अदरक, लहसुन और हल्दी का नियमित सेवन फायदेमंद है।

2. घरेलू नुस्खे

हल्दी और शहद: हल्दी पाउडर को शहद में मिलाकर गांठ पर लगाने से लाभ होता है।

त्रिफला चूर्ण: रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी व विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं।

लहसुन: लहसुन की कली सुबह खाली पेट खाने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।

3. आयुर्वेदिक औषधियाँ (वैद्य की सलाह से)

कांचनार गुग्गुल – गांठ व ट्यूमर जैसी समस्याओं में बहुत उपयोगी।

त्रिफला गुग्गुल – शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने में मददगार।

वरणादि क्वाथ – ग्रंथि (गांठ) को गलाने में सहायक।

4. तेल और लेप

कैसर तेल से हल्की मालिश करने से गांठ धीरे-धीरे नरम होती है।

गंधक रसायण और हरिद्रा (हल्दी) का लेप भी लाभकारी माना गया है।

5. योग व प्राणायाम

कपालभाति व अनुलोम-विलोम – शरीर की चर्बी को संतुलित करते हैं।

सूर्य नमस्कार – मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वसा को कम करता है।

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👉 ध्यान दें:
लाइपोमा सामान्यतः हानिकारक नहीं होता, लेकिन यदि गांठ तेजी से बढ़े, दर्द करे या रंग बदल ले तो तुरंत डॉक्टर या वैद्य से परामर्श करें।

22/09/2025


माँ के चरणों में मिलता है सच्चा सुख-संसार,
उनकी भक्ति से कट जाते हैं सारे दुख और भार।
नवरात्रि का पावन पर्व लाए खुशियों की बहार,
हर दिल में बसे माँ दुर्गा, करें सबका उद्धार। 🙏🌺

21/09/2025

कमर दर्द का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Back Pain in Hindi)

कमर दर्द आजकल बहुत आम समस्या है। आयुर्वेद में इसे कटिशूल कहा गया है। यह अक्सर गलत जीवनशैली, गलत बैठने-उठने की आदतें, कब्ज़, वात दोष की वृद्धि, या अधिक श्रम करने से होता है।

आयुर्वेदिक घरेलू उपचार:

1. गर्म तेल की मालिश (Abhyanga)

सरसों का तेल, नारियल तेल या तिल का तेल हल्का गुनगुना करके कमर पर 10–15 मिनट मालिश करें।

नारायण तेल, महा नारायण तेल या दशमूल तेल विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं।

2. नस्य कर्म

प्रतिदिन 2–2 बूंद अनुतैल या महा नारायण तेल नाक में डालने से वात दोष संतुलित होता है और कमर दर्द में राहत मिलती है।

3. काढ़ा और औषधियां

दशमूल क्वाथ (काढ़ा) – दिन में 2 बार गुनगुना पीने से कमर दर्द और सूजन में आराम।

योगराज गुग्गुलु – कमर और जोड़ों के दर्द के लिए उत्तम।

अश्वगंधा चूर्ण – रोज़ दूध के साथ लेने से नसों को मज़बूती मिलती है।

4. गर्म सेंक (Swedana)

नमक या अजवाइन को तवे पर गर्म करके कपड़े में बांधकर सेंक करें।

इससे जकड़न और दर्द कम होता है।

5. योग और आसन

भुजंगासन, मकरासन, पवनमुक्तासन और शलभासन कमर दर्द में बहुत लाभकारी हैं।

ध्यान रहे, इन्हें धीरे-धीरे और विशेषज्ञ की सलाह से करें।

6. जीवनशैली और खानपान

भारी वजन उठाने से बचें।

बहुत देर तक एक जगह बैठने से परहेज करें।

आहार में हल्दी, लहसुन, अदरक और हरी सब्जियां ज़्यादा लें।

ठंडी और बासी चीज़ें कम खाएं।

18/09/2025

सतुआ!
दादी कहती हैं कि सतुआ तब तक सतुआ नहीं कहलाता जब तक वो सात अनाज से मिलकर न बना हो।
सत्तू में मक्की, जौ, ज्वार, मटर, चना, बाजरा और गेहूं दादी डालती थी।
इन सभी अनाज को भिगो कर सुखाती थी और फिर भाड़ में भूनने के लिए भिजवा देती थीं।
भुजैइन काकी की पारिश्रमिक अलग से चावल बांध कर देती थीं। अगर उन्हें अलग से मेहनताना नहीं दिया जाता था तो काकी भूनने के लिए आए अनाज का कुछ हिस्सा भुजाई के मूल्य के रूप में रख लेती थीं।
भाड़ में पहले से ही भीड़ लगी रहती है। कोई पसर भर मटर ले आया है तो कोई चना लाया है, किसी के पास एक सिकौहुली मकई के दाने हैं तो कोई भुजिया चाउर लाया है।
काकी जिसका भूजा भूजती थी उससे ही भाड़ झोकवाती थीं। बगिया के पेड़ो से गिरी पत्तियां बहार कर खांची में दबा दबा कर भर लाती थीं और यही उनके भाड़ का ईंधन होता था।
भाड़ जलते ही भाड़ से हवा के सर पर सवार हो कर उड़ती आती सोंधी सुगंध जब नाक में चढ़ती थी तो फिर मन गर्म गर्म भूजा चबाने के लिए बेताब हो उठता था।
दादी फिर कुछ न कुछ देकर भुजाने भेज देती थीं।
जो आनंद गर्म गर्म भूजे भूजा का होता है उतना स्वाद रखे हुए में नहीं आता है।
खैर सतुआ से चले थे भूजा पर आ अटके तो सतुआ की तरफ वापिस चलते हैं।
सतुआ जब भुजा कर आ जाता था तब जांता धोया जाता था आस पास चिकनी मिट्टी से लीप कर साफ किया जाता था और फिर मां, काकी मिलकर सतुआ पीसती थीं।
दोपहर जब तीन बजे वाली भूख लगती थी तब भोजन के बजाय हमारे गांव का दो मिनट वाला चटपटा, स्वास्थ्य वर्धक, पौष्टिक आहार तैयार होता था।
फटाफट नमक डाल कर घोल लिया चटनी, प्याज, सिरका, हरी मिर्च संग खा कर आनंद लिया।
हमारे सनातन धर्म में बेटी के घर का पानी पीना निषेध किया गया है सो हमारे बुजुर्ग जब कभी बिटिया के घर जाते थे तो संग में सतुआ बांध ले जाते थे। गांव में किसी के घर से पानी मंगवा कर घोलकर सतुआ खा लेते थे।
खाने से मेरा तात्पर्य खाना ही है अब आप लोग सोचेंगे कि सत्तू तो पिया जाता है और मैं खाना लिख रही हूं तो सत्तू अब पिया जाने लगा है पहले गाढ़ा सा घोलकर उंगली से चाट चाट कर खाया ही जाता था।
जिसको मीठा पसंद होता था वो सत्तू में राब डालकर मुट्ठी बना कर खाता था।
घर का कोई सदस्य सुबह जल्दी कहीं जाने लगता था तो सत्तू सबसे उत्तम भोजन होता था। दूर जाना है तो सत्तू बांध कर साथ ले जाता था।
हमारे यहां सतुआन नाम से बाकायदा एक लोकपर्व है उसमें उस दिन घर के सभी सदस्य एक समय सतुआ ही खाते हैं और उस दिन सतुआ खाना अनिवार्य माना जाता है।

16/09/2025

नीम एक आयुर्वेदिक औषधीय वृक्ष है जिसे "औषधियों का खज़ाना" कहा जाता है। इसके पत्ते, छाल, फूल, फल और बीज सभी लाभकारी होते हैं। आइए इसके प्रमुख फायदे जानते हैं:

🌿 नीम के फायदे

1. त्वचा रोगों में लाभकारी

दाद, खाज, खुजली, मुंहासे और फोड़े-फुंसी में नीम की पत्तियां और तेल बहुत उपयोगी हैं।

नीम का फेसपैक चेहरे की चमक बढ़ाता है।

2. खून की शुद्धि

नीम का रस या नीम की गोली का सेवन करने से खून साफ होता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।

3. मधुमेह (Diabetes) में उपयोगी

नीम की पत्तियां चबाने या उसका रस पीने से शुगर लेवल नियंत्रित होता है।

4. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

नीम का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है।

5. बालों के लिए लाभकारी

नीम का तेल और नीम पानी से बाल धोने से डैंड्रफ खत्म होता है और बाल मजबूत होते हैं।

6. कीटाणुनाशक गुण

नीम के धुएं से मच्छर और कीड़े दूर भागते हैं।

घर में नीम की पत्तियां रखने से वातावरण शुद्ध रहता है।

7. पाचन में सहायक

नीम का सेवन करने से पेट के कीड़े मरते हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है।

8. मसूड़ों और दांतों के लिए फायदेमंद

नीम की दातून करने से दांत मजबूत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।

👉 ध्यान दें: नीम का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। अधिक मात्रा में यह नुकसानदायक भी हो सकता है।

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