10/04/2023
हर साल 10 अप्रैल को, होम्योपैथी के संस्थापक जर्मन चिकित्सक सैमुअल हैनीमैन के जीवन और विरासत की सराहना करने के लिए दुनिया भर के लोग विश्व होम्योपैथी दिवस मनाते हैं। वह डॉक्टर थे जिन्होंने अठारहवीं शताब्दी के अंत में नई वैकल्पिक चिकित्सा का बीड़ा उठाया था, जिससे उन्होंने होमियोपैथी चिकित्सा के माध्यम से संपूर्ण मेडिकल साइंस में एक नया रूप दिया है।
इस वर्ष केंद्रीय आयुष मंत्रालय की घोषणा के अनुसार 2023 के विश्व होमियोपैथी दिवस का विषय “ *Homeoparivar: One Health, One Family.”* है। This is to promote health and wellness across the globe as a family with homeopathic treatment सर्वजन स्वास्थ्य "एक स्वास्थ्य, एक परिवार" है, जो की चिंता व अवसाद आदि सहित विभिन्न मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए होम्योपैथी के उपयोग पर केंद्रित है।
*अतः सभी अपने अपने क्षेत्रों में विश्व होमियोपैथी दिवस को डॉ सैमुअल हैनिमैन जी के जन्म दिवस 10th अप्रैल को बड़े उल्हास एवम उत्साह के साथ मनाया जाय।*
लोग आज भी भारत जैसे कई स्थानों पर होम्योपैथिक चिकित्सा के दृढ गुणों में विश्वास करते हैं, जहां होम्योपैथी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह कोई रहस्य नहीं है कि बहुत से लोग होम्योपैथी को एलोपैथिक दवा से अधिक पसंद करते हैं। गंभीर बीमारियों का उपचार सैमुअल हैनिमैन के शोध कार्य का केंद्र बिंदु था। जीविकोपार्जन के लिए उनके पास चिकित्सा ग्रंथों की व्याख्या करने का अतिरिक्त कार्य भी था। वे अच्छे अनुवादक थे, उन्हें 11 भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
हर साल 10 अप्रैल को दुनिया भर के लोग 2005 से विश्व होम्योपैथी दिवस मनाते हैं। जर्मनी में जन्मे फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन, जिन्हें "होम्योपैथी के जनक" के रूप में जाना जाता है, का जन्म आज ही के दिन 1755 में हुआ था। इनका जन्म एक गरीब चीनी माटी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार के घर हुआ था। वे अपने 11 भाई बहनों में से एक थे। बचपन से बहुत ही विद्वान थे। उन्होंने एलोपैथी में एमडी की उपाधि ली थी। वे जर्मनी देश के एक शहर के सिविल सर्जन थे। किंतु उन्हें एलोपैथी की स्प्रेस करने वाली तथा रोग का बारंबार पुनरावृति होना पसंद नही आ रहा था। फिर उन्हे एक दिन ज्ञान हुआ की औषधि को पतला करने से उसके प्रभाव बढ़ जाते है। यंहा से होमियोंपैथी का आविष्कार हुआ। इस वर्ष उनके जन्म की 268वीं वर्षगांठ है।
विश्व होम्योपैथी दिवस डॉ. हैनिमैन की जयंती को याद करते हुए यह होम्योपैथी की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावित दिशाओं को प्रतिबिंबित करने का भी समय है।
सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथिक स्टडीज के अनुसार, जब एक स्वस्थ व्यक्ति एक प्राकृतिक बीमारी की नकल करता है और समान लक्षण पैदा करता है, तो यह दवाओं के साथ रोगियों के इलाज की एक तकनीक है। है। नींव के रूप में "समरूपता" की अवधारणा का उपयोग करते हुए, होम्योपैथी एक प्रकार की पूरक दवा है।
इस तकनीक में, रोगियों का समग्र रूप से इलाज किया जाता है, लेकिन उनकी अनूठी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उनका इलाज व्यक्तिगत रूप से भी किया जाता है।
विश्व होम्योपैथी दिवस का प्राथमिक उद्देश्य इस नई चिकित्सा प्रणाली के बारे में सार्वजनिक ज्ञान को बढ़ाना है ताकि इसे व्यापक श्रेणी के व्यक्तियों के लिए अधिक आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।
होम्योपैथी एक चिंतित और उदास रोगी को ठीक कर सकती है। उसके रोगों से मुक्ति दिला सकती है।
गंभीर एवम क्रोनिक बीमारियों के उपचार में होम्योपैथी प्रत्येक रोगी में अंतर्निहित समस्या की तलाश करती है और इससे निपटने के लिए दीर्घकालिक दवाएं प्रदान करती है।
तीव्र विकार अल्पकालिक होते हैं, हालांकि उनकी उत्पत्ति दीर्घकालिक हो सकती है। अधिकांश पुरानी बीमारियों का पता किसी प्रकार के भावनात्मक या मानसिक तनाव से लगाया जा सकता है। जब होम्योपैथी की बात आती है, तो रोगी के पिछले अनुभवों के संबंध में वर्तमान लक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। पुरानी बीमारी के इलाज में, होम्योपैथी की उच्च सफलता दर है।
होम्योपैथी के परिणामस्वरूप, उन घटकों की पहचान करके एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा में सुधार किया जाता है जो की रोग से लड़ने वाले एंटीबॉडी विकसित करने के लिए, एक होम्योपैथिक चिकित्सक दवाओं को निर्धारित करता है । इससे शरीर में बीमारी के प्रति सहनशीलता बढ़ती है।
पारंपरिक चिकित्सा की कीमत के एक अंश पर, होम्योपैथी एक सच्चा चमत्कार है। इस दिन पूरी दुनिया होम्योपैथी का जश्न मनाती है।
दुनिया के 87 देशों में, होम्योपैथिक चिकित्सा एक लोकप्रिय प्रकार की cost effective के साथ साथ cure करने वाली दवा है। भारत में होमियोपैथी के लगभग 245 कालेज है जिसमे से प्रतिवर्ष 19572 चिकित्सक पास होकर मानव सेवा में अपना योगदान देते है। देश में कुल रजिस्टर डॉक्टर की संख्या 2,37,412 है। आयुष पोर्टल के अनुसार अब तक 3,69,32,068 रोगियों ने होमियोपैथिक सेवाए ली है। आज होमियोपैथी का साइंटिफिक एवम विकसित रूप भारत में है। इसमें कई भारतीय प्रसिद्ध चिकित्सकों में डॉ प्रफुल्ल विजयकर जी का भी बड़ा योगदान रहा है। इन्होंने प्रिडीक्तिव होमियोपैथी सस्था के माध्यम से दिव्यांग बच्चो के गंभीर रोगों का सरल इलाज खोज निकाला है।
होम्योपैथिक समुदाय की ओर से सभी को बधाई, और सभी को विश्व होम्योपैथी दिवस की शुभकामनाएं!🙏🙏🥳