Dr Rajendrakumar Jain Ayurved Chikitsa Aivam Anusandhan kendra

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DRS IntroducingRapidly reduces cholesterol and triglycerides, bad cholesterol. Clears blockages by reducing fat deposite...
20/03/2024

DRS Introducing
Rapidly reduces cholesterol and triglycerides, bad cholesterol. Clears blockages by reducing fat deposited in the vessels. Reduces the chances of heart attack. Completely safe, 100% herbal

11/12/2021

अर्जुन कषाय होते हुए भी हॄदय के लिए लाभकारी कैसे ?
कषाय रस संकोचक होता है और संकोचक औषधि हॄदय पर विपरीत असर डालती है फिर भी अर्जुन में हॄदय बल्य का गुण कैसे है ?
ये तो आयुर्वेद से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि आयुर्वेद की औषधियां कार्य करने के मामले में Multidimensional होती हैं, means कभी गुण से तो कभी रस से, तो कभी विपाक से तो कहीं वीर्य और कहीं प्रभाव से कार्य करती हैं। चाय पर चर्चा के दौरान हमारे एक मित्र ने बताया कि वह अर्जुन की चाय लेते हैं तो मुझे लगा इस विषय पर पोस्ट करना जरुरी है। दरसअल अर्जुन हमेशा नदियों के किनारे उगता है, बल्कि आप देखेंगे तो पाएंगे कि अर्जुन की जड़े नदी के पानी मे डूबी हुई रहती हैं। नदी के पानी में खनिज प्रचुर मात्रा में रहते हैं और इसके जल में पर्याप्त क्षारीयता रहती है। यह प्रकृति की व्यवस्था कहिये या अर्जुन का गुण कि अर्जुन वृक्ष में जल में घुले खनिज को अवशोषित करने की क्षमता या गुण पाया जाता है। अर्जुन की इस क्षारीयता के कारण इसमें हमारी रक्तवाह्नियों को विस्फारित करने का कर्म पाया जाता है (हमारे शरीर के स्रोतस क्षारीय माध्यम में फैलते हैं और अम्लीयता से सिकुड़ते हैं) जब अर्जुन के सेवन से रक्त वह्नियाँ फैलती हैं तो बड़ा हुआ रक्त भार भी कम होता है जिससे अर्जुन रक्त भार शामक का कार्य भी करता। अर्जुन कषाय और रुक्ष भी होता है जिसके कारण यह रक्त वाहनियों की आंतरिक दीवार पर जमें मेद स्वरूप क्लेद को scrap (खरोंचता) भी करता है और कषाय रस के कारण रक्त वाहनियों को दृढ़ करता है जिससे Aneurysm और Hemorrhage खा खतरा भी कम होता है।
इसमें Calsium विशेष रूप से पाया जाता है अतः अस्थि संधान कर्म में भी इसका प्रयोग अच्छा रहता है साथ ही Gastritis, ulcerative colitis, re**al prolapse में भी यह उपयोगी साबित होता है।
अर्जुन नाम इसका शायद इसलिए ही पड़ा होगा जैसे महाभारत में अर्जुन ने अपने हृदय को इतना मजबूत कर लिया था कि वह अपने घर परिवार के लोगों से भी युद्ध कर पाए ठीक वैसे ही यह भी आपके हृदय को मजबूत बनाता है क्योंकि हॄदय शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण मर्म है, यह ओज और प्राण का स्थान भी है। हॄदय की मजबूती पूरे शरीर को मजबूती देती है।
वैसे अर्जुन वृक्ष के कार्य का एक दार्शनिक पक्ष भी है कि जिस प्रकार इसकी जड़ें नदियों के किनारों पर मृदा अपरदन को रोककर नदी के बहाव को और किनारों की रक्षा करती हैं ठीक वैसे ही अर्जुन हमारी रक्त वाहनियों में बह रहे रक्त रूपी नदियों के किनारों अर्थात वाहनियों की आंतरिक दीवाल की रक्षा करता है।
अर्जुन का सेवन हमेशा क्षीरपाक विधि से करने के लिए बताया गया है क्योंकि क्षीरपाक विधि से इसका पाक करने से, दूध की स्निग्धता से अर्जुन की रुक्षता कम होती है और दूध के साथ इसका क्षारीय विलयन तैयार हो जाता है। हाँ यह बात ध्यान रखें क्षीरपाक के लिए गौदुग्ध ही उचित है।
आम जनमानस से निवेदन है कि इसके लाभकारी गुणों और कर्मों को देखते हुए सम्मोहित होकर बिना युक्ति के इसका प्रयोग न करें अतः प्रयोग करने के पूर्व किसी वैद्य से अपने अग्निबल, आयु, भार आदि अन्य चिकित्सीय पक्षों को जाँच अवश्य करा लें। प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक डॉ Anuj Jain sir के मत से अर्जुन के प्रयोग में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे इसका प्रयोग केवल पित्तज हॄदय रोग वाले रोगी ही करें वो भी कुशल चिकित्सक के निर्देशन में क्योंकि इसके कषाय रस और रुक्ष गुण प्रधान होने से यह मल शुष्कता कर कोष्ठबद्धता भी पैदा करता है और उसके कारण आनाह, आटोप, उदावर्त जैसी अन्य समस्या पैदा होती हैं, और वातज हॄदय रोग भी हो सकता है।
धन्यवाद।

09/12/2021
02/10/2021

रामायण में प्रसंग है कि जब लक्ष्मण जी के हृदय में मेघनाद द्वारा मारी गई ब्रह्मशक्ति चुभी हुई थी,तब उस समय सुषेण नामक वैद्य ने विशल्या नामक ओषधि का लेप कर आसानी से उस शक्ति को खींच लिया। संधिनी से जख्म को भरा और संजीवनी से उनके प्राणों में चेतना का संचार किया।
जिसमें विशल्या को निघंटुओं(वनस्पति जगत के विद्वान)ने कलिहारी के रूप में पहचाना है और संधिनी को आयपान के रूप में।
जंगलनी जड़ीबूटी के लेखक कहते है कि "हमें बड़ा आश्चर्य हुआ कि बिना बेहोश किये एक व्यक्ति के पैर में चुभे कीले को आसानी से निकाल दिया गया।"
कलिहारी के पुष्प अग्नि की तरह चमकती है इसलिए कुछ लोग इसे अग्निशिखा भी कहते है कुछ ऐसा वर्णन विशल्या के लिए रामायण में भी है कि यह औषधि अग्नि की तरह चमकती है.... है ना Amazing

11/07/2021

चिकित्सा से कभी धर्म, कभी मित्र, कभी यश,कभी पैसा और कभी अभ्यास करने को मिलता है।
इसलिये की गई चिकित्सा कभी निष्फल नहीं होती ।

तेजस टैबलेट व सुरेष्ठा काढ़े का प्रयोग फैले हुये संक्रमण में आपको सुरक्षित रखने में काफी मदद देगी।
24/04/2021

तेजस टैबलेट व सुरेष्ठा काढ़े का प्रयोग फैले हुये संक्रमण में आपको सुरक्षित रखने में काफी मदद देगी।

सुरेष्ठा काढ़ा ..रखे आपको सुरक्षित..
23/11/2020

सुरेष्ठा काढ़ा ..रखे आपको सुरक्षित..

24/03/2020

COVIDORID Tablet

Malla sindoor 10mg
Swashkashchintamani 60mg
Ramanikya 30mg
Sudarshan ghan 30mg
Tulsi 60mg
Sonth30mg
Chinchaseed80mg
Rudravanti80mg
Somlata 30mg
Gojivha 30mg
Vanafsa 30 mg
jufa 30mg
Haridra 80mg
Arjun 30mg
Dashmool 60mg

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आयुर्वेद में वर्णित दो औषधियों के योग से किसी भी प्रकार के विध्वंसकारी रोगों के प्रभाव से बचा जा सकता है1 हरिद्रा,2 चिंच...
19/03/2020

आयुर्वेद में वर्णित दो औषधियों के योग से किसी भी प्रकार के विध्वंसकारी रोगों के प्रभाव से बचा जा सकता है
1 हरिद्रा,2 चिंचा बीज
इन दोनों औषधियों को मिला व अन्य औषधियों के संयोग से DRS ने तेजस TEJUS टैबलेट व सीरप का निर्माण किया है जो कई विभिन्न संक्रामक रोगों पर अनुभूत है।

06/12/2019

कभी मित्र,कभी धर्म, कभी अर्थ(संपत्ति),कभी यश,कभी अभ्यास करने को मिलता है।
इसलिए की गई चिकित्सा कभी निष्फल नहीं होती।।

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HIG 53, Sector A, Ayodhya Nagar, BHOPAL
Bhopa
462041

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