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29/10/2025

29/10/2025

क्या आप जानते हैं — हिमाचल के मणिकरण में बहते हुए गरम पानी के झरनों के पीछे एक दिव्य रहस्य छिपा है?
कहा जाता है, यहीं पर भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला था!

एक समय भगवान शिव और माता पार्वती मणिकरण घाटी में विराजमान थे।
स्नान के दौरान माता पार्वती की मणि (रत्न) पानी में खो गई।
जब वह रत्न नहीं मिला, तो भगवान शिव क्रोधित हो गए और तीसरा नेत्र खोल दिया।
उनके क्रोध से पाताल लोक हिल गया, और शेष नाग प्रकट हुए।
शेष नाग की फुफकार से धरती से गरम पानी के झरने फूट पड़े —
और वहीं से वह खोई हुई मणि बाहर आई।

तभी से मणिकरण एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है,
जहाँ लोग आज भी गरम झरनों में स्नान कर भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

अगर आपको यह कथा पसंद आई हो तो

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29/10/2025
28/10/2025

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28/10/2025

क्या आपने सुना है ऐसा मंदिर जहाँ भगवान शिव के सामने नंदी नहीं, बल्कि भगवान विष्णु विराजते हैं?

ये कोई कहानी नहीं, बल्कि सच है —

महाराष्ट्र के कोल्हापुर ज़िले के खिद्रापुर में स्थित है कोपेश्वर मंदिर, जहाँ ये अद्भुत रहस्य छिपा है।

कहा जाता है, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में योगाग्नि में देह त्याग दी,
तो भगवान शिव क्रोध (कोप) से भर उठे।
इसी कारण इस मंदिर का नाम पड़ा कोपेश्वर मंदिर।

क्योंकि उस समय नंदी सती के साथ गए थे,
इसलिए यहाँ नंदी की मूर्ति नहीं है।
जहाँ नंदी होना चाहिए था, वहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है —
क्योंकि विष्णु जी ने ही शिव को शांत किया था।

यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं,
बल्कि शिव-विष्णु की एकता, करुणा और प्रेम का प्रतीक है।

🙏 अगर आपको यह रहस्य अच्छा लगा,
तो वीडियो को Like करें, Comment में लिखें – हर हर महादेव 🔱

27/10/2025

क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा, जो आज पूरे भारत और खासकर बिहार, यूपी और नेपाल में बड़े श्रद्धा से मनाई जाती है,
असल में भारत का सबसे प्राचीन सूर्य उपासना पर्व है?

📖 पौराणिक कथाओं के अनुसार —
पहली बार माता सीता ने छठ व्रत किया था, जब वे भगवान राम के साथ अयोध्या लौटी थीं।
उन्होंने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की आराधना की और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

एक अन्य कथा के अनुसार —
पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी संकट के समय छठ व्रत किया था।
सूर्यदेव की कृपा से उन्हें शक्ति और सफलता प्राप्त हुई।

🌞 इसलिए कहा जाता है —
छठ पूजा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, त्याग और आत्मशक्ति का प्रतीक है।
यह हमें सिखाती है कि जब हम प्रकृति और सूर्य की पूजा करते हैं,
तो जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और संतुलन लौट आता है।

🙏 अगर आप भी छठ पर्व मना रहे हैं, तो वीडियो को Like करें
और Comment में लिखें — “जय सूर्यदेव 🙏 छठ मइया की जय!”

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462016

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