02/12/2020
साहू संदेश (भाग - 6)
आवत ही हर्षै नहीं,
नैनन नहीं स्नेह ।
साहू वहां नित जाइये,
चाहे अगिन बरसे मेह।।
जब प्रेम से पत्थर पसीजता,
आदमी क्यों न पसीजेगा ?
बेजान डोरी से जब पत्थर घिसै,
करूणा से निष्ठूर क्यों न घिसेगा?
लोभ स्वार्थी पाप है,
कार्य परमार्थी पूण्य ।
लाभ-हानि जीवन-मरण ,
जोड़-घटाव है शूण्य ।।
जलन-गूस्सा धधकता अनल है,
जला देता है शौभाग्य ।
दया-परेम-सहिष्णुता अनुराग है,
चमका देता है भाग्य ।।
आंखी देखन सब झूठ है,
अनदेखन है सांच ।
विश्वास नहीं तो देख लो,
बना दर्पण कांच ।।
ध्यान धरो भगवान मिलेगा,
जीवन का अरमान मिलेगा ।
सत्संग करो दिव्य ज्ञान मिलेगा,
प्रेम करो सम्मान मिलेगा ।।
नफ़रत की मांसा मत रख मन में,
जीवन भर अपमान मिलेगा ।
दया भाव हो हर जीवों पर ,
प्रभू का अमर वरदान मिलेगा ।।
हिम्मत रख संकल्प से,
आरम्भ करो कार्य पूरा होगा ।
साकारात्मक सोंच रखो,
काम कभी नहीं अधुरा होगा ।।
स्वप्न देखो शुभ करने को,
अनुमान तेरा सुन्दर होगा ।
कार्य करो दुख हरने को ,
तेरा यह दिल समुन्दर होगा।।
साहू निवेदन करता है,
अब पांव सभी का पड़ता है।
जान-बुझ जो गलती करता है,
भवसागर में वह सड़ता है ।।
खुशामद में आमद होता,
प्रभाव कुछ तो पड़ता है ।
बिन मांगे प्रभावित होता,
वह अन्दर-२ झड़ता है ।।
दिल खोलकर बातें करता,
फिर कभी नहीं अकड़ता है ।।
हो जीवन सफर में हार जिसे,
सफलता-सोपान वही चढ़ता है।
बाधा के रोड़ों पर चढ़कर,
वह आगे-आगे बढ़ता है ।।
- डॉ. आर. पी .साहू
https://youtu.be/ToAiMjF3_dM