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Salon hair wash stroke: आजकल अगर आप सैलून जाते हैं, तो सैलून वाला बोलता है कि सर हेयर वॉश कर दें और आप करवा भी लेते हैं....
21/10/2025

Salon hair wash stroke: आजकल अगर आप सैलून जाते हैं, तो सैलून वाला बोलता है कि सर हेयर वॉश कर दें और आप करवा भी लेते हैं. अगर आसान शब्दों में कहा जाए, तो यह आम बात है और लोग इसे आराम और रिलैक्सेशन के तौर पर देखते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है, आपको रिलैक्स महसूस करवाने की यह प्रक्रिया आपके लिए जानलेवा भी हो सकती है. अगर नहीं मालूम है, तो चलिए आपको बताते हैं कि क्या सैलून में हेयर वॉश करने से स्ट्रोक आता है या फिर यह एक मिथक है.
क्या सच में होती है दिक्कत?
इसमें जो दिक्कत होती है, उसे ब्यूटी पार्लर स्ट्रोक सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. इसलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि हेयर वॉश करते समय हमें सावधानी रखनी चाहिए. यह एक काफी रेयर दिक्कत है. जब कोई व्यक्ति सैलून की वाश बेसिन वाली चेयर पर सिर को काफी देर तक पीछे झुकाकर रखता है, तो सर्वाइकल आर्टरीज पर दबाव पड़ सकता है. इसके चलते ब्लड फ्लो रुक जाता है, जिसके बाद इस तरह की दिक्कत होने का खतरा बन जाता है. 2016 में हुए एक मेडिकल स्टडी Beauty Parlor Stroke Revisited (PubMed) में 11 सालों के दौरान ऐसे 10 मामले दर्ज हुए जिनमें हेयर वॉश से जुड़े स्ट्रोक के लक्षण सामने आए. यानी कि इसके मामले बहुत कम ही देखने को मिलते हैं. दिल्ली के सुखदेव विहार में फोर्टिस अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर प्रमोद कुमार बताते हैं कि "यह खतरा उन्हीं लोगों में अधिक होता है जिनकी आर्टरीज पहले से कमजोर हैं या जिन्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल या अन्य हार्ट संबंधी बीमारियां हैं. ऐसे लोगों की गर्दन पर हल्का सा दबाव भी दिक्कत पैदा कर सकता है."
कैसे करें बचाव?
अगर इससे बचाव की बात करें तो इसके लिए कुछ सावधानियां अपनाई जा सकती हैं. जैसे कि हेयर वॉश कराते समय कुर्सी पर सिर को ज्यादा देर तक पीछे न झुकाएं. अगर असुविधा लगे तो तुरंत हेयर ड्रेसर को बताएं. अगर आपको पहले से कोई दिक्कत है, जैसे कि हाई बीपी और डायबिटीज, तो खास तौर पर ध्यान रखें. एक्सपर्ट मानते हैं कि सैलून में हेयर वॉश आमतौर पर सुरक्षित है और लाखों लोग बिना किसी दिक्कत के यह करवाते हैं. इस तरह की दिक्कत बहुत रेयर होती है. हालांकि अगर आपको किसी तरह की कोई दिक्कत दिख रही है, जैसे कि गर्दन में दर्द, चक्कर आने जैसा महसूस हो, तो तुरंत अपनी दिक्कत बताएं.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

hair wash stroke: आजकल एक नया ट्रेंड चल गया है कि लोग सैलून में हेयर वॉश करवाने जाते हैं. इससे उनको काफी आराम मिलता है. हालांकि, ....

Black Liver Disease Causes: आजकल इंसान की लाइफस्टाइल काफी तेजी के साथ बदल रही है, लोग पहले से ज्यादा स्ट्रेस लेने लगे है...
21/10/2025

Black Liver Disease Causes: आजकल इंसान की लाइफस्टाइल काफी तेजी के साथ बदल रही है, लोग पहले से ज्यादा स्ट्रेस लेने लगे हैं. खाने-पीने का कोई फिक्स रूटीन नहीं है. इन्हीं सब कारणों से इंसान को तरह-तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं बीमारियों में से एक है लिवर की बीमारी, जो इस समय दुनियाभर में लोगों को परेशान करके रखी हुई है. तमाम मेडिकल रिसर्च बताते हैं कि हर साल लिवर की दिक्कत से लाखों लोग प्रभावित होते हैं. बाद में इससे काफी लोगों की जान भी चली जाती है. इसी स्टडी में खुलासा किया गया कि लोग शुरुआती स्टेज में लिवर की समस्याओं को इग्नोर कर देते हैं और जब तक पता चलता है, तब तक लिवर सिरोसिस या ब्लैक लिवर जैसी गंभीर स्थिति में पहुंच चुका होता है. चलिए आपको बताते हैं कि आप शुरुआत में कौन सी गलतियां कर देते हैं.
क्या होती हैं शुरुआती गलतियां?
Cleveland Clinic के अनुसार, जब लिवर सेल्स बार-बार डैमेज होते हैं और उनकी जगह स्कार टिश्यू बनता है, तो लिवर कठोर और डार्क हो जाता है. बाद में यह समस्या आगे चलकर सिरोसिस या लिवर फेल्योर का कारण बनती है और इसमें लोगों की जान भी चली जाती है. British Liver Trust के अनुसार, अल्कोहल लिवर के लिए सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है. अगर आप कई महीनों, सालों तक लगातार अधिक शराब का सेवन करते रहते हैं, तो इससे लिवर के सेल्स मरने लगते हैं. धीरे-धीरे यह दिक्कत सिरोसिस हो जाती है और लिवर सिकुड़ कर काला हो जाता है. Times of India की रिपोर्ट बताती है कि हाई फैट डाइट और जंक फूड फैटी लिवर का मुख्य कारण है. ज्यादा तेल, चीनी और कार्ब्स वाली डाइट से लिवर में इंफ्लेमेशन होता है, जो धीरे-धीरे लिवर को डैमेज कर देता है. कई मेडिकल सेंटर इस बात को भी बताते हैं कि लंबे समय तक पेनकिलर और अन्य दवाओं का ओवरयूज़ लिवर को सीधा नुकसान पहुंचाता है. इससे धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है.
मोटापा भी है कारण
आजकल इंसान जिस एक समस्या से सबसे ज्यादा परेशान है, वह है मोटापा. यह एक ऐसी समस्या है, जो अपने साथ कई तरह की बीमारी लेकर आती है. Verywell Health की रिपोर्ट्स बताती हैं कि मोटापा और एक्टिविटी की कमी से फैटी लिवर डिजीज सबसे तेजी से फैलता है. इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है और लिवर की सेल्स धीरे-धीरे मरने लगती हैं.
कैसे करें बचाव?
अब समस्या जानने के बाद जो सबसे जरूरी बात है, वह है कि इससे बचाव कैसे किया जाए. इसके लिए आपको कुछ नियमों को अपनाना होता है, जैसे कि डॉक्टर्स की सलाह है कि हेल्दी डाइट लें, शराब से दूरी बनाएं, नियमित एक्सरसाइज करें और समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाएं. अगर आपको किसी भी तरह की कोई दिक्कत दिखती है, तो तुरंत डॉक्टर के पास पहुंच जाएं और वहां दिक्कत बताएं.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Liver Disease Causes: लाइफस्टाइल और गलत आदतों की वजह से लिवर डिजीज दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स में शामिल हो चुकी है. चल.....

Heart Attack Prevention: हार्ट अटैक के मामले पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं. इसमें से एक कारण है आर्टरी में प्लाक ...
21/10/2025

Heart Attack Prevention: हार्ट अटैक के मामले पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं. इसमें से एक कारण है आर्टरी में प्लाक जमना, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है. यह हार्ट अटैक का बड़ा कारण है. यह चिपचिपी परत वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य पदार्थों से बनती है, जिससे आर्टरी की दीवारें कठोर और संकरी हो जाती हैं और हार्ट तक खून का प्रवाह घट जाता है. लंबे समय तक माना जाता रहा कि एक बार प्लाक बनने के बाद इसे हटाया नहीं जा सकता और इसका इलाज केवल दवाओं, स्टेंट या सर्जरी से ही संभव है. न्यूयॉर्क के बोर्ड-प्रमाणित इमरजेंसी मेडिसिन डॉक्टर डॉ. वसिली एलिएपोलोस कहते हैं कि प्लाक जमना हमेशा स्थायी नहीं होता. उनका मानना है कि यदि जड़ कारणों पर ध्यान दिया जाए, तो जोखिम घटाए जा सकते हैं और प्लाक को उल्टा भी किया जा सकता है.
क्या प्लाक हमेशा के लिए रहता है?
डॉ. वसिली एलिएपोलोस इसके बारे में बताते हुए कहते हैं, "हमें बताया जाता है कि प्लाक स्थायी है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है. आर्टरी में जमा प्लाक बिना स्टेंट और सर्जरी के भी घटाया जा सकता है." वे आगे बताते हैं कि हार्ट अटैक का बड़ा कारण सिर्फ कैल्शियम जमा नहीं होता, बल्कि सॉफ्ट प्लाक का फटना होता है. इसमें कई बार आपका स्ट्रेस टेस्ट नॉर्मल आता है और फिर भी रिस्क बना रहता है. सर्जरी या स्टेंटिंग तुरंत राहत तो देती है और जान भी बचा सकती है, लेकिन यह बीमारी की जड़ पर काम नहीं करती. इसी वजह से जरूरी है कि जड़ कारण पर काम करके हार्ट अटैक से बचाव किया जाए.
कैसे कर सकते हैं इलाज?
डॉ. वसिली के अनुसार, इसके लिए सबसे पहले एडवांस टेस्टिंग जरूरी है ताकि असली खतरे की पहचान हो सके. साधारण कोलेस्ट्रॉल रिपोर्ट पूरी तस्वीर नहीं दिखाती. वे बताते हैं कि इसमें सबसे पहला जो टेस्ट होता है वह है APOB टेस्ट, जो असली लिपिड पार्टिकल लोड बताता है. इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है हाई सेंसिटिव CRP और LP-PLA2, जिसमें सूजन के वे मार्कर दिखते हैं जो प्लाक को बढ़ाते हैं. तीसरे नंबर पर CCTA स्कैन से इसके बारे में पता लगाया जाता है, जो दिखाता है कि प्लाक कहां बन रहा है और किस प्रकार का है. इस तरह आप किसी बड़े दिक्कत से बच सकते हैं. वहीं, अगर आप इसको इग्नोंर करते हैं, तो आपको काफी दिक्कत हो सकती है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Heart Attack: हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं. इसमें से एक कारण है आर्टरी में प्लाक जमना, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है. यह ....

अपने चुटीले अंदाज से हर किसी को हंसाने वाले बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन असरानी (84 साल) अपने चाहने वालों को रोता-बिलखता छो...
20/10/2025

अपने चुटीले अंदाज से हर किसी को हंसाने वाले बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन असरानी (84 साल) अपने चाहने वालों को रोता-बिलखता छोड़कर इस दुनिया से कूच कर गए. उन्होंने सोमवार (20 अक्टूबर) दोपहर करीब 3 बजे आखिरी सांस ली. बताया जा रहा है कि असरानी फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या दिवाली के पॉल्यूशन ने असरानी की सांसें छीन लीं? आइए जानते हैं कि फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए पॉल्यूशन कितना खतरनाक होता है?
कैसे बिगड़ती गई असरानी की तबीयत?
जानकारी के मुताबिक, असरानी 5 दिन से मुंबई के आरोग्य निधि अस्पताल में एडमिट थे. डॉक्टरों ने बताया कि उनकी क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (COPD) बिगड़ गई थी. सांस लेने में दिक्कत इतनी बढ़ गई थी कि उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा. डॉक्टरों की मानें तो ऐसे मरीजों के लिए पटाखों के धुएं से होने वाला पॉल्यूशन काफी ज्यादा खतरनाक होता है. दरअसल, फायरक्रैकर्स से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों की नलियों को सिकोड़ देते हैं. इससे सांस फूलने, खांसी और ब्रॉन्काइटिस आदि की दिक्कत बढ़ जाती है. ऐसे पॉल्शून की वजह से असरानी जैसे बुजुर्गों में फेफड़ों की क्षमता 30 पर्सेंट तक कम हो जाती है.
मुंबई में कितना रहा पॉल्यूशन?
दिवाली वाले दिन यानी 20 अक्टूबर की बात करें तो देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी पॉल्यूशन से जूझती नजर आई. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक, मुंबई में 20 अक्टूबर को दिनभर पीएम 2.5 औसतन 339 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो डब्ल्यूएचओ की लिमिट 50 से करीब 6 गुना ज्यादा है. हवा में मौजूद पीएम 2.5 के कण फेफड़ों के अंदर घुसकर सूजन पैदा करते हैं. इंडियन चेस्ट सोसायटी की रिपोर्ट कहती है कि दिवाली के बाद रेस्पिरेटरी इंफेक्शन 40 पर्सेंट बढ़ जाते हैं.

फेफड़ों के मरीजों के लिए पॉल्यूशन कितना खतरनाक?
डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली का प्रदूषण फेफड़ों के लिए जहर है. दिल्ली के विनायक हेल्थ हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राधिका शर्मा के मुताबिक, दिवाली के बाद स्मॉग का असर एक हफ्ते तक रहता है. इससे फेफड़ों की फंक्शनिंग 25 पर्सेंट कम हो जाती है. वहीं, क्रॉनिक बीमारियों जैसे COPD या अस्थमा वाले मरीजों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. दरअसल, PM2.5 के कण खून में घुसकर हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ाते हैं.
दिवाली के पॉल्यूशन से कैसे बचें?
दिल्ली AIIMS में अडिशनल प्रोफेसर सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन डॉ. हर्षल आर सल्वे के मुताबिक, दिवाली का प्रदूषण शॉर्ट-टर्म में अस्थमा और COPD बढ़ाता है. वहीं, लॉन्ग-टर्म में कार्डियो-रेस्पिरेटरी डिजीज, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा AQI 335 पर सांस की बीमारियां 40 पर्सेंट तक बिगड़ जाती है. ऐसे में किसी भी तरह की दिक्कत से बचने के लिए मास्क लगाना चाहिए.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Asrani Death Reason: असरानी 5 दिन से मुंबई के आरोग्य निधि अस्पताल में एडमिट थे. डॉक्टरों ने बताया कि उनकी COPD बिगड़ गई थी. सांस लेने ...

Pancreatic Cancer Symptoms: पैरों में दिखने वाले ये 4 लक्षण देते हैं कैंसर होने का सिग्नल, हर साल 10 लाख लोगों को बनाते ...
20/10/2025

Pancreatic Cancer Symptoms: पैरों में दिखने वाले ये 4 लक्षण देते हैं कैंसर होने का सिग्नल, हर साल 10 लाख लोगों को बनाते हैं शिकार

पैनक्रियाटिक कैंसर से डीप वेन थ्रॉम्बोसिस होने का खतरा रहता है. इसमें पैरों या पेल्विस की गहरी नसों में ब्लड क्लॉट...

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20/10/2025

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पहला लक्षण है पेट का भारीपन या सूजन. जब आप बिस्तर पर लेटते हैं और पेट में भरा-भरा या दबाव जैसा महसूस होता है, तो यह लिव....

पूरे देश में दिवाली धूमधाम से मनाई जा रही है. इस दौरान रौशनी और मिठाइयों की धूम है. वहीं, पटाखे चलाने वालों की भी कमी नह...
20/10/2025

पूरे देश में दिवाली धूमधाम से मनाई जा रही है. इस दौरान रौशनी और मिठाइयों की धूम है. वहीं, पटाखे चलाने वालों की भी कमी नहीं है, लेकिन कई बार जल्दबाजी या लापरवाही से हादसे हो जाते हैं. इस दौरान हाथ-पैर जलने का डर रहता है और आंखों में भी चोट लग जाती है. आइए आपको बताते हैं कि पटाखों से चोट लग जाए तो क्या करें? डॉक्टर के पास जाने से पहले फर्स्ट ऐड कैसे लें?
इस बात का रखें खास ख्याल
दिवाली का मतलब खुशियां और रोशनी है, लेकिन पटाखे जलाते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. हर साल सैकड़ों लोग पटाखों से जल जाते हैं. वहीं, छोटे बच्चों को ज्यादा खतरा रहता है, क्योंकि वे पटाखों को ठीक से हैंडल नहीं कर पाते हैं. अगर कोई हादसा हो जाए तो सबसे पहले शांत रहना चाहिए. घबराहट में गलती हो सकती है, जिससे नुकसान बढ़ सकता है. अगर पटाखे चलाते वक्त कोई दिक्कत होती है तो सबसे पहले सांस लें और फिर ये टिप्स फॉलो करें.
पहला काम: ठंडे पानी से धोएं
अगर हाथ या पैर जल जाए तो तुरंत उसे ठंडे पानी के नीचे रखें. ऐसा करने से जलन कम होती है और स्किन को राहत मिलती है. 10-15 मिनट तक हल्के से पानी डालते रहें. छोटे-मोटे जलने में ये तरीका कारगर होता है. ध्यान रखें कि पानी बहुत गर्म या ठंडा न हो, वरना स्किन खराब हो सकती है.
दूसरा नियम: बर्फ को सीधे न लगाएं
कई लोग जल्दी राहत के लिए बर्फ लगा देते हैं, लेकिन यह गलत है. बर्फ सीधे स्किन पर लगाने से ज्यादा नुकसान हो सकता है. इससे स्किन फट सकती है या सूज सकती है. अगर ठंडक चाहिए तो ठंडे पानी से हल्की सिकाई करें. बर्फ का इस्तेमाल तभी करें, जब डॉक्टर सलाह दें.
तीसरी सावधानी: टूथपेस्ट से रहें दूर
कुछ लोग सोचते हैं कि टूथपेस्ट लगाने से जलन ठीक हो जाएगी, लेकिन यह भ्रम है. टूथपेस्ट से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इसकी जगह साफ कपड़े से जले हुए हिस्से को ढंक दें और वह एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं, जिसकी सलाह डॉक्टर दें.
चौथा कदम: डॉक्टर के पास जाएं
अगर जलन छोटी-मोटी है, जैसे उंगली या हथेली का हिस्सा तो घर पर मरहम-पट्टी से ठीक हो सकता है. अगर पैर का बड़ा हिस्सा, चेहरा या शरीर का ज्यादा हिस्सा जल जाए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. पहले ठंडे पानी से धोएं, फिर हॉस्पिटल जाएं. देर करने से नुकसान बढ़ सकता है.
पांचवीं सलाह: साफ कपड़े से ढंकें
जले हुए हिस्से को खुला न छोड़ें. किसी साफ और मुलायम कपड़े या कॉटन की पट्टी से उसे ढंक दें. इससे धूल-मिट्टी से इंफेक्शन नहीं होगा. ध्यान रखें कि कपड़ा बहुत टाइट न हो, वरना दर्द बढ़ेगा.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

अगर हाथ या पैर जल जाए तो तुरंत उसे ठंडे पानी के नीचे रखें. ऐसा करने से जलन कम होती है और स्किन को राहत मिलती है. 10-15 मिनट ...

Executive Function Disorder: क्या आप चाबी, चश्मा या मोबाइल और बाकी कई अन्य छोटी-बड़ी तमाम चीजें भूल जाते हैं? सोचिए आप ऑ...
20/10/2025

Executive Function Disorder: क्या आप चाबी, चश्मा या मोबाइल और बाकी कई अन्य छोटी-बड़ी तमाम चीजें भूल जाते हैं? सोचिए आप ऑफिस पहुंचे हों और आपको याद आए कि अरे यार, मैं तो जरूरी फाइल घर पर ही भूल गया या फिर आप बार-बार अपना चश्मा या फोन ढूंढते रहते हैं. अगर आपके साथ इस तरह की दिक्कत हो रही है, तो एक बात हमेशा याद रखिए कि अगर इस तरह की दिक्कत एक-दो बार हो रही है, तो यह नॉर्मल है. लेकिन अगर आपको इस तरह की दिक्कत बार-बार हो रही है और यह आपके डेली रूटीन को प्रभावित कर रही है, तो सावधान होने की जरूरत है. हो सकता है कि आप ADHD (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) का शिकार हो चुके हों. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
क्या होता है ADHD?
भूलने की बीमारी तो हर किसी के साथ होती रहती है, नींद की कमी, तनाव या एक साथ बहुत सारे काम करने से भी चीजें याद नहीं रहतीं. लेकिन अगर यह आदत बन जाए, तो दिक्कत की बात होती है. हेल्पगाइड की एक रिपोर्ट के अनुसार, ADHD से प्रभावित लोग चीजों को समझने या याद रखने में दिक्कत का सामना करते हैं. अगर इसको सरल शब्दों में कहें, तो दिमाग जानकारी को सुरक्षित रखने और सही समय पर याद दिलाने में कमजोर पड़ता है. इस बीमारी के पैटर्न आपको लाइफस्टाइल में कुछ इस तरीके से दिखाई देते हैं, जैसे कि रोजमर्रा की चीजें बार-बार खोना जैसे चाबी, फोन या वॉलेट, जरूरी काम अधूरा छोड़ देना या भूल जाना, समय पर दवाई या अपॉइंटमेंट याद न रहना और बातचीत या मीटिंग में ध्यान भटक जाना.
क्यों होती है यह दिक्कत?
एक्सपर्ट बताते हैं कि ADHD एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें ब्रेन की एक्जीक्यूटिव फंक्शनिंग सही ढंग से काम नहीं करती. इसको लेकर कई रिसर्च हुए हैं, जिसमें से एक रिसर्च स्टडी Forbrain की तरफ से की गई है. इस स्टडी के अनुसार, यह दिमाग की क्षमता को प्रभावित करता है जैसे जानकारी को याद रखना और समय पर दोबारा निकालना. यही कारण है कि इंसान छोटी-छोटी चीजों को भूलने लगता है.
कब हो सकती है दिक्कत?
आप अपने डेली रूटीन में घटने वाली घटनाओं से इसका पता लगा सकते हैं कि आप ADHD से प्रभावित हैं या नहीं. अगर आपको भूलना सिर्फ कभी-कभी नहीं बल्कि हर दिन की आदत बन गया है, आपको घर के अलावा भी बाहर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही ध्यान की कमी, टाइम मैनेज करने में दिक्कत और अचानक मूड बदलना शामिल है. चेन्नई माइंड्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ADHD वाले लोग अक्सर कहते हैं कि उनके चाभी, फोन, बॉलेट्स, डॉक्यूमेंट हमेशा गायब हो जाते हैं. यह कोई आलस्य की समस्या नहीं, बल्कि दिमाग की प्रोसेसिंग से जुड़ी है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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Firecracker Health Risk: दिवाली खुशियों का पर्व है, लोग इसको अपने हिसाब से सेलिब्रेट करते हैं. कई लोग दिया जलाकर, मिठाई ...
20/10/2025

Firecracker Health Risk: दिवाली खुशियों का पर्व है, लोग इसको अपने हिसाब से सेलिब्रेट करते हैं. कई लोग दिया जलाकर, मिठाई खाकर इस पर्व को मनाते हैं, तो एक बड़ी आबादी ऐसी है, जो इस दिन फायरक्रेकर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती है. लेकिन इस उत्सव में जिस तरह पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है, वह सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक साबित होता है. इनमें कई तरह के पटाखे शामिल होते हैं, लेकिन सबसे खतरनाक जो पटाखा है, वह है सांप वाला. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे इससे कैंसर होने का खतरा बना रहता है.
सांप वाला पटाखा क्यों खतरनाक?
अब सवाल आता है कि सांप वाला पटाखा कैसे खतरनाक होता है. यह दिखने में काफी छोटा पटाखा होता है. इसे जलाने पर यह फैलने लगता है और सांप की तरह लहराते हुए बाहर आता है. इसे देखने में लोगों को मजा आता है, क्योंकि इसमें ज्यादा आवाज नहीं होती और यह लगातार धुआं छोड़ता है. बस दिक्कत यहीं है कि यह धुआं छोड़ता है. सारी बीमारी की जड़ इसी में छिपी हुई है. इसको लेकर “Personal exposures to particulate matter

Firecracker health: दिवाली को लेकर पटाखों के साथ सेलिब्रेट करते हैं,इससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है.चलिए आपको ...

Symptoms of blocked arteries: पैरों में दिखने लगें ये लक्षण तो समझ लें ब्लॉक हो रहीं आर्टरीज, तुरंत भागें डॉक्टर के पास
20/10/2025

Symptoms of blocked arteries: पैरों में दिखने लगें ये लक्षण तो समझ लें ब्लॉक हो रहीं आर्टरीज, तुरंत भागें डॉक्टर के पास

खास बात ये है कि पैरों को देखकर भी ब्लॉक्ड आर्टरीज के साइन पहचाने जा सकते हैं. असल में जब पैरों की आर्टरीज ब्लॉक होत.....

हम में से ज्यादातर लोग दिन में दो बार बिना सोचे-समझे टूथब्रश यूज करते हैं, सुबह उठते ही और रात को सोने से पहले, हम सोचते...
20/10/2025

हम में से ज्यादातर लोग दिन में दो बार बिना सोचे-समझे टूथब्रश यूज करते हैं, सुबह उठते ही और रात को सोने से पहले, हम सोचते हैं कि इससे हमारे दांत साफ और हेल्दी रहेंगे, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि जिससे आप अपने दांत साफ कर रहे हैं, वो खुद कितना साफ है. असल में आपका टूथब्रश एक छोटा सा जर्म पार्क बन सकता है, जहां लाखों बैक्टीरिया, वायरस और फंगस छिपे हो सकते हैं. यह सब कुछ आपके मुंह, हाथों, और यहां तक कि बाथरूम के वातावरण से टूथब्रश तक पहुंचते हैं और वहीं पनपते रहते हैं. हर बार जब आप अपने दांत ब्रश करते हैं, तो आप अपने मुंह की लार, बैक्टीरिया, खाना और माइक्रो स्किन कोशिकाओं को ब्रश में छोड़ देते हैं और अगर आपका ब्रश बाथरूम में, खासकर टॉयलेट के पास रखा है, तो फ्लश करने से हवा में उड़ने वाली माइर्को ड्रॉपलेट्स के जरिए और भी जर्म्स उस पर जम सकते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि टूथब्रश में छिपे बैक्टीरिया से बचने के लिए कब टूथब्रश बदलना चाहिए.
टूथब्रश पर बैक्टीरिया कहां से आते हैं?
टूथब्रश पर पाए जाने वाले माइक्रो जर्म्स के मुख्य तीन स्रोत होते हैं. जिसमें पहला आपका मुंह होता है. हर बार ब्रश करने पर मुंह के बैक्टीरिया टूथब्रश में जमा हो जाते हैं. इसके बाद दूसरा कारण स्किन और हाथ होते हैं. ब्रश पकड़ने और धोने के दौरान जर्म्स चिपक सकते हैं. वहीं बाथरूम का वातावरण भी इसका कारण हो सकता है. खासकर टॉयलेट फ्लश करते समय हवा में फैले कीटाणु. कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में यहां तक पाया गया है कि ब्रांड न्यू टूथब्रश भी बाजार में बिकने से पहले ही बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है.
टूथब्रश में छिपे बैक्टीरिया से बचने के लिए कब टूथब्रश बदलना चाहिए
अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन के अनुसार, हर 3 महीने में एक बार टूथब्रश बदलना चाहिए. अगर ब्रश के ब्रिसल्स घिस गए हों या फैल गए हों, तो उससे पहले भी बदल दें. बीमार पड़ने के बाद जैसे सर्दी-जुकाम या फ्लू, टूथब्रश जरूर बदलें. छोटे बच्चों या कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को हर 6 से 8 हफ्तों में ब्रश बदलना चाहिए.
टूथब्रश को साफ कैसे रखें?
हर यूज के बाद ब्रश को साफ पानी से अच्छी तरह धोएं, ब्रश को सीधा खड़ा करके खुली हवा में सूखने दें, टूथब्रश को कभी ढककर या बंद डिब्बे में ना रखें, इससे नमी के कारण बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं. एक से ज्यादा ब्रशों को एक-दूसरे से दूर रखें, ताकि वे आपस में न छुएं. ब्रश को टॉयलेट से कम से कम 2 मीटर दूर रखें. हफ्ते में 1-2 बार टूथब्रश को एंटीसेप्टिक माउथवॉश में 5-10 मिनट तक भिगोएं. चाहें तो 1 प्रतिशत सिरके के घोल में भी कुछ देर रखें, पर बाद में अच्छी तरह से धो लें. ब्रश को माइक्रोवेव या डिशवॉशर में डालना एक तरीका हो सकता है, लेकिन इससे ब्रिसल्स खराब हो सकते हैं. वहीं कुछ वैज्ञानिक अब ऐसे टूथपेस्ट या टूथब्रश विकसित कर रहे हैं जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं.
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हंसी तो फंसी, इश्कजादे और शुद्ध देसी रोमांस जैसी एक एक हिट पिक्चरें देने वाली एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा के घर नई खुशी आई ह...
20/10/2025

हंसी तो फंसी, इश्कजादे और शुद्ध देसी रोमांस जैसी एक एक हिट पिक्चरें देने वाली एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा के घर नई खुशी आई है. आम आदमी पार्टी के युवा नेता राघव चढ्ढा के संग ब्याह रचाने वाली परिणीति को 19 अक्टूबर, 2025 को बेटा हुआ है. राघव और परिणीति ने इस खुशखबरी को इंस्टाग्राम के जरिए अपने फैंस तक पहुंचाया, जिसके बाद लोगों ने भी उनके इंस्टा पोस्ट पर कमेंट में बधाई दी और बेबी बॉय को ब्लेसिंग भी दीं.
अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान परिणीति कई बार अपने इंस्टा पर अलग अलग तरह की पोस्ट करती भी नजर आई जिसमें वो हेल्दी प्रेग्नेंसी टिप्स देती दिखी. ऐसे में आइए जानते है परिणीति चोपड़ा के हेल्थी प्रेग्नेंसी टिप्स.
हाइड्रेटेड रहना है जरूरी
परिणीति चोपड़ा जो कि न्यू मोम बनी हैं उन्होंने अपनी प्रेग्नेंसी टिप्स लोगो के साथ भी शेयर किए हैं. ऐसी की एक वीडियो में परिणीति लेमन वाटर पीटी नजर आती हैं. दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान हाइड्रेटेड रहना बेहद जरूरी होता है क्योंकि इससे स्किन फ्लेक्सिबल रहती है और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, स्वेलिंग, सिरदर्द और प्रतिम लेबर के खतरे को भी कम करता है.
खाने का कैसे रखें ख्याल?
इसी के साथ दूसरी वीडियो में परिणीति टोमैटो सूप और और चीज टोस्ट बनाते हुए दिखाई दी. कंसल्टेंट डाइटीशियन गरिमा गोयल बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान चीज टोस्ट और टोमैटो सूप एक अच्छा और रिलैक्सिंग डिनर हो सकता है. दरअसल, टोमैटो सूप से शरीर को हाइड्रेशन, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते हैं जो इम्यूनिटी को बेहतर करते है और स्किन हेल्थ को भी अच्छा रखते हैं. इसके अलावा चीज टोस्ट प्रोटीन और और कैल्शियम का अच्छा सोर्स है, जो मसल्स के लिए जरूरी है.
स्ट्रेच मार्क्स को कैसे बच सकते हैं?
प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेच मार्क्स की सबसे ज्यादा शिकायत रहती है. अनहेल्दी और तेजी से होते वेट हैं के चलते इनकी प्रॉब्लम और भी बढ़ जाती है. ऐसे में इन्हें पूरी तरह से अवॉइड तो नहीं किया जा सकता पर कुछ हद्द तक कम किया जा सकता है. इसके लिए रोजाना एमोलियंट्स, कोको या शिया बटर स्किन हेल्थ को बेहतर रखने और इलास्टिसिटी बनाए रखने में मदद करता है.
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