Shri Navagrah Vatika

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(402)

12/09/2025

 "ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च । नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।", का हिंदी में अर्थ है: हे देवताओं, ...
12/09/2025



"ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च । नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।",

का हिंदी में अर्थ है:

हे देवताओं, हे पितरों, हे महायोगियों, स्वाहा और स्वधा को हम नित्य नमस्कार करते हैं।
यह मंत्र देवताओं, पूर्वजों (पितरों), महान योगियों, तथा स्वाहा और स्वधा को प्रणाम करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इस मंत्र का महत्व है:
देवताओं को सम्मान: देवताओं को सम्मान दिया जाता है, क्योंकि वे सृष्टि के संचालन और कल्याण में सहायक होते हैं।
पितरों को कृतज्ञता: पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है। पितृपक्ष के दौरान इस मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है, जब लोग अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
महायोगियों को नमन: महान योगियों को भी नमन किया जाता है, जो अपने ज्ञान और तपस्या से मानवता का मार्गदर्शन करते हैं।
स्वाहा और स्वधा को प्रणाम: स्वाहा और स्वधा को भी प्रणाम किया जाता है। स्वाहा वह देवी हैं जो देवताओं को आहुति पहुँचाती हैं, और स्वधा वह देवी हैं जो पितरों को अर्पित भोजन पहुँचाती हैं।

 ां_बगलामुखी  #जयमातादी
17/08/2025

ां_बगलामुखी
#जयमातादी

14/08/2025
ज्योतिष और नाग दोष का प्रभाव कई लोगों में भ्रम रहता है कि कालसर्प और नागदोष एक समान हैं किंतु यह सत्‍य नहीं है। कालसर्प ...
16/06/2024

ज्योतिष और नाग दोष का प्रभाव

कई लोगों में भ्रम रहता है कि कालसर्प और नागदोष एक समान हैं किंतु यह सत्‍य नहीं है। कालसर्प दोष वंशानुगत होता है जबकि नाग दोष का प्रभाव जातक की मृत्‍यु के बाद भी प्रभावकारी रहता है इस दोष का सबसे ज्यादा प्रभाव वंश मे होने वाली सन्तान और व्यक्ति के कार्य पर पडता है दुसरी तरफ ये भी देखने मे आता है कि

अपने पितरो का विधी विधान से पितृकर्म ना करना
यदि किसी व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु दुर्घटना, बम ब्‍लास्‍ट, आत्‍महत्‍या या ज़हर खाने के कारण हुई है तो उसे नाग दोष लग जाता है।

नाग दोष से प्रभावित जातकों के वैवाहिक जीवन में अड़चनें आती हैं, विवाह में देरी एवं कुछ मामलों में इनका तलाक भी संभव है। महिलाओं के लिए यह दोष किसी श्राप से कम नहीं होता।

इस दोष के प्रभाव में महिलाओं के गर्भपात की अत्‍यधिक संभावना रहती है। इनके जीवनसाथी का स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ा रहता है। इन जातकों को स्‍वप्‍न में सांप दिखाई देते हैं एवं इनका मानसिक विकास भी धीमी गति से होता है। इस दोष से ग्रस्‍त जातक की संतान ही उसकी विरोधी बन जाती है। यह व्‍यक्‍ति बुरे कर्मों में लिप्‍त रहता है।

नाग दोष होने पर जातक को कोई पुराना एवं यौन संचारित रोग होता है। इन्‍हें अपने प्रयासों में सफलता प्राप्‍त नहीं होती। नाग दोष का अत्‍यंत भयंकर प्रभाव है कि इसके कारण महिलाओं को संतान उत्‍पत्ति में अत्‍यधिक परेशानी आती है। व्‍यक्‍ति की गंभीर दुर्घटना संभव है।

🙏🙏🙏

जिनकी नजर तेज होगी वही बता पायेगा पटरी में क्या खड़ा है
02/04/2024

जिनकी नजर तेज होगी वही बता पायेगा पटरी में क्या खड़ा है

08/03/2024

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जय श्री महाकाल ❤️
04/03/2024

जय श्री महाकाल ❤️

मांस (Meat) का मूल्य 🤬मगध सम्राट बिन्दुसार ने एक बार अपनी सभा मे पूछा…देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए,सबसे सस्ती व...
19/01/2024

मांस (Meat) का मूल्य 🤬

मगध सम्राट बिन्दुसार ने एक बार अपनी सभा मे पूछा…

देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए,

सबसे सस्ती वस्तु क्या है ???

मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये! चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऐसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता।

तब शिकार का शौक पालने वाले एक सामंत ने कहा :
हे राजन!

सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस (Meat) है।

इसे पाने मे मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है। सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन प्रधान मंत्री चाणक्य चुप थे।

तब सम्राट ने उनसे पूछा :
आपका इस बारे में क्या मत है?

चाणक्य ने कहा : राजन, मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा…

रात होने पर प्रधानमंत्री उस सामंत के महल पहुंचे, सामंत ने द्वार खोला, इतनी रात को गये प्रधानमंत्री को देखकर घबरा गया।

प्रधानमंत्री ने कहा :
शाम को महाराज एकाएक बीमार हो गये हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय ❤️ का सिर्फ दो तोला मांस लेने आया हूं। इसके लिए आप एक लाख स्वर्ण मुद्रायें ले लें।

यह सुनते ही सामंत के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ कर माफ़ी मांगी।

और उल्टे एक लाख स्वर्ण मुद्रायें देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें।

प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामंतों, सेनाधिकारियों के यहां पहुंचे और

सभी से उनके हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ, उल्टे सभी ने अपने बचाव के लिये प्रधानमंत्री को एक लाख, दो लाख, पांच लाख तक स्वर्ण मुद्रायें दे दी।

इस प्रकार करीब दो करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले वापस अपने महल पहुंचे और समय पर राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष दो करोड़ स्वर्ण मुद्रायें रख दी।

सम्राट ने पूछा :
यह सब क्या है ?

तब प्रधानमंत्री ने बताया कि दो तोला मांस खरीदने के लिए इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई फिर भी दो तोला मांस नही मिला।

राजन ! अब आप स्वयं विचार करें कि मांस कितना सस्ता है?

जीवन अमूल्य है, हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी है, उसी तरह सभी जीवों को भी अपनी जान उतनी ही प्यारी है। लेकिन वो अपनी जान बचाने में असमर्थ हैं।

और मनुष्य अपने प्राण बचाने हेतु हर सम्भव प्रयास कर सकता है। बोलकर, रिझाकर, डराकर, रिश्वत देकर आदि आदि ।

पशु न तो बोल सकते हैं, न ही अपनी व्यथा बता सकते हैं।

तो क्या बस इसी कारण उनसे जीने का अधिकार छीन लिया जाए?

शुद्ध आहार, शाकाहार..
मानव आहार, शाकाहार.. ❤️❤️

आज ही मांस खाना छोडें 🙏

अगर ये लेख आपको अच्छा लगे तो हर व्यक्ति तक जरुर भेजें।

आपका धन्यवाद…

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