05/12/2025
एड्स और डायबिटीज जैसी बीमारी का रास्ता ट्यूबरकुलोसिस के तरफ भी मूढ़ सकता है।
एड्स और डायबिटीज जैसी बीमारियों से मरीज बहुत कमजोर हो जाता है और मरीज का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है जिससे मरीज में ट्यूबरकुलोसिस का खतरा बढ़ जाता है। विकासशील देशों में एड्स पीडि़त मरीज को सबसे पहले तपेदिक का ही खतरा होता है।
क्या आप जानते हैं एच.आई.वी से ग्रसित व्यक्ति यदि टी.बी. बेसिलीस से संक्रमित हो जाए तो उसको टी.बी होने का खतरा लगभग छह गुना बढ़ जाता हैं। क्षय रोग किसी आम व्यक्ति को भी हो सकता है लेकिन एड्स पीडि़त व्यक्ति के लिए यह खतरा सामान्य से दुगुना होता है।
यदि एच आई वी पीडि़त मरीज टी.बी का ईलाज बीच में ही छोड़ दे तो उसके प्रतिरोधक क्षमता पर तो असर पड़ता ही है साथ ही मरीज में टी.बी के जीवाणुओं की संख्या और अधिक बढ़ जाती है और मरीज का ठीक होना मुश्किल हो जाता है।
ऐसा नहीं कि एड्स के मरीजों में टी.बी का उपचार संभव नहीं बल्कि मरीज का सही समय पर उपचार किया जाए तो ना सिर्फ मरीज में टी.बी को बढ़ने से रोक सकते हैं बल्कि मौत के जोखिम को भी टाला जा सकता है।