Agroha Dham

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*19 साल की उम्र में भारत की बेटी नंदनी अग्रवाल ने इतिहास रच दिया है वो भारत की सबसे कम उम्र की महिला CA बन गई है।* *मुरै...
03/11/2025

*19 साल की उम्र में भारत की बेटी नंदनी अग्रवाल ने इतिहास रच दिया है वो भारत की सबसे कम उम्र की महिला CA बन गई है।*

*मुरैना मध्यप्रदेश की नंदिनी अग्रवाल ने 13 साल की उम्र में 10वीं और 15 साल में 12वीं पास करी जिसके बाद CA फाइनल परीक्षा में AIR 1 (ऑल इंडिया रैंक 1) हासिल की और 19 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की महिला CA बनकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया।🎉💐💐💐*

महाराजा श्री श्री 1008 श्री अग्रसेन महाराज की सदा ही जय हो...
03/11/2025

महाराजा श्री श्री 1008 श्री अग्रसेन महाराज की सदा ही जय हो...

02/11/2025

कई योजनाओं को शुरू करने का सोचा गया था जिसके लिए एक न्यूनतम शुल्क रखा गया था परंतु दुखद की सभी को लाभ तो चाहिए परन्तु योगदान में सम्मिलित नहीं होना चाहते । इस लिए यह कार्य यही पर स्थगित किया जा रहा है। अब केवल धाम संबंधी पोस्ट ही शेयर की जाएंगी।

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धन्यवाद। जय अग्रसेन महाराज।।

जब भी किसी ने हाथ बढ़ाया, अग्रवाल भाइयों ने साथ निभाया —अब वक्त है उस एकता को एक नई दिशा देने का!“अग्रोहा विकास क्लब” — ...
02/11/2025

जब भी किसी ने हाथ बढ़ाया, अग्रवाल भाइयों ने साथ निभाया —
अब वक्त है उस एकता को एक नई दिशा देने का!
“अग्रोहा विकास क्लब” — सिर्फ़ एक नाम नहीं, एक परिवार है,
जहाँ हर सदस्य की तरक्की हमारी अपनी जीत है।
आओ, मिलकर अपने समाज को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।
जय अग्रसेन महाराज! जय अग्रोहा धाम!

01/11/2025

पेज पर 50k फॉलोवर होते ही हम MNC कंपनीज के साथ जुड़ के आपकी जरूरत अनुसार जॉब सांझा करेंगे। तो ज्यादा से ज्यादा पेज शेयर करें।

31/10/2025

जय अग्रोहा 🙏💛
अगर किसी के बिज़नेस में Vacancy है तो यहाँ शेयर करें 🙏
अपने दूसरे बनिया भाई की मदद करें 💼❤️

जय सियाराम जी, सबका कल्याण हो
30/10/2025

जय सियाराम जी, सबका कल्याण हो

अर्थ, अन्न और औषधि की अखण्ड निधि गोमाता मंगल का परम निधान हैं।'गोमाता' की आराधना के पावन पर्व 'गोपाष्टमी' की प्रदेश वासि...
30/10/2025

अर्थ, अन्न और औषधि की अखण्ड निधि गोमाता मंगल का परम निधान हैं।

'गोमाता' की आराधना के पावन पर्व 'गोपाष्टमी' की प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई।

आइए, हम सभी गोवंश की सुरक्षा, संवर्धन और सेवा का व्रत लें व लोगों को जागरूक करें।

29/10/2025

बहुत जल्द हम अपने Subscribers के लिए विशेष ऑफर और लाभ लॉन्च करने वाले हैं।
तो आज ही Subscribe करना न भूलें।

29/10/2025

!! साथियों !!
" अहंकार " ऐसा मेहमान है जो आता तो अकेला है मगर .....
जाते जाते समस्त रिश्तों को साथ ले जाता है ..

 #अग्रवाल राजवंश की ज्योति :  #सम्राट अग्रसेनभारतीय इतिहास के अनेक अध्याय अभी अलिखित हैं और लिखित के भी अनेक पृष्ठ अपठित...
28/10/2025

#अग्रवाल राजवंश की ज्योति : #सम्राट अग्रसेन

भारतीय इतिहास के अनेक अध्याय अभी अलिखित हैं और लिखित के भी अनेक पृष्ठ अपठित।भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के उत्थान में जिन महापुरुषों ने अपना योगदान दिया इतिहास के पन्नो में उनका नाम तो स्वर्णाक्षरों से अंकित है किंतु उनमे से कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में विस्तार से बताने में इतिहासकार प्रायः मौन हो जाते हैं। ऐसे ही महापुरुषों में एक हैं अग्रोहा नरेश सम्राट अग्रसेन। अग्रवाल एवं राजवंशी समुदाय के आदि पुरुष साम्राट अग्रसेन उन चक्रवती राजाओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने क्षत्रियोचित पराक्रम से ना केवल एक विशाल गणराज्य की स्थापना की बरन अपने विजित विशाल साम्राज्य को " एक मुद्रा- एक ईट" जैसे अभूतपूर्व समाजवादी सिद्धांत द्वारा एक सूत्र में पिरोकर समाजवाद की एक आदर्श मिशाल प्रस्तुत की। एक ऐसा समाजवादी सिद्धांत जो न पहले कहीं सुना गया था न बाद में किसी राज्य में दिखाई पड़ा। सच्चे अर्थों में सम्राट अग्रसेन समाजवाद के जनक थे।
सम्राट अग्रसेन के जन्म, वंश एवं विवाह को लेकर इतिहासकारों में काफी मत भिन्नताएं हैं पर विभिन्न ऐतिहासिक अभिलेखों, उत्खनन से प्राप्त मुद्राओं , शिलालेखों, पौराणिक आख्यानों , जनसमुदाय में प्रचलित किवदंतियों , भाट चरणों की विरुदवालियों आदि के आधार पर कुछ तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आये है जिनके अनुसार ये सरस्वती नदी के किनारे आबाद वैदिक कालीन "आग्रेय-गण" के राजा थे, जो सूर्यवंशी क्षत्रियों की एक शाखा थी।यह काल सिंधु-सरस्वती सभ्यता का उद्गम काल था। नगरीय सभ्यता का प्रसार हो रहा था।धीरे धीरे राजतंत्रात्मक शाशन पद्धति प्रचलन में आ रही थी किन्तु यह अभी शैशवावस्था में थी । बड़े नगरों का विकाश शुरू हो चूका था। गणों के बीच साम्राज्यवादी विस्तार की होड़ मची हुई थी। बड़े गण छोटे गणों को जीत कर राजतन्त्र में परिवर्तित हो रहे थे। पहले राजा का चुनाव होता था किंतु राजतन्त्र में राजपद वंशानुगत होने लगा। महाराजा अग्रसेन ने भी अपने आसपास आबाद सत्रह अन्य गणों को जीत कर एक सशक्त गणराज्य की नींव रखी जो आगे चलकर इनके नाम पर आग्रेय गणराज्य कहलाया। महाराजा अग्रसेन ने भी राजतंत्रात्मक शासन पद्धति को अपनाया किन्तु राजतन्त्र में गणतंत्र का एक नया प्रयोग किया। इन्होंने अपने राज्य को 18 गणों में विभाजित कर जीते हुवे गणों की आतंरिक संरचना में कोई परिवर्तन ना करते हुवे उस गण के मुखिया को उस गण का अधिपति राजा बना दिया। इस प्रकार आग्रेय गणराज्य 18 गणों का एक विशाल राज्य बन गया जिसके प्रत्येक गण का अधिपति उसी कबीले का मुखिया था और केंद्रीय शक्ति महाराजा अग्रसेन के हाथों में थी। महाराजा अग्रसेन ने अपने राज्य के बीचोंबीच एक अत्यंत रमणीय एवं वैभवशाली "अग्रोदक" नगर की स्थापना कर उसे अपने राज्य की राजधानी बनाया। अग्रोदक राज्य की कुलदेवी महालक्ष्मी थीं। महाराज अग्रसेन ने राज्य के मध्य में एक भव्य श्रीपीठ की स्थापना करवाई थी। जिसमें वेद पारंगत ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों से हरिप्रिया लक्ष्मी की स्तुति होती थी। राज्य की खुशहाली के लिए इन्होंने 18 राजसू यज्ञ किये जिनमे 17 तो पूर्ण हो गए किन्तु 18वें में पशुबलि से इन्हें घृणा हो गयी। वह यज्ञ अधूरा रह गया। इन्होंने अपने राज्य में तत्काल पशुवध पर रोक लगा दी और पशुपक्षियों पर होने वाली हिंसा को राज अपराध घोसित कर दिया इसके साथ ही यह घोषणा भी की कि सम्पूर्ण आग्रेय गण वाशी एक कुटुंब की तरह रहेंगे और प्रत्येक व्यक्ति अपने पितृ पक्ष- मातृ पक्ष के गण को छोड़कर शेष अन्य गणों के मध्य ही वैवाहिक संबंध कायम करेगा ताकि रक्त वर्ण की शुद्धि बनी रहे। इन्होंने अपने राज्य में "एक मुद्रा- एक ईंट " की रीति चलायी जिसमे राजधानी अग्रोदक नगरी में आकर बसने वाले प्रत्येक गरीब परिवार को संपूर्ण अग्रोदक वाशी एक एक मुद्रा और एक एक ईंट देंगे ताकि वह अपना निवास बना कर अपना व्यवसाय करने लगे। सहकारिता की यह भावना पुरे विश्व में कहीं देखने सुनने को नही मिलती। यही कारण है कि अग्रोदक की गिनती उस उस वक्त के प्रमुख बड़े व्यापारिक नगरों में होती थी। इस प्रकार महाराजा अग्रसेन समाजवाद के पुरोधा थे जिन्होंने जनमानस में सहकारिता की भावना विकसित की और देश को समाजवाद की राह दिखायी। पौराणिक उपाख्यानों के अनुसार इनका जन्म अश्वनी शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था और इनका विवाह नागवंशी राजा महीधर की कन्या राजकुमारी माधवी के साथ हुआ था। ईसापूर्व की चौथी शताब्दी तक आग्रेय गण एक शक्तिशाली गणराज्य रहा जिस पर अग्रवालों का एकक्षत्र साम्राज्य रहा। ईसापूर्व की छठी शताब्दी आते आते सभी जनपद व गणराज्य साम्राज्यवादी विस्तार में लग गये। बड़े जनपद अपनी सीमाओं का विस्तार कर महाजनपद बन गये।पूर्ववर्ती काल में पांचाल एवं कुरु जनपद ने एवं परवर्ती काल में मगध जनपद ने सबसे अधिक साम्राज्यवादी विस्तार किया। महाभारत युद्ध के पूर्व कौरवों के दिग्विजय प्रसंग में राजा कर्ण द्वारा इस राज्य को नीति पूर्वक अपने अधीन करने का उल्लेख महाभारत महाकाव्य के वनपर्व में आया है। महाभारत युद्ध के बाद हुयी राजनैतिक उथल पुथल से महाजनपदों ने मांडलिक राज्यों का रूप ले लिया एवं अनेक अन्य छोटे छोटे नये राज्यों का भी उदय हुआ। ये राज्य आपस में लड़ते रहते थे। आग्रेय गण को भी लगातार आक्रमणों का सामना करना पड़ रहा था जिससे उसकी आतंरिक शक्ति दिन प्रति दिन कमजोर होती जा रही थी और अंततः इसा पूर्व 326 में हुवे यूनानी सम्राट सिकंदर के आक्रमणों को अग्रेय गण नही झेल पाया। हालाँकि अग्रेय वीरों ने सिकंदर का डटकर सामना किया किन्तु यवनों की विशाल सेना के आगे ये ज्यादा देर तक टिक न सके और अंततः अग्रोदक नगर पर सिकंदर का अधिकार हो गया। यूनानी इतिहास्कार लिखते हैं कि विश्वविजय का सपना ले के निकले सम्राट अलेक्जेंडर ( सिकंदर) को असकेनिय/ अग्लोनिकाय ( अग्रश्रेणी/ अग्रेय गण) के लोगों ने कड़ी टक्कर दी। उनके साथ हुवे युद्ध में सिकंदर घायल भी हुआ पर कूटनीति का प्रयोग कर अंततः सिकंदर की सेना विजयी हो गयी। सिकंदर की गुस्साई सेना ने इनके प्रमुख नगर अग्रोदक( अग्रोहा) को आग के हवाले कर दिया था। इस प्रकार अग्रेय गणराज्य का अस्तित्व हमेशा के लिए समाप्त हो गया। वहां से निष्क्रमण कर ये अग्रेयवंशी भारत के विभिन्न भागों में फैल गये और आजीविका के लिए तलवार त्याग कर तराजू पकड़ लिये। ये जहाँ भी जाते अपना परिचय अग्रेय वाले के रूप में देते। यही अग्रेयवाले शब्द भाषाभेद एवं स्थानभेद से "अग्रवाले" होता हुवा "अग्रवाल" पड़ गया। वहीँ इनकी एक शाखा सामंत राजाओं के रूप में बड़े साम्राज्यों के अधीन छोटे छोटे भूभाग पर शासन करती रही और आगे चलकर " गुप्त साम्राज्य" जैसा बड़ा राज्य स्थापित किया। ईसवीं की छठी शताब्दी आते आते इनके राज्याधीन प्रान्तों पर जाटों एवं राजपूतों का अधिकार हो गया और अग्रवाल जाति पूरी तरह से राज्यच्युत हो गयी। अठारह कुलों का यह समूह आज संपूर्ण विश्व में " अग्रवाल" नाम से जाना जाता है। ये अठारह कुल आज इनके गोत्र कहलाते है। राज्य छिन जाने पर राजपूत काल में अग्रवाल पूरी तरह से व्यापार व व्यवसाय पर आश्रित हो गए और दसवीं शताब्दी आने तक इनकी गणना क्षत्रिय वर्ण होते हुवे भी वणिक जातियों(वैश्य वर्ण या बनियों) के साथ होने लगी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी अग्रवाल समुदाय की प्रमुख भूमिका थी। गरमदल के प्रमुख लाल बाल पाल तिगड़ी के लाला लाजपत राय, गांधी युग के भामशाह जमनालाल बजाज, रामजीदास गुड़वाला, हिसार के लाला हुकुमचंद जैन जी का नाम इनमें अग्रणी है। अग्रवाल आज भले ही किसी साम्राज्य के शासक न हो पर इन्हें व्यावसायिक जगत का सम्राट माना जाता है। देश के अधिकांश औद्योगिक समूह इसी समाज के हाथों में है। इसके अतिरिक्त धर्म- संप्रदाय- जाति भावना से ऊपर उठकर समाजसेवा के मामले में भी इस समुदाय का कोई सानी नही है। इनके द्वारा बनवाये हुवे मंदिर एवं धर्मशालाएं देश के कोने कोने में देखने को मिल जाते हैं। हिन्दू धर्म की संजीवनी गीताप्रेस गोरखपुर मारवाड़ी अग्रवालों की देन थी। महाराजा अग्रसेन के सिद्धांत आज भी इस समाज के हर व्यक्ति की रगों में दौड़ते हैं। वैसे महापुरुषों को किसी एक जाति या समाज से बांध कर नही रखा जा सकता वो तो संपूर्ण राष्ट्र की धरोहर होते हैं। ऐसे ही महाराजा अग्रसेन भी संपूण भारतवर्ष की धरोहर हैं। उनके समाजवाद और अहिंसा के सिद्धांत संपूर्ण देशवाशियों के लिए अनुकरणीय हैं।उनके बताये हुवे रास्ते पर चलना ही इन पौराणिक महापुरुष के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

जय अग्रोहा- जय अग्रसेन
#वैश्य_सेना #वैश्य

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Agroha Dham

Agroha is a Hindu temple complex in Agroha, India. Construction started in 1976 and was completed in 1984. The temple is dedicated to the Hindu goddess Mahalakshmi.

History and development

The decision to construct the temple was made at the convention of All India Aggarwal Representatives in 1976. The trust was established for this purpose under Shri Krishna Modi and Rameshwar Das Gupta. The land was donated to the trust by Laxmi Narain Gupta and construction was started under the supervision of Tilak Raj Aggarwal. The construction of the main temple was completed in 1984 while construction of other features started in 1985 under Subhash Goel.

Description