Anil Physiotherapy Unit

Anil Physiotherapy Unit Dr Harsh*ta Shukla B.P.T M.P.T Ortho
Physiotherapy is a program that improve or restore
human moto For more information & details. Please Visit...

"BHAUTIKA CHIKITSHA

It is a rehabilitative program that improve or restore
human motor function.

           खास चर्चा जरूर देखें स्पाइन से जुड़ी समस्याओं की समीक्षा और समाधान  वरिष्ठ स्पाइन स्पेशलिस्ट डॉ. हर्षित गोयनका...
02/04/2022



खास चर्चा जरूर देखें स्पाइन से जुड़ी समस्याओं की समीक्षा और समाधान वरिष्ठ स्पाइन स्पेशलिस्ट डॉ. हर्षित गोयनका और मेरे साथ 😊😊🙏

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आभार🙏🙏😊

24/01/2022
13/01/2022



पूरे देश मे कर्फ्यू की जानकारी ।

08/01/2022

60उम्र के और उससे ज्यादा उम्र के लोग अपने नजदीकी टिकाकेंद्र जा के कोविडवैक्सीन बूस्टर डोज ले सकते है 🙏 जिसके लिए रजिस्ट्रेशन की जरुरत नही है ।



07/01/2022
26/12/2021

जनहित में जारी :-

15/12/2021

ड्राई फ्रूट्स को खाने से पहले भिगोना चाहिए या नहीं? जानिए क्या है इनके सेवन का सबसे अच्छा तरीका

जब हम हेल्दी नाश्ते के बारे में सोचते हैं, तो ड्राई फ्रूट और नट्स से बेहतर विकल्प कोई समझ नहीं आता। हम उनका सेवन करते हैं, क्योंकि वे हमें स्वस्थ वसा और प्रोटीन देते हैं। लेकिन एक सवाल जिसे ज्यादातर लोग पूछते हैं, कि स्वस्थ आहार में ड्राई फ्रूट्स का सेवन कैसे किया जाना चाहिए?

✅✅ड्राई फ्रूट्स को भिगोने से अंकुरण में मदद मिलेगी, उनकी पोषण सामग्री में वृद्धि होगी। नट्स के छिलकों में फाइटेट और ऑक्सालेट होते हैं। जो पोषक तत्वों को अवॉइड करता है, इन तत्वों में एक बड़ा नाम विटामिन बी है। भिगोने से इन फाइटेट्स के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है और नट्स को पचाने में आसानी होती है। नट्स को भिगोने से उनमें मौजूद प्रोटीन आंशिक रूप से पच जाता है। इसलिए सेवन करने से पहले नट्स को भिगोना अच्छा है।”
✅✅ जबकि किशमिश और प्रून जैसे सूखे मेवों को अच्छी तरह से धोकर साफ पानी में भिगोना चाहिए। ताकि उन्हें संरक्षित करने के लिए इस्तेमाल किए गए सल्फाइट उनकी सतह से हट जाएं।
✅✅कच्चे मेवों में फाइटिक एसिड होता है, जो अनाज और फलियों में भी पाया जाता है। जिस तरह हम अनाज और फलियां भिगोते हैं, ठीक उसी तरह पाचन के लिए इन्हें भी भिगोना जरूरी है।
🚫🚫 जब आप बिना भिगोए नट्स का सेवन करती हैं, तो आपको इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है
इनमें मौजूद फाइटिक एसिड आपके जठरांत्र संबंधी मार्ग में खनिजों को बांधता है।

यह आंतों में पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकता है।

प्रक्रिया के दौरान बंधे हुए खनिजों से शरीर में खनिजों की कमी हो सकती है।

नट्स में मौजूद एंजाइम इन्हिबिटर भी इन्हें पचाना थोड़ा मुश्किल बना सकते हैं।

✅✅ नट्स को भिगोने से उचित पाचन की अनुमति देने वाले एंजाइम अवरोधक निष्क्रिय हो जाते हैं। इस प्रकार, सूखे मेवों से संपूर्ण पोषण लाभ प्राप्त करना आसान हो जाता है। सूखे मेवों को भिगोने से उनका स्वाद भी बढ़ सकता है और उनका पोषण मूल्य भी बढ़ सकता है।
और हा अगर आप सुभह नट्स खाये तो सोने पर सुहागा होगा ।
लेख श्रोत ;- डॉ .हर्षिता शुक्ला


06/12/2021

चारों वस्तुएं गन्ने के रस से बनाईं जाती हैं। इसे इस प्रकार से समझें—

✅चीनी— सुगर मिल में गन्ना ले जाकर उसमें से रस निकाल कर उसका क्रिस्टलीकरण किया जाता है। इन क्रिस्टल को रिफाइंड करके चीनी बनती है। सफेद चीनी को रिफाइंड शुगर भी कहा जाता है। इसे रिफाइन करने के लिए सल्फर डाई ऑक्साइड, फास्फोरिक एसिड, कैल्शियम हाई-ऑक्साइड का उपयोग किया जाता है।गन्ने के रस से 10% भाग चीनी के रूप में प्राप्त होता है। शेष 90% जो तरल पदार्थ बचता है उसे सीरा कहते हैं। यह सीरा शराब बनाने वाली फैक्ट्री में बेच दिया जाता है और वहां इससे एल्कोहल ( स्पिरिट) और देसी शराब बनाई जाती है।
✅खांड —- कोल्हू ( क्रेसर) में गन्ने के रस से गुड़, खांड और शक्कर बनाईं जाती है। पहले गन्ने की पिराई करके रस निकाला जाता है। इस रस को बड़े बड़े कडाहे में गर्म किया जाता है। जब यह गाढ़ा होने लगता है तो इसमें रवा (क्रिस्टल) बनने लगता है। इस क्रिस्टलीकरण बिंदु पर पहुंचने पर इसे उतार कर बड़े-बड़े ड्रमों में भरकर दस पंद्रह दिन तक रख दिया जाता है , जिस से इस में अच्छी तरह रवे बन जाते हैं जैसे खांड होती है। इस रस को खांड निकालने की मशीन से खांड अलग कर ली जाती है। फालतू रस अलग निकल जाता है, इससे पशुओं के लिए गुड़ बना दिया जाता है।
✅गुड़ —- जैसे खांड बनाने के लिए रस को गर्म करके गाढ़ा किया था उसे और गाढ़ा कर लिया जाता है। इसे किसी छिछले चोकोर बर्तन में ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है। हल्का गर्म रहने पर लकड़ी की खुरपी से पेड़ी बना कर किसी चटाई पर सुखा लेते हैं यही गुड़ है।
✅शक्कर —- गुड़ बनाने के लिए जो रस गाढ़ा किया था उसे हल्का ठंडा होने पर पेड़ी न काट कर उसकी लकड़ी के बड़े बड़े हथोड़े ( मस्तु) से कूट कूट कर बारीक कर लिया जाता है। यह शक्कर है।जिसमे सारी पोषकता बरकरार रहती है।


05/12/2021

खाने-पीने को लेकर हम ढेरों नसीहतें पढ़ते-सुनते हैं। सवाल आता है कि इन्हें लागू कैसे करें? तो तीन तरीके हैं, जिनसे आपकी खाने की आदत सेहतभरी हो जाएगी -

1. शाम चार बजे की भूख सभी को परेशान करती है और सबके मन में आता है कि कुछ चटपटा हो जाए। इस स्नैक टाइम को फ्रूट टाइम बना दीजिए। शाम चार वाली भूख को फलों से मिटाने की शुरुआत कीजिए।

2. टू फ्रूट्स-थ्री वेजिटेबल्स फॉर्म्युले {2+3} को अपनाने का सबसे आसान तरीका है सलाद। इसमें ढेर सारे प्रयोग किए जा सकते हैं। अलग-अलग रंग के फल और सब्जियों को मिलाकर हर दिन एक नए तरह का सलाद। इससे स्वाद भी बदलता रहेगा।

3. तीसरा तरीका सबसे कारगर है। ऐसी चीज़ें खरीदी ही न जाएं, जिन्हें खाना नहीं है। बदलाव की शुरुआत यहीं से करनी होगी।

Articleby
Dr.Harsh*ta Shukla

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Durg
491001

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