10/07/2025
चित्तौड़गढ़ किला, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित एक ऐतिहासिक और भव्य किला है, जो भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। यह किला मेवाड़ राजवंश का प्रतीक है और अपनी वीरता, बलिदान और शौर्य की गाथाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ चित्तौड़गढ़ किले की संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है:स्थान और निर्माण:
चित्तौड़गढ़ किला बेराच नदी के किनारे एक 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर बना है। इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में मौर्य या मेवाड़ के राजा चित्रांगद मौर्य द्वारा शुरू किया गया था, हालाँकि इसका विस्तार बाद के शासकों ने किया।ऐतिहासिक महत्व:यह किला मेवाड़ के राजपूतों का गढ़ था और तीन बार (1303, 1535, और 1568) में आक्रमणों का सामना करना पड़ा।अलाउद्दीन खिलजी, बहादुर शाह और अकबर के हमलों के दौरान यहाँ जौहर (स्वयंभू दहन) और शाका (आखिरी युद्ध) की घटनाएँ हुईं, जो राजपूतों की वीरता और बलिदान को दर्शाती हैं।रानी पद्मिनी, मीरा बाई, और पन्ना धाय जैसी ऐतिहासिक हस्तियों की कहानियाँ इस किले से जुड़ी हैं।वास्तुकला:किला 700 एकड़ में फैला है और इसमें 7 विशाल द्वार (पोल) हैं, जैसे पाडन पोल, भैरों पोल, हनुमान पोल आदि।यहाँ कई महल, मंदिर, जलाशय और स्मारक हैं, जिनमें राणा कुम्भा महल, रानी पद्मिनी महल, विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ, और कालिका माता मंदिर प्रमुख हैं।विजय स्तंभ, जिसे 1458-68 में राणा कुम्भा ने बनवाया, मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय का प्रतीक है।आज का महत्व:चित्तौड़गढ़ किला यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।यह पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जहाँ इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला का अनूठा संगम देखने को मिलता है।किले में रात में होने वाला लाइट एंड साउंड शो इसकी गौरवशाली कहानियों को जीवंत करता है।विशेषताएँ:किले में गौमुख कुंड और अन्य जलाशय हैं, जो पानी की व्यवस्था के लिए बनाए गए थे।यहाँ मीरा मंदिर और जैन मंदिर भी हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं।चित्तौड़गढ़ किला न केवल एक स्थापत्य चमत्कार है, बल्कि राजपूतों की शौर्यगाथा और बलिदान का जीवंत साक्ष्य भी है। यह भारतीय इतिहास के गौरव का प्रतीक है।