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ज्योतिष में किसी भी पीड़ा का निदान इस आधार पर दिया जाता है की आपका कौन सा भाव और कौन सा ग्रह पीड़ित है, जब तक इसका आकलन नही करेंगे तब लाख कोशिश कर लीजिए आपको लाभ नही मिलेगा

02/11/2025

जब केतु 1st, 5th या 8th भाव में विराजमान होता है — तब यह व्यक्ति को साधारण नहीं रहने देता।
ऐसे जातक का पूर्वाभास (Intuition) अत्यंत प्रबल होता है, ये ऑकल्ट, रहस्यमय विद्याओं, और गूढ़ ज्ञान में पारंगत होते हैं।
चाहे वे consciously occult practice करें या नहीं, उनका inner radar सदा जाग्रत रहता है

केतु देता है अदृश्य का बोध — जो दिखे नहीं, वही सच्चा ज्ञान बन जाता है।



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31/10/2025

कभी-कभी जीवन में कठिनाइयाँ केवल कर्मों का नहीं, ग्रहों के अशुभ प्रभावों का परिणाम भी होती हैं।
शनि का संकोच, राहु–केतु का भ्रम, सूर्य की तिक्तता — ये सब हमारे जीवन में रुकावटें, तनाव और असफलता के रूप में प्रकट होते हैं।

परन्तु इन सबका एक अत्यंत दुर्लभ और प्रभावशाली उपाय है —

इस दिन किया गया दान ना केवल सूर्य जनित पीड़ा को शमित करता है,
बल्कि राहु, केतु और शनि से उत्पन्न कष्टों को भी धीरे-धीरे शान्त करता है।
क्योंकि अमावस्या वह क्षण है जब अंधकार में भी प्रकाश का बीज बोया जाता है,
और दान उस बीज को फलित करने का माध्यम बनता है।

पितृ दोष से मुक्ति

ग्रह शांति और मानसिक संतुलन

आर्थिक स्थिरता और शुभ अवसरों का आगमन

अदृश्य बाधाओं का निवारण

🙏 इसलिए कहा गया है —
“अमावास्यायां तु दत्तं दानं सर्वग्रहपीडाशमनं भवति।”
(अर्थात — अमावस्या के दिन दिया गया दान सभी ग्रहजनित पीड़ाओं का शमन करता है।)

इस अमावस्या,
दान अवश्य करें।
भोजन, वस्त्र, दीपक या जल का दान — कोई भी रूप हो,
पर नीयत हो शुद्ध और भावना हो सेवा की —
यही सच्चा ग्रह शांति का मार्ग है।
Amavasya ka daan badal sakta hai aapka bhagya! 🌑✨
Shani, Rahu, Ketu aur Surya ki peeda hogi shant 🙏
Pitra Shanti aur Grah Kripa dono ek saath — is Amavasya daan zarur karein!



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29/10/2025

पूर्णिमायां तु यो दत्तं धनं तस्य न क्षीयते।
जो दान पूर्णिमा तिथि में किया जाता है,
उसका फल कभी क्षीण नहीं होता,
अर्थात् वह अक्षय (अनन्त) फल देने वाला होता है।

पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी सम्पूर्ण कलाओं सहित उदित होता है।
यह दिन सौंदर्य, समृद्धि और शीतलता का प्रतीक है।
इसलिए इस दिन किया गया दान:

मन को पवित्र करता है,

कर्मों के पापों को क्षीण करता है,

और दानदाता को दीर्घकालिक पुण्य व यश प्रदान करता है।

पूर्णिमा पर करने योग्य दान:

ग्रह / उद्देश्य दान की वस्तु दान का फल

🌕 चन्द्रमा शान्ति सफेद वस्त्र, चावल, दूध, चीनी, चाँदी मानसिक शांति, पारिवारिक सुख
🌞 पितृ कृपा हेतु ताम्र पात्र, गुड़, गेहूं स्वास्थ्य, आयु वृद्धि
🌹 लक्ष्मी कृपा हेतु वस्त्र, अन्न, घी, दीपदान धन-संपन्नता और सौभाग्य
🌱 धर्म वृद्धि हेतु तुलसी, जल, अन्न मोक्ष और सद्कर्म वृद्धि

1. “Donate on Purnima — Earn Aksay Punya 💫”

2. “Full Moon, Full Blessings 🌕 — Try Daan Today!”

3. “One Daan on Purnima = Infinite Blessings 🔱”

4. “Your wealth grows when given at the right time — Purnima!”

5. “Purnima Daan = Energy Exchange with Universe 🌌”


























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27/10/2025

कभी सोचा है, कुछ लोगों में वो नैचुरल ग्लो, वो अट्रैक्शन क्यों होता है?”
👉 क्योंकि उनकी कुंडली में शुक्र मुस्कुरा रहा होता है!

शुक्र — वो ग्रह जो किसी भी आम इंसान को खास बना देता है!
जहां भी बैठता है, वहां सौंदर्य, आकर्षण और कला का निखार ले आता है।

👉 लग्न में हो तो व्यक्तित्व में चुंबकत्व भर देता है।
👉 दूसरे भाव में हो तो वाणी में ऐसा माधुर्य कि शब्द भी शहद बन जाएं।
और जिस भाव से जुड़ जाए, उस भाव को चमका देता है जैसे सोने पर सुहागा।

शुक्र जहां बैठा है, वहां रौनक और refinement तय है।

क्योंकि शुक्र ही है — जो ‘Aam ko Khaas’ बना देता है!

शुक्र — The planet of charm, luxury & beauty.
Wherever Venus sits, it adds glow, grace, and greatness!

It polishes your hidden talents and makes you shine in your own unique way.

Shukr kahin bhi ho, nikhraapan apne aap laata hai.


💫
🌟
💎
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🔮





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25/10/2025

क्या है केतु के समय में सफलता पाने का नियम
केतु का देने का नियम सरल है
उसके समय में भौतिक सुख मत खोजो,
क्योंकि केतु भौतिक नहीं, आध्यात्मिक ज्ञान का कारक है।

वो जिस भाव में बैठा है,
वहीं का गूढ़ रहस्य और आंतरिक सत्य सिखाता है।
अगर तुम उसे समझ गए —
तो सफलता निश्चित है, और वो भी अलौकिक रूप में!




















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23/10/2025

चर स्थिर या द्विस्वभाव क्या है आपकी सफलता का राज

कुंडली में छुपा है आपकी सफलता का राज

क्या आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में सफलता का राज छुपा हुआ है? 🔮
इसके लिए सबसे पहले आपको राशियों के गुण और धर्म को समझना होगा।

राशियों और सफलता का संबंध

1. स्थिर राशि (Ta**us, Leo, Scorpio, Aquarius)

अगर आपकी कुंडली में कोई स्थिर राशि त्रिकोण में बैठती है,

इसका मतलब है: आपको एक ही जगह रुककर लगातार मेहनत करनी होगी।

समय के साथ, आपकी निहित सफलता आपके कदम चूमेगी।

स्थिर राशि वालों को धैर्य और लगातार प्रयास से लंबी और स्थायी सफलता मिलती है।

2. चर राशि (Aries, Gemini, Cancer, Libra, Sagittarius, Pisces)

अगर आपकी कुंडली में चर राशि त्रिकोण में हो,

इसका मतलब है: चलते-फिरते रहना और मौके पर निर्णय लेना।

आप हमेशा नए अवसरों और नए रास्तों की खोज में रहेंगे।

3. द्विस्वभाव (Dual Nature)

अगर कुंडली में द्विस्वभाव की स्थिति है,

इसका अर्थ है: आपको समय और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहना होगा।

अवसरों का अधिग्रहण और रणनीति आपकी सफलता का मुख्य आधार बनेगी।

ऐसे लोग कभी भी एक ही स्थिति में स्थिर नहीं रहते, लेकिन समझदारी से कदम उठाने पर सफलता उन्हें जल्दी मिलती है।

स्थिर राशि लंबी मेहनत + धैर्य = स्थायी सफलता
चर राशि मौके की पहचान + सक्रियता = निरंतर प्रगति
द्विस्वभाव परिस्थिति के अनुसार निर्णय = जल्दी और स्मार्ट सफलता



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21/10/2025

शुक्र धन देने वाले ग्रह है यह गलत है धन का कारक ग्रह” कोई नहीं — धन का कारक योग है

2 और 11 भाव ही असली धन के भाव हैं,
और जो भी ग्रह इनसे संबंध बना ले — वही “धनदायक ग्रह” बन जाता है।

2 भाव → धन भंडार, savings, परिवार की संपत्ति।

11 भाव → लाभ, आय, इच्छाओं की पूर्ति।

👉 इसीलिए “धन” वहीं से आता है जहाँ
2, 11, या 5, 9 (धर्म-लाभ योग) का संबंध बनता है।

धन देने का असली सूत्र (Dhanyog Sutra)

यदि कोई ग्रह — किसी भी रूप में (दृष्टि, युति, अदान-प्रदान या स्वामी संबंध)
2, 11, 5, 9, या लग्न भाव से जुड़ जाए — तो धन योग देता है

शुक्र केवल लग्न का स्वामी है, पर 2 या 11 से जुड़ा नहीं धन नहीं देगा
मंगल 2 भाव का स्वामी होकर 11वें भाव में बैठा है प्रबल धन योग
शनि 10वें भाव से 11वें को दृष्टि दे रहा है और 2वें से युति में कर्म से आय देता है
राहु/केतु 2 या 11 में बैठें हों या उनके स्वामी से जुड़े हों अकस्मात धन, शेयर/विदेश से लाभ

शुक्र “सुख और विलास” का कारक है, जरूरी नहीं धन का

बहुत लोग शुक्र को "धन का ग्रह" कह देते हैं क्योंकि:

शुक्र भोग, विलास, सौंदर्य और भौतिकता का कारक है।

लेकिन धन तब देगा जब शुक्र का सीधा संबंध 2, 11, 5 या 9 भाव से हो।

यानी शुक्र “धन का माध्यम” है, “धन का स्रोत” नहीं।
स्रोत हमेशा भाव संबंधों से बनता है — न कि ग्रह के नाम से।






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19/10/2025

शनि का असली राज़
हर ग्रह सबसे पहले अपने मूल त्रिकोण राशि का फल देता है —
शनि की मूल त्रिकोण राशि है कुंभ (Aquarius)

इसलिए शनि चाहे कहीं भी बैठा हो,
सबसे पहले कुंभ राशि जिस घर में आएगा,
वहीं से शनि अपना असर शुरू करता है —
चाहे वो अच्छा हो या चुनौती भरा।

👉 उसके बाद शनि उस घर का फल देता है जहाँ वो बैठा है,
और फिर उन घरों का फल देता है जिन पर वो दृष्टि रखता है (3rd, 7th, 10th)।

अगर शनि 2nd, 7th, 8th या 12th घर से जुड़ा है
तो वही उसका मारक या छिद्र प्रभाव बन जाता है।

पहले कुंभ राशि से जुड़े भाव में हलचल,
फिर धीरे-धीरे असली कर्म का परिणाम।

Caption 1:
🪐 “Shani never punishes, he just clears your karmic pending bills.” 💫


Caption 2:
“जब शनि चलता है, तो कर्म बोलता है।” 🔱


Caption 3:
“शनि पहले वहीं चोट करता है, जहाँ सुधार की जरूरत होती है।” ⚙️


“Don’t fear Shani — he’s the teacher who makes you powerful.” 💪






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16/10/2025

राहु–केतु जहाँ, अस्थिरता वहां
Rahu & Ketu — Where they sit, instability follows.
राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं, और दोनों वक्री गति (retrograde motion) में चलते हैं।
जहाँ भी ये बैठते हैं, वहाँ जीवन में अस्थिरता, भ्रम या अचानक परिवर्तन ज़रूर लाते हैं।
इनकी ऊर्जा हमें चुनौती देती है ताकि हम भीतर से परिपक्व बनें।

भव अनुसार प्रभाव:
🏠 पहला भाव (लग्न): आत्म-संदेह, पहचान को लेकर संघर्ष।
💰 दूसरा भाव: वित्तीय अस्थिरता या परिवार में वैचारिक टकराव।
💬 तीसरा भाव: अचानक विवाद या कम्युनिकेशन में भ्रम।
🏡 चौथा भाव: घर, वाहन या मानसिक शांति में उतार-चढ़ाव।
🎓 पाँचवाँ भाव: प्रेम, संतान या सृजनात्मक ऊर्जा में अनिश्चितता।
💼 छठा भाव: कार्यस्थल या स्वास्थ्य में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव।
⚖️ सातवाँ भाव: रिश्तों या साझेदारी में भ्रम और अस्थिरता।
🕉 आठवाँ भाव: रहस्य, गूढ़ता या आकस्मिक परिवर्तन।
🌍 नौवाँ भाव: भाग्य और विश्वास में हिलावट, विदेशी कनेक्शन।
🏛 दसवाँ भाव: करियर में अनिश्चितता या अचानक अवसर/हानि।
💫 ग्यारहवाँ भाव: मित्रता और लाभ में उतार-चढ़ाव।
🌑 बारहवाँ भाव: नींद, खर्च या मानसिक शांति में बाधा।

Both Rahu and Ketu are shadow planets, always moving in a retrograde direction.
Wherever they reside in your chart, they bring instability, illusions, and transformation — pushing you to grow spiritually and mentally.

They create temporary chaos only to awaken permanent awareness within you.

“Rahu and Ketu never destroy — they just shake what’s not stable.” 🌌
“When Rahu–Ketu enter a house, they test your patience, not your destiny.” ⚖️
अस्थिरता ही विकास का पहला संकेत है — राहु और केतु यही सिखाते हैं।



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12/10/2025

लखपति से करोड़पति और करोड़पति से अरबपति बनने के योग कुंडली में
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में धन के असीम योग हैं या नहीं — तो इन तीन सूत्रों को ध्यान से समझिए 👇

जब 2nd भाव का स्वामी 11th भाव से जुड़ जाए

यह सबसे प्रमुख धन योग है।
दूसरा भाव संचित धन का और ग्यारहवां भाव लाभ का होता है।
जब ये दोनों एक-दूसरे से संबंध बनाते हैं — तो व्यक्ति को लगातार आय, सेविंग और आर्थिक स्थिरता मिलती है।
👉 यही योग “लखपति” बनाने की पहली सीढ़ी कहलाता है।

जब 2nd भाव का स्वामी 11th और 5th भाव से संबंध बना ले

यह योग और भी शक्तिशाली धन योग कहलाता है।
पांचवां भाव “बुद्धि, निर्णय क्षमता और सट्टा/निवेश” से जुड़ा होता है।
इस कॉम्बिनेशन से व्यक्ति अपने इंटेलिजेंस, इन्वेस्टमेंट और टाइमिंग से करोड़पति बनता है।
👉 ऐसे जातक अवसर को पहचानते हैं और सही समय पर बड़ा निर्णय लेते हैं।

जब 2nd भाव का स्वामी 11th और 8th भाव से जुड़ जाए

यह योग सबसे प्रबल और रहस्यमय धन योग होता है।
आठवां भाव “सडन गेन, इनहेरिटेंस, शेयर मार्केट, माइनिंग या हिडन सोर्स ऑफ इनकम” को दर्शाता है।
इस योग से व्यक्ति को अचानक धनलाभ, प्रॉपर्टी, इन्वेस्टमेंट या विदेश से बड़ा फायदा होता है।
👉 यही वो कॉम्बिनेशन है जो लखपति से सीधे अरबपति बना देता है।

अगर इन भावों का स्वामी शुभ ग्रहों (गुरु, शुक्र, बुध, राहु) से प्रभावित हो और उनकी दशा चले —
तो जीवन में अप्रत्याशित वित्तीय उन्नति मिलती है।

कुंडली में धन तभी आता है जब ग्रह, भाव और दशा तीनों सहयोग करें।
2nd, 5th, 8th और 11th भाव के कॉम्बिनेशन से ही भविष्य का अरबपति जन्म लेता है।
कुंडली का सबसे बड़ा राज़ — कौन बन सकता है अरबपति? 💰 जानिए वो 3 धन योग जो आपकी जिंदगी बदल सकते हैं!


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09/10/2025

वक्री ग्रह क्या होता है?
जब कोई ग्रह अपनी गति के विपरीत दिशा में चलने लगे (पृथ्वी से देखने पर पीछे जाता हुआ प्रतीत हो), तो उसे वक्री ग्रह कहा जाता है।
इस समय ग्रह की ऊर्जा भीतर की ओर काम करती है — यानी introspection (अंतर्मुखी फल) देता है।

वक्री ग्रह का मूल स्वभाव
बुध निर्णय में भ्रम, लेकिन शोध और विश्लेषण में गहराई
शुक्र प्रेम, वैवाहिक जीवन या सुखों में उलझन, पर कला और आकर्षण में निखार
मंगल ऊर्जा अनियंत्रित, पर कठिन परिस्थितियों में जबरदस्त संघर्ष शक्ति
गुरु (बृहस्पति) परंपरा से अलग सोच, आध्यात्मिक खोज बढ़ती है
शनि कर्मों का गहरा हिसाब, देर से पर स्थायी सफलता
राहु / केतु रहस्यमय परिणाम, अचानक परिवर्तन, past-life connection

अब मुख्य बात — वक्री ग्रह जिन भावों के स्वामी होते हैं, उनका फल कैसे देते हैं

वक्री ग्रह अपने स्वामित्व वाले भावों के फल को उलट-पलट कर देता है।
मान लीजिए शनि वक्री है और वह 2वें भाव और 3वें भाव का स्वामी है।

2वां भाव (धन, वाणी, परिवार) → इन क्षेत्रों में शुरुआत में विलंब, लेकिन उम्र के साथ स्थायित्व।

3वां भाव (साहस, पराक्रम, छोटे भाई) → व्यक्ति की हिम्मत अंदर से आती है, पर लोगों को लगता है कि वह शांत है।

यानी, वक्री ग्रह जिन भावों के स्वामी होते हैं, वहाँ फल देर से, असामान्य तरीके से, या अंतर्मुखी रूप में मिलता है।

वक्री ग्रह के फल को पहचानने के 3 संकेत:

1. फल देरी से पर गहरा देता है – maturity age के बाद अचानक परिणाम।

2. कारण और परिणाम में उलटाव – आप सोचेंगे कुछ और, परिणाम मिलेगा कुछ और।

3. आत्मिक या मानसिक अनुभव गहराता है – व्यक्ति का दृष्टिकोण बदलता है।

उपचार और उपाय

वक्री ग्रह को सीधा नहीं किया जा सकता, पर उसकी ऊर्जा को channelize किया जा सकता है।

मंत्र जाप, धैर्य, और ग्रह की दिशा में कर्म करने से ग्रह का सर्वोत्तम फल मिलता है।
जैसे –

वक्री शनि → सेवा और श्रम

वक्री गुरु → ज्ञान और दान

वक्री शुक्र → कला, सौंदर्य, और संबंध सुधार

वक्री मंगल → अनुशासन और संयम
"Wakri Grah = Hidden Power! जो दिखता है वो नहीं होता!"

2. "When planets go retrograde, magic begins from behind the scenes 💫"

3. "Your setbacks are just your planets walking backwards for your leap forward!"

4. "वक्री ग्रह — जो रोकता नहीं, सिखाता है जीतना!

5. "Ulta chalne wala grah, sidha kar देता hai takdeer!"


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07/10/2025

Where your 6th lord sits — there lies your life’s biggest challenge.

The 6th Lord (Shasthesh) in your birth chart reveals where you’ll face
conflicts, competition, debts, diseases, and enemies.

But here’s the secret 👇
👉 Wherever this planet sits — that’s where life will keep testing you again and again.
👉 And once you master that area, it becomes your biggest strength.

The same planet that brings struggle…
can also make you invincible when understood right.

Astrology is not about fear — it’s about awareness.
Because knowing your 6th lord means knowing where your real battle lies.

Your 6th Lord decides your battleground.
Win there — and no one can defeat you.



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