True Care Accupressure and alternative treatment center

True Care Accupressure and alternative treatment center Accupressure and all equipments available

14/08/2025

#पैरों के #तलवों पर #कांसे (Kansa) #धातु की कटोरी से #मालिश करना एक #प्राचीन #आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसे #कांसा वाटी #मसाज कहा जाता है। यह मालिश सिर्फ #आराम ही नहीं देती, बल्कि इसके कई गहरे #शारीरिक और #मानसिक फायदे भी हैं

कांसे की धातु, जो तांबे और टिन का मिश्रण होती है, आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह मालिश शरीर के ऊर्जा बिंदुओं (मर्म) को उत्तेजित करती है, जिससे कई लाभ होते हैं।

कांसे की कटोरी से मालिश के फायदे :

* शरीर की गंदगी (टॉक्सिन) बाहर निकालना:
* कांसे की धातु में शरीर की गर्मी और विषाक्त पदार्थों (toxins) को खींचने का गुण होता है।
* जब तलवों पर तेल या घी लगाकर कांसे की कटोरी से मालिश की जाती है, तो कटोरी का निचला हिस्सा धीरे-धीरे काला या भूरा हो जाता है। यह इस बात का संकेत माना जाता है कि कटोरी शरीर से जमी हुई गंदगी को बाहर निकाल रही है।

* तनाव और थकान दूर करना:

* पैरों के तलवों में हजारों तंत्रिकाएं (nerves) होती हैं। मालिश करने से ये तंत्रिकाएं शांत होती हैं, जिससे पूरे शरीर को गहरा आराम मिलता है।
* यह दिन भर की थकान, तनाव और चिंता को दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है।

* बेहतर नींद में सहायक:

* तनाव और थकान दूर होने से मन शांत होता है।
* यह मस्तिष्क को आराम देता है, जिससे रात में गहरी और आरामदायक नींद आने में मदद मिलती है।

* रक्त संचार बढ़ाना:

* तलवों पर मालिश से रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में रक्त का प्रवाह बढ़ता है।
* बेहतर रक्त संचार से पैरों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ जाती है, जिससे पैरों की सूजन और दर्द में कमी आती है।

* आंखों की रोशनी के लिए:

* आयुर्वेद और रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) के अनुसार, पैरों के तलवे में कुछ खास बिंदु आंखों से जुड़े होते हैं।
* कांसे की कटोरी से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है और आंखों का तनाव कम होता है।

* वात और पित्त दोष को शांत करना:

* कांसे की तासीर ठंडी मानी जाती है, जो शरीर की अतिरिक्त गर्मी (पित्त दोष) को शांत करती है।
* मालिश की क्रिया से वात दोष (जो दर्द और सूखापन का कारण बनता है) संतुलित होता है। इस तरह, यह शरीर में तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में मदद करती है।
* पैरों की त्वचा और मांसपेशियों को स्वस्थ रखना:
* यह मसाज पैरों की मांसपेशियों को आराम देती है और उनकी कठोरता को कम करती है।
* यह तलवों की सूखी और फटी हुई त्वचा को नरम बनाने में भी मदद करती है।

इस मालिश को करने के लिए आप घी या कोई भी प्राकृतिक तेल (जैसे नारियल तेल) का उपयोग कर सकते हैं। यह बहुत ही सरल और प्रभावी तरीका है अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का।

04/08/2025

💥⚡इसे सेव कर सुरक्षित कर लें,
ऐसी पोस्ट कम ही आती है*.
वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से...अंत तक जरुर पढ़ें।
♦️वात पित्त और कफ के दोष
🔸 Aशरीर 3 दोषों से भरा है
वात(GAS) -लगभग 80 रोग
पित्त(ACIDITY)- लगभग 40 रोग
कफ(COUGH) -लगभग 28 रोग
🔹यहां सिर्फ त्रिदोषो के मुख्य लक्षण बतये जायेगे और वह रोग घरेलू चिकित्सा से आसानी से ठीक होते है
💚सभी परहेज विधिवत रहेंगे जैसे बताता हूं
💙जिस इंसान की बड़ी आंत में कचड़ा होता है बीमार भी केवल वही होता है
🧡एनीमा एक ऐसी पद्धति है जो बड़ी आंत को साफ करती है और किसी भी रोग को ठीक करती है
🤎 संसार के सभी रोगों का कारण इन तीन दोष के बिगड़ने से होता है
🔹वात(GAS) अर्थात वायु:-🔹
--शरीर मे वायु जहां भी रुककर टकराती है, दर्द पैदा करती है, दर्द हो तो समझ लो वायु रुकी है
--पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, घुटनो का दर्द ,सीने का दर्द आदि
--डकार आना भी वायू दोष है
--चक्कर आना,घबराहट और हिचकी आना भी इसका लक्षण है
🔸कारण:-
--गैस उत्तपन्न करने वाला भोजन जैसे कोई भी दाल आदि गैस और यूरिक एसिड बनाती ही है
--यूरिक एसिड जहां भी रुकता है उन हड्डियों का तरल कम होता जाता है हड्डियां घिसना शुरू हो जाती है ,उनमे आवाज आने लगती है, उसे डॉक्टर कहते है कि ग्रीस ख़त्म हो गई, या फिर स्लिप डिस्क या फिर स्पोंडलाइटिस, या फिर सर्वाइकल आदि
--प्रोटीन की आवश्यकता सिर्फ सेल्स की मरम्मत के लिए है जो अंकुरित अनाज और सूखे मेवे कर देते है
--मैदा औऱ बिना चोकर का आटा खांना
--बेसन की वस्तुओं का सेवन करना
--दूध और इससे बनी वस्तुओं का सेवन करना
-आंतो की कमजोरी इसका कारण व्यायाम न करना।
👉🏻 तन बिगड़ने वाला भोजन से
👉🏻 मन बिगड़ने वाले विचार से
👉🏻 मनोदीशा बिगड़ने वाले लोगों से कैसे दूर रहे।
🌼 निवारण:-
--अदरक का सेवन करें,यह वायु खत्म करता है, रक्त पतला करता है कफ भी बाहर निकालता है, सोंठ को लेकर रात में गुनगने पानी से आधा चम्मच खायेँ
--लहसुन किसी भी गैस को बाहर निकालता है,
यदि सीने में दर्द होने लगे तो तुरन्त 8-10 कली लहसुन खा ले, ब्लॉकेज में तुरंत आराम मिलता है
--लहसुन कफ के रोग और टीबी के रोग भी मारता है
--सर्दी में 2-2 कली सुबह शाम, और गर्मी में 1-1 कली सुबह शाम ले, और अकेला न खायेँ सब्जी या फिर जूस , चटनी आदि में कच्चा काटकर डालकर ही खायेँ
--मेथीदाना भी अदरक लहसुन की तरह ही कार्य करता है
🌺 प्राकृतिक उपचार:-
गर्म ठंडे कपड़े से सिकाई करे, अब उस अंग को पहले छुएं यदि वो गर्म है तो ठंडे सिकाई करे और वह अंग अगर ठंडा है तो गर्म सिकाई करे औऱ अगर न गर्म है और न ठंडा तो गर्म ठंडी सिकाई करे एक मिनट गर्म एक मिनट ठंडा ।
💠 कफ(COUGH):-🔹
--मुंह नाक से आने वाला बलगम इसका मुख्य लक्षण है
--सर्दी जुखाम खाँसी टीबी प्लूरिसी निमोनिया आदि इसके मुख्य लक्षण है
--सांस लेने में तकलीफ अस्थमा आदि या सीढी चढ़ने में हांफना
💙कारण:-
--तेल एव चिकनाई वाली वस्तुओं का अधिक सेवन
--दूध और इससे बना कोई भी पदार्थ
--ठंडा पानी औऱ फ्रिज की वस्तुये खांना
--धूल ,धुंए आदि में अधिक समय रहना
--धूप का सेवन न करना
♦️निवारण:-
--विटामिन C का सेवन करे यह कफ का दुश्मन है यह संडास के रास्ते कफ निकालता है, जैसे आवंला
--लहसुन, यह पसीने के रूप में कफ को गलाकर निकालता है
--Bp सामान्य हॉगा
--ब्लड सर्कुलेशन ठीक हॉगा
--नींद अच्छी आएगी
--अदरक भी सर्वश्रेष्ठ कफ नाशक है
💜प्राकृतिक उपचार
--एक गिलास गुनगने पानी मे एक चम्मच नमक डालकर उससे गरारे करे
--गुनगने पानी मे पैर डालकर बैठे, 2 गिलास सादा।पानी पिये और सिरर पर ठंडा कपड़ा रखे, रोज 10 मिनट करे
--रोज 30-60 मिनट धूप ले ।
🤎 पित्त(ACIDITY):-पेट के रोग🤎
--वात दोष और कफ दोष में जितने भी रोग है उनको हटाकर शेष सभी रोग पित्त के रोग है, BP, शुगर, मोटापा, अर्थराइटिस, आदि
--शरीर मे कही भी जलन हो जैसे पेट मे जलन, मूत्र त्याग करने के बाद जलन ,मल त्याग करने में जलन, शरीर की त्वचा में कही भी जलन,
--खट्टी डकारें आना
--शरीर मे भारीपन रहना
💜कारण:-
--गर्म मसाले, लाल मिर्च, नमक, चीनी, अचार
--चाय ,काफी,सिगरेट, तम्बाकू, शराब,
--मांस ,मछली ,अंडा
--दिनभर में सदैव पका भोजन करना
--क्रोध, चिंता, गुस्सा, तनाव
--दवाइयों का सेवन
--मल त्याग रोकना
--सभी 13 वेग को रोकना जैसे छींक, पाद, आदि
💜निवारण
--पुराने रोग और नए रोग का एक ही समाधान बता रहा हु
--फटे हुए दूध का पानी पिये, गर्म दूध में नीम्बू डालकर दूध को फाड़े, वह पानी छानकर पिए, पेट का सभी रोग में रामबाण है, सभी प्रकार का बुखार भी दूर करता है
--फलो व सब्जियों का रस, जैसे अनार का रस, लौकी का रस, पत्ता गोभी का रस आदि
--निम्बू पानी का सेवन
💜प्राकृतिक उपचार
--पेट को गीले कपड़े से ठंडक दे
--रीढ़ की हड्डी को ठंडक देना, लकवा इसी रीढ़ की हड्डी की गर्मी से होता है, गीले कपड़े से रीढ़ की हड्डी पर पट्टी रखें
--व्यायाम ,योग करे
--गहरी नींद ले
इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
*आपसे निवेदन है ज्यादा से ज्यादा शेयर करें*l

24/07/2025

🚩 अपना स्वास्थ्य अपने हाथ 🚩



*कैसे पता लगाएं कि आपके हार्मोंस संतुलित हैं...?*🤔

👉🏻 आपकी दिनचर्या प्रातः काल शुरू होती है तो...
👉🏻 आप रात को जल्दी सो जाते हैं तो...
👉🏻 आप किसी भी परिस्थिति का सामना डट कर करते हैं तो..
👉🏻 आप किसी भी प्रकार की दवाई नहीं लेते हो तो..
👉🏻 आप प्रसन्न रहते हैं तो..
👉🏻 आपको सभी अच्छे लगते हैं तो...
👉🏻 आपको एंजायटी नहीं होती तो...
👉🏻 आपको पैनिक अटैकिंग नहीं होती तो...
👉🏻 आप ऊर्जावान हैं तो...
👉🏻 कब्ज़ नहीं है तो..
👉🏻 पाचन क्रिया दुरुस्त है तो..
👉🏻 अपनी बात को स्पष्टीकरण के साथ रखते हैं तो..

💥 महिला हैं तो
👉🏻 मासिक धर्म समय पर आता है तो..
👉🏻 बाल असमय सफेद नहीं हुए तो...
👉🏻 मोटापा नहीं है तो...
👉🏻 PCOD /PCOS नहीं है तो..
👉🏻 घर की प्रत्येक स्थिति को सम हो कर देखती हैं तो..

💥 पुरुष हैं तो..
👉🏻 आपको प्रोस्टेट की कोई दिक्कत नहीं है तो..
👉🏻 50 के बाद आपको यूरीन जल्दी जल्दी नहीं आता है तो..
👉🏻 चिड़चिड़ापन नहीं है तो...
👉🏻 आलस्य नहीं है तो..
👉🏻 हमेशा उत्साहित रहते हैं तो..

आपके हार्मोन्स संतुलित हैं।
मुस्कुराइए आप स्वस्थ हैं।😊

21/03/2025

*कई रोगों से बचाता है मटके का पानी*

मानव शरीर पंच तत्वों से बना है, यह हम सभी जानते है। इन पंचतत्वों में मिट्टी भी एक है। प्राकृतिक चिकित्सा में माटी का प्रयोग कई रोगों के निवारण में प्राचीन काल से ही होता आया है। नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि माटी चिकित्सा की शरीर को तरो ताजा करने जीवंत और ऊर्जावान बनाने में महत्वपूर्ण उपयोगिता है। चर्म विकृति और घावों को ठीक करने में मिट्टी चिकित्सा अपना महत्व साबित कर चुकी है। माना जाता रहा है कि शरीर माटी का पुतला है और माटी के प्रयोग से ही शरीर की बीमारियां दूर की जा सकती हैं। मिट्टी, शरीर के दूषित पदार्थों को घोलकर व अवशोषित कर अंततः शरीर के बाहर निकाल देती है।
गर्मी के दिन में प्यास बुझाने के लिए लोग ठंडा पानी पीते हैं. पानी ठंडा करने के लिए ज्यादातर लोग फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं लेकिन कुछ लोग जो अपने शहर से दूर किराए पर कमरा लेकर रहते हैं या जो फ्रिज खरीदना अफोर्ड नहीं कर सकते उनके लिए तो मिट्टी का बना मटका ही देसी फ्रिज का काम करता है. मटके से सोंधी महक के पानी के कहने ही क्या हैं!...इस पानी में जहां काफी स्वाद होता है वहीं स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बेहद अच्छा माना जाता है. ...आइए जानते हैं मटके के पानी के फायदे:

1.मटके के पानी में अल्कलाइन गुण होते हैं जिससे इसका PH बैलेंस रहता है और यह पानी सेहत के लिहाज से भी काफी बेहतर होता है.
2. मटके का पानी पीने से टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन जिसे कि मेल हार्मोन भी कहा जाता है, का स्तर बढ़ता है.
3. मटके का पानी पीने से पेट में जलन, कब्ज और एसिडिटी की समस्या भी नहीं होती है.
4. रोज मटके का पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पॉवर) मजबूत होती है।
... ऐसे करें मटके की देखभाल:
1. हर सप्ताह में दो बार मटका गर्म पानी से साफ़ करें. मटके की सफाई के बाद इसमें फ्रेश पानी भरें.
2. मटके को एक स्टैंड कर रखें ताकि ये बहुत ज्यादा हिले नहीं.
3. किसी सफ़ेद कॉटन के कपडे को गीला कर मटके का मुंह बांध कर रखें ताकि इसमें मिट्टी के कण प्रवेश न कर सकें. हो सके तो इसे ढंकने के लिए मिट्टी के ढक्कन का इस्तेमाल करें.

*Dr Raman
True care Accupressure
and Alternative treatment center
Fatehabad

16/03/2025

"मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है कलौंजी"

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करती है।

[A] कैसे करें इसका सेवन?

कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।
पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पिएँ।
दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पिएँ।
कलौंजी को ग्राइंड करें व पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।

[B] ये किन-किन रोगों में सहायक है?

1/. टाइप-2 डायबिटीज:
प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।

2/. मिर्गी:
2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।

3/. उच्च रक्तचाप:
100 या 200 मि.ग्रा. कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।
रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मि.ली. जैतुन का तेल और एक चम्मच
कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।

4/. गंजापन:
जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।

5/. त्वचा के विकार:
कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।

6/. लकवा:
कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

7/. कान की सूजन, बहरापन:
कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।

8/. सर्दी-जुकाम:
कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाए और केवल तेल ही रह जाए। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम
ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।

9/. कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

10/. छींके:
कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।

11/. पेट के कीडे़:
दस ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।

12/. प्रसव की पीड़ा:
कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।

13/. पोलियों का रोग:
आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।

14/. मुँहासे:
सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।

15/. स्फूर्ति:
स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।

16/. गठिया:
कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।

17/. जोड़ों का दर्द:
एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

18/. आँखों के सभी रोग:
आँखों की लाली, मोतियाबिन्द, आँखों से पानी का आना, आँखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आँखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आँखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आँखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आँखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।

19/. स्नायुविक व मानसिक तनाव:
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।

20/. गांठ:
कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।

21/. मलेरिया का बुखार:
पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।

22/. स्वप्नदोष:
यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।

23/. कब्ज:
चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।

24/. खून की कमी:
एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

25/. पेट दर्द:
किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म
पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।

26/. सिर दर्द:
कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।
कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है।
कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।

27/. उल्टी:
आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।

28/. हार्निया:
तीन चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।

29/. मिर्गी के दौरें:
एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।

30/. पीलिया:
एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

31/. कैंसर का रोग:
एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।

32/. दांत:
कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।
दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।

33/. नींद:
रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।

34/. मासिकधर्म:
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।
जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।
मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।
यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है।

35/. गर्भवती महिलाओं को वर्जित:
*गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।*

36/. स्तनों का आकार:
कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।

37/. स्तनों में दूध:
कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।

38/. स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन:
कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।

39/. बाल लम्बे व घने:
50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।

40/. बेरी-बेरी रोग:
बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।

41/. भूख का अधिक लगना:
50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।

42/. नपुंसकता:
कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।

43/. खाज-खुजली:
50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।

44/. नाड़ी का छूटना:
नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1 ग्राम कालौंजी हर 6 घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें। कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।

45/. हिचकी:
एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि
3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।

46/. स्मरण शक्ति:
लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

47/. पेट की गैस:
कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस नष्ट होता है।

48/. पेशाब की जलन:
250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।

Dr. Raman
MD Acu
True care Accupressure and
Alternative treatment center
Fatehabad

15/03/2025

🍂 स्वास्थ्य लाभ की दिनचर्या🍂

सभी को पता होना चाहिए

1. जब आप सुबह नाश्ता नहीं करते हैं तो आपके पेट को डर लगता है।

2. जब आप 24 घंटे में 10 गिलास पानी नहीं पीते हैं तो आपकी किडनी घबरा जाती है।

3. जब आप रात 11 बजे तक सो नहीं पाते हैं और सूर्योदय के समय बिस्तर से उठ जाते हैं तो आपके पित्ताशय को डर लगता है।

4. जब आप ठंडा और बासी खाना खाते हैं तो आपकी छोटी आंत घबरा जाती है।

5. जब आप बहुत अधिक तला और मसालेदार खाना खाते हैं तो कोलन पैनिक हो जाता है।

6. फेफड़े तब डर जाते हैं जब आप धुएं, धूल और सिगरेट के जहरीले वातावरण में रहते हैं।

7. ज्यादा तला-भुना, जंक फूड और फास्ट फूड खाने से लीवर को डर लगता है।

8. दिल तब डरता है जब आप अधिक नमक और कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ खाते हैं।

9. अग्न्याशय तब घबराता है जब आप बहुत अधिक मीठे खाद्य पदार्थ खाते हैं जो आसानी से उपलब्ध और स्वादिष्ट होते हैं।

10. जब आप अंधेरे में मोबाइल फोन और कंप्यूटर स्क्रीन की रोशनी में काम कर रहे होते हैं तो आपकी आंखें डर जाती हैं। और

11। जब आप नकारात्मक विचारों का मनोरंजन करने लगते हैं तो आपका दिमाग डर जाता है।

अपने शरीर के अंगों का ख्याल रखें।

Dr Raman
गुरु शिष्य संगठन
भारत

31/03/2023

🍂खाना खाने के बाद करें 🍂

खाना खाने के तुरंत बाद हमें कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम खाना कब खा रहे है, सुबह खा रहे है, दोपहर में खा रहे है,घर में खाने के बाद हमें कुछ देर आराम करना चाहिए ,और फिर से काम पर लग जाना चाहिए शाम के खाने के बाद हमें 30 से 40 मिनट की वॉक जरूर करनी चाहिए ।

उसके बाद ही हमें बेड पर जाना चाहिए ऐसा करने से शरीर में डाइजेस्टिव सिस्टम सही रहता है, खाने के तुरंत बाद हमें बैठना नहीं चाहिए खाना खाने के बाद अगर व्यक्ति को बैठना है तो वज्रासन अवस्था में बैठ सकता है, वह उनके लिए बहुत ही फायदेमंद होता है ।

खाना भी पच जाता है, जितनी देर आप इस अवस्था में बैठेंगे आपको उतना ही फायदा होगा। खाना खाने के 20 से 30 मिनट पहले हमें पानी पी लेना चाहिए खाना खाने के बाद में हमें पानी नहीं पीना चाहिए। खाना खाने के पहले और बाद में मूत्र विसर्जन के लिए अवश्य जाना चाहिए। उसके 30 से 40 मिनट के बाद में हमें हल्का गुनगुना पानी 1 :1 सीप करके पीना चाहिए।

खाना खाने के बाद में हमें जीरा, अजवाइन खा लेनी चाहिए जिससे हमारी पाचन क्रिया सही रहती है, खाने के कुछ समय बाद में हमें कम से कम 100 कदम चलना चाहिए जिससे हमें फायदा होता है।

खाना खाने के तुरंत बाद हमें कोई भी फल नहीं खाना चाहिए खाना खाने से एक-दो घंटे पहले हमें फल खाने चाहिए या फिर खाना खाने के लिए घंटे बाद हम फल का सेवन कर सकते है।

खाना खाते समय फल का सेवन नहीं करना चाहिए, किसी भी कैफिन चाय ,कॉफी का इस्तेमाल खाना खाने के बाद नहीं करना चाहिए ,वह नुकसानदायक होता है, खाना खाने के तुरंत बाद हमें कभी भी नहाना नहीं चाहिए वह तुरंत सोना भी नहीं चाहिए ।

खाने के तुरंत बाद हमें टहलना नही चाहिए इससे पाचन क्रिया पर असर पड़ता है, इसलिए व्यक्ति को कुछ समय बाद टहलना चाहिए, खाने से हमारे शरीर में एनर्जी बढ़ती है, शरीर के अंदर पाचन क्रिया में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

26/03/2023

🍂सुबह में चना खाने का लाभ🍂

आम बोलचाल की भाषा में कहते हैं कि खायेगा चना, तो रहेगा बना।
चना, तन को मजबूत बना कर तनाव मिटाता है।
चने खाने से सिर के बार भी घने होने लगते हैं।
चना सुबह खाने से आतों की गंदगी साफ कर सूजन मिटाता है।
लिवर को क्रियाशील बनाने और मेटाबोलिज्म को करेक्ट करने के लिए दुनिया चना ओर चने से बने पदार्थों की शौकीन है।
शरीर के लिए चने से बेहतरीन दूसरी कोई विकल्प नहीं है।

द्रव्यगुण विज्ञान ग्रन्थ में चने खाने के नियमों का हवाला दिया इस प्रकार है:

1. चना हमेशा छिलका सहित ही खाएं।
2. चने को हमेशा चबा चबाकर खाने चाहिए यानी एक चना छिलका युक्त 32 बार चबाए।
3. एक दिन में अधिकतम 50 ग्राम तक चना खा सकते हैं। इससे अधिक लेने पर कब्ज की परेशानी होने लगती है। पेट दर्द भी हो सकता है।
4. मेहनती लोगों को चना बेहद लाभकारी होता है। यह मर्दाना ताकत भी बढ़ाता है। प्रोस्टेट में भुने हुए एक मुठ्ठी चने रोज खाने से विशेष लाभ मिलता है।
5. चना खाने के एक घण्टे बाद तक कुछ न खाएं-पिएं।

परशुराम शतक में नेवेद्य या प्रसाद के रूप में हनुमाजी को चना सर्वाधिक प्रिय है।

विशेष: 50 ग्राम चने के साथ 20 ग्राम गुड़ खाने से मनोबल बढ़ता है। डिप्रेशन मिटता है। चना खाने से शरीर तना रहता है। बुढापा जल्दी नहीं आता।

17/10/2021

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