06/03/2020
🕉प्रकृति की मार का बचाव भी प्रकृति ही है।🕉
🕉योग, प्राणायाम, ध्यान करें! प्राकृतिक जीवन-शैली अपनायें! प्रत्येक दिन धूप अवश्य लें! नींबू, शहद, अदरक, तुलसी, काली मिर्च, लौंग, हरी इलायची, काली इलायची, संतरा, अनानास, सेंधा नमक, गिलोय, सहजन, दालचीनी, मुलेठी आदि आयुर्वेदिक घरेलू चीजों का बचाव एवं उपचार हेतु इस्तेमाल करें!🕉
🕉सनातन पद्धति के अनुसार भारतीय देशी गाय के घी से यज्ञ करें, यज्ञ में गुग्गुल, नव समिधा और शुद्ध कर्पूर अवश्य जलायें।
🕉नमस्ते 🙏 से ही सबका अभिवादन करें!🕉
🕉कर सकें तो उपवास करें अन्यथा घर में भारतीय पद्धति से पकाया गया ताज़ा एवं शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करें! साफ़ सफ़ाई का पालन करें, इसके अतिरिक्त समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा क़ोरोना वाइरस से जुड़े सुरक्षा एवं बचाव से सम्बंधित दिशा-निर्देशों का पालन अवश्य करें!🕉
🕉किसी भी अफ़वाह पर ध्यान ना दें, और अफ़वाहों को फैलाने का कारण भी ना बनें! किसी भी तरह के तनाव से बचें!🕉
🕉अभी भी वक्त है संभलने का, सिर्फ़ पीछे पलट कर देखने की आवश्यकता है, कुछ उदाहरण से समझें🙏🕉
🕉शवों का दाह-संस्कार क्यूँ किया जाता रहा है?
🕉पता चला क्यूँ साल भर का अन्न घर में रखते थे?
🕉पता चला क्यूँ घर के सभी कपड़ों को समय-समय पर धूप लगाई जाती थी?
🕉पता चला क्यूँ पीने के पानी एवं भोजन पकाने और खाने के लिए मिट्टी, पीतल, ताम्बा, काँसे के बर्तन इस्तेमाल किए जाते थे?
🕉यज्ञ-हवन, व्रत-उपवास, दीवाली के दिये, होलिका-दहन, नवरात्रि व्रतों की वैज्ञानिकता, गौ-माता की पूजा, सम्पूर्ण प्रकृति की पूजा, सांप, बैल, कौवों, चूहों, मोर, पर्वत, नदी, नाले, झरनो, तालाब, जल, पृथ्वी, आकाश, वायु, अग्नि की पूजा, अन्न की पूजा क्यूँ की जाती रही है?
🕉आज सम्पूर्ण विज्ञान जगत इनका प्रमाण देता है, ये सब वैज्ञानिक है! धर्म और देश विदेश की सीमाओं से ऊपर उठकर इसका पालन करना सम्पूर्ण मनुष्यता क़ा कर्तव्य होना चाहिए! अब या तो खुद अपना कर्तव्य निभा लो अन्यथा प्रकृति में ऐसे बहुत से कोरोना वाइरस जन्म लेते रहेंगे!🕉
🕉स्वयं का भला करने के साथ-साथ मनुष्यता का भला करने का सम्पूर्ण ज्ञान देने वाले आदियोगी, योगियों, महर्षियों, ऋषियों, मुनियों, गुरुओं सभी कोटि-कोटि धन्यवाद, चरण वंदन, शत-शत नमन🙏🕉
🕉अन्त में:-
🕉अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय🕉
🕉🔱महाकाल सभी को शक्ति दें🔱🕉
🕉🔱ॐ नमः शिवाय🔱🕉
🕉सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः🕉
🕉सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।🕉
🕉शांतिः शांतिः शांतिः🕉