25/09/2022
नवरात्री कलश स्थापना मुहुर्त : 26 सितंबर को कैसे करें नवरात्रि घटस्थापना, जानिए विधि और मुहूर्त-
शादीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी कि 26 सितंबर 2022 सोमवार से प्रारंभ हो रही है, जो 4 अक्टूबर 2022 तक रहेगी। इस बार मातारानी हाथी पर सवार होकर आ रही है l और बन रहे हैं बहुत ही शुभ संयोग और दुर्लभ योग। आओ जानते हैं घटस्थापना के शुभ मुहूर्त और विधि।
तिथि :-आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर 2022 सोमवार को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 27 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी।
नवरात्रि पर कलश स्थापना और पूजा के शुभ मुहूर्त
- सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:06 से 12:54 तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त : दोपहर : 02:30 से 03:18 तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:19 से 06:43 तक।
- सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:31 से 07:43 तक।
नवरात्रि के शुभ योग
- शुक्ल योग सुबह 08:05 तक, उसके बाद ब्रह्म योग।
- हस्त नक्षत्र : 26 सितंबर प्रात: 05:55 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन प्रात: 06:16 बजे तक। उसके बाद चित्रा नक्षत्र ।
कैसे करें घट स्थापना और पूजा, सरल विधि :-
- घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
- घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
- जहां घट स्थापित करना है वहां एक पटड़ा रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
- अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
- अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
- अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'
- आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।
किस दिन कौन सी देवी की पूजा-
पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यानी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
नवरात्रि व्रत के नियम-
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इ'छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए ।
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक अगर कर सकते है तो ही व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें।
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं।
- शाम के समय मां की आरती उतारें।
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें।
- फिर भोजन ग्रहण करें।
- हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें।
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें।
- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें।
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और शृंगार पिटारी भी चाहिए।
- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें।
- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।
- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
- अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
- कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
- आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं l
शारदीय नवरात्रि तिथि
प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 26 सितम्बर 2022
द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 27 सितम्बर 2022
तृतीया (मां चंद्रघंटा): 28 सितम्बर 2022
चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 29 सितम्बर 2022
पंचमी (मां स्कंदमाता): 30 सितम्बर 2022
षष्ठी (मां कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022
सप्तमी (मां कालरात्रि): 02 अक्टूबर 2022
अष्टमी (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022
नवमी (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
दशमी (विजया दशमी): 5 अक्टूबर 2022
। शुभम भवतु
गुंजन धस्माना!🙏