Gunjan Dhasmana

Gunjan Dhasmana Guunjan Dhasmana is Qualified, Certified & Awarded In Jyotish Ratan, Jyotish Bhushan, Jyoti Prabhaka

21/03/2023

आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। शैलीपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। इसी वजह से मां के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है। इनकी आराधना से हम सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।

पूजा विधि

सबसे पहले मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से 'शं' लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें।

मंत्र -

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

मंत्र पूर्ण होने के बाद मां दुर्गा के चरणों में अपनी मनोकामना व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा आरती एवं कीर्तन करें।

स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥🙏

24/10/2022

श्री महालक्ष्मी पूजन
24.10.2022 सोमवार

निर्णय सिंधु के अनुसार मध्यान्ह या अपराहन के समय में व्याप्त कार्तिकी अमावस्या हो तो पित्र कार्य को करें और प्रदोष काल में व्याप्त हो तो धन की देवी महालक्ष्मी का पूजन अर्थात दीपोत्सव करके खुशी मनाएं तो वर्ष मध्य अपार धन समृद्धि प्राप्त होती है l इस वर्ष 24 अक्टूबर सन 2022 वार सोमवार में प्रदोष और निशीथ काल व्यापिनी कार्तिक की अमावस्या होने से दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाना शास्त्र सम्मत होगा l
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022 को सांय 5:27 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन सांय काल 4:17 तक व्याप्त रहेगी l
24 अक्टूबर 2022 को दीपावली का पर्व स्वाति नक्षत्र, आयुष्मान योग से संयुक्त प्राप्त हो रहा है साथ ही प्रदोष काल और निशीथ काल एवं महा निशीथ काल व्यापिनी होने से अमावस्या प्रशस्त और पुण्य दायक फल देने में समर्थ रहेगी l

दीपावली पूजन
के शुभ लगन-
1. वृश्चिक लग्न सुबह 8:12 से 10:29 तक विद्यमान रहेगा l
2. कुंभ लग्न दोपहर 2:17 से शाम 3:44 तक विद्यमान रहेगा l
3. वृषभ लग्न शाम को 6:45 से 8:39 तक विद्यमान रहेगा l
5. सिंह लग्न मध्य रात्रि 1:14 से 3:32 तक विद्यमान रहेगा l

उपरोक्त सभी स्थिर लग्न हैं l अतः स्थिर लग्न में मां भगवती लक्ष्मी का पूजन करने से मां लक्ष्मी का वास चिरकाल तक स्थाई रहता है अतः अपने कार्य व्यवसाय या घर आदि में स्थिर लग्न अथवा शुभ चौघड़िया में पूजन करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा l

विशेष - घर में दीपावली पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय वृषभ लग्न माना गया है l यह समय शाम को 6:45 से रात्रि 8:39 तक विद्यमान रहेगा l इसलिए वृषभ लग्न में घर में पूजन करना सर्वोत्तम कालखंड है क्योंकि इस समय प्रदोष काल भी व्याप्त रहेगा l
दिन की चौघड़िया-

सुबह 9:27 से 10:50 तक शुभ की चौघड़िया रहेगी तथा दोपहर 1:36 से 2:58 तक 4:00 के चौघड़िया विद्यमान रहेगी तथा 2:58 से शाम को 4:20 तक लाभ की चौघड़िया विद्यमान रहेगी एवं शाम को 4:20 से 5:43 तक अमृत की चौघड़िया विद्यमान रहेगी l इन चौघड़िया में भी दीपावली का पूजन करना शुभ फलदायक एवं समृद्धिशाली होता है l

प्रदोष काल का समय शाम 5:43 से 8:19 तक विद्यमान रहेगा तथा निशीथ काल रात्रि 8:19 से 10:55 तक विद्यमान रहेगा l
अपनी सुविधा अनुसार अपने कार्य व्यवसाय एवं घर में किसी भी शुभ मुहूर्त का चयन करके मां भगवती महालक्ष्मी का पूजन करना शुभ एवं मंगलप्रद रहेगा l
आप सभी को महालक्ष्मी पूजन की हार्दिक शुभकामनाएं l
मां भगवती आप सभी के जीवन में धन संपदा, ऐश्वर्य मान-सम्मान की उत्तरोत्तर वृद्धि करती रहें l ऐसी शुभकामनाओं सहित l

आगामी जानकारी -

ग्रहण काल में विशेष-
विशेष - 25 अक्टूबर सन 2022 वार मंगलवार को सूर्य ग्रहण होने के कारण इस दिन ना तो दीपावली का त्यौहार नाही अन्नकूट गोवर्धन पूजा आदि कोई भी त्यौहार नहीं मनाया जाएगा क्योंकि जब सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण में मंदिर के कपाट तक बंद होते हैं तो क्या ऐसी स्थिति में कोई भी व्रत, उपवास, त्योहार मनाया जा सकता है l इसलिए भ्रांतियों से बचें l धन्यवाद

25 अक्टूबर को प्रातः 4:29 से सूतक प्रारंभ हो जाएगा l और ग्रहण दोपहर 2:29 से प्रारंभ होगा और शाम 6:32 पर समाप्त हो जायेगा l दिल्ली एनसीआर में शाम को 4:29 से प्रारंभ होगा ग्रहण का मध्य समय 5:30 होगा सूर्यास्त 5:38 पर होगा और ग्रहण का समाप्ति काल 6:26 होगा l भोजन बनाना, भोजन ग्रहण करना निषेध है लेकिन बड़े बुजुर्ग बच्चे और रोग ग्रस्त लोगों के लिए यह नियम लागू नहीं है गर्भिणी स्त्रियों के लिए ध्यान देने योग्य- इस समय स्नान करना,बाल धोना, बाल सवारना, आटा गूंथना,सब्जी काटना, सिलाई आदि करना सब की मनाई होगी मोटे तौर पर कुछ भी कार्य ना करें मात्र भगवान का भजन करते रहें l परिवार के अन्य सदस्य काम कर सकते हैं l
अन्नकूट गोवर्धन पूजा- 26 अक्टूबर सन 2022 वार बुधवार को अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा करना शास्त्र सम्मत होगा साथ ही
भैया दूज - 26 अक्टूबर सन 2022 वार बुधवार को भैया दूज एवं यम द्वितीय एवं चित्रगुप्त पूजा करना शास्त्र सम्मत होगा क्योंकि शास्त्र का मत है कि यदि द्वितीय तिथि अपराहन काल अर्थात दोपहर के पश्चात विद्यमान हो तो उसी दिन यह त्यौहार मनाना चाहिए l दोपहर 2:42 पर प्रतिपदा तिथि समाप्त होकर द्वितीय तिथि प्रारंभ हो जाएगी l अपराहन कॉल मैं व्यापिनी है और दूसरे दिन 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 पर द्वितीय तिथि समाप्त हो रही है ऐसी स्थिति में 26 अक्टूबर को मनाना शास्त्र सम्मत होगा l यदि किसी कारणवश किसी को विशेष परिस्थिति वश दिक्कत हो तो 27 तारीख को दोपहर 12:45 से पहले पहले भैया दूज का त्यौहार मना सकते हैं l शास्त्र वचन है आपत्ति काले मर्यादा नास्ति l
विश्वकर्मा पूजा- 27 अक्टूबर सन 2022 वार बृहस्पति वार को मनाना शास्त्र सम्मत है l🙏

25/09/2022

नवरात्री कलश स्थापना मुहुर्त : 26 सितंबर को कैसे करें नवरात्रि घटस्थापना, जानिए विधि और मुहूर्त-

शादीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी कि 26 सितंबर 2022 सोमवार से प्रारंभ हो रही है, जो 4 अक्टूबर 2022 तक रहेगी। इस बार मातारानी हाथी पर सवार होकर आ रही है l और बन रहे हैं बहुत ही शुभ संयोग और दुर्लभ योग। आओ जानते हैं घटस्थापना के शुभ मुहूर्त और विधि।

तिथि :-आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर 2022 सोमवार को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 27 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी।

नवरात्रि पर कलश स्थापना और पूजा के शुभ मुहूर्त

- सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:06 से 12:54 तक रहेगा।

- विजय मुहूर्त : दोपहर : 02:30 से 03:18 तक।

- गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:19 से 06:43 तक।

- सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:31 से 07:43 तक।

नवरात्रि के शुभ योग

- शुक्ल योग सुबह 08:05 तक, उसके बाद ब्रह्म योग।

- हस्त नक्षत्र : 26 सितंबर प्रात: 05:55 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन प्रात: 06:16 बजे तक। उसके बाद चित्रा नक्षत्र ।

कैसे करें घट स्थापना और पूजा, सरल विधि :-

- घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।

- घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।

- जहां घट स्थापित करना है वहां एक पटड़ा रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।

- अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।

- अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।

- अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'

- आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।

किस दिन कौन सी देवी की पूजा-
पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यानी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

नवरात्रि व्रत के नियम-
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इ'छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए ।

- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक अगर कर सकते है तो ही व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें।
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं।
- शाम के समय मां की आरती उतारें।
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें।
- फिर भोजन ग्रहण करें।
- हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें।
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें।
- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें।

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और शृंगार पिटारी भी चाहिए।

- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें।
- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।
- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
- अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
- कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
- आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं l

शारदीय नवरात्रि तिथि

प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 26 सितम्बर 2022
द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 27 सितम्बर 2022
तृतीया (मां चंद्रघंटा): 28 सितम्बर 2022
चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 29 सितम्बर 2022
पंचमी (मां स्कंदमाता): 30 सितम्बर 2022
षष्ठी (मां कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022
सप्तमी (मां कालरात्रि): 02 अक्टूबर 2022
अष्टमी (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022
नवमी (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
दशमी (विजया दशमी): 5 अक्टूबर 2022

। शुभम भवतु
गुंजन धस्माना!🙏

31/08/2022

विघ्नहर्ता,मंगलकर्ता सब के जीवन में नूतन उत्साह का संचार करें
समस्त विपत्तियों से आप सबके परिवार की रक्षा करें,
सारी बुराइयो से दूर रख कर आप हमें अपने चरणों में स्थान दे। 🙏

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

18/08/2022

दिनांक 19 अगस्त 2022 को सूर्य सिद्धांतीय और द्रिक पक्षीय पंचांगों में लगभग 2 घंटा 6 मिनट का अंतर होने से 2 दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत मनाया जाएगा।

उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, बंगाल आदि पूर्वी प्रदेशों में सूर्यसिद्धांत के मत से 19 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत है।

दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि पश्चिमी प्रदेशों में दृश्य गणित के मतानुसार 18 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत है।! हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे ! हरे राम हरे राम! राम राम हरे हरे !🙏

14/07/2022

देवों के देव महादेव जी का अति प्रिय पावन 'श्रावण मास' आज से प्रारंभ हो रहा है।आप् सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।🙏

भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा हम सभी पर बनी रहे। सम्पूर्ण विश्व का कल्याण हो।जय भोलेनाथ!🙏हर हर महादेव!

09/06/2022

गंगा मां के अवतरण का पर्व है गंगा दशहरा🙏

प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन ही पुण्यतोया मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाने की परम्परा आरंभ हो गई।

धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा राजा भगीरथ के कठोर तपस्या करने के बाद स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। इसलिए गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसा करने के पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है,

गंगा दशहरा पूजा विधि

इस दिन गंगा नदी में स्नान करें। अगर गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर मां गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करें। घर के मंदिर में दीप जलाकर और मां गंगा की पूजा-अर्चना कर आरती करें और 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' मंत्र का जाप करें।

गंगा दशहरा मुहूर्त

दशमी तिथि आरंभ - गुरुवार 09 जून सुबह 08:21 बजे से
दशमी तिथि समाप्त - शुक्रवार 10 जून सुबह 07:25 बजे

गंगा दशहरा की रोचक पौराणिक कथा!🙏

कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों पर घोड़ा चोरी का झूठा आरोप लगाया और उन सबको भस्म होने का श्राप दे दिया था। राजा सगर के पुत्रों के मोक्ष के लिए उनके कुल के राजा भगीरथ ने ब्रह्माजी को अपने तप से प्रसन्न किया। ब्रह्माजी ने जब भगीरथ को वरदान मांगने को कहा, तो उहोंने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराने का वरदान मांगा। बह्माजी ने स्वर्ग में बहने वाली गंगा को अपने कमंडल से छोड़ा, जिससे मां गंगा तीव्र गति से भगवान शिव जटाओं में कैद हो गई। लेकिन अब समस्या यह थी कि शिवजी की जटाओं से गंगा को पृथ्वी पर कैसे लाया जाए।

इसके लिए ब्रह्माजी ने भगीरथ को शिवजी को प्रसन्न करने को कहा। भगीरथ ने अपनी तपस्या से शिवजी को प्रसन्न किया। शिवजी ने भगीरथ को वरदान मांगने को कहा तो, भगीरथ ने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित करने को कहा। भगवान शिव भगीरथ की मनोकामना पूरी करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद मां गंगा शिव की जटाओं से निकलकर पृथ्वी पर अवतरित हुईं। इसके बाद मां गंगा के स्पर्श से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस घटना के बाद से ही मां गंगा पृथ्वी पर प्रवाहित होने लगीं।🙏

01/04/2022

चैत्र नवरात्रि कब से हो रहे शुरू? जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि। नवरात्रि के पहले दिन इस तरह करें मांता शैलपुत्री की पूजा🙏

चैत्र महीना शुरू हो चुका है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है। इस महीने में नवरात्रि भी आती है, जिसे चैत्र नवरात्रि भी कहते हैं। साल में कुल 4 नवरात्रि आती हैं, जिनकी शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना किया जाता है। मां दुर्गा को सुख, समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहे हैं और 11 अप्रैल 2022 तक चलेगा।

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। मां के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है। यह नंदी बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। शैलपुत्री मां को वृषोरूढ़ा और उमा के नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है की मां शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर में हुआ था, जिसके कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। देवी के इस रूप को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना गया है। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी जीव-जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं।

पूजा विधि:

नवरात्रि के पहले दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर देवी दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित करें। फिर मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग की वस्‍तुएं काफी प्रिय हैं, इसलिए चंदन-रोली से टीका कर मां की प्रतिमा पर सफेद वस्‍त्र और सफेद फूल चढ़ाने चाहिए। साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग भी मां को बेहद ही पसंद आता है। बाद में शैलपुत्री माता की कथा करें और दुर्गा सप्शती का पाठ करें।

मां शैलपुत्री की कथा:

पौराणिका कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने अपने निवास पर एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलाया। लेकिन अपने अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने शिव जी नहीं बुलाया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित किए गए यज्ञ में जाने की इच्छा जताई। सती के आग्रह करने पर भगवान शिव ने भी उन्हें जाने की अनुमति दे दी। लेकिन जब सती यज्ञ में पहुंची तो वहां पर पिता दक्ष ने सबके सामने भगवान शिव के लिए अपमानजनक शब्द कहे। अपने पिता की बाते सुनकर मां सती बेहद निराश हुईं और उन्होंने यज्ञ की वेदी में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। जिसके बाद मां सती अलग जन्म में शैलराज हिमालय के घर में जन्मीं और वह शैलपुत्री कहलाईं।

मां शैलपुत्री के मंत्र:
-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥🙏

01/04/2022

आप सभी को नवसंवत अर्थात भारतीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं जोकि 2 अप्रैल सन 2022 वार शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। 1 अप्रैल सन 2022 वार शुक्रवार को चैत्र मास की अमावस्या अर्थात स्नान, दान आदि का दिन रहेगा । उसके अगले दिन 2 अप्रैल से नल नामक नव विक्रम सवँत का प्रारंभ हो रहा है इसी दिन से चैत्र नवरात्रै भी प्रारंभ होंगे । कलश स्थापना का समय प्रातः सूर्योदय से लेकर प्रातः 8:30 बजे से पहले का बनता है अर्थात 8:30 बजे तक घट स्थापना करना शुभ फलदायक रहेगा 🙏

जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधिहिंदू धर्म में होली का बहुत अधिक महत्व है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्...
17/03/2022

जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में होली का बहुत अधिक महत्व है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। वहीं इसके अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा को रंगों का त्योहार रंगोत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही होलिका दहन के 8 दिन पहले से होलाष्टक का त्योहार शुरू हो जाता है,

कब है होली?
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी 17 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। वहीं इसके दूसरे दिन 18 मार्च को रंग खेला जाएगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त- 17 मार्च को रात 09 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक

होलिका दहन की पूजा विधि।
होलिका दहन से पहले उसकी पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा करने से जातक को हर तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलने के साथ शुभ फलों की प्राप्ति होती है। होलिका दहन के दिन सूर्योदय के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान पर जाएं। इसके बाद पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना,चना आदि एक-एक करके अर्पित कर दें, साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी कर लें। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।🙏

28/02/2022

महाशिवरात्रि 2022 पूजा मुहूर्त:
चतुर्दशी तिथि 1 मार्च 2022 को है। इस दिन मार्च सुबह 03:16 से शुरू होकर देर रात्रि 1 बजे तक पूजा मुहूर्त रहेगा। यानी श्रद्धालु पूरे दिन भगवान की शिव की पूजा कर सकेंगे।🙏

28/02/2022

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 से 2 मार्च को सुबह 10:00 बजे तक रहेगी। वहीं पूजा-अर्चना के लिए पहला मुहूर्त सुबह 11:47 से 12:34 तक और शाम 6:21 से रात्रि 9:27 तक है। इन मुहूर्त के अनपरूप आप कभी भी भगवान शिव की उपासना कर सकते हैं।🙏। हर हर महादेव !!

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