22/02/2023
सत्ती के जलने के बाद उनके चारों ओर राख ही राख फैली हुई थी सबकुछ भस्म हो गया था लेकिन वो गुलाब अब भी ज्यों का त्यों था जिसे शिव ने प्रमोद के दौरान उनके बालों में लगाया था गुलाब को देखकर शिव ने उससे कहा "तुम नहीं जले?"
गुलाब रोता हुआ बोला "हे शिव! मैं प्रेम हूँ...और प्रेम की यही सद्गति होती है कि देह के जलने के बाद भी उसे जीवित रहना पड़ता है महादेव ने उस गुलाब को उठाकर अपनी जटाओं में लगा लिया। उस विराट दुःख में भी उस गुलाब को अपनी जटाओं में लगाना श्रृंगार नहीं था बल्कि प्रेम का सम्मान था..
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