Shri Vishva Prangana Ayurveda Clinic and Panchakarma center

Shri Vishva Prangana Ayurveda Clinic and Panchakarma center This page belongs to an authentic Maharashtrian Ayurvedic clinic and Panchakarma center launching first time in Uttarakhand.

Nadi Vaidya Dr. Rahul Gupta has passed his BAMS from Uttranchal Ayurvedic College Dehradun and has done his MD (Ayurveda) from Government Ayurved College Nanded, Maharashtra. He got his traditional ayurveda knowledge from very famous guru shishya parampara “VISHVA PARAMPARA, Maharashtra”. He is a proficient Nadi Vaidya and got his diksha for the same from Vishva Pandhari Ashram Kolhapur. He is having more than 10 years of expertise. Many patients in India & abroad have been benefited from his pulse diagnosis, ayurveda and panchakarma treatment. He has participated and presented his papers in many international conferences. His articles on various subject are published in national – international journals, magazines and newspapers.

आप सभी को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है की मुझे इस साल के ब्रह्माकुमारीज़ ग्लोबल समिट 2025 (माउंट आबु) में एक वैश्विक मं...
14/08/2025

आप सभी को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है की मुझे इस साल के ब्रह्माकुमारीज़ ग्लोबल समिट 2025 (माउंट आबु) में एक वैश्विक मंच पर आयुर्वेद प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने का औपचारिक आमंत्रण प्राप्त हुआ। आयुर्वेद के लिए गर्व के पल।

Invitation letter-
“The Chief of Brahma Kumaris Rajyogini Dadi Ratan Mohini Ji, Additional Chief Rajyogini Mohini Didi Ji & Additional Chief Rajyogini Jayanti Didi ji have the great pleasure & honour in extending to you this cordial invitation to the Global Summit 2025 on "Unity & Trust”.
We may also inform you that the Brahma Kumaris invite very prominent and internationally acclaimed leaders from different fields of Politics, Science & Technology, Spirituality, Media, Business & Industry, Art & Culture, Education, Economics, Administration, etc. so that their deliberations are fruitfully meaningful and conclusive.”

हमारे चिकित्सीय कार्य को आज उत्तराखंड के सबसे प्रमुख अख़बार में द्वितीय पेज पर जगह मिली। आयुर्वेद के समर्थन हेतु अमर उजा...
26/07/2025

हमारे चिकित्सीय कार्य को आज उत्तराखंड के सबसे प्रमुख अख़बार में द्वितीय पेज पर जगह मिली। आयुर्वेद के समर्थन हेतु अमर उजाला पब्लिकेशन को हृदय से धन्यवाद। आयुर्वेद है तो सम्भव है !

कल शाम ब्रह्मकुमारी संगठन के कुछ प्रमुख पदाधिकारी व उनके सहयोगियों का चिकित्सालय में स्वास्थ्य परामर्श हेतु आना हुआ जिनम...
17/07/2025

कल शाम ब्रह्मकुमारी संगठन के कुछ प्रमुख पदाधिकारी व उनके सहयोगियों का चिकित्सालय में स्वास्थ्य परामर्श हेतु आना हुआ जिनमे ब्रह्मकुमारी राजयोगिनी पार्वती दीदी जी बरेली क्षेत्रीय संचालिका (यू.पी. ज़ोन), एवं ब्रह्मकुमारी राजयोगिनी चंद्रावती दीदी जी काशीपुर सह क्षेत्रीय संचालिका (यू.पी. ज़ोन) मुख्य थे। संस्थान प्रमुख से भेंट होने पर कुछ मुद्दों पर चर्चा हुई जिसके फलस्वरूप सभी कार्यकर्ताओं तथा अनुयायियों के स्वास्थ्य में बदलाव लाया जा सके।
१) समाज में स्वास्थ्य के विषय में फैले अनेक प्रकार के भ्रम तथा असल आयुर्वेद का क्या मत है इस पर चर्चा।
२) आहार में अपक्व पदार्थों (फल/सलाद इ) के अतिसेवन से उत्पन्न अजीर्ण व उसके परिणाम तथा इनसे कैसे बचा जाए।
३) संस्थान गत भोग में बनने वाले प्रमुख पदार्थ जैसे पूड़ी, कचोड़ी जो की स्वभाव से गुरु होते है की जगह लघु सुपाच्य आहार का सेवन।
४) निद्रा के उचित काल पर चर्चा।
५) संस्था के आहार में गाय के घी को शामिल कर उससे होने वाले लाभ तथा घी के सम्बंध में समाज में फैली असत्य भ्रांतियों का खंडन।
६) स्वस्थ जीवन शैली का अनुसरण करने तथा किसी भी तरह की चिकित्सा पर बनी निर्भरता को कम करने के तरीक़ों पर चर्चा।
७) स्वस्थ शरीर और निरोगी मन होने पर कैसे योग में ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है इस पर चर्चा।

आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है की हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल EJMCM में पब्लिश हुए हमारे रीसर्च पेपर “Ayurveda manage...
08/07/2025

आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है की हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल EJMCM में पब्लिश हुए हमारे रीसर्च पेपर “Ayurveda management of unilateral vision loss” को देश की प्रतिष्ठित आयुर्वेद कम्पनी श्री धूतपपेश्वर लिमिटेड द्वारा उनके Evidence Based Ayurveda के वेर्टिकल के माध्यम से हार्ड कॉपी के स्वरूप में लिपिबद्ध कर देश के सभी वैद्यों तक वितरित किया जाना शुरू किया जा रहा है। इच्छुक वैद्य गण इसके लिए अपने स्थान के श्री धूतपपेश्वर लिमिटेड के मेडिकल रेप्रेज़ेंटटिव से सम्पर्क कर सकते है। हार्ड कॉपी मिलते ही उसके साथ सेल्फ़ी लेकर हमें हमारे सोशल मीडिया हैंडल (Facebook/Instagram) पर टैग अवश्य करें ताकि आयुर्वेद की इस उपलब्धि को घर-घर तक पहुँचाया जा सके। धन्यवाद !

आयुर्वेद चिकित्सा का एक और अविश्वसनीय परिणाम १) महिला रुग्ण वय-73 वर्ष२) इतिहास - -पिछले चार सालों से बाएँ घुटने के दर्द...
03/07/2025

आयुर्वेद चिकित्सा का एक और अविश्वसनीय परिणाम

१) महिला रुग्ण वय-73 वर्ष

२) इतिहास -
-पिछले चार सालों से बाएँ घुटने के दर्द व सूजन से परेशान।
-पिछले एक महीने से बिस्तर पर पड़े थे, खड़े होने में भी असमर्थ।
-सर्जन ने तुरंत नी रेप्लेस्मेंट सर्जरी के लिए बोल दिया था।

३) लक्षण-
-पहले चेकप के लिए एम्बुलेंस से मरीज़ को वीलचेयर के सहारे अंदर लाया गया। (रुग्ण अवस्था के कारण विडियो बनाने का अवसर प्राप्त नहीं हो पाया)
-घुटने के अंदर वाले (medial) भाग में नसों का गुच्छा तैयार था तथा असहनीय सूजन वा दर्द था।

४) आयुर्वेद निदान- जीर्ण संधिवात (साम)

५) संप्राप्ति-
-जानु सन्धि (knee joint) गत पार्थिव महाभूत अधिकता के कारण आकाश गुण की कमी, जिससे वायु के मार्ग में अवरोध उत्पन्न, फल स्वरूप संधि क्रिया हानि।

६) चिकित्सा सूत्र-
-आम पाचन
-वातानुलोमन
-संधि बल्य चिकित्सा
-स्थानिक तेल धारा

७) अवलोकन-
-रुग्ण क्योंकि अत्यंत जटिल अवस्था में था इसलिए केवल आभ्यंतर सेवन करने वाली औषधियों से तथा आहार विहार पथ्य समझा कर चिकित्सा शुरू की।
-चिकित्सा निदान सटीक होने के कारण रुग्ण को लाभ मिलना शुरू हुआ।
-एक माह बाद रुग्ण स्वयं चलकर दिखाने आया।
-प्री और पोस्ट क्ष रे (X-ray) रिपोर्ट्स में बदलाव साफ़ देख सकते हैं, साथ ही रुग्ण का विडीओ शेयर कर रहे हैं।

नाड़ि वैद्य राहुल गुप्ता
BAMS, MD
श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद एवं पंचकर्म चिकित्सालय, हल्द्वानी, उत्तराखंड
सम्पर्क- 78953-72936

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएँ!
01/07/2025

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएँ!

हमारी चिकित्सीय यात्रा के पग-पग पर हमारे द्वारा किए गए कार्यों को जन सामान्य तक पहुँचाने का कार्य कर आयुर्वेद के प्रचार ...
28/06/2025

हमारी चिकित्सीय यात्रा के पग-पग पर हमारे द्वारा किए गए कार्यों को जन सामान्य तक पहुँचाने का कार्य कर आयुर्वेद के प्रचार प्रसार में सहायक बनने हेतु, अमर उजाला परिवार को हार्दिक धन्यवाद !

10/06/2025

डाईबटीज के रुग्णो में कॉम्प्लिकेशन ( ) निर्माण होने के कुछ विशिष्ठ कारण नज़र में आए हैं, आपके साथ भी साझा कर रहे हैं-
१) डाईबटीज का रुग्ण अगर दही, अत्यधिक पानी पीना, रोज़ स्नान ना करना, मांसाहार का अति सेवन, दिन में सोना इत्यादि कारणो का सेवन करता है तो उसे - (डाईबटीज के कारण हुई किड्नी की बीमारी/किड्नी फेल) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।

२) डाईबटीज का रुग्ण अगर नमक, मिर्च, खट्टा इत्यादि का अधिक सेवन करे, क्रोध अथवा चिंता अधिक करे, अथवा नेत्र से जुड़े व्यवसाय जिसमें स्क्रीन टाइम ज़्यादा हो ऐसे अवस्था में उसे - (डाईबटीज के कारण हुई आँखों की बीमारी/अंधापन) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।

३) डाईबटीज का रुग्ण अगर करेले का जूस, या अत्यधिक रूक्ष आहार जैसे गेहूं बंद कर चने आदि की रोटी खाता है, खाना कम कर अनुचित तरीक़े से भूखा रहने की कोशिश करता है, शक्ति से अधिक व्यायाम करता है, या फिर आहार में घी-दूध त्याग कर कम चिकनाई वाले रेफ़ायंड तेल ला सेवन करता है तो उसे - (डाईबटीज के कारण हुई नसों की बीमारी/डाईबटीक अल्सर/झनझनाहट) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।

वैद्य राहुल गुप्ता

मुंड लोह खरल (Cast iron) बहुत समय से तलाश जारी थी अंततः सफलता मिल ही गई। आजकल लोह खरल का प्रचलन सा ख़त्म हो गया है। मार्...
25/05/2025

मुंड लोह खरल (Cast iron)

बहुत समय से तलाश जारी थी अंततः सफलता मिल ही गई। आजकल लोह खरल का प्रचलन सा ख़त्म हो गया है। मार्केट में स्टील तथा ऐल्यूमिनीयम की खरल मिलना शुरू हो चुकी है, जिसका प्रयोग एक वैद्य के दृष्टिकोण से रुग्ण की सेहत के लिए नुक़सान दायक होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि पारद हर एक धातु के साथ रासायनिक प्रक्रिया करने में सक्षम है। लोह खरल रस औषधियों के लिए सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि पारद की लोह धातु से किसी भी प्रकार की रासायनिक प्रक्रिया नहीं होती। चिकित्सालय में पहले से लोह खरल मौजूद थी लेकिन मुंड लोह खरल पाने की अभिलाषा आज पूरी हो गयी। जय धन्वंतरि।

21/05/2025
एक और उपलब्धि : Blindness Reversal By Ayurveda case study published in EJMCM (International Journal)�आप सब को बताते हुए ...
18/05/2025

एक और उपलब्धि : Blindness Reversal By Ayurveda case study published in EJMCM (International Journal)�
आप सब को बताते हुए पुनः हर्ष हो रहा है की कुछ माह पहले एक केस स्टडी शेयर की थी जिसमें एक रोगी जिसके आँखो की रोशनी चली गई थी, सभी चिकित्सा पद्यतियाँ फेल हो गई थी, लेकिन दो महीने की आयुर्वेद चिकित्सा द्वारा रोगी के आँखों की रोशनी वापस आ गयी थी। आज वही केस स्टडी विश्व के एक प्रतिष्ठित पियर रिव्यूड जर्नल European Journal of Molecular & Clinical Medicine (Impact factor 5.9, indexed by databases like Scopus etc.) में प्रकाशित हो गयी है। आयुर्वेद नेत्र चिकित्सा को मॉडर्न एविडेन्स के साथ विश्व स्तर पर स्थापित करने का एक छोटा सा कदम उठाया है। कृपया ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कर अपनी सहभागिता निभाएँ। आर्टिकल नीचे दिए लिंक से पढ़ा व डाउनलोड किया जा सकता है। आर्टिकल सम्बंधित शंकाओ का स्वागत है।
वैद्य राहुल गुप्ता (BAMS, MD); वैद्य अंकिता गुप्ता (BAMS,MS)
श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद व पंचकर्म चिकित्सालय, हल्द्वानी, उत्तराखंड (Mob-78953-72936)

https://www.ejmcm.com/archives/volume-12/issue-1/14143

आयुर्वेद की कहानी एक एलोपथिक चिकित्सक की ज़ुबानी अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होग...
28/04/2025

आयुर्वेद की कहानी एक एलोपथिक चिकित्सक की ज़ुबानी

अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होगी। बिरले ही कभी किसी ने निजी स्वार्थ अथवा राजनीतिक दबाव के चलते आयुर्वेद का दबे स्वरों में समर्थन भी किया हो, किंतु आज हम इसी प्रकरण का एक नया पहलू आपके सामने अपने एक रुग्ण डा अमरजीत सिंह साहनी के आयुर्वेद चिकित्सा अनुभवों के रूप में साझा कर रहे हैं। साथ ही हम डॉक्टर साहब का आभार भी व्यक्त करते है क्योंकि इनके शब्द कितने ही रुग्णो के मन में आयुर्वेद की तरफ़ देखने का नज़रिया बदलेंगे।

डा अमरजीत पिछले दो वर्षों से नेत्र की समस्या से ग्रसित थे जिनमे उनकी पलकें कभी किसी समय भी फड़फड़ाने लगती थे। मेडिकल ऑफ़िसर होने के नाते उन्हें आए दिन रुग्णो, अधिकारियों आदि लोगों से बोलना और कोऑर्डिनेट करना पड़ता था जिसमें उन्हें परेशानी आने लगी। इन्होंने लोकल उपचार किया जिससे लाभ नहीं मिला, तब इन्होंने चेन्नई के एक बड़े नेत्र चिकिसलाय जाकर इलाज शुरू किया, लेकिन छह महीने के प्रयास के बाद वो भी असफल रहा। इसके पश्चात इन्होंने गुरुग्राम स्थित देश के सबसे प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में जाकर इलाज करवाया किंतु वहाँ भी कुछ लाभ नहीं मिला। समय समय पर भिन्न भिन्न एलोपथिक निदान बने किंतु कुछ लाभ नहीं मिल पाया। अंत में इन्होंने इन्होंने आयुर्वेद का रुख़ किया।

रुग्ण का आयुर्वेद परीक्षण करने के बाद इनकी बीमारी का निदान “निमेष रोग” हुआ जिसमें नेत्र की पलकें बार-बार फड़फड़ाती हैं। निमेष रोग के कारणों में एक कारण क्षमता से अधिक बोलना आया है। क्योंकि रुग्ण एक आधिकारिक चिकित्सीय पद पर आसीन हैं, इन्हें अपने कार्य के सिलसिले में अधिक बोलना पड़ता था। दोषों का जोड़ मिलने पर इसी आदत ने रोग का रूप ले लिया था। बीमारी समझा कर रुग्ण को परहेज़ इत्यादि से अवगत कर चिकित्सा शुरू की। निदान अचूक होने के कारण पहले ही महीने से लाभ मिलना शुरू हुआ, फिर बाक़ी इस फ़ीड्बैक के माध्यम से आपके सामने है।

सभी आयुर्वेद प्रेमियों से अनुरोध है की ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें!

वैद्य राहुल गुप्ता
(BAMS, MD)
श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद चिकित्सालय, हल्द्वानी
Mob-78953-72936

अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होगी। बिरले ही कभी किसी ने निजी स्वार्थ अथवा र...

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