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 #किडनी (गुर्दा) kidney----------------हम गुर्दे के बारे में बहुत कम जानते हैं। इसे अंग्रेजी में किडनी एवं हिन्दी में गु...
31/10/2019

#किडनी (गुर्दा) kidney
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हम गुर्दे के बारे में बहुत कम जानते हैं। इसे अंग्रेजी में किडनी एवं हिन्दी में गुर्दा अथवा वृक्क कहा जाता है। जिस प्रकार नगरपालिका शहर को स्वच्छ रखती है वैसे ही किडनी शरीर को स्वच्छ रखती है। रस-रक्त में से मूत्र बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य किडनी करती है। शरीर में रस एवं रक्त में उपस्थिति विजातीय व अनावश्यक द्रव्यों एवं कचरों को मूत्रमार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकालने का कार्य किडनी का ही है।

किडनी वास्तव में रस-रक्त का शुद्धीकरण करने वाली एक प्रकार की 11 सें.मी. लंबी काजू के आकार की छननी है जो पेट के पृष्ठ भाग में मेरूदंड के दोनों ओर स्थित होती है। प्राकृतिक रूप से स्वस्थ किडनी में हर रोज 60 किलो जितना पानी छानने की क्षमता होती है। फिर भी सामान्य रूप से वह 24 घण्टे में से 1 से 2 लीटर जितना मूत्र बनाकर शरीर को निरोग रखती है। किसी कारणवशात् यदि वह कार्य करना बंद कर दे अथवा दुर्घटना में उसे खो देना पड़े तो उस व्यक्ति की दूसरी किडनी पूरा कार्यभार सँभालकर शरीर को विषाक्त होने से बचाकर स्वस्थ रखती है। जिस प्रकार नगरपालिका की लापरवाही अथवा आलस्य से शहर में गंदगी फैल जाती है एवं धीरे-धीरे महामारियाँ फैलने लगती हैं, वैसे ही किडनी के खराब होने पर शरीर अस्वस्थ हो जाता है।

अपने शरीर में किडनी एक चतुर यंत्रविद्(Technician) की भाँति कार्य करती है। किडनी शरीर का एक अनिवार्य एवं क्रियाशील भाग है, जो अपने तन एवं मन के स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखती है। उसके बिगड़ने का असर रक्त, हृदय, त्वचा एवं यकृत पर पड़ता है। वह रस एवं रक्त में स्थित शर्करा (Sugar), रक्तकण एवं उपयोगी आहार द्रव्यों को मूत्र के रूप में बाहर फैंकती है। यदि रस-रक्त में शर्करा का प्रमाण बढ़ गया है तो किडनी मात्र बढ़ी हुई शर्करा के तत्त्व को छानकर मूत्र में भेज देती है।

किडनी का विशेष संबंध हृदय, फेफड़ों, यकृत एवं प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। ज्यादातर हृदय एवं किडनी परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसकी किडनी भी बिगड़ती है जब किडनी बिगड़ती है तब उस व्यक्ति का रक्तचाप उच्च हो जाता है और धीरे-धीरे हृदय भी दुर्बल हो जाता है।

आयुर्वेद के निष्णात वैद्य कहते हैं कि किडनी के रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण आज कल के समाज में हृदय रोग, दमा, श्वास, टी.बी. डायबिटीज, उच्चरक्तचाप जैसे रोगों में किया जा रहा आधुनिक दवाओं का सेवन है।

इन आधुनिक दवाओं के जहरी प्रभाव के कारण ही किडनी एवं मूत्र-संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं। कभी-कभी किसी आधुनिक दवा के अल्पकालीन सेवन की विनाशकारी प्रतिक्रिया के रूप में भी किडनी फेल जैसे गंभीर रोग होते हुए दिखाई देते हैं। अतः मरीजों को सलाह है कि उनकी कोई भी बीमारी में, जहाँ तक हो सके वहाँ तक वे निर्दोष वनस्पतियों से निर्मित एवं विपरीत परवर्ती असर (Side effect and after effect) से रहित आयुर्वैदिक दवाओं के सेवन का ही आग्रह रखें। आपको यह जानकर अब तो आश्चर्य नहीं होगा कि आधुनिक एलोपैथी के डॉक्टर स्वयं भी अपने संबंधियों के इलाज के लिए आयुर्वैदिक दवाओं का ही आग्रह रखते हैं।

आधुनिक विज्ञान कहता है कि किडनी अस्थि मज्जा (Bone Marrow) बनाने का कार्य भी करती है। इससे भी यह सिद्ध होता है कि आज की रक्तकैंसर की व्यापकता का कारण भी आधुनिक दवाओं का विपरीत एवं परवर्ती प्रभाव ही है।

किडनी दर्द के कारण:-आधुनिक समय में मटर, सेम आदि द्विदलों जैसे प्रोटीनयुक्त आहार का अतिरेक, मैदा, शक्कर एवं बेकरी की चीजों का अधिक प्रयोग, चाय-काफी जैसे उत्तेजक पेय, दारू एवं ठंडे पेय, आधुनिक जहरीली दवाइयाँ जैसे-ब्रुफेन, मेगाडोल, आईब्युजेसीक, वोवेरीन जैसी एनालजेसिक दवाएँ, एन्टीबायोटिक्स, सल्फा ड्रग्स, एस्पीरीन, केनासेटीन, केफीन, ए.पी.सी., एनासीन वगैरह का ज्यादा उपयोग, आहार का जहर अथवा मादक पदार्थों का ज्यादा सेवन, सूजाक (गोनोरिया), उपदंश (सिफलिस) जैसे लैंगिक रोग त्वचा की अस्वच्छता या उसके रोग, जीवनशक्ति एवं रोगप्रतिकारक-शक्ति का अभाव, आँतों में संचित मल, शारीरिक परिश्रम का अभाव, अत्यधिक शारीरिक या मानसिक श्रम, अशुद्ध दवा एवं अयोग्य जीवन, उच्च रक्तचाप तथा हृदयरोगों में लंबे समय तक किया जाने वाला दवाओं का सेवन, आयुर्वैदिक परंतु अशुद्ध पारे से बनी दवाओं का सेवन, आधुनिक मूत्रल (Diuretic) औषधियों का सेवन, तम्बाकू या ड्रग्स के सेवन की आदत, दही, तिल नया गुड़, मिठाई, वनस्पति घी, श्रीखंड, मांसाहार, फ्रूट जूस, इमली ,टमाटर-केच अप, अचार केरी, खट्टा आदि सब किडनी दर्द के कारण हैं।

सामान्य लक्षण:-आधुनिक विज्ञान के अनुसार किडनी खराब होने पर निम्नांकित लक्षण दिखाई देते हैं

आँख के नीचे की पलकें फूली हुईं, पानी से भरी एवं भारी दिखती हैं।जीवन में चेतनता, स्फूर्ति तथा उत्साह कम हो जाता है।सुबह बिस्तर से उठते वक्त स्फूर्ति के बदले उबान, आलस्य एवं बेचैनी रहती है।थोड़े श्रम से ही थकान लगने लगती है।श्वास लेने में कभी-कभी तकलीफ होने लगती है।कमजोरी महसूस होती है।भूख कम होती जाती है।सिर दुखने लगता है अथवा चक्कर आने लगते हैं।कइयों का वजन घट जाता है।कइयों को पैरों अथवा शरीर के दूसरे भागों पर सूजन आ जाती है, कभी जलोदर हो जाता है तो कभी उलटी उबकाई जैसा लगता है,रक्तचाप उच्च हो जाता है।पेशाब में एल्ब्यूमिन दिखता है।

आयुर्वेदानुसार किडनी रोग के सामान्य लक्षण:-सामान्य रूप से शरीर के किसी अंग में अचानक सूजन होना, सर्वांग वेदना, बुखार, सिरदर्द, वमन, रक्ताल्पता, पाण्डुता, मंदाग्नि, पसीने का अभाव, त्वचा का रूखापन, नाड़ी का तीव्र गति से चलना, रक्त का उच्च दबाव, पेट में किडनी के स्थान को दबाने पर पीड़ा होना, प्रायः बूँद-बूँद करके अल्प मात्रा में जलन व पीड़ा के साथ गर्म पेशाब आना, हाथ-पैर ठंडे रहना, अनिद्रा, यकृत-प्लीहा के दर्द, कर्णनाद, आँखों में विकृति आना, कभी मूर्च्छा और कभी उलटी होना, अम्लपित्त, ध्वजभंग (नपुंसकता), सिर तथा गर्दन में पीड़ा, भूख नष्ट होना, खूब प्यास लगना, कब्जियत होना-जैसे लक्षण होते हैं। ये सभी लक्षण सभी मरीजों में विद्यमान हो, यह जरूरी नहीं है।

किडनी रोग से होने वाले अन्य उपद्रव:-किडनी का दर्द ज्यादा समय तक रहे तो उसके कारण मरीज को श्वास, हृदयकंप, न्यूमोनिया, प्लुरसी, जलोदर, खांसी, हृदयरोग, यकृत एवं प्लीहा के दर्द, मूर्च्छा एवं अंत में मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे मरीजों में ये उपद्रव विशेषकर रात्रि के समय बढ़ जाते हैं।

उपचार:-आज की एलोपैथी में किडनी रोग का सरल व सुलभ उपचार उपलब्ध नहीं है जबकि आयुर्वेद के पास इसका सचोट, सरल व सुलभ इलाज है।

आहार:-प्रारंभ में रोगी को 3-4 दिन का उपवास करायें अथवा मूँग या जौ के पानी पर रखकर लघु आहार करायें। आहार में नमक बिल्कुल न दें या कम दें। नींबू के शर्बत में शहद या ग्लुकोज डालकर 15 दिन तक दिया जा सकता है। चावल की पतली घेंस या राब दी जा सकती है। फिर जैसे-जैसे यूरिया की मात्रा क्रमशः घटती जाय वैसे-वैसे दलिया, रोटी, सब्जी आदि दिया जा सकता है। मरीज को चने का पानी, सहजने का सूप, धमासा या गोखरन का पनी चाहे जितना दे सकते हैं। किन्तु जब फेफड़ों में पानी का संचय होने लगे तो उसे ज्यादा पानी न दें, पानी की मात्रा घटा दें।

रोगी को दारू, मांस, मछली, अण्डे, काफी, हींग, मिर्ची, अचार, पापड़, फल, पेड़े, मिठाई, पनीर, नमकीन, सेम, मटर, चौरा, बेकरी एवं फ्रिज की चीजें बिल्कुल न देवें।

विहार:-किडनी के मरीज को आराम जरूर करायें। सूजन ज्यादा हो अथवा यूरेमिया या मूत्रविष के लक्षण दिखें तो मरीज को पूर्ण शय्या आराम (Complete Bed Rest) करायें। मरीज को थोड़े गरम एवं सूखे वातावरण में रखें। हो सके तो पंखे की हवा न खिलायें। तीव्र दर्द में गरम कपड़े पहनायें। गर्म पानी से ही स्नान करायें। थोड़ा गुनगुना पानी पिलायें

औषध उपचार:-किडनी के रोगी को लिए कफ एवं वायु का नाश करने वाली चिकित्सा लाभप्रद है। जैसे कि स्वेदन, वाष्पस्नान, गर्म पानी से कटिस्नान।

रोगी को आधुनिक तीव्र मूत्रल औषधि न दें क्योंकि लंबे समय के बाद उससे किडनी खराब होती है। उसकी अपेक्षा यदि पेशाब में शक्कर हो या पेशाब कम होता हो तो नींबू का रस, सोडा बायकार्ब, श्वेत पर्पटी, चंद्रप्रभा, शिलाजित आदि निर्दोष औषधियों का उपयोग करना चाहिए। गंभीर स्थिति में रक्त मोक्षण (शिरा मोक्षण) खूब लाभदायी है किंतु यह चिकित्सा मरीज को अस्पताल में ही रखकर दी जानी चाहिए।

सरलता से सर्वत्र उपलब्ध पुनर्नवा नामक वनस्पति का रस, कालीमिर्च अथवा त्रिकटु चूर्ण डालकर पीना चाहिए। कुलथी का काढ़ा या सूप पीयें। रोज 100 से 200 ग्राम की मात्रा में गोमूत्र पीयें। पुनर्नवादि मंडूर, दशमूल क्वाथ, पुनर्नवारिष्ट, कुमारी आसव, दशमूलारिष्ट, गोक्षुरादि क्वाथ, गोक्षुरादि गूगल, जीवित प्रदावटी वगैरह का उपयोग दोषों एवं मरीज की स्थिति को देखकर करना चाहिए।

रोज 1-2 गिलास जितना लौहचुंबकीय जल पीने से भी किडनी के रोग में लाभ होता है।

04/09/2017

"किडनी को बहुत नुकसान पहुंचाती है ये 4 गलत आदतें!

किडनी शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं लेकिन हमारी कुछ गलत आदतें किडनी को नुकसान पहुंचाती है। किडनी खराब होने पर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपनी आदते बदलिए। चलिए जाने इन गलत आदतों के बारे में…
-ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन करना : कुछ लोग नमक का ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं जिसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है। बॉडी में सोडियम की मात्रा अधिक होने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है जिसके किडनी पर जोर पड़ता है।
-नहीं रोकना चाहिए यूरिन : अगर आप यूरीन को रोक कर रखते हैं तो इस आदत को छोड़ दीजिए। आपकी इस आदत की वजह से किडनी फेल हो सकती है या फिर किडनी में स्टोन होने की परेशानी हो सकती है।
-कम पानी पीना : अगर आप दिनभर में पानी का सेवन कम करते हैं तो आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में हानिकारक टॉक्सिन्स छनने की बजाए शरीर में ही एकत्रित होने लगते है जिसकी वजह से किडनी फैल भी हो सकती है।
-ज्यादा मीठा खाना : ज्यादा मिठाई का सेवन करने से यूरिन से प्रोटीन निकलने लगता है, जिससे किडनी खराब होने लगती हैं।" M/S Shambhu Medical (jhumra)

30/11/2016
30/10/2016
05/09/2016
Kargil 26th 🙏
26/07/2016

Kargil 26th 🙏

आप सभी को सावन की हार्दिक शुभकामनाएँ|🌙🌿 ॐ नमः शिवाय 🌿🌙🌿 प्रचण्डं, प्रकृष्टं, प्रगल्भं, परेशं, अखंडं अजं भानुकोटि-प्रकाशम...
20/07/2016

आप सभी को सावन की हार्दिक शुभकामनाएँ|

🌙🌿 ॐ नमः शिवाय 🌿🌙
🌿 प्रचण्डं, प्रकृष्टं, प्रगल्भं, परेशं,
अखंडं अजं भानुकोटि-प्रकाशम्।
त्रय:शूल निर्मूलनं शूलपाणिं,
भजे अहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥
आप प्रचण्ड रूद्रस्वरूप, उत्तम,
तेजवान, परमेश्वर, अखंड, जन्मरहित,
करोडों सूर्यों के सामान प्रकाशमान,
तीनों प्रकार के दुःखो को हरने वाले,
हाथों मे शूल धारण करने वाले,
एवं भक्ति द्वारा प्राप्त होने वाले हैं।
हे माँ भवानी के स्वामि, मैं आपको भजता हूँ।🌿

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