Rajender Malik

Rajender Malik Online Health Coach Nutrition Advisor, Diet Planner
https://youtube.com/ वजन घटायें व बढायें पूछिये कैसे

24/11/2025




98024 30200 मेरे प्यारे युवा दोस्तों,आज मुझसे एक कड़वी लेकिन बहुत ज़रूरी सच्चाई सुनो।👉 आने वाले 10–15 साल में आपकी सैलरी...
23/11/2025

98024 30200
मेरे प्यारे युवा दोस्तों,
आज मुझसे एक कड़वी लेकिन बहुत ज़रूरी सच्चाई सुनो।

👉 आने वाले 10–15 साल में आपकी सैलरी “असली अर्थों में” (Real Wages) शायद ही बढ़े।
हाँ Nominal salary थोड़ी-सी ज़रूर बढ़ेगी,
लेकिन महँगाई उससे कई गुना तेज भागेगी।

मतलब?
आपकी कमाई की खरीद क्षमता (Purchasing Power) लगातार गिरती जाएगी।

क्या प्रमाण है?
इतिहास खुद गवाही देता है-

Year Entry-level Engineer Salary
2010 ₹3.3–3.5 लाख प्रति वर्ष
2025 ₹4.5–5 लाख प्रति वर्ष

15 साल में salary दोगुनी तक भी नहीं पहुँची!
क्या आप जानते है , ऐसा क्यों हुआ ?

ये इकोनॉमिक्स का नियम है, जब किसी की सप्लाई बढ़ती है क़ीमत नहीं बढ़ती ।

भारत विश्व में सबसे ज़्यादा, और तेज़ी से बढ़ते युवाओ का देश है। हर साल स्वा करोड़ युवा रोज़गार की माँग के बाज़ार में आ रहे है।

जबकि इसी दौरान महँगाई 200%+ बढ़ गई।
चीजें 3 गुना महँगी,पर आपकी कमाई सिर्फ 1.3–1.5 गुना।
👉 Real salary = सीधी गिरावट।

आगे का भविष्य?
और भी कठिन!
क्यों?
• AI सबसे पहले entry-level jobs खा रहा है
• हर साल 15–17 लाख नए engineers जॉब मार्केट में
(Supply sky-high, demand limited)
• Global companies replaceable talent ढूँढ रही हैं – ₹3–4 लाख में कहीं भी मिल जाता है
• Coding, testing, support जैसी skills commodity बन चुकी हैं।

👉और सबसे बड़ी चुनौती - आपके जॉब करने की अवधि कम होगी पर उम्र पहली वाली पीढ़ियों से बहुत ज़्यादा होगी।

👉सैलरी से धनी बनने का सपना ज़्यादातर के लिए अब लगभग खत्म।
तो असली धनी कौन बनेगा?

वो नहीं जो सबसे ज्यादा काम करेगा,
बल्कि वो जो सबसे जल्दी और सबसे ज्यादा निवेश करेगा।

Trading?
F&O?
Intraday?
सिर्फ मन का वहम है , धनी बनने का मार्ग नहीं!

90%+ लोग पैसा गँवाते हैं।
बाकी 10% में भी ज़्यादातर, यदि कुछ पैसा बनाते भी है तो वह है- किस्मत से।

Excitement बेचने वाले influencers बहुत हैं…
पर Wealth सिर्फ कंपाउंडिंग के से बनती है।

👉असली खेल —> Compounding का खेल

अगर आप 23 की उम्र से सिर्फ ₹6,000/month (10% step-up)
और 12% average return से SIP करें:

Age Portfolio Value
45 ₹1.6 करोड़+
50 ₹3 करोड़+
और अगर 28 की उम्र से शुरू किया?
₹70–80 लाख ही!

सिर्फ 5 साल की देरी = आधी दौलत खत्म
10 साल की देरी = 70–80% wealth खत्म ।

Compounding शुरुआती लोगों को राजा बनाती है, और late starters केवल हाथ मलता है।

अंतिम संदेश बहुत ही ध्यान से समझो-
• Trading से किसी को अमीर बनते देखा? ज़्यादातर बर्बाद होते हैं।
• Salary से wealth creation का ज़माना खत्म हो चुका है।
• Lifestyle और EMIs आपको rich दिखाते हैं, rich नहीं बनाते।

👉 नियम सिर्फ एक:

Income का 30–50% तुरंत invest करो
Equity Mutual Funds / Index Funds में SIP करो
10–15 साल तक पीछे मुड़कर मत देखो
Compounding को अपना सबसे वफादार employee बना लो

👉याद रखो
आज जो 20–25 साल का है,
उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा सुपरपावर है -TIME।
उसे बर्बाद मत करो।

आज ही शुरू करो।
कल नहीं, आज।

02/10/2025

*💥"दस रुपये के बदले,13 लाख"💥*😳🤫👇👇👇

*😳सेठ ने अभी दुकान खोली ही,थी l कि :- एक औरत आई और बोली:- "सेठ जी ये अपने दस रुपये लो"..।👍🙏*

*😳सेठ उस गरीब सी औरत को प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगा,जैसे पूछ रहा हो ? कि :- मैंने कब तुम्हे दस रुपये दिये?😳*
*😳औरत बोली :- कल शाम को मै सामान ले गई थी l तब आपको सौ रुपये दिये थे। 70 रुपये का सामान खरीदा था। आपने 30 रुपये की जगह मुझे 40 रुपये वापस दे दिये। "सेठ ने दस रुपये को माथे से लगाया,फिर गल्ले मे डालते हुए बोला :- एक बात बयाइये बहन जी? आप सामान खरीदते समय कितने मौल भाव कर रही थी। पांच रुपये कम करवाने के लिए आपने कितनी बहस की थी,और अब ये दस रुपये लौटाने चली आई? 🤔औरत बोली :-"पैसे कम करवाना मेरा हक है"। मगर एक बार मौल भाव होने के बाद, "उस चीज के कम पैसा देना पाप है।"*😳🤫
*😳सेठ बोला :-लेकिन, आपने कम पैसे कहाँ दिये? आपने पूरे पैसे दिये थे,ये दस रुपया तो मेरी गलती से आपके पास चला गया। रख लेती,तो मुझे कोई फर्क नही पड़ने वाला था। औरत बोली :- आपको कोई फर्क नही पड़ता ? मगर मेरे मन पर हमेशा ये बोझ रहता ? कि:- मैंने जानते हुए भी,आपके पैसे खाये। 🤫इसलिए मै रात को ही,आपके पैसे वापस देने आई थी l मगर उस समय आपकी दुकान बन्द थी।😳 सेठ ने महिला को आश्चर्य से देखते हुए पूछा :- "आप कहाँ रहती हो"..? वह बोली ;- "सेक्टर आठ मे रहती हूँ".। सेठ का मुँह खुला रह गया ...?🤔 बोला :- "आप 7 किलोमीटर दूर से",ये दस रुपये देने,"दूसरी बार आई हो"..?😳🤔 औरत सहज भाव से बोली :- "हाँ दूसरी बार आई हूँ"। मन का सुकून चाहिए,तो -"ऐसा करना पड़ता है"। मेरे पति इस दुनिया मे नही है l मगर उन्होंने मुझे एक ही,बात सिखाई है l कि:- "दूसरे के हक का एक पैसा भी,मत खाना"। 🤫क्योंकि :- "इंसान चुप रह सकता hai...? मगर - "ऊपर वाला कभी भी,हिसाब मांग सकता है ?🤫 और... "उस हिसाब की सजा मेरे बच्चों को भी मिल सकती है"।🤫 इतना कह कर वह औरत चली गई।*🤫😳
*😳सेठ ने तुरंत गल्ले से तीन सौ रुपये निकाले और स्कूटी पर बैठता हुआ अपने नौकर से बोला, :- तुम दुकान का ख्याल रखना,मै अभी आता हूँ। सेठ बाजार मे ही,एक दुकान पर पहुंचा। फिर उस दुकान वाले को तीन सौ रुपये देते हुए बोला :- ये अपने तीन सौ रुपये लीजिए प्रकाश जी। कल जब आप सामान लेने आये थे,तब हिसाब मे ज्यादा जुड़ गए थे।😳प्रकाश हँसते हुए बोला :- "पैसे हिसाब मे ज्यादा जुड़ गए थे,तो आप तब दे देते "? "जब मै दुबारा दुकान पर आता"...। इतनी सुबह सुबह आप तीन सौ रुपये देने चले आये।*😳🤔
*😳सेठ बोला, :- जब आप दुबारा आते ? "तब तक मै मर जाता तब"..?? आपके मुझमे तीन सौ रुपये निकलते है,ये आपको तो पता ही,नही था, न..? इसलिए देना जरूरी था। पता नही ...? "ऊपर वाला कब हिसाब मांगने लग जाए"...? 😳🤔 और... "उस हिसाब की सजा मेरे बच्चों को भी, मिल सकती है"...।*😳🤫
*😳सेठ तो चला गया..? मगर प्रकाश के दिल मे खलबली मच गई। क्योंकि दस साल पहले उसने अपने एक दोस्त से "तीन लाख रुपये"उधार लिए थे। मगर पैसे देने के दूसरे ही दिन,"दोस्त मर गया था"।*😳🤫🤔

*😳दोस्त के घर वालों को पैसों के बारे मे पता नही था। इसलीए किसी ने उससे पैसे वापस नही मांगे थे। प्रकाश के दिल मे लालच आ गया था। इसलिए खुद पहल करके पैसे देने वह नही गया। आज दोस्त का परिवार गरीबी मे जी रहा था। दोस्त की पत्नी लोगों के घरों मे झाडू पौंछा करके बच्चों को पाल रही थी। फिर भी, प्रकाश उनके पैसे हजम किये बैठा था। सेठ का ये वाक्य " पता नही ...? "कब ऊपर वाला हिसाब मांगने बैठ जाए"...? और ...."उस हिसाब की सजा मेरे बच्चों को भी,मिल सकती है"....l "प्रकाश को डरा रहा था"...।*😳🤫
*😳प्रकाश दो तीन दिन तक टेंशन में रहा। आखिर मे उसका जमीर जाग गया। उसने बैंक से तेरह लाख रुपये निकाले और पैसे लेकर दोस्त के घर पहुँच गया। दोस्त की पत्नी घर पर ही,थी। वह अपने बच्चो के पास बैठी बतिया रही थी,कि प्रकाश जाकर उसके पैरों मे गिर गया।एक एक रुपये के लिए संघर्ष कर रही,उस"विधवा औरत"के लिए 13 लाख रुपये बहुत बड़ी रकम थी। पैसे देखकर उसकी आँखों मे आँसू आ गए। वह प्रकाश को"दुआएं"देने लगी,जो उसने ईमानदारी दिखाते हुए,पैसे लौटा दिये।👌👍*

*😳🤫"ये वही औरत थी"....,"जो" "सेठ को दस रुपये लौटाने,दो बार गई थी"...।*😳🤫
*💥 अपनी "मेहनत" और "ईमानदारी"का खाने वालो की ईश्वर"परीक्षा"जरूर लेता है l मगर कभी भी,उन्हे अकेला नही छोड़ता। एक दिन जरूर सुनता है। "ऊपर वाले पर भरोसा रखिये"।*👌🙏
*🙏धन्यवाद l🙏*

12/09/2025
13/08/2025
27/04/2025

राष्ट्र की रक्षा का संकल्प – विवेक, त्याग और धैर्य के साथ

भारत, एक शांतिप्रिय लेकिन सशक्त राष्ट्र, आज वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी सेना, और हमारा नेतृत्व - सब कुछ हमें पाकिस्तान से कई गुना ज़्यादा है। हमारी अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से दस गुना बड़ी है, हमारा रक्षा बजट बारह गुना अधिक है, और हमारी सेनाएँ अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित और अनुशासन में सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन हमने हमेशा अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं, शांति का प्रस्ताव रखा है।

पर जब बार-बार चेतावनी के बाद भी कोई राष्ट्र आतंक, धोखे और युद्ध की भाषा से पीछे नहीं हटता — तब सहनशीलता भी धर्म के पक्ष में दृढ़ होने की माँग करती है।

हमें यह समझना होगा — युद्ध केवल पराजित को नहीं, विजयी को भी कीमत चुकाने पर मजबूर करता है।
👉बाज़ार गिरेंगे, निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा,
👉अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, रोज़गार और व्यापार धीमे होंगे,
👉और सबसे मूल्यवान — हमारे सैनिकों का बलिदान,
जो किसी आँकड़े से नहीं मापा जा सकता।

विजय का अर्थ यह नहीं कि हमने कुछ नहीं खोया —
बल्कि इसका अर्थ यह होता है कि हमने राष्ट्र की रक्षा के लिए वह सब कुछ खोने को तैयार रखा, जो प्रिय था।

महाभारत इसका सजीव उदाहरण है।
पांडवों की विजय हुई, पर वह इतनी पीड़ादायक थी कि अंततः उन्होंने राज-पाट त्यागकर हिमालय की ओर प्रस्थान किया।
क्योंकि युद्ध के बाद कोई पूर्ण विजयी नहीं होता — केवल वह बचा रह जाता है जिसने सबसे अधिक सहा।

आज हम सबको यह संकल्प लेना होगा —
कि राष्ट्र के लिए जो भी मूल्य चुकाना पड़े,
चाहे वह आर्थिक हो, मानसिक हो या पारिवारिक —
हम उसे सहेंगे, हम पीछे नहीं हटेंगे।

यह युद्ध केवल सीमा पर नहीं लड़ा जाएगा,
यह युद्ध लड़ा जाएगा प्रत्येक भारतीय के भीतर —
जहाँ एक ओर भय होगा, लेकिन दूसरी ओर संकल्प।
जहाँ एक ओर पीड़ा होगी, लेकिन दूसरी ओर राष्ट्र के लिए अटूट प्रेम।

क्या हम सब तैयार हैं?
केवल विजय के गर्व के लिए नहीं,
बल्कि उसके पीछे छुपी हर कीमत को सहने के लिए भी?

भारत के लिए —
हम तैयार हैं।

वन्दे मातरम्।🙏
By: Krishan Sharma

“काश मैंने अपने म्यूचुअल फंड्स न बेचे होते…”मैंने 30 साल नौकरी की। ज़िंदगी की ज़रूरतें हमेशा बनी रहीं — बच्चों की पढ़ाई,...
24/04/2025

“काश मैंने अपने म्यूचुअल फंड्स न बेचे होते…”

मैंने 30 साल नौकरी की। ज़िंदगी की ज़रूरतें हमेशा बनी रहीं — बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च, शादी-ब्याह, मेडिकल इमरजेंसी — और हर बार मुझे लगा कि अपने म्यूचुअल फंड्स तोड़ना ही सही फैसला है।

मैंने समय-समय पर फंड्स बेचे, फिर दोबारा निवेश भी किया। मुझे लगता रहा कि मैं समझदारी से काम ले रहा हूँ। बाज़ार की हर हरकत पर में और ज़्यादा बेहतर करने की कोशिश करता था। हर बार नई योजना बनाता था।ज़रूरी नहीं हर बार ज़रूरत का पैसा निकला । बिना कारण भी निवेश बेच दिया ।

कभी सोचा - पैसा डबल हो गया, अब बेच ही देता हूं ।
कभी सुना - बाज़ार गिरने वाला है, अभी बेच लो।
कभी लगा - थोड़ा प्रॉफिट बुक कर लूँ, क्या पता कल क्या हो ।

और इस तरह, मैं बार-बार बेचता रहा।

हर बार लगा, “मैं स्मार्ट हूँ”, “मैं सही कर रहा हूँ”।

पर 15 साल पहले एक ऐसा वक्त आया, जब मैंने अपने ही पुराने निवेशों की वैल्यू देखी -:
और एक नई सोच मन में आई:

👉 “काश… अगर मैंने बस धैर्य रखा होता, और इन्हें यूँ ही छोड़ दिया होता, न बेचा होता”

तब जाकर मुझे असली समझ आई —
निवेश का असली फायदा, ‘पैसा लगाने’ में नहीं है…
वो है ‘उसे वक्त देने’ में।

उस दिन से आज तक मैंने एक नियम बना लिया:

निवेश अब सिर्फ़ ज़रूरत के लिए बेचता हूँ।
जितनी ज़रूरत हो, बस उतना ही।
बाकी? बस छोड़ दिया है वक़्त के हवाले।

आज जब पीछे देखता हूँ, तो बस यही बात दिल से कहता हूँ:

“लॉन्ग टर्म गेम खेलो…
धन खुद-ब-खुद बन जाएगा।”

अगर आप इस रास्ते पर हैं — तो बस रुके रहिए।
अगर अभी शुरुआत की है — तो जल्दबाज़ी मत कीजिए।
और अगर सोच रहे हैं कि बेच दूँ — तो दो पल ठहरकर सोचिए !!!

क्या आप भी बाद में यही कहेंगे —
“काश मैंने न बेचा होता…”

आज अगर मुझसे कोई पूछे कि धन कैसे बनता है, तो मेरा जवाब एक ही होगा:

“धैर्य रखो। बार-बार बेचने से बचो। निवेश को वक्त दो। और जरूरत से ज़्यादा कभी मत निकालो।”

हो सकता है आप मुझसे उम्र में छोटे हों।
लेकिन अगर ये सीख आपने जल्दी पकड़ ली —
तो यकीन मानिए, आपका भविष्य मुझसे भी बेहतर होगा।
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