15/10/2025
👉काफी जातक राहु केतु की पोस्ट को दुबारा जाहिर करने को बोलते है और राहु केतु शनि को एक साथ ठीक करने के लिए भी उपाय मांगते है लेकिन इन तीनो के साथ मंगल भी है जिसे शांत करना थोड़ा मुश्किल होता है, राहु एक खुरापाती ग्रह है जों की जातक के भावस्थान के आधार पर उसके विवेक और बुद्धि से खेलता है और वो तत्काल जों भी कार्य कर रहा होता है उसे बिगाड़ देता है सुरु मे सभी सही दिखाता है लेकिन अंत समय मे उसे बिगाड़ देता है जिससे जातक की मानसिक स्थति मे असर आता है, वही शनि लम्बे अरसे से किये कर्मनुसार अपनी दसा, अंतर दसा व गोचर मे फल देता है. लेकिन सबसे एहम केतु है जों की शांत बैठा रहता है जबतक उसे उचित समय नी मिलता क्यूंकि केतु जातक की पीढ़ीयों के के किये गए ख़राब कार्य व अच्छे कार्य का लेखा जोखा रखता है और उसी के आधार पर फल देना सुरु करता है,ये ऐसी चिंता व दुख देता जिसे आसपास के लोग तो भुला भी ले लेकिन जातक नहीं भुला पाता, वही ख्याती भी देता है जिसे जजाटक तो भुला भी ले लेकिन दुनिया याद रखती है दोनों ही पहलु है।
केतु के फल छुपे हुए होते है पर गहरे होते है ये जो भी देता है जातक को उम्र भर के लिए देता है सुख, धन देगा तोह पीढ़ी तक रहेगा भले उम्र कम दे लेकिन औलाद के लिए छोड़ के जाता है अच्छे फल मे धन बुरे फल मे कर्ज और बोझ जिसे संताने चुकाती है, धन देगा लेकिन खुद ओ जातक उसका भोग नी कर पायेगा बस जमा पे जमा करता रहेगा ख़ासकर ज़ब केतु 8 का हो 12 का हो शनि यहाँ नींच या वकरि हुआ तोह उम्र कम देगा लेकिन कोई बिमारी नहीं देगा धन जमा करता रहेगा कंजूस और परिवार के लिए सख्त होता है उम्र कम से मतलब की इनकी मृत्यु अधिकतर दुर्घटना मे होती है गाडी से या ऊँचाई से गिरने पर एक केतु ही है जो पिछले जन्म और अगले जन्म सीड़ी है, इसलिये कहते है की किया हुआ इनकी पीढ़ी को भोगना होता है अब कर्मनुसार सुख हो या कस्ट राहु जो देगा इसी जन्म मे उसको इसी मे वापस लेके बर्बाद करता है लेकिन केतु के दिए फल अच्छे बुरे पीढ़ी तक चलते है ख़ासकर तीसरी पीढ़ी मे अपने फल उजागर करता है।👉इसलिये जन्म कुंडली मे सबसे मुख्य हिस्से का नाश मारने वाला ग्रह केतु है ओ हिस्सा जिसकी चाह अंदर तक जातक की होती है जिसे ओ बयान करता भी है और नहीं भी उसकी औलाद की चाह, उसकी बड़े बनने, लकजरी जिंदगी जीने की चाह हो सकती है। तभी केतु को छुपा हुआ शिकारी बोला जाता है मैंने अपने प्रेक्टिकल मे पाया है की केतु का वार चुकता नहीं है हाँ भले ही ये सालो तक इसके फल छुपे रहे हो पर ज़ब ये वास्तविक फल देता है तोह सब राहु की करामात समझते है हो भी क्यों न दोनों एक दूसरे के पूरक है. केतु पीढ़ीयों के दुख उनके कर्म का भोग जमा करता है दादा से पिता से बेटा फिर उसका बेटा और ये उनकी जन्म कुंडली मे उसी भाव मे आकर बैठा मिलेगा जिस भाव जिस कारकत्व को उसने संजोया होगा अब ये जरुरी नहीं की ये दादा से ही सुरु तत्कालीन मे जातक से सुरु होकर उसके पोते को नजर आये उसके फल.जैसे किसी महिला जातक का विवाह हुआ उसका केतु अगर 4भाव मे हो तो वहाँ पूछने पर मिलेगा की उश्के मामा के यानि ननिहाल मे पीढ़ी छोटी होती चली जाती है यानि कम उम्र वहाँ किसी की मृत्यु व वहाँ बीमारियों का देरा होगा वही माँ के ससुराल आया तोह वहाँ उनके ससुर ने सिर्फ धन का नाश किया होगा जहाँ दिया होगा लगया होगा वापस ही नी आया डूब गया अंत मे बड़ी बिमारी से मृत्यु वहाँ की बहन बुआ उनका भी वही हाल संतान हुयी न होंगी हुयी होंगी तोह कम उम्र मे दुनिया छोड़ चुकी होंगे.. घर बिक जाता है भटकाव ही बचता है.. घर के सुख विहीन कर देता है क्यूंकि जिस घर मे बैठ जायेगा उस घर उस भाव के चीज़ो के लिए तरसा देता है और बहुत जतन भी करवाएगा पूजा, पाठ, हवन दान सब ज़ब सब ले लेगा तब खत्म कर देगा जैसे पंचम मे आये तोह संतान होने नी देगा जितना पैंसा होगा सारा फूकवा देगा डॉ मे IVBF मे पर तभी कोई रिजल्ट नहीं इनसे पूछो तोह बोलते है रिपोर्ट नार्मल है फिर नहीं कुछ होता शुक्राणु महिला मे जाते ही उनका नाश कर देता है नतीजा अंडा बनता ही नहीं..अगर ये दुशरी पीढ़ी या तीसरी हुयी तोह नहीं होने देगी होंगी तोह गर्भ मे ही 5 से 7 महीने ही उजाड़ देगा या बच गया तोह या तोह कानो से सुनाई नी देगा या पैरो से अपंग होगा या मानसिक विकलांगता देगा.. अगर पहली ही पीढ़ी मे ख़राब फल मे हुआ तोह संतान देगा ओ भी एक और यदि 3 बहनो के बाद दिया तोह उम्र कम ऐसे दुर्घटना के शिकार होते है ओ भी ज़ब ये मूल नछत्र मे जन्मा हो और केतु का अधिपत्य पीठ पर हो जिसे करणी पीठ बोलते है ये पिता के लिए भी और खुद उसके लिए खराब होती है
ये ज़ब 2सरे भाव मे आएगा तोह समझो कड़वी जुबान के साथ आएगा और धन का नाश ही करेगा ओ कैसे कमाते जाओ इधर उधर हॉस्पिटल उसको बर्बाद करेगा इनके कटुम्भ परिवार मे ज़ब घटना घटती है तो शुभ काम होगा तन घटती है और एक के बाद एक घटती है यहाँ गुरु साथ हुआ और उसकी दसा सुरु हो तोह नर्क जीते जी जिसे बोलते है क्यूंकि ज़ब भी ये दोनों 2सरे भाव मे होंगे तोह शनि या तो 4 मे होगा 7 या 8 या 12 मे इनको न तोह पढ़ाई के बाद नौकरी मिलती है मिलती भी है तो ज्यादा दिन कर नी पाते कारण ही नी पता लगता की निकाला क्यों क्यूंकि चुपके से सब हो जाता है और परिवार आगे नी बढ़ता शादी मे विलम्भ करें भी तोह बोले क्या धन होता नी है... ये दुर्घटना तब देता जी ज़ब घर मे मंगल कार्य होने वाला हो या जिस दिन हो रहा होगा किसी अपने को ले डूबता है.. सिर्फ 9 और 11 और 12 मे कम बुरा करता है लेकिन करता जरूर है... केतु मंगल और गुरु के फल को भी आगे प्रदर्शित करता है इसलिए पता भी नी लगता की करामात केतु की तब कुंडली से उनके माता, उनकी माता के यहाँ के और जातक के दादा उनके ननिहाल के सेमटम्स मैच करने पड़ते है तब जड पता लगती है की चोट मार कौन रहा है, बहुत से लोग जीवन मे अथा धन कमाते है जैसे ही ओ केतु की उम्र मे यानि यानि बुढ़ापे मे प्रवेश करते है ये धन उनकी औलादे को उसके लिए मार काट कोर्ट केस जेल खानो मे बर्बादी देता है और बुढ़ापे मे भीख मांगनी पडती है.. रोड मे घूमते लोगो से बात करे तोह इंग्लिश बोलते हुए और औलादो के लिए रोते मिलते है असल मे उनके कर्म थे जो आगे ट्रांसफर हो गए उनकी सन्तानो मे क्यूंकि उनको केतु वही दिन और बत्तर दिखायेगा..असल मे केतु को बहुत ही कम आँका जाता है ज्यादातर राहु को देखते है लेकिन राहु से अधिक ताकत केतु मे होती है जिसमे हाथ पैर दोनों है बाकी की सहायक ओ बनता है जो उसके साथ बैठ जाये खास्तर मंगल बुध शनि.. ज़ब घर के घर बिक जाते है उजड़ जाते है तोह कहीं न कहीं शनि का भी मंदा असर कुंडली मे होता है और कारोबार पे ताला लग जाता है बिमारी आ जाती है तोह केतु बुध का खेल सुरु समझो.. इसलिये बोलता हूं जबतक बुजुर्ग है माता पिता दादा दादी उनकी कद्र करो उनकी जितनी हो सेवा करो.. खैर क्या ही ज्ञान दूँ सड़को पर लगी भीड़ बता देती है..
मै पहले केतु की बात करता ही नी सिर्फ ज़ब कुंडली देखता हूं तोह उनसे जो सेमटम्स पूछता हूं ज़ब पूरे मैच होते है तब उपाय और आगे का बनता है,बहुत लोग उपाय भी बोलेंगे लेकिन सबकी कुंडली ही बता पायेगी की क्या उसके लिए उचित है क्या नहीं ऐसे उपाय मे सबके लिए सही नी होंगे।..बहुत से लोग ये बोलेंगे की कुछ नी है ये वो क्यूंकि जबतक चोट न लगी हो दवा कोई रखता नहीं और चोट जब जिंदगी दे तोह हर तरफ दवा ढूंढ़ते है, हमें पता है क्यूंकि हम रोज देखते है स्टडी करते है 14 साल हजारों कुंडली देख चुके है देख रहे है.. इसलिये जिसको समझ न आये इग्नोर कर दीजियेगा अभद्र भाषा न बोले ये संस्कार बताता है आपके 🙏
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